शुक्रवार, 27 जून 2008

//लेख//स्वाधीनता समर के 150 वें वर्ष पर कमल,रोटी से गरीबों के जीवन में खुशहाली लाने का शंखनाद

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स्वाधीनता समर के 150 वें वर्ष पर कमल,रोटी से गरीबों के जीवन में खुशहाली लाने का शंखनाद

       दस मई 1857 को मेरठ में सैनिक विद्रोह और दूसरे दिन 11 मई 1857 को दिल्ली की घेराबंदी से हुआ था देश के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का शंख नाद जिसकी प्रतिध्वनि देशकाल की सीमा लांघती हुई देश की आजादी के लिये समय-समय पर चलाये गये छोटे बड़े हर आन्दोलन में गूंजती रही । आज भी उसका स्मरण हर भारतीय को आन्दोलित कर जाता है । चाहे 19 वीं शताब्दी के अंत का स्वदेशी आन्दोलन या फिर क्रांतिकारियों की सिलसिलेवार कोशिशें । वर्ष 1946 में नेता सुभाषचंद्र बोस ने 1857 के '' दिल्ली चलो'' के नारे को बुलंद कर पूरे राष्ट्र को अंग्रजी शासकों के विरूध्द एक जुट होने का पैगाम दिया । दरअसल स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त 1947 देश की आजादी तक हर प्रयास में 1857 की क्रांति की अनुगूंज मुखरित होती रही । प्रथम स्वाधीनता संग्राम के 50 साल बाद वर्ष 1907 में राष्ट्रवादी क्रांतिवीर कलम के धनी विनायक दामोदर सावरकर ने अपने भारतीय स्वातंत्र्य समर नाम के ग्रन्थ की रचना कर 1857 के संग्राम पर सभी प्रकार के मतभेदों का अंत कर दिया । चर्बी लगे कारतूस प्रकरण पर वह लिखते हैं - .. यदि विस्फोट केवल कारतूसों के कारण हुआ था तो फिर कानपुर के नाना साहब, दिल्ली के बादशाह, झांसी की रानी और रूहेलखंड के खान बहादुर खान ने इसमें क्यों योगदान किया था ? वे न तो अंग्रेजों की सेना के सैनिक थे और न ही किसी प्रकार से उन्हें विवश किया जा रहा था कि वे दांतों से उन कारतूसों को तोड़ें ? और यदि कारतूसों के कारण ही वह ज्वाला भड़क रही थी तो अंग्रेज जनरल द्वारा उनकी वापसी के आदेश प्रसारित होते ही क्रांति की उस ज्वाला पर पानी पड़ जाना चाहिये था।  अत: स्पष्ट है कि प्रासंगिक कारण कारतूस नहीं थे, क्यों कि इस महान् यज्ञ में तो सैनिक-असैनिक, राजा और रंक, हिन्दू और मुसलमान, किसान और दुकानदार सभी ने समिधा समर्पित करने का संकल्प ले लिया था । वे आगे लिखते हैं - भारत की स्वतंत्रता स्थापना के लिये ही 1857 का समर हुआ ।

       काल मार्क्स ने विद्रोह के दौरान हो रहे अत्याचारों और क्रांतिकारियों के अभियानों पर न्यूयार्क डेली ट्रिब्यून में 28 जुलाई 1857 के अंक में लिखा -  '' भारतीय उथल-पुथल कोई सैनिक बगावत नहीं है, बल्कि एक राष्ट्रीय विद्रोह है ।'' उन्होंने यह भी दावा किया कि ' धीरे-धीरे ऐसे तथ्य सामने आते जायेंगें' जिनसे स्वयं जॉन बुल को विश्वास हो जायेगा कि जिसे वह सिपाही विद्रोह समझते हैं वह वास्तव में एक राष्ट्रीय विद्रोह है । मार्क्स ने इस महाविद्रोह में विभिन्न समुदायों की एकता का उल्लेख करते हुये 30 जून 1857 को लिखा कि मुसलमान और हिन्दू अपने समान मालिकों के खिलाफ एक हो गये हैं । मार्क्स ने विद्रोह की शुरूआत सैनिकों द्वारा किये जाने के सवाल को इस प्रकार उठाते हुये उसे आम जन से जोड़ा - फ्रांसीसी राजशाही पर पहला वार भी अभिजात वर्ग ने किया था न कि किसानों ने ।

       देश की आजादी के बाद 1957 में पूरे राष्ट्र ने स्वाधीनता संग्राम 1857 की शताब्दी मनायी । सरकारी , गैर सरकारी स्तर पर महासंग्राम के विविध पक्षों और घटनाओं का विश्लेषण किया गया । शायद अपेक्षित परिणाम आना अभी बाकी है । इसी क्रम में 1857 के डेढ़ सौवें साल पर कुछ हासिल करने का प्रयास करते हुये मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने 10 मई 2008 को  18.57 अर्थात 6 बजकर 57 मिनिट पर ग्वालियर में वीरांगना लक्ष्मीबाई की समाधि पर शहीदों की स्मृति को अक्षुण्ण बनाये रखने के लिये न केवल अखण्ड ज्योति प्रज्वलित की अपितु क्षेत्रीय पंच-सरपंचों को कमल रोटी देकर सम्प्रेषण के इस प्राचीन प्रयोग को दोहराया जो 1857 में क्रांति घोष का गुप्त संदेश सूचक थे । स्थान चयन की दृष्टि से शायद यह प्रदेश का सबसे अधिक उपयुक्त स्थल था जो इतिहासक्रम का साक्षी रहा है । जहां गंगादास आश्रम के 376 साधुओं ने वीरांगना लक्ष्मीबाई को बचाने के लिये फिरंगी सेना से लड़ते-लड़ते जीवन बलिदान कर दिया था और सैकड़ों घायल हुये व अंग्रेजी सेना के दमन का शिकार भी बावजूद इसके वीर साधुओं ने महारानी लक्ष्मीबाई का शव भी अंग्रेजों के हाथ नहीं आने दिया और बड़ी शाला की घास की गंजी में आग लगा कर लक्ष्मीबाई को अग्नि संस्कार कर दिया था ।

