शुक्रवार, 23 मई 2008

समन्वित आजीविका कार्यक्रम : गरीबों को आमदनी का स्थाई जरिया देने की पहल

समन्वित आजीविका कार्यक्रम : गरीबों को आमदनी का स्थाई जरिया देने की पहल

ग्वालियर 23 मई 08 । स्वरोजगार कार्यक्रम ऐसे होने चाहिये जिनमें हितग्राहियों की क्षमता एवं रूचि का ध्यान रखा गया हो, उनके द्वारा उत्पादित सामग्री की गुणवत्ता बाजार की मांग के अनुरूप हो, जिससे उत्पादित सामग्री बाजार में आसानी से बिक जाये और हितग्राहियों की आमदनी बढ़े । इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखकर प्रदेश सरकार ने समन्वित आजीविका कार्यक्रम लागू किया है । ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न विभागों के माध्यम से संचालित विभिन्न स्वरोजगार योजनाओं को समग्र रूप में एक ही छत के नीचे क्रियान्वयन के उद्देश्य से यह कार्यक्रम सरकार का एक दूरगामी कदम है । गरीब परिवारों को रोजगार का स्थाई जरिया मुहैया कराना कार्यक्रम का लक्ष्य है ।

समन्वित आजीविका कार्यक्रम का संचालन समुदाय की मांग, हितग्राहियों की क्षमता, रूचि-रूझान, बाजार की मांग, क्षेत्र में उपलब्ध संसाधन और जनभागीदारी के आधार पर किया जायेगा । इसमें शासन की भूमिका सहयोगात्मक रहेगी । कार्यक्रम के क्रियान्वयन में सहभागी समीक्षा के माध्यम से ग्राम और उसकी अर्थ व्यवस्था की समझ विकसित की जायेगी । बाजार का सर्वेक्षण कर मांग के अनुसार ऐसी विभिन्न गतिविधियों को चिन्हांकित किया जायेगा, जिनकी संबंधित क्षेत्र में सफलता की संभावनायें हैं । निजी और सार्वजनिक प्रतिष्ठानों से उत्पाद, श्रमिकों की मांग और गुणवत्ता निर्धारण और आकलन किया जायेगा । गतिविधियों में सहयोग देने के लिये सेक्टर सपोर्ट संस्था, निजी और सार्वजनिक प्रतिष्ठान आदि से अनुबंध कर निष्पादन किया जायेगा । सहभागी समीक्षा के माध्यम से विभिन्न गतिविधियों के निर्धारण और क्रियान्वयन के लिये उपलब्ध मानव संसाधन का आकलन कर समुदाय सदस्यों, समूहों का चिन्हांकन कर ग्राम आजीविका योजना बनाई जायेगी । ग्राम आजीविका योजना के आधार पर संकुल स्तरीय आजीविका योजना और जिला स्तरीय आजीविका योजना बनाई जायेगी । जिला आजीविका फोरम की स्वीकृति पश्चात कलेक्टर और मिशन लीडर द्वारा विभिन्न गतिविधियों-कार्यों के लिये योजनाओं के वार्षिक बजट का निर्धारण किया जायेगा ।

स्व-सहायता संवर्धन नीति के अंतर्गत एक जैसी गतिविधि क्रियान्वित करने वाले परिवार गतिविधि आधारित स्व-सहायता समूहों के रूप में संगठित होंगे । समहित समूहों को भी स्व-सहायता समूहों के समकक्ष मानकर इसका लाभ पहुंचाया जायेगा । इन समूहों के परिसंघों का गठन प्रोडयूसर कंपनी अधिनियम 1956 अथवा मैक्स के अंतर्गत किया जायेगा । इन परिसंघों के माध्यम से स्व-सहायता समूह संगठित होकर समग्र रूप से बाजार, तकनीकी ज्ञान, वित्त आदि लिंकेज करेंगे और बाजार की मांग के अनुरूप पर्याप्त मात्रा में गुणवत्तापूर्ण उत्पादन कर सकेंगे । स्व-सहायता समूहों से गतिविधि आधारित फेडरेशन के गठन, संचालन, हैण्डहोल्ंडिग सपोर्ट, कार्यशील पूंजी, ब्रांडिंग सुविधा, अधो संरचना विकास, करों और शुल्कों में छूट, राज्य स्तरीय परिसंघों से मान्यता, बैंक ऋण पर सब्सिडी आदि के माध्यम से स्व-सहायता समूहों को सशक्त बनाने की प्रभावी पहल शासन ने की है । मध्यप्रदेश शासन द्वारा पहली बार इस दिशा में स्व-सहायता समूह संवर्धन नीति लागू की है ।

आजीविका केन्द्र एवं मित्र

प्रदेश और प्रदेश के बाहर और उद्योगों की मांग के अनुरूप युवाओं को प्रशिक्षित किया जाकर सुनिश्चित रोजगार अथवा स्व-रोजगार से जोड़े जाने के लिये प्रदेश में रोजगोन्मुखी प्रशिक्षण नीति 2007 भी लागू की गई है । इसके अंतर्गत ग्रामीण कुशल और अकुशल, शिक्षित और अशिक्षित शिल्पियों और कामगारों के पंजीयन, परिचय पत्र, प्रशिक्षण, प्रमाणीकरण सहित विभिन्न उद्योगों और प्रतिष्ठानों में नियोजन कराने की सुविधा उपलब्ध कराई जायेगी । रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण नीति का क्रियान्वयन दो-तीन पंचायतों के मध्य एक आजीविका केन्द्र स्थापित कर किया जायेगा । इस आजीविका केन्द्र में एक सदस्य आजीविका मित्र के रूप में वातावरण निर्माण, स्किल मेपिंग, पंजीकरण और परिचय पत्र उपलब्ध कराने का कार्य करेगा । इन आजीविका केन्द्रों के माध्यम से जिला रोजगार कार्यालय, आजीविका फोरम, शासकीय और निजी प्रतिष्ठान आवश्यकतानुसार प्रशिक्षण, प्रमाणीकरण और नियोजन की सुविधा उपलब्ध करवायेंगे । इस केन्द्र के माध्यम से विभिन्न प्रकार की सुविधायें जैसे दूरभाष के माध्यम से परिवार के सदस्यों से संपर्क करना, सामाजिक सुरक्षा योजना का लाभ दिलाना, कायक्षेत्र में श्रमिकों को भिजवाने की व्यवस्था आदि भी की जायेगी ।

