शुक्रवार, 24 अक्तूबर 2008

आपराधिक न्याय प्रणाली की समीक्षा

आपराधिक न्याय प्रणाली की समीक्षा

विधि और न्याय मंत्री श्री हंसराज भारद्वाज ने आज लोकसभा में एक लिखित प्रश्न के उत्तर में यह जानकारी दी कि न्याय प्रणाली के संबंध में एक राष्ट्रीय नीति पत्र का प्रारूपण करने के लिए तीन मई 2006को प्रोफेसर माधव मेनन की अध्यक्षता के अधीन एक समिति का गठन किया गया था । समिति ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है।

रिपोर्ट में सुझाव दी गई सिफारिशों में अन्य बातों के साथ पीड़ितों को सशक्त करने के उद्देश्य से अपराधों के पुन: वर्गीकरण न्याय के शीघ्र तथा प्रभावी प्रदाय, प्रयोजनशील दंड के लिए दंडदिष्ट करने वाले मार्ग सिध्दांत , कमजोर वर्गों के हित के सुरक्षोपायों, दांडिक  न्याय सुधारों के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी के उपयोग तथा पीड़ितों के लिए प्रतिकर आदि से संबंधित सुझाव सम्मिलित हैं ।

       इस बात पर विचार करते हुए कि दांडिक न्याय प्रणाली भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची की समवर्ती सूची के अंतर्गत आती है और उन सिफारिशों की व्यापक विस्तार वाली विवक्षाएं हो सकती हैं, रिपोर्ट की प्रतियों को सभी राज्य सरकारोंसंघ राज्य क्षेत्र प्रशासनों और साथ ही केन्द्रीय सरकार के विभिन्न मंत्रालयोंसंगठनों को, उनकी टिप्पणियों और सुझावों के लिए भेजा गया है ।

 

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