       मुख्यमंत्री ने प्रदेश के ग्राम-ग्राम तक रोटी और कमल की यात्रा के माध्यम से जनता में गरीबों की खुशहाली लाने का खुला संदेश भेजा है । उन्होंने इस अवसर पर महती जनसभा को संबोधित करते हुये कहा कि गरीबों में खुशहाली लाकर ही शहीदों के सपनों को पूरा किया जा सकता है । उन्होंने आगे कहा कि वीरांगना महारानी लक्ष्मी बाई तथा अन्य क्रांतिवीर योध्दाओं की स्मृति यह ज्योति नागरिकों को देश के लिये जीने-मरने और देश को समृध्दशाली बनाने की प्रेरणा देती रहेगी ।

       समारोह की अध्यक्षता राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सह सर कार्यवाह श्री मदनदास ने की । इस अवसर पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्री डोंगर सिंह कक्का, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री नरेन्द्र सिंह तोमर, जलसंसाधन एवं उच्च शिक्षा मंत्री श्री अनूप मिश्रा, नगरीय कल्याण एवं विकास मंत्री  डा. नरोत्तम मिश्रा, 20 सूत्री कार्यक्रम क्रियान्वयन समिति के उपाध्यक्ष श्री जयभान सिंह पवैया, महापौर श्री विवेक नारायण शेजवलकर , सुप्रसिध्द साहित्यकार श्रीमती क्षमाकौल तथा महापौर परिषद के सदस्य मंचासीन थे ।

       मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि 10 मई के दिन ही आज से 150 वर्ष पहले स्वाधीनता संग्राम के प्रथम शहीद मंगल पाण्डे के जीवन बलिदान से क्रांति की एक आंधी चली थी और हजारों देशभक्तों ने इससे प्रेरणा लेकर अपने प्राणों का बलिदान किया था । उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्य की बात है कि आज इतिहास के पन्नों पर भारत के इस प्रथम स्वतंत्रता संग्राम को विद्रोह के रूप में वर्णित किया जा रहा है । उन्होंने कहा कि देश की आजादी के लिये शहीदों के त्याग तपस्या और बलिदान सदैव नमन योग्य है और प्रथम स्वतंत्रता संग्राम को विद्रोह कहना उन महान बलिदानियों का न केवल अपमान है अपितु राष्ट्रद्रोह भी।

       अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में श्री मदन दास ने कहा कि 1857 से 1862 तक चले प्रथम स्वतंत्रता संग्राम ने जिस नेतृत्व,पराक्रम और कौशल का संदेश दिया, उसने देश की आजादी के लिये जनजागृति का काम किया । उन्होंने कहा कि रानी लक्ष्मीबाई के शौर्य और नेतृत्व ने देशभक्तों में देश को स्वतंत्र कराने की भावना को बलवती किया । उन्होंने कहा कि शहीदों के त्याग और बलिदान को सदैव स्मरणीय बनाये रखने के लिये अखंड ज्योति की स्थापना की जो पहल की गई है, वह गौरव की बात है साथ ही यह  ग्वालियर की जनता और  देश की जनता को शहीदों की शहादत से परिचित कराने के लिये एक अनूठी मिसाल बनेगी ।

       भाजपा प्रदेशाध्यक्ष श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि प्रदेश में सरकार की पहल पर प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की 150 वीं वर्षगांठ पर सालभर देश भक्ति के कार्यक्रम होते रहे हैं । उन्होंने कहा कि वीरांगना की समाधि पर इस अखंड ज्योति की स्थापना सदैव भावी पीढ़ी को प्रेरणा देती रहेगी ।

 

तिघरा व सोजना के सरपंचों को भेंट किये स्वातंत्र्य समर के प्रतीक चिन्ह

       सन् 1857 के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में स्वातंत्र्य वीरों द्वारा गांव-गांव में क्रांति का संदेश देने के लिये प्रतीक चिन्ह के रूप में अपनाये गये रोटी, कमल व ध्वज मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने ग्राम पंचायत तिघरा व सोजना के सरपंचों को भेंट किये । मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि आजादी की लड़ाई के यह प्रतीक चिन्ह देश की बलिवेदी पर मर मिटने वाले रणबांकुरों की याद दिलायेंगें जो देश के स्वाभिमान को जगाने में सहायक होगा । साथ ही यह शहीदों के प्रति सच्ची श्रध्दांजलि भी होगी और गरीबों में खुशहाली लाने का संदेश भी ।

 

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी डोंगर सिंह कक्का का सम्मान