स्व-सहायता संवर्धन नीति

इसी प्रकार राज्य सरकार द्वारा स्व-सहायता समूहों को अधिकाधिक सुविधायें मुहैया कराने और सहायता देने के उद्देश्य से स्व-सहायता समूह संवर्धन नीति तैयार की गई है । यह नीति प्रदेश में एक नवम्बर 07 से प्रभावशील हो गई है । इसके माध्यम से आजीविका से संबंधित क्षेत्रों में बेहतर लाभ सृजित करना एक प्रमुख प्रयास होगा ।

 

ग्वालियर जिले में कार्यक्रम पर अमल

ग्वालियर जिले में भी समन्वित आजीविका कार्यक्रम के तहत जिला आजीविका फोरम के गठन सहित अन्य आवश्यक कार्रवाईयों पर अमल किया गया है ।  कार्यक्रम के संबंध में प्राप्त दिशा निर्देशों के तहत जिले में प्रभारी मंत्री की अध्यक्षता में जिला आजीविका फोरम का गठन किया गया है। इस फोरम में सभी विधायकगण व जिला योजना समिति के सभी सदस्य शामिल किये गये हैं । इसी प्रकार कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला कार्यकारिणी समिति भी गठित की गई है । कार्यकारिणी समिति में कृषि, ग्रामीण विकास, नगरीय कल्याण, उद्योग, आदिम जाति व अनुसूचित जाति, वन, मत्स्य, पशुपालन, उद्यानिकी, महिला एवं बाल विकास आदि विभागों के अधिकारी सदस्य बनाये गये हैं । इस समिति के अलावा सहयोगी इकाई भी गठित की गई है, जिसमें विभिन्न विषयों के 12 विशेषज्ञ शामिल किये गये हैं । जिला पंचायत के मुख्यकार्यपालन अधिकारी श्री विनोद शर्मा ने बताया कि जिले के सभी चार विकासखंडों में संकुल स्तरीय 19 केन्द्र स्थापित किये गये हैं । इनमें से विकासखंड घाटीगांव (बरई) में चार और डबरा, भितरवार व मुरार जनपद पंचायत में पांच-पांच केन्द्र स्थापित किये गये हैं ।

 

समूह खुद करेंगे योजना का क्रियान्वयन

कार्यक्रम के तहत आजीविका योजना का क्रियान्वयन व्यक्ति/स्व-सहायता समूहों द्वारा किया जायेगा । सामुदायिक अधो-संरचना का निर्माण ग्राम पंचायत और संबंधित लाइन डिपार्टमेंट द्वारा किया जायेगा । गतिविधि आधारित स्व-सहायता समूह और सदस्य द्वारा अपने नाम से बैंक में एक खाता खुलवाया जायेगा । स्व-सहायता समूह/व्यक्ति का सहयोग दल द्वारा पंजीकरण किया जायेगा । स्व-सहायता समूह सदस्यों द्वारा पहले नियमित रूप से साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक बचत की जायेगी । बचत से निर्मित कोष का उपयोग रिवाल्ंविग कोष के रूप में आवश्यकतानुसार सदस्यों का सूक्ष्म ऋण उपलब्ध कराने में किया जायेगा । सहयोग दलों द्वारा समूह/व्यक्ति का योजनाओं के नियमों और मापदंडों के अनुरूप उप योजना प्रस्ताव तैयार कर तकनीकी स्वीकृति और प्रशासकीय स्वीकृति प्राप्त कर राशि की स्वीकृति के लिये प्रस्ताव जिला सहयोग इकाई को भेजा जायेगा । जिला इकाई द्वारा उपयोजना प्रस्तावों की स्वीकृति पश्चात पूर्ण स्वीकृत राशि का हस्तांतरण एकमुश्त सीधे समूह/ व्यक्ति के बैंक खाते में कर दिया जायेगा । गतिविधि का कियान्वयन, प्रबंधन, सामग्री खरीदी आदि समूह/व्यक्ति द्वारा स्वयं की जायेगी ।

 

म.प्र. के निजी संस्‍थानों में न्‍यूनतम वेतन अधिनियम लागू, 3000 रू से अधिक वेतन देना जरूरी, • प्रायवेट स्‍कूलों, कोचिंगों में कर्मचारीयों के शोषण पर कसी लगाम

म.प्र. के निजी संस्‍थानों में न्‍यूनतम वेतन अधिनियम लागू, 3000 रू से अधिक वेतन देना जरूरी 

·         प्रायवेट अस्पताल, शैक्षणिक संस्थान तथा कोचिंग केन्द्रों के कर्मचारी पहली बार न्यूनतम वेतन अधिनियम के दायरे में

·         प्रायवेट स्‍कूलों, कोचिंगों में कर्मचारीयों के शोषण पर कसी लगाम

कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन का लाभ दिलाने के निर्देश

राज्य शासन ने प्रायवेट अस्पताल, पेथालॉजीकल लेब, शैक्षणिक संस्थानों एवं कोचिंग क्लासेस में कार्यरत कर्मचारियों को पहली बार न्यूनतम वेतन अधिनियम 1948 के अंतर्गत शामिल किया है। साथ ही इन संस्थानों में कार्यरत कर्मचारियों के लिये न्यूनतम वेतन दरों का निर्धारण भी कर दिया गया है।