       वीरांगना लक्ष्मीबाई की समाधि स्थल पर अखंड ज्योति की स्थापना समारोह में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सह सर कार्यवाह श्री मदन दास ने ग्वालियर के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी 104 वर्षीय श्री डोंगर सिंह कक्का का शाल और श्रीफल भेंट कर सम्मान किया ।

 

 

इति।

 

रविवार, 15 जून 2008

चोर की मौत खुशी की बात, चोर लुटेरों के हाथ में आते ही जनता हाथ में ले कानून-फ्री लड़ूंगा मुकदमे -तोमर

चोर की मौत खुशी की बात, चोर लुटेरों के हाथ में आते ही जनता हाथ में ले कानून-फ्री लड़ूंगा मुकदमे -तोमर

 

मुरैना ! राष्ट्रीय जनता दल के मध्यप्रदेश के महासचिव एडवोकेट नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनन्द'' ने प्रेस को जारी विज्ञप्ति में मुरैना की सिध्द नगर कालोनी में चोरी कर रहे चोर की मौत पर प्रसन्नता जाहिर की है, और सिध्द नगर की जनता द्वारा उसे स्वयं गिरफ्तार कर पुलिस को हवाले किये जाने के बाद हार्ट अटैक से अस्पताल में मरने को जनता की बहादुरी और खुद मुख्यतारी कर कानून का सही पालन करने पर सिध्द नगर की जनता को बधाई दी है !

तोमर ने चम्बल की जनता से अपील की है कि सिध्द नगर की घटना से प्रेरणा लेते हुये चम्बल घाटी के हर गाँव मोहल्ले में चोरों लुटैरों के साथ यही व्यवहार किया जाना चाहिये ! और ऐसी अवस्था में कानूनन जनता को उसे गिरफ्तार करने तथा जान या सम्पत्ति की सुरक्षा हेतु या खतरे की आशंका मात्र होने पर किसी चोर लुटेरे की मौत भी हो जाती है तो भारतीय कानून उसे संरक्षण प्रदान करता है तथा उसे पकड़ना या जान से मार देना जनता को कानूनी हक के रूप में प्राप्त है ! चम्बल घाटी में पूरी तरह कानून व्यवस्था फेल होने तथा चोरी व लूट की घटनाओं की बेतहाशा वृध्दि का कारण फर्जी मुखबिरों के नाम पर बड़ी संख्या में चम्बल के राजनेताओं, और पुलिस द्वारा चोर लुटेरों का पाला जाना है ! नेताओं और पुलिस ने चोर लुटेरों की एक लम्बी फौज पाल रखी है, जिसे आने वाले चुनावों के मद्दे नजर इन दिनों जनता में अपराध, भय व आतंक कायम करने के लिये, भ्रष्टाचार व कमीशनखोरी के लिये खुला छोड़ दिया गया है ! सिध्द नगर की घटना इन लोगों के मुँह पर करारा तमाचा है, और यह जारी रहना चाहिये !

तोमर ने बताया कि इस प्रकार चोर लुटेरों के साथ व्यवहार कर उन्हें गिरफ्तार करने वाले और मार देने वाले लोगों के मुकदमे मैं फ्री लड़ूंगा और यह सिध्द कर दूंगा कि पुलिस व नेताओं के पालतू चोरों व लुटेरों को जनता कानून के भीतर रहकर ही जबरन कानून का पालन कैसे करवाती है ! और यह कानूनन उचित व वैध है ! तोमर ने यह भी कहा कि मेरे पास पर्याप्त सबूत उपलब्ध है कि किस नेता और किस पुलिस वाले ने किस किस चोर, लुटेरे और गुण्डों को पाल रखा है और कितना चोरी व लूट का माल, उनको कमीशन के रूप में मिलता है ! अत: जनता पुलिस से उम्मीद न रखे, पुलिस की हालत अत्यंत खराब है, चम्बल के थाने बिके हुये हैं और करोड़ों रूपये की उगाही केवल थानों से ही होती है ! जिसका बड़ा भाग ऊपर तक जाता है ! अत: जनता कानून में प्राप्त अपने अधिकारों का पूरा पूरा इस्तेमाल करे और भ्रष्ट व नैतिक रूप से पूरी तरह पैदल हो चुके पुलिस और नेताओं को मुँह तोड़ जवाब दे !

तोमर पेशे से एडवोकेट हैं, तोमर ने बताया कि दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 43 में किसी भी प्रायवेट व्यक्ति द्वारा अपराधी को गिरफ्तार किया जा सकता है तथा भारतीय दण्ड संहिता की धाराओं 96 से 106 तक प्रायवेट प्रतिरक्षा का अधिकार प्रदान करतीं हैं और शरीर या सम्पत्ति की सुरक्षा के लिये या उसके खतरे में होने पर किया गया कोई भी कार्य अपराध नहीं है !

तोमर ने जनता से अपील की है कि जनता खुद जागे, खुद सचेत हो, खुद अपनी रक्षा करे, खुद पहरा दे पुलिस और नेताओं के पालतू चोर,ु लुटेरो और गुण्डों से निजात पाने का यही सर्वोत्तम तरीका है ! चोर लुटेरो और गुण्डों के घरों में उनके पालकों व संरक्षकों के यहाँ मातम छाया रहे यही आज की सबसे बड़ी जरूरत है !

तोमर ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल और मुख्यमंत्री सहित राजद के वरिष्ठ नेताओं व कई केन्द्रीय मंत्रियों को पत्र लिख कर चम्बल में कुछ जाति विशेष के लोगों को लेकर चल रही पुलिस व अपराधिया मुहिम को लेकर विस्तृत पत्र लिखे हैं ! तोमर ने कल्ला सिकरवार की मुठभेडृ को भी पूरी तरह फर्जी बताया है और चम्बल में क्या हो रहा है इसको लेकर अति उच्च स्तर तक अपनी भावनाओं व पड़ताल रिपोर्ट भेज दी है ! उल्लेखनीय है कि अपराधों पर तोमर ने कई रिसर्च संपादित कीं हैं ! 

मंगलवार, 10 जून 2008

शिक्षा की गुणवत्ता में बढ़ोतरी के लिए सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी– Dainik Madhyarajya

शिक्षा की गुणवत्ता में बढ़ोतरी के लिए सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी– Dainik Madhyarajya

 

विशेष लेख

मानव संसाधन विकास मंत्रालय के दो प्रमुख कार्यकर्मों सर्वशिक्षा अभियान तथा मधयाह्न भोजन योजना के कारण क्रमश: स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति बढ़ी है साथ ही साथ उनके पोषण स्तर में भी सुधार हुआ है। इन कार्यक्रमों को लागू करने के बाद प्राथमिक स्तर पर छात्रों के द्वारा शिक्षा पूरी करने के कारण माध्यमिक स्तर की शिक्षा के लिए मांग में भी वृध्दि हुई है।

       समाज के कमजोर वर्गों, शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों, बालिकाओं, शिक्षकों, ग्रामीण बच्चों तथा अन्य सीमान्त वर्गों जैसे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग एवं शैक्षिक रूप से पिछड़े अल्पसंख्यकों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। न केवल सभी के लिए नामांकन बल्कि सभी के लिए स्थायी एवं संतोषजनक शिक्षा प्रदान करने को भी प्राथमिकता दी जा रही है।

       11वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान माध्यमिक शिक्षा के लिए नई पहलें की जा रही हैं जिनमें स्कूलों में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी भी शामिल है। राज्य सरकार तथा निजी भागीदारी के साथ स्कूलों में एक संशोधित सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी योजना को लागू किया जाएगा। यह योजना एक लाख स्कूलों से भी ज्यादा सरकारी, स्थानीय निकायों तथा सरकारी सहायता प्राप्त माध्यमिक तथा उच्चतर माध्यमिक स्कूलों में ब्रॉडबैण्ड संपर्कता के साथ सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी साक्षरता एवं कम्प्यूटरीकृत शिक्षा मुहैया करायेगी। प्राथमिक तथा माध्यमिक स्तर पर भी कम्प्यूटरीकृत शिक्षा आरंभ करने के भी प्रयास किये जा रहे हैं।

       11वीं योजना में उच्चतर शिक्षा के लिए कुछ प्राथमिकताएं है जो इस प्रकार है सुविधा का विस्तार, (जैसे संस्थागत बुनियादी ढांचा), समानता (जैसे पिछड़े समूहों की भागीदारी को सुनिश्चित करने और क्षेत्राीय असमानता को दूर करने), गुणवत्ता में सुधार और सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का बेहतर उपयोग करना आदि ताकि इन लक्ष्यों की प्राप्ति को बढ़ावा दिया जाए। 11वीं योजना के अंत तक 18-24 वर्ष के आयु वर्ग के लिए सकल नामांकन अनुपात को बढ़कर कम से कम 15 प्रतिशत करना है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए योजना में लगभग 85,000 करोड़ रूपये का प्रावधान है जो 10वीं योजना से 9 गुणा अधिक है।

       इस अभियान के तहत संपर्कता के ज़रिए उच्च गुणवत्ता की ई-सामग्री को उपलब्ध कराने के अलावा सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के ज़रिए राष्ट्रीय शिक्षा अभियान आरंभ करने का भी प्रस्ताव किया गया है जो 400 से अधिक विश्वविद्यालयों के समकक्ष संस्थानों और 20,000 से अधिक डिग्री कॉलेजों को ब्रॉडबैण्ड संपर्कता उपलब्ध करायेगा।

       11वीं योजना में उच्च शिक्षा स्तर पर श्रेष्ठ अनुसंधान को बढ़ावा देने, नियमित जीवन वृत में सुधार एवं नियमित मूल्यांकन पर जोर देने, प्रत्यायित व्यवस्था का विस्तार करने और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग तथा अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् जैसी उच्च संस्थाओं में सुधार के लिए प्राथमिकता देने की बात कही गई है ताकि इन्हें वर्तमान तथा आने वाली चुनौतियों तथा आवश्यकताओं के प्रति और अधिक जवाबदेह बनाया जा सके।

       भारतीय प्रत्यायित राष्ट्रीय बोर्ड को वर्ष 2007 के दौरान वॉशिंगटन संधि का अंतरिम सदस्य बनाया गया। इसके साथ ही अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के भारतीय प्रत्यायित राष्ट्रीय बोर्ड के द्वारा मान्य पाठयक्रमों में स्नातक छात्रों को इस संधि के सदस्य देशों जैसे अमरीका, ब्रिटेन, कनाडा, जापान आदि में शिक्षा तथा रोज़गार प्राप्त करने में आसानी हो जाएगी।