इंदौर में उप श्रमायुक्त श्री एल.पी. पाठक ने बताया कि राज्य शासन द्वारा इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी गयी है। इसके अनुसार प्रायवेट अस्पताल, पेथालॉजी लेब, परामर्श केन्द्र तथा परीक्षण केन्द्र, प्रायवेट शैक्षणिक संस्थान एवं कोचिंग केन्द्रों में कार्यरत कुशल, अर्ध्द कुशल एवं अकुशल कर्मचारियों का श्रेणीवार वर्गीकरण कर उनकी न्यूनतम वेतन की दरें तय की गयी हैं। निर्धारित दरों के अनुसार अब कुशल कर्मचारियों को 3 हजार 350, अर्ध्द कुशल कर्मचारियों को तीन हजार 200 एवं अकुशल कर्मचारियों को 3 हजार 70 रुपये प्रतिमाह मूल वेतन मिलेगा। साथ ही इस वेतन पर भत्ता अलग से देय रहेगा। उप श्रमायुक्त ने सभी श्रम निरीक्षकों को निर्देश दिये हैं कि वे ऐसी संस्थानों का निरीक्षण करें तथा वहाँ कार्यरत कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन का लाभ दिलवायें।

 

गुरुवार, 22 मई 2008

सोच समझ कर थूकिये, थूक बड़ा अनमोल, लघुशंका भी कीजिये सोच समझ और तोल

सोच समझ कर थूकिये, थूक बड़ा अनमोल, लघुशंका भी कीजिये सोच समझ और तोल

नरेन्‍द्र सिंह तोमर ''आनन्‍द''

अभी आजकल ताजा खबर चल रही है , ग्‍वालियर नगर निगम ने थुक्‍का फजीहत बन्‍द कराने के लिये, थूकना प्रतिबन्धित कराने की जुगाड़ खोज ली है खबर कुछ इस प्रकार है -

थूकने के सौ रूपये, लघुशंका के ढाई सौ, दीर्घ शंका पॉच सौ में हो सकेगी 

 ग्वालियर दिनांक 21 मई 2008 - नागरिकों को सार्वजनिक स्थानों पर गंदगी फैलाने के लिये अब नगर निगम ग्वालियर द्वारा विभिन्न प्रकार के अर्थदण्ड निर्धारित कर दिये गये हैं । अब नागरिक सार्वजनिक स्थान पर थूकने पर 100/-, पेशाब करने पर 250/-, शौच करने पर 500/-, पशु को आवारा छोड़ने पर 1000/- तथा सार्वजनिक स्थानों पर रासायनिक अपशिष्ट डालने पर 1000/- रू., सार्वजनिक स्थानों पर हानिकारक द्रव्य बहाने 1000/- रू. तथा गंदगी फैलाने पर 2500/- से दण्0श्निडत हों सकेंगे।

निगमायुक्त डॉ. पवन शर्मा द्वारा दी गई जानकारी में बताया गया है कि म0प्र0 शासन, नगरीय प्रशासन के आदेश में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि नगर निगम क्षेत्र में अपशिष्ट प्रबंधन के उल्लंघन हेतु दाण्डिक प्रावधानों का पालन किया जावे, जिसके तहत सार्वजनिक स्थानों पर व्यक्ति दुकानदारों, संस्थानों, होटलों, फैक्ट्रीयों, रेस्टोरेंटों पर गंदगी फैलाई जाती है तो उनके खिलाफ म0प्र0 शासन नगरीय प्रशासन नियमों में आरोपित अर्थदण्ड से दण्डित किया जावेगा।

निगमायुक्त द्वारा जारी निर्देश में अपर आयुक्त समस्त उपायुक्त, सहायक आयुक्त, स्वास्थ्य अधिकारी, सहायक प्रभारी स्वास्थ्य एवं कचरा प्रबंधन अधिकारी निगम के चिकित्सा अधिकारी क्षेत्राधिकारियों ए.एस.आई. तथा दरोगा स्तर के अधिकारियों को क्षेत्रांतर्गत नियमों का उल्लंघन करने वाले व्यक्तियों, संस्थाओं, घरों, दुकानों, फैक्ट्रीयों के मालिकों जिनके द्वारा सार्वजनिक स्थलों पर गंदगी प्रदूषण उत्तेजक ठोस तथा द्रव्य पदार्थ कचरे के रूप में डाले जायेंगे। अधिसूचित क्षेत्रों को छोड़कर उनके विरूद्व उपरोक्तानुसार अर्थदण्ड लगाने के लिये अधिकृत किये गये हैं । उक्त प्राधिकृत अधिकारी अपने-अपने क्षेत्रांतर्गत नियमों का उल्लंघन करने वालों के विरूद्व अर्थदण्ड की कार्यवाही करेंगे तथा जुर्माना राशि की रसीद देंगे। साथ ही जुर्माने से वसूल की राशि 24 घण्टे के अंदर निगम कोष में जमा करावेंगे।

 

गोया कुछ दिनों से बड़ी थुक्‍का फजीहत चल रही थी, कोई भी कहीं भी आकर थूक जाता था, थूकना ग्‍वालियर के लिये टेंशन हो गया । कोई इस पर थूक रिया है, कोई उस पर थूक रिया है, कोई नेता जी पे थूक रिया है कोई पुलिस पे तो कोई सरकार पे । कोई कोई पठ्ठा तो नगर निगम पे ही डायरेक्‍ट थूक देता था । हुम्‍फ थूक थूक बेहाल कर दिया ग्‍वालियर को ।