दिल्ली के स्कूलों में अच्छा प्रचलन

       राष्ट्रीय राजधनी क्षेत्र दिल्ली सरकार ने शिक्षा निदेशालय के अधिकारियों सहित, अध्यापकों की ज़िम्मेदारी तथा विद्यार्थियों के प्रदर्शन, कक्षा में अध्यापन से संबंधित प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष चुनौतियों से निपटते हुए आईसीटी में शैक्षिक नवीनताओं और प्रशासन में सक्षम करते हुए राष्ट्रीय राजधनी क्षेत्र दिल्ली, सरकार ने एक व्यापक सूचना प्रौद्योगिकी कार्य योजना आरंभ की है।

       इन पहलों में निदेशालयों में कार्मिक एवं कार्यालय प्रबधन के लिए हस्तक्षेप भी शामिल है, जैसे कर्मचारी सूचना व्यवस्था, हस्तांतरण नियुक्ति इकाई, वित्त इकाई, पुस्तकालय प्रबंधन और अवसंरचना इकाई इत्यादि इसके परिणाम स्वरूप मानवीय हस्तक्षेप के साथ विभाग के शैक्षिक तथा प्रशासनिक परिणामों में एक आम बदलाव आया है, अनन्यता को भी कम किया गया है जिसके कारण साफ-सुथरी, पारदर्शी, उत्तरदायी तथा जवाबदेह व्यवस्था सामने आई है।

       सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के सबसे अधिक महत्वपूर्ण पहलू इस प्रकार है -

विभाग का सारा कार्य इस सिस्टम के साथ जोड़ दिया गया है ताकि उपयोगकर्ता सिस्टम के ज़रिए बच्चे की अंक तालिका इत्यादि बना सके बजाय इसके कि पहले आपके पास डाटा आये और फिर आप अपना कार्य शुरू करें।

किसी भी इकाई को हमेशा पूरी तरह से ही लागू किया जाएगा। यहां पर कोई भी परीक्षण परियोजना नहीं होगी। सभी उपयोगकर्ता सिस्टम को एक साथ ही उपयोग करते हैं।

यह सिस्टम अपने ही देश में बनाया गया है। इसके लिए पहले आवश्यकताओं की पहचान की गई, जवाबों पर विचार किया गया, सम्भवत: आसान सिस्टम को लागू किया गया, परीक्षण किया गया और फिर इसे ठीक प्रकार से चलाया गया।

यह बात सच है कि बेव आधारित यह सिस्टम अनूठा नहीं है। परन्तु फिर भी यह सुनिश्चित किया गया है कि यह हर बार प्रत्येक स्तर पर अभिप्राय पूर्ण परिणाम दे।

इस सिस्टम को सभी हितधारकों ने पहले ही स्वीकार कर लिया है। सच तो यह है कि अध्यापक संघ ने यह दावा किया है कि यह उपलब्धि उसके अथक प्रयासों का परिणाम है।

       उन सभी पैमानों पर, जिन पर एक स्कूल शिक्षा प्रणाली का मूल्यांकन किया जा सकता, उनमें एक निश्चित तथा अतुलनीय सुधार हुआ है।

       दसवीं कक्षा के परिणामों में भी अतुलनीय वृध्दि हुई है। वर्ष 2006 में 11.7 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2007 में यह 17.39 प्रतिशत हो गया है। जिन स्कूलों में दसवीं कक्षा का परिणाम 90 प्रतिशत से अधिक है, उन स्कूलों की भी संख्या बढ़ी है। अध्यापकों की उपस्थिति की पुष्टि किसी भी समय व्यक्तिगत रूप से या समूह के द्वारा की जा सकती है। इस बारे में अधिक जानकारी वेबसाईट .ङ्ढड्डद्वड्डङ्ढथ्.दत्ड़.त्द  पर भी मौजूद है। कार्यान्वयन के पहले वर्ष के दौरान ही आन लाईन दाखिला व्यवस्था के कारण कक्षा 6 में नामांकन कराने वाले छात्रों की संख्या में 14 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है।

       हस्तांतरण तथा नियुक्ति की अनन्य शक्तियां भी समाप्त कर दी गई हैं। अब सभी हस्तांतरण तथा नियुक्तियां पारदर्शी कम्प्यूटरीकृत हस्तांतरण व्यवस्था के ज़रिए की जाएगीं। इसमें जीआईएस आधारित नियुक्तियां भी हैं।

       प्रबंधन सूचना व्यवस्था (एमआईएस) के ज़रिए वास्तविक समय संचार तंत्र मुहैया कराया गया है। महत्वपूर्ण सूचनाओं को प्रत्येक कर्मचारी को भेजा जा रहा है ताकि सूचना में देरी से बचा जा  सके। समय सीमा के भीतर फंड के शत-प्रतिशत उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए एक विशुध्द एवं सक्षम वित्तीय प्रबंधन व्यवस्था को सक्षम बनाया गया है।

       वित्तीय व्यवस्था का कम्प्यूटरीकरण होने के कारण अध्यापन तथा गैर अध्यापन कर्मचारियों के उनका बकाया अब समय पर मिल जाया करेगा। ऑन लाईन (ईओआर) निगरानी व्यवस्था के उपयोग से स्कूलों में रखरखाव में सुधार आया है। एमआईएस में नागरिकों के लिए फीड़बैक सिस्टम भी उपलब्ध हैं जिसके ज़रिए माता-पिता या नागरिक विभाग या शिक्षा मंत्री से अपनी बात कह सकते है और सूचना का आदान प्रदान भी कर सकते है।

       दिल्ली सरकार ने वर्ष 2007 में राष्ट्रीय विद्यालय खेलों में सबसे अधिक पदक जीते थे। शिक्षा विभाग ने भी पिछले तीन वर्षों में चार बार नेशनल गवर्नेन्स अवार्ड जीता है।

अन्य राज्यों में इसे लागू करना

       यह सिस्टम ऑन-लाईन है और पूरे देश में एक जैसा है। इस सिस्टम की अनुकृतियां भी बनाई  जा सकती हैं।

       यह न केवल अंतर्राज्यीय बल्कि अंत:विभागीय स्तर पर भी इसकी अनुकृतियां बनाई जा सकती हैं। सारे देश और राज्यों में विभागीय कार्य लगभग एक समान ही होता है। उदाहरणत: कार्मिक-प्रबंधन सूचना व्यवस्था (पीआईएमएस) को शुरू में लोक निर्माण विभाग, दिल्ली ने लागू किया था। बाद में इसे केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग ने पूरे देश में फैला दिया।

       सबसे पहले इसका डिज़ाइन निर्माण और इसका कार्यान्वयन शिक्षा विभाग ने लोक निर्माण, दिल्ली के लिए किया था। हाल ही में हरियाणा सरकार ने अपने एडूसेट पर मल्टी-मीडिया पाठयक्रम का प्रसारण आरंभ किया है। पंजाब सरकार से भी राज्य में भी इसे लागू करने के लिए बातचीत चल रही है। मध्य प्रदेश, राजस्थान और अण्डमान सरकारों ने भी इसे अपने यहां लागू करने में रूचि दिखाई है। (पसूका)

Û मानव संसाधन विकास मंत्रालय से साभार

 

पंचायती राज संस्थाओं में प्रशिक्षण तथा क्षमता विकास– Dainik Madhyarajya

पंचायती राज संस्थाओं में प्रशिक्षण तथा क्षमता विकास– Dainik Madhyarajya

 

राष्ट्रीय तथा राज्य स्तरीय अनेक मंचों पर पंचायती राज संस्थाओं में निर्वाचित प्रतिनिधियों और स्थानीय प्रशासन में कार्यशील कर्मचारियों को क्षमता विकास सहायता उपलब्ध कराने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया गया है। अभी हाल ही में ज़िला तथा मध्यवर्ती पंचायतों के अध्यक्षों का दिल्ली में एक तीन दिवसीय सम्मेलन आयोजित किया गया था। इसमें 26 राज्यों एवं संघ शासित क्षेत्रों के 8,000 से भी अधिक प्रतिनिधिमण्डलों ने भाग लिया था। इस अवसर पर दो रिपोर्टे जारी की गई थी। एक रिपोर्ट द स्टेट ऑफ पंचायत्स 2007-2008 थी जिसे प्रधनमंत्री ने जारी किया था। दूसरी रिपोर्ट पंचायती राज संस्थाओं में निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों पर अधययन थी जिसे यूपीए अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी ने जारी किया। इस अध्ययन में कहा गया है कि बेहतर प्रशिक्षण, निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों के कार्य प्रदर्शन में एक प्रमुख तत्व के रूप में उभरकर सामने आया है। जिन महिलाओं ने प्रशिक्षण लिया है उन्होंने अपने क्षेत्रों में बेहतर कार्य का प्रदर्शन किया है। अत: इस बात की भी सिफारिश की गई है कि न केवल निर्वाचित प्रतिनिधियों के लिए इसे अनिवार्य किया जाए बल्कि इसे नियमित रूप से आयोजित भी किया जाना चाहिए। उसका बहुपक्षीय विस्तार हो जिसमें नियम-विनियम, बजट एवं वित्त और विकास योजनाओं का कार्यान्वयन भी हो। क्षमता विकास प्रशिक्षण के लिए मुख्य तर्क इस प्रकार हैं - मौजूदा सामाजिक असमानताओं में यह अनिवार्य है कि महिलाओं, अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजातिओं को पिछड़ेपन से लड़ने के लिए सहायता दी जाए और आत्मविश्वास के साथ स्थानीय प्रशासन में भागीदारी के लिए उन्हें सक्षम बनाया जाए। प्रशिक्षण तथा क्षमता विकास पहलों से वे न केवल अपने घरों से बाहर आयेंगी बल्कि इसके ज़रिए वे बेहतर भागीदारी के लिए सक्षम हो सकेंगी।

       हमें इस बात को भी अपने दिमाग में रखना है कि स्थानीय प्रशासन व्यवस्था में भाग लेने वाले बड़ी संख्या में हैं जो पहली बार इसमें भाग ले रहे हैं। अत: उनके कौशल अनुभव को बढ़ाने की बेहद ज़रूरत है, और उन्हें आवश्यक एवं उचित सूचना मुहैया कराई जाये तथा उन्हें ताज़ा जानकारी से लगातार अवगत कराया जाता रहे।

       73वें संविधान संशोधन की भावना के दायरे में ही स्थानीय प्रशासन व्यवस्था का स्थिरीकरण करते हुए स्थानीय नेतृत्व के सृजन के लिए क्षमता विकास प्रयासों की भी जरूरत है, जो असमानता तथा अन्याय में परिवर्तन लाये जोकि अभी देश में मौजूद है।