ग्‍वालियर वालों की एक और पुरानी आदत है, बड़ी जल्‍दी लपक के ऊंगली छोड़ पहुँचा थाम लेते हैं, सो यह लाजमी था कि बात थूक से भी आगे बढ़ती, बढ़ते देर न लगती । प्राब्‍लम शुरू में ही फिक्‍स हो जाये तो बेहतर रहती है, कहावत है कि रोग बढ़ने से पहले इलाज बेहतर है, थुक्‍का थुक्‍की से आगे मामला जाये इससे पहले ही, सरकार बैठ गये चिन्‍तन, मन्‍थन और मनन में । नगर पालिका अधिनियम छान मारा, सारी धारायें खंगाल डालीं । और आखिर मिल ही गया अलादीन का चिरागी जिन्‍न, कि सार्वजनिक प्‍लेस पर गंदगी करना अपराध ए अधिनियम है । आई.पी.सी. में तो लघुशंका पे से ही मामला बनता है लेकिन नगरपालिका अधिनियम ने थूकने पर से ही मामला बनाने की राह सुझा दी । अफसरों की जान में जान आयी । गोया पॉंत में जात मिल गयी ।

थूका, मूता, या .....वगैरह वगैरह तो बेटा निबट जाओगे । अब अगर ग्‍वालियर में कहीं थूकना है तो बेटा जेब में सौ का एक नोट कड़कड़ाता हुआ डाल कर चलना । और मूतना है तो ढाई सौ के पत्‍ते कड़कड़ाते हुये जेब में होने चाहिये । वरना निहाल हो जाओगे ।

अगर आप सौ के कई नोट जेब में रख कर चलेंगे तो ग्‍वालियर में कई बार थूक सकेगे, आपकी जेब के नोटों की संख्‍या के अनुसार जम कर मूत भी सकेगे । यानि जेब में नोट हैं तो ग्‍वालियर में जम कर थूको और मूतो, वरना पतली गली से निकल लो ।

देश भर के थुकेरों और मुतेरों को ग्‍वालियर बुला रहा है, पैसा लाओ, थूको और मूतो ।

मेरे वकील मित्रों को यह खबर बड़ी बढि़या लगी, उनकी खुपडि़या घूमी बोले गुरू ये मामला जनहित में आ सकता है, मैं बोला कैसे, वे बोले कि अरे भईया ग्‍वालियर जाकर खांसी वाले, टी.बी. वाले इलाज कराते हैं, और थूकना उनके संग चलता है अब क्‍या उनको थूकदान संग ले जाना पड़ेगा या सार्वजनिक प्‍लेस पे अपने निजी थूकदान या पीकदान या मूतदान में कोई विसर्जन नहीं कर सकेगा, आदेश स्‍पष्‍ट नहीं है ।

मैंने कहा नहीं यार ये तो थुक्‍का थुक्‍की कर थुक्‍का फजीहत वालों के लिये आदेश है । जनरल पब्लिक के लिये नहीं है । लेकिन अब भई वकील तो वकील हैं, हर जगह कील ठोकना उनका पेशा है, लगी तो कील न लगी तो अपील, वकील साहब बोले कि गुरू, बात कुछ जँची नहीं, इस आदेश के मुतल्लिक तो सार्वजनिक प्‍लेस पर सब कुछ मना है, यानि सार्वजनिक मूत्रालय और सार्वजनिक शौचालय भी इसमें वर्जित प्‍लेस हो जाते हैं ।

मेरी खुपडि़या वकील साहब चेंट चेंट कर चाट गये, मुझे तो कोई समाधान नहीं सूझा, फिलहाल मुझे कोई टेंशन भी नहीं है, हमारे मुरैना में तो सब फ्री है, चाहे जहॉं चाहे जिस पर चाहे जितना थूको, नो टेंशन, चाहे जिधर बैठकर, खड़े होकर, चाहे जिस दिशा में निवृत्‍त हो लो नो टेंशन, थुक्‍कमथुक्‍क, दिशा मैदान, लघुशंका यहॉं सारे आइटम फ्री हैं, चाहे जिसके दरवाजे पर कर आओ । डायरेक्‍ट नगरपालिका पे भी कर दो, नो टेंशन । ग्‍वालियर वाले ग्‍वालियर की जाने, नो टेंशन ।               

 

मंगलवार, 20 मई 2008

स्वच्छता और सफाई की सरकारी योजना

स्वच्छता और सफाई की सरकारी योजना

मीणा # शिव # राकेश*

 

विशेष लेख  (Press information Bureau, Govt. of India)

स्वच्छता अर्थात सफाई व्यवस्था आज भी भारत में एक चुनौती बनी हुई है। आवासों में सफाई का निम्न स्तर अनेक बीमारियों को घर बना हुआ है। लोगों में सामुदायिक भागीदारी, जागरूकता तथा उत्साह की कमी भी सफाई व्यवस्था की समस्याओं का पैदा होने का मुख्य कारण है।

आईएलसीएस

केंद्र सरकार के द्वारा प्रायोजित सस्ती सफाई योजना की शुरूआत 1980-81 में गृह मंत्रालय के अधीन हुई थी ताकि सफाई कमचारियों को इस कार्य से मुक्त किया जा सके। बाद में इसे कल्याण मंत्रालय ने अपने हाथ में ले लिया। 1989-90 से यह शहरी विकास मंत्रालय के द्वारा चलाई गई, फिर उसके बाद शहरी रोजगार और ग़रीबी उपशमन मंत्रालय के द्वारा इसे कार्यान्वित किया गया। फिलहाल इसे आवास एवं शहरी ग़रीबी उपशमन मंत्रालय के द्वारा चलाया जा रहा है। इस योजना का उद्देश्य मौजूदा शुष्क शौचालयों को कम लागत वाली फ्लैश लैट्रिनों में परिवर्तित करना और जहां पर कोई शौचालय नहीं है वहां पर नई फ्लैश लैट्रिनों का निर्माण करना है।

उद्देश्य

इस योजना का उद्देश्य उचित बदलावों एवं स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार दो टैंक वाली फ्लैश लैट्रिनों के ज़रिये कम लागत वाली सफाई व्यवस्था का निर्माण करना अथवा परिवर्तन करना और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के आवासों में जहां पर कोई भी शैचालय नहीं है वहां पर नये शौचालयों का निर्माण करना है। साथ ही इसे वहां भी लागू करना है जिन ग्रामीण क्षेत्रों में लोग खुले स्थानों पर मल परित्याग करते है। कुल मिलाकर इस योजना से कस्बों में सफाई व्यवस्था में सुधार होगा।

इसके लिए राज्यों अथवा केंद्र शासित क्षेत्र से कस्बों का चयन करते समय वहां की आबादी और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के आवासों में जहां पर कोई भी शौचालय नहीं है तथा खुले में शौच करने वाले लोगों को पैमाना नहीं बनाया जायेगा। शौचालयों की व्यापकता के आधार पर लक्ष्य निर्धारित किये जायेंगे। जहां पर शुष्क शौचालयों की अधिकता ह,ै उन कस्बों को प्रमुखता दी जाएगी। यह योजना उन सभी कस्बों मे लागू की जायेगी जहां पर शुष्क शौचालय पहले से ही बने हुए है या जहां लोग खुले में ही शौच करते है और उनके पास शौचालय नहीं है।

इस योजना का विस्तार संपूर्ण कस्बें के आधार पर है। इसके लिए प्रस्ताव, स्थानीय निकायों अथवा संगठनों जैसे, आवासीय बोर्ड, स्लम क्लीयरेंस बोर्ड, विकास प्राधिकरण, उन्नति न्यास, जल आपूति एवं व्ययसन बोर्ड, छावनी बोर्ड इत्यादि, के द्वारा जमा कराया जा सकता है जिन्हें राज्य शहरी विकास प्राधिकरण के द्वारा प्राधिकृत किया गया हो ताकि राज्य सरकार कार्यक्रम का कार्यान्वयन कर सके। संबधित शहरी स्थानीय निकाय को यह शपथ पत्र भी देना होगा की आगे से यहां पर किसी भी शुष्क शौचालय का निर्माण नहीं हो पायेगा।

जिस गैर सरकारी संगठन के पास इस क्षेत्र में पर्याप्त अनुभव हो उसका चयन सरकार को करना चाहिए तथा उसे 15 प्रतिशत अधिक धन दिया जाएगा। योजना का खर्च कुल लागत से अधिक होने पर इसे योजना क्रियान्वयन के विभिन्न चरणों के दौरान केंद्र सरकार और राज्य सरकार के द्वारा 5 : 1 अनुपात के आधार पर वहन किया जाएगा। आगे, गैर सरकारी संगठन को लाभार्थियों का सर्वेक्षण करने की जरूरत होगी और शहरी स्थानीय निकास एक साल के भीतर किये गये सर्वेक्षण के आधार पर  लाभार्थियों की सूची को अंतिम रूप देंगे। गैर सरकारी संगठन, परिवर्तित इकाइयों के रखरखाव तथा संचालन को देखने के लिए एक बायोमैट्रिक कार्ड जारी करेंगे और चिन्हित किये गये लाभार्थियों के ज़रूरतों को सुनिश्चित करने  के बाद  शहरी स्थानीय निकास अथवा विकास प्रधिकारियों के द्वारा तैयार किये गये आकलनों तथा परियोजना रिपोर्ट तैयार करने के वास्ते प्रशिक्षण कार्यक्रमों या संगोष्ठियों का आयोजन करेंगे। इस योजना का विस्तार उन सभी आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के आवासों तक होगा जहां पर शुष्क शौचालय मौजूद है और जहां पर कोई भी शैचालय नहीं है वहां पर नये शौचालय बनाये जाऐंगे। यह योजना केवल आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के आवासों तक ही सीमित रहेगी।

वित्तीय स्वरूप

इस योजना के लिए धन इस प्रकार से मुहैया कराया जाएगा :-

Ø     केंद्र सरकार के द्वारा 75 प्रतिशत तथा राज्य सरकार के द्वारा 15 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा और लाभार्थियों से 10 प्रतिशत सहायता ली जाएगी। केंद्र सरकार के द्वारा सहायता राशि की दूसरी किस्त, जोकि राज्यों अथवा केंद्र शासित क्षेत्रों के लिए निर्धारित है, तभी जारी की जाएगी जब पहले राज्य सरकार अपने हिस्से की धनराशि की पहली किस्त जारी कर देगी। केंद्र सरकार की सहायता राशि सीधे तौर पर जारी की जाएगी। धनराशि राज्य शहरी विकास एजेंसी (एसयूडीए), ज़िला शहरी विकास एजेंसी (डीयूडीए) या राज्य सरकार द्वारा निश्चित की गई अन्य किसी एजेंसी को जारी की जाएगी। शहरी आधारभूत सेवाऐं कार्यक्रम के लिए चयन की गई नगर पालिका की समुदाय विस्तारित इकाइयों और गैर सरकारी संगठनों की सेवाओं का उपयोग, समुदाय को प्रेरित करने तथा तकनीकी सहायता के लिए किया जाएगा।