       साथ ही इसी समय अधिकतर सरकारी अधिकारियों के लिए शक्तियों का अधोहस्तांतरण एक नई अवधारणा है। विकेन्द्रीकरण तथा शक्तियों का अधोहस्तांतरण के कार्य करने के विभिन्न तरीकों की ज़रूरत है और उनके व्यवहार तथा दृष्टिकोण में परिवर्तन लाने के लिए प्रशिक्षण की भी ज़रूरत है ताकि वे स्थानीय प्रशासन कार्य को प्रभावी बना सके। विकेन्द्रीकरण तथा शक्तियों का अधोहस्तांतरण को ग़रीबी उपशमन, सीमांत वर्गों की भागीदारी को बढ़ाने के लिए और स्थानीय स्तर पर जवाबदेही तथा बड़ी जिम्मेदारियों को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक माना गया है। विकेन्द्रीकरण के लिए गति बल, जोकि बहुपक्षीय तथा द्विपक्षीय संस्थाओं द्वारा आगे बढ़ाया गया है, को बहुत माना गया है। यदि आवश्यक तकनीक शर्तें पूरी कर दी गई हों तो भागीदारी तथा जवाबदेही अपने आप ही आ जाएगी। हालांकि विद्वान तथा कार्यकर्ता गवर्नेन्स के मुद्दे पर कार्य कर रहे हैं। साथ ही साथ महिलावादी लेखन तथा विचार ने विकेन्द्रीकरण के विश्वास को राज्य की संस्थाओं का केवल तकनीकी पुनर्गठन मानने को चुनौती दी है। संस्थाओं में लिंग विचारधारा के आसपास ही सारी कवायद केंद्रित रहती है जो इस बात को सिध्द करती है कि किसी भी संस्थागत् प्रबंधन के लिए प्रक्रियाओं तथा लिंग एजेंडा को प्राथमिकता प्रदान की जा रही है। महिलाओं अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के सदस्यों की उपस्थित की आशा अपने आप ही विकास के एजेंडा की तरफ ले जाएगी। इस बात को भी समझना जरूरी है कि यहां पर अन्य परिस्थितियों के साथ-साथ किसी भी प्रकार का महत्वपूर्ण परिवर्तन होना आवश्यक है। क्षमता विकास प्रक्रिया में यह भी अपेक्षित है कि सरकारी नौकरशाही में ऊपर से लेकर निचले स्तर तक एक उचित परिपेक्ष्य स्थापित किये जाने की ज़रूरत है।

अधययन - केरल

       केरल स्थानीय प्रशासन संस्थान (केआईएलए), केरल स्थानीय स्वशासन विभाग के अधीन एक स्वायत्त संस्थान है। इसकी स्थापना 1990 में प्रशिक्षण सुविधा, अनुसंधान, दस्तावेज़ीकरण और स्थानीय प्रशासन के बारे में विचार-विमर्श के लिए की गई थी। इसके अलावा यह संस्थान विकेन्द्रीकरण के मुद्दे पर राष्ट्रीय तथा राज्य स्तर की कार्यशालाओं और सेमीनारों का भी आयाोजन करता है। यह संस्थान आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु के लिए क्षेत्रीय संसाधन केन्द्र है।

जीवन के सभी पक्षों, जैसे आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक तथा तकनीक आदि में हो रहे परिवर्तनों को अपनी मान्यता देते हुए केरल ने लोगों के विभिन्न वर्गों को व्यापक प्रशिक्षण देने के लिए योजना बनाई है।

केआईएलए के प्रशिक्षण तथा क्षमता विकास प्रयासों को इस प्रकार से डिज़ाइन किया गया है कि पूरी केरल विकास योजना के प्रति तार्किक एवं लगातार सहायता को सुनिश्चित किया जा सके। केआईएलए राज्य सरकार और स्थानीय निकायों के साथ करीबी स्तर पर मिलकर कार्य कर रहा है। विभिन्न कार्य वर्गों में भाग लेने वाले प्रतिभागियों से जो फीडबैक मिल रहा है उससे राज्य सरकार को नीतियों के निर्माण में सहायता मिल रही है। केआईएलए के सभी कर्मचारी केरल विकास योजना को पूरा करने में लग गये हैं। यह संपूर्ण व्यवस्था के विभिन्न वर्गों के साथ मिल कर कार्य कर रहा है तथा लक्षित विभिन्न वर्गों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम चला रहा है।

विकेन्द्रीकृत प्रशिक्षण

       स्थानीय शासन, तकनीकी सलाहकार समिति तथा तकनीकी समिति के सदस्यों को जगह-जगह चलाए जा रहे प्रशिक्षण कार्यक्रमों में शामिल किया जा रहा है। यह कार्य क्षेत्रीय, ज़िला तथा ब्लॉक स्तर पर किया जा रहा है। वर्ष 2003-04 में 1,36,080 लोगों को प्रशिक्षण दिया गया।

निर्वाचित प्रतिनिधियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम

       केआईएलए निर्वाचित प्रतिनिधियों के लिए स्थानीय प्रशासन पर एक 10 महीने का प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाता है ताकि ये प्रतिनिधि तुच्छ राजनीति से ऊपर उठ सकें और अपनेर् कत्तव्यों का प्रभावी ढंग से निर्वहन कर सके। इसे दूरस्थ एवं संपर्क कार्यक्रम के रूप में डिज़ाइन किया गया है। इसमें परिसर से बाहर जाकर अध्ययन करना तथा अनुसंधान कार्य भी शामिल है। जो लोग यहां अपना प्रशिक्षण पूरा कर लेते हैं उन्हें विभिन्न स्तरों पर तकनीकी सलाहकार समितियों के सदस्यों के रूप में तथा वरिष्ठ प्रशिक्षक के रूप में नियुक्त कर दिया जाता है।