Ø     कठिनाई भरे या पहाड़ी क्षेत्राें वाले राज्यों को छोड़, बाकी राज्यों में पूरी तरह से निर्मित प्रत्येक दो टैंक वाली फ्लैश लैट्रिन के लिए अधिकतम 10,000 रु0 की धनराशि निश्चित की जा सकती है। कठिनाई भरे या पहाड़ी क्षेत्राें वाले राज्यों को इसी कार्य के लिए 25 प्रतिशत अधिक राशि प्रदान की जा सकती है, यानि इन राज्यों में अधिकतम 12,500 रु0 की धनराशि निश्चित की जा सकती है।

Ø     केंद्र सरकार के द्वारा आवंटित राशि में से मंत्रालय प्रति वर्ष एक प्रतिशत राशि अपने पास रखेगा और इसका उपयोग एमआईएस, निगरानी व्यवस्था, क्षमता विकास और आईईसी अवयवों के लिए किया जाएगा। आईईसी को आवंटित धनराशि का उपयोग लोगों के बीच स्वच्छ शौचालयों के इस्तेमाल के लाभों के प्रति जागरूकता पैदा करने, स्कूलों तथा कॉलेजो में स्वास्थ्य शिक्षा प्रदान करने, नेहरू युवा केंद्रों तथा चेतना संघों के गैर विद्यार्थियों पर, सर्वेक्षण करने, समाचार पत्रों में विज्ञापन देने और मध्यावधि मूल्यांकन अध्ययनों के लिए किया जाएगा। राज्य सरकार भी इन्हीं कार्यों के लिए अपने हिस्से में से एक प्रतिशत धनराशि अपने पास रख सकती है। यदि आवंटित कोष का उपयोग नहीं हो पाता है तो इसे आईएलसीएस परियोजनाओं के लिए मुहैया कराया जा सकता है। आईईसी अवयवों में योजना के तेज एवं प्रभावी कार्यान्वयन के लिए बाहर से मानवशक्ति को मंगाने और मंत्रालय के अधिकारियों का राज्य सरकार के अथवा कार्यान्वयन मे लगी एजेंसियों के बीच बेहतर तालमेल के लिए कार्य स्थल की यात्रा करने को भी शामिल किया जा सकता है।

Ø     मंत्रालय सूचना तकनीक से लैस एमआईएस तथा निगरानी व्यवस्था का विकास करेगा और इसी प्रकार की व्यवस्था को राज्य एवं शहरी स्थानीय निकायों के स्तर पर भी लागू किया जाएगा। उपयोग प्रमाण-पत्र के साथ तिमाही प्रगति रिपोर्ट के ज़रिये एमआईएस और निगरानी बकाया धनराशि की किस्तों का सुचारू जारी होना सुनिश्चित करेगी।

कार्यान्वयन

इस योजना को आवास एवं शहरी ग़रीबी उपशमन मंत्रालय के द्वारा सीधे तौर पर लागू किया जा रहा है। केंद्र सरकार द्वारा सहायता राशि की पहली किस्त अनुदान समझौता पर हस्ताक्षर होने के बाद जारी की जाएगी तथा इसे दो किस्तो मे जारी किया जाएगा। यह कार्य क्षेत्र की मांग तथा एजेंसियों की वास्तविक मांग और उपयोग क्षमता से संबंधित होगी। 25 प्रतिशत सहायता राशि योजना को मंजूरी मिलने के तुरंत बाद ही जारी हो जाएगी। राज्य सरकार द्वारा चयन की गई एजेंसियां या शहरी स्थानीय निकाय राज्य सरकार को अपना प्रस्ताव भेज सकते है। राज्य सरकार इन प्रस्तावों को मंजूरी प्रदान कर राज्य समन्वयन समिति को भेजेगी जो इन्हें मंजूर कर हुडको के क्षेत्रिय कार्यालय को भेज देगी। हुडको क्षेत्रिय कार्यालय इसे मंजूरी प्रदान कर हुडको के मुख्यालय को भेज देगा और हुडको मुख्यालय इस प्रस्ताव की जांच पड़ताल कर केंद्रीय समन्वयन समिति को भेज देगा।

योजना का कार्यान्वयन निम्नलिखित चरणों में होगा :-

Ø     राज्य में स्थानीय निकायों के द्वारा जिन लाथार्थियों के लिए शुष्क शौचालयों का परिवर्तन किया जाना है, उनकी पहचान करना।

Ø     क्रमश: 75 : 25 अनुपात में शुष्क शौचालयों का परिवर्तन और नये शौचालयों के निर्माण प्रस्तावों को शहरी स्थानीय निकायों के द्वारा राज्य शहरी विकास एजेंसी (एसयूडीए), ज़िला शहरी विकास एजेंसी (डीयूडीए) के पास जमा कराया जाएगा। जिन पर ये विचार-विमर्श कर अपनी मंजूरी प्रदान करेंगे तथा इन्हें राज्य समन्वयन समिति के पास प्राथमिकता तय करने के लिए भेज दिया जाएगा।

Ø     व्यवहार्य परियोजनाओं को राज्य सरकार के द्वारा हुडको के क्षेत्रीय कार्यालय में जमा कराया जाएगा॥

Ø     हुडको के क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा इस परियोजना की लागत निर्धारित की जाएगी और फिर इसे हुडको के मुख्यालय भेज दिया जाएगा।

Ø     हुडको मुख्यालय इस प्रस्ताव की जांच पड़ताल कर केंद्रीय समन्वयन समिति को विचार-विमर्श के लिए भेज देगा।

Ø     आवास एवं शहरी ग़रीबी उपशमन मंत्रालय की केंद्रीय समन्वयन समिति का गठन मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में किया जाएगा। समिति के अन्य सदस्य सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्रालय, केंद्रीय लोक स्वास्थ्य पर्यावरण एवं अभियंत्रिकी संगठन और संबंधित राज्य के प्रतिनिधि होंगे।