विकेन्द्रीकृत शासन पर पाठयक्रम

       केआईएलए प्रत्येक दो महीने में एक बार विकेन्द्रीकृत शासन पर एक राष्ट्रीय स्तर का पाठयक्रम चलाता है। यह पाठयक्रम केरल में स्थानीय निकायों की कार्यविधि के बारे में जानकारी प्राप्त करने का अवसर प्रदान कराता है। विभिन्न राज्यों के नीति निर्माता, अधिकारी और निर्वाचित सदस्य इन कार्यक्रमों में नियमित रूप से भाग लेते हैं। यह विकेन्द्रीकरण पर राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम भी चलाता है। जिसमें सार्क देशों जैसे पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल और बंगलादेश के निर्वाचित सदस्य तथा अधिकारी शामिल होते हैं।

पंचायत से पंचायत तक

       केरल में कम से कम 200 पंचायते हैं, जिन्होंने अपने यहां अभिनव कार्यक्रम चला रखे हैं। ऐसी पंचायतें जो विचारों, क्षमताओं, सेमीनारों, कार्यशालाओं और अवसर के क्षेत्र में पिछड़ी हुई है, उन्हें प्रेरणा देने तथा एक दूसरे से परिचित कराने के लिए, उनका अच्छा प्रदर्शन कर रही पंचायतों के साथ संपर्क बनाया जा रहा है।

कैंपस से बाहर प्रशिक्षण

       कैंपस के बाहर विभिन्न जगहों पर अनेक प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। जिसमें कार्यरत समूह प्रशिक्षण, तकनीकी सलाहकार समिति प्रशिक्षण, तकनीकी समिति प्रशिक्षण, ग्राम सभा प्रशिक्षण, नई व्यवस्था के लिए प्रशिक्षण और जनजातीय उप-योजना के लिए प्रशिक्षण इत्यादि शामिल है।

प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण

       ऊपर के कार्यक्रमों के लिए प्रशिक्षकों को प्रशिक्षण प्रदान करने के कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। इनके अतिरिक्त नागरिक समिति के सदस्यों एवं अधिकारियों, राजनीतिक पार्टी के नेताओं तथा मीडियाकर्मियों के लिए भी प्रशिक्षण कार्यक्रम है।

       केआईएलए ने स्थानीय शासन में गंभीर सक्रिय भागीदारी के लिए अंतर्राष्ट्रीय तथा राष्ट्रीय एजेंसियों के साथ गठबंधन किया है। इन एजेंसियों में यूएनडीपी, यूएन हबीटेट, यूनेस्केप, एसडीसी, हुडको, मानव व्यवस्थापन प्रबंधन संस्थान, राष्ट्रीय शहरी कार्य संस्थान, अखिल भारतीय स्थानीय स्वशासन संस्थान शामिल हैं। साथ ही इसको अपने खर्चों को  पूरा करने के लिए आवश्यक पर्याप्त संसाधन एकत्रित करने में भी सक्षम बनाया गया है।

शिक्षा

       केरल एक अनूठा तथा समृध्द अनुभव भी पेश करता है, जहाँ से अनेक शिक्षाएं प्राप्त की जा सकती हैं। विशेषताएं -

1.      प्रशिक्षण एवं क्षमता विकास कार्यक्रम बहुत अधिक प्रभावी होते हैं जब वे व्यापक कार्यढांचे के अंतर्गत होते हैं जोकि व्यवस्था के सभी तत्वों से निपटता है। केवल सरपंचों, वार्ड सरपंचों या ज़िला परिषद् सदस्यों को प्रशिक्षण देने का कोई लाभ नहीं होगा जब तक स्थानीय शासन व्यवस्था तथा संबंधित अधिकारियों से रूबरू न हुआ जाए।   

2.     केरल उन कुछ राज्यो में से एक है जो विभिन्न स्तरों पर प्रमाणित पाठयक्रम और पहलगामी पाठयक्रमों के ज़रिए स्थानीय शासन पर प्रशिक्षण के मुद्दे को हल कर रहा है।

3.     केआईएलए के प्रशिक्षण प्रयास इतने व्यापक हैं कि वे राज्य विकास तंत्र के अन्य अंगों से जुड़े हुए हैं। ये प्रशिक्षण प्रयास राज्य विकास योजना के साथ बेहतरीन ढंग से समन्वित हैं। अत: वे एक विस्तृत परिप्रेक्ष्य तथा उद्देश्य स्थापित कर रहे हैं। पंचायती राज संस्थाएं अपने संबंधित समुदायों के लिए एक दृष्टिकोण का विकास करने के लिए सक्षम है।

4. अंतत: केरल ने यह दिखा दिया है कि यहां सभी उद्देश्यों को पूरा करने के वास्ते प्रशिक्षण एवं क्षमता विकास के लिए एक ऐसे संस्थागत कार्य ढांचे की ज़रूरत है जो मानव तथा वित्तीय दोनों ही संसाधनों से लैस हो।

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.. उपनिदेशक (मीडिया एवं संचार) पत्र सूचना कार्यालय, दिल्ली