Ø     केंद्रीय समन्वयन समिति का कार्य हुडको द्वारा जमा कराये गये प्रस्तावों पर विचार करना तथा धनराशि जारी करना होगा।

Ø     केंद्रीय समन्वयन समिति की सालभर के दौरान प्रत्येक तिमाही में कम से कम एक बार जरूर बैठक हुआ करेगी ताकि एक संपूर्ण समीक्षा की जा सके।

Ø     हुडको परियोजनाओं की लागत निर्धारण को सुनिश्चित करेगा और अपने क्षेत्रीय कार्यालयों के ज़रिये योजना के कार्यान्वयन पर नज़र रखेगा।

प्रत्येक राज्य को एक राज्य समन्वयन समिति का गठन करना चाहिए जिसमें राज्य के संबंधित विभाग के हुडको क्षेत्रीय कार्यालय के प्रतिनिधि जिनमें समाज कल्याण से संबंधित विभाग राज्य स्तर पर परियोजना प्रस्तावों को मंजूरी प्रदान करना करेगा तथा योजना के कार्यान्वयन की वास्तविक निगरानी भी करेगा जिसमें हाथ से सफाई करने की व्यवस्था को समाप्त करना भी शामिल है। यह समिति यह भी सुनिश्चित करेगी कि योजना की लागत तथा समय में बढ़ोत्तरी न हो। साथ ही इस कार्य की निगरानी राज्य एवं स्थानीय स्तर पर पूरी कड़ाई से की जाए।

· आवास एवं शहरी ग़रीबी उपशमन मंत्रालय के द्वारा उपलब्ध

 

शुक्रवार, 16 मई 2008

पी0एम0आर0वाई0 ने सच किया, एक बेरोजगार के व्यवसायी बनने के सपने को

पी0एम0आर0वाई0 ने सच किया, एक बेरोजगार के व्यवसायी बनने के सपने को

राहुल को अब नहीं है नौकरी की दरकार

पन्ना 15 मई- सोचिए कि अगर गांठ में पैसा न होने के बावजूद आत्मनिर्भर होने के लिए परिवार सहित सेठ, साहूकार किसी का सहारा न लेना पडे। एक धेले का भी नहीं। जी हां, यह संभव है। वह भी सरकार की प्रधानमंत्री रोजगार योजना की मदद से। अपने पैरों पर खडा होने के लिए पन्ना के राहुल जैन का जो सपना था कि किसी तरह वह खुद के कारोबार का मालिक हो जाए तो उनके इस सपने को जिला उद्योग केन्द्र ने प्रधानमंत्री रोजगार योजना के तहत रेडीमेड कपडे की दुकान खुलवाकर सच कर दिया।

         अन्तर्राष्ट्रीय मानचित्र पर डायमण्ड सिटी के रूप में मशहूर पन्ना के श्री राहुल जैन महज चार साल पहले जब एम00 की पढाई पूर्ण कर चुके थे, तो उन्हें आने वाले कल के रोजगार की चिन्ता थी। वह नौकरी के लिए लम्बे-लम्बे रास्ते नापने की बजाए व्यवसाय को अपनी आजीविका का जरिया बनाना चाहते थे। आखिरकार कारोबार में उतरने के लिए बेकरार राहुल के सपने को हकीकत में बदलने में मददगार बनी प्रधानमंत्री रोजगार योजना। इस योजना के तहत पन्ना नगर के बडा बाजार में जी नाइन नाम से शुरू हुई रेडीमेड कपडे की दुकान राहुल के लिए ऐसा कारोबार साबित हुआ, जिसने उनके जीवन की तस्वीर ही बदल दी। इस योजना के तहत उन्हें एक लाख रूपये का ऋण्ा उपलब्ध कराया गया, जिसमें साढे सात हजार रूपये की अनुदान राशि भी शामिल है।

         राहुल के पिता जो एक सरकारी मुलाजिम थे, और अपनी कम आमदनी की बजह से अक्सर अपनी बेटी के विवाह को लेकर चिन्तित रहा करते थे, लेकिन राहुल की रेडीमेड कपडे की दुकान शुरू होने के सालभर के भीतर ही उनके यहां समृद्वि के लक्षण दिखने लगे। राहुल ने अपनी कमाई से अपनी बहन की धूमधाम से शादी कर दी। रेडीमेड कपडे के कारोबार में जम चुके राहुल ने न सिर्फ बैंक का कर्ज अदा कर दिया, बल्कि उससे हुई कमाई से अपने पुराने मकान को आधुनिक स्वरूप में बदल लिया और एक मोटर साइकिल भी खरीद ली। राहुल ने घर गृहस्थी का और भी जरूरी सामान खरीद डाला। वह अपने छोटे भाई को पी00टी0 की कोचिंग भी दिला रहे हैं।  राहुल ने अपनी दुकान पर एक व्यक्ति को रोजगार पर भी लगा लिया। अब वह रेडीमेड कपडे के व्यवसाय के जाने पहचाने व्यवसायी बन चुके हैं। उन्होंने रेडीमेड कपडे का जो फुटकर कारोबार शुरू किया, तो फिर पीछे मुडकर नहीं देखा। चार साल पहले एक अच्छी शुरूआत कर इस छोटी-सी अवधि में जी नाइन ने एक लम्बी यात्रा तय कर ली है। दुकान में रखे जाने वाले वस्त्रों में पेंट, शर्ट, कुर्ता, कुर्ती, सलवार सूट, बच्चों के वस्त्र समेत विभिन्न बेरायटी के बस्त्र प्रमुख हैं। उनकी दुकान के रेडीमेड कपडे अच्छी क्वालिटी और सस्ते होते हैं, जिनको खरीदने के लिए पन्ना नगर समेत जिले के विभिन्न हिस्सों से लोग उनके यहां आते हैं। उनकी दुकान के रेडीमेड वस्त्र पुरूषों और महिलाओं में बेहद लोकप्रिय हैं और वे बडे चाव से उन्हें पहनते हैं। राहुल आज मालिक के तौर पर हर माह दस हजार रूपये कमाते हैं। आज लोग उन्हें सेठजी संबोधित कर सम्मान से बुलाते हैं। अपने कारोबार से खुश राहुल कहते हैं, ''नौकरी में जहां कई बंदिशें होती हैं, वहीं इतना फायदा नहीं होता, जितना खुद के व्यवसाय से होता है। अपने व्यवसाय में जितना चाहो, कमाई कर सकते हो।''

          प्रधानमंत्री रोजगार योजना के तहत पचास हजार रूपये से बडा बाजार में ही लालु पान नाम से पान मसाला दुकान शुरू करने वाले श्री मनोज जैन की कहानी भी कुछ इसी तरह की है, जो उनके लिए आजीविका का आकर्षक साधन बन गयी है और अब उन्हें नौकरी की जरूरत नहीं है। मनोज आज इस दुकान से हर माह छ: हजार रूपये कमा रहे हैं और उन्होंने बैंक का कर्ज भी अदा कर दिया है। मनोज के लिए यह पान मसाला कारोबार केवल एक व्यवसाय या उमंग नहीं, बल्कि जीवन का एक रास्ता है। अपने कारोबार से उत्साहित होकर मनोज बताते हैं,'' सरकारी योजना की बदौलत वह आज बेहतर जिन्दगी जी रहे हैं।''

 

बुधवार, 14 मई 2008

भव्य आयोजन की व्यापक तैयारियाँ जारी : निशुल्क प्रवेश पत्र मिलना शुरू (राष्ट्रीय लता मंगेशकर अलंकरण समारोह)

भव्य आयोजन की व्यापक तैयारियाँ जारी : निशुल्क प्रवेश पत्र मिलना शुरू (राष्ट्रीय लता मंगेशकर अलंकरण समारोह)

अब तक संगीत की 23 हस्तियाँ सम्मानित

राष्ट्रीय लता मंगेशकर अलंकरण समारोह की व्यापक तैयारियाँ जारी हैं। मध्यप्रदेश शासन द्वारा दिये जाने वाले इस प्रतिष्ठित अलंकरण से अब तक भारतीय सिने जगत में गायिकी और संगीत से जुड़ी 23 हस्तियाँ सम्मानित हो चुकी हैं। इस वर्ष का लता मंगेशकर अलंकरण प्रसिध्द पार्श्व गायक श्री नितिन मुकेश को दिया जा रहा है। लता मंगेशकर अलंकरण का चार दिवसीय समारोह इंदौर में 15 मई से शुरू हो रहा है। समारोह में निशुल्क प्रवेश के लिये आठ स्थानों से प्रवेश पत्र वितरित किये जा रहे हैं। समारोह का आगाज़ 15 मई को राज्य स्तरीय सुगम संगीत प्रतियोगिता से होगा। यह कार्यक्रम संतोष सभागृह में आयोजित किया गया है। अगले दिन 16 से लेकर 18 मई तक नगर के विशाल नेहरू स्टेडियम में इस समारोह की धूम रहेगी।

लता अलंकरण बारी-बारी से संगीत रचना और गायन के लिये दिया जाता है। इस प्रतिष्ठित अलंकरण से विश्व में सुगम संगीत में अमिट छाप छोड़ने वाले 23 संगीतकार और गायकों को भव्य समारोह में सम्मानित किया गया है अलंकृत की जाने वाली हस्ती के सम्मान में इंदौर में सुगम संगीत के उत्कृष्ट कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। इस वर्ष समारोह के तहत 16 मई को पार्श्व गायिका सुश्री अलका याज्ञनिक, 17 मई को पार्श्व गायक श्री सुदेश भोसले और 18 मई को लता अलंकरण से सम्मानित होने वाले पार्श्व गायक श्री नितिन मुकेश की प्रस्तुति होगी। समारोह के तहत 15 मई को राज्य स्तरीय सुगम संगीत प्रतियोगिता आयोजित होगी।

राष्ट्रीय लता मंगेशकर सम्मान से विभूषित संगीत जगत की हस्तियाँ:-

 

1 श्री नौशाद

1984-85

 

2 श्री किशोर कुमार

 

1985-86

 

3 श्री जयदेव

 

1986-87

 

4 श्री मन्ना डे

 

1987-88

 

5 श्री खय्याम

 

1988-89

 

6 सुश्री आशा भोसले

 

1989-90

 

7 श्री लक्ष्मीकांत-श्री प्यारेलाल

 

1990-91

 

8 श्री येसुदास

 

1991-92

 

9 श्री राहुलदेव बर्मन

 

1992-93

 

10 श्रीमती संध्या मुखर्जी

 

1993-94

 

11 श्री अनिल विश्वास

 

1994-95

 

12 श्री तलत महमूद

 

1995-96

 

13 श्री कल्याणजी-आनंदजी

 

1996-97

 

14 श्री जगजीत सिंह

 

1997-98

 

15 श्री इलिया राजा

 

1998-99

 

16 श्री एस.पी.बालसुब्रमण्यम्

 

1999-00

 

17 श्री भूपेन हजारिका

 

2000-01

 

18 श्री महेन्द्र कपूर

 

2001-02

 

19 श्री रवीन्द्र जैन

 

2002-03

 

20 श्री सुरेश वाडकर

 

2003-04

 

21 श्री ए.आर.रहमान

 

2004-05

 

22 सुश्री कविता कृष्णामूर्ति

 

2005-06

 

23 श्री हृदयनाथ मंगेशकर

 

2006-07