मंगलवार, 24 नवंबर 2009

चर्चे-चर्खे : ब्रम्हा बनाम मुन्ना - राकेश अचल

चर्चे-चर्खे : ब्रम्हा बनाम मुन्ना  - राकेश अचल

लेखक ग्‍वालियर चम्‍बल क्षेत्र के वरिष्‍ठ पत्रकार एवं संपादक हैं

खतरे मे सी एम

      मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खतरे मे है। लगता है शनि की कोई महादशा उन्हे परेशान कर रही है। 10 नवंबर को ग्वालियर में सी एम का उड़न खटोला लेंडिंग के समय वायु सेना की दोजीषों से टकराते-टकराते बचा, वह तो ऐनन मौके पर एटीसी ने ''गो अराउण्ड'' कह कर सबकी जान बचाली। जानकारो का कहना है कि सी एम के घर जब से नोट गिनने की मशीन आई है उसी दिन से कुछ न कुछ अपशकुन हो रहे है। साधना मामी ही अब इसका कोई उपाय कर सकती है। शनि की प्रतिकृति घर में रखने की क्या जरूरत। मशीन का काम हाथो से भी हो सकता है।

 

किसी को सजा, किसी को मजा

      आई.ए.एस. श्रीमती अंजू बघेल को जिस तरह से जमीन घोटाले में कथित रूप से लिप्त होने के आरोप में निलंबित किया गया, उसी तरह के आरोपो से घिरे छोटे भैया को जमीन घोटालों  की जांच का काम भी सौप दिया गया। छोटे भैया में कुछ तो खास है जो वे हर निजाम में ''इमाम'' की तरह पूछे परखे जाते है। दिग्गीराजा भी उन्हे ''नाक के बाल'' की, तरह सम्हाल कर रखते थे और मामा जी भी ऐसा ही कर रहे है। यानि शिव ने जो संपादा रावण को सौपी थी वही विभीषण को भी सौंप दी।

 

फिर नही गए पवन शर्मा

      सरकार किसी की भी हो, चलती आई.एस.एस. अफसरों की ही है। ग्वालियर के नगर निगम आयुक्त डा. पवन शर्मा ने दूसरी बार सरकारी आदेश को संशोधित कर यह बात एक बार फिर साबित कर दी। डा.पवन शर्मा को सरकार ने पहले बुरहानपुर का कलेक्टर पदस्थ किया, लेकिन वे नहीं गए। अबकी बार उन्हे सागर का कलेक्टर बनाया गया, लेकिन वे वहां भी नही गए। उनकी जगह शिवपुरी कलेक्टर को सागर भेजा गया। डा. शर्मा ग्वालियर में ही जमे है। जाहिर है कि पवन शर्मा के पास कोई तो जादुई चिराग का जिन्न है, जो बार-बार उनकी मुराद पूरी कर देता है और बेचारे शिवराज सिंह और उनके मुख्य सचिव राकेश साहनी टापते रह जाते है।

 

ब्रम्हा बनाम मुन्ना

      भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष नरेंद्रसिंह तोमर यानि ''मुन्ना'' को उनके साथी-संगी अब ''ब्रम्हा'' कि तरह पूजने लगे है। पार्टी और सरकार के कई प्रस्तावो पर आखरी मुहर ब्रम्हा जी की ही लगती है। कम से कम मुन्ना के ग्रह नगर में तो यहीं मान्यता हैं स्थानीय निकाय चुनावों के लिए टिकटार्थी अपने-अपने नेता की गणेश परिक्रमा कर रहे है लेकिन उन्हे यही सलाह दी जा रही है कि यदि टिकिट चाहिए तो ''ब्रम्हा'' जी का ध्यान करो। सिध्दियां और मनोकामनाएं वही से पूरी होती है।

 

एम.पी. चाहिए या मेयर

      स्थानीय निकाय चुनाव के लिए जिन नगर निगमों में महापौर का पद महिलाओं के लिए आरक्षित हुआ है, वहां टिकिट की पैरवी करने वालो से पार्टी से पार्टी के नेता, खासकर सत्तारूठ दल के नेता एक ही सवाल करते है कि आपको एम.पी.चाहिए या मेयर। एम.पी. अर्थात मेयर पति। धारणा यह है कि जहां भी महिला महापौर चुनी जाती है वहां ''सत्ता'' महिला महापौरों के पतियों के हाथ में होती है। अभी तक यह जमला पंचायतो में ही प्रचलित था लेकिन अब स्थानीय निकाय चुनाव भी इससे अछूते नहीं रहे।

 

मामी को ऑफर

दूसरी बार राज्यसभा के लिए चुनी गई श्रीमती मायासिंह को पार्टी के एक गुट ने ग्वालियर से महापौर का टिकिट ऑफर किया है ग्वालियर मे महापौर का पद पिछड़े वर्ग की महिला के लिए आरक्षित हुआ है। दुर्भाग्य से पार्टी के पास कोई सर्वमान्य उम्मीदवार नहीं है, ऐसे में कुछ लोगो को श्रीमती माया सिंह के पिछडे होने की याद आई मायासिंह को पार्टी के लोग सम्मान से मामी जी कहते है। मामी जी को जब यह प्रस्ताव मिला तो उन्होने हाथ खड़े कर दिए। वैसे मामी जी पिछली शताब्दी के नौ वे दशक मे उपमहापौर रह चुकी है।

 

टीसी की खोज

      म.प्र. सरकार को नया टी.सी., यानि ट्रांसपोर्ट कमिश्नर खोजने में पसीना आ रहा है। प्रदेश मे लगातार चार साल ट्रासंपोर्ट कमिश्नर रहे एन के त्रिपाठी सी.आर.पी.एफ के महानिदेशक बनकर दिल्ली चले गए। उनके स्थान पर आने के एिल पी.एच.क्यू में बैठे तमाम पुलिस अफसरों ने टेण्डर डाले है लेकिन अभी तक लिफाफे नहीं खुल पाए है। इस शून्य काल में टी.सी. कहने को विभाग के सचिव है लेकिन टीसी का रूतबा गालिब कर रहे है डिप्टी टी.सी.। प्रवर्तन शाखा के डिप्टी टीसी इस समय फुलफार्म मे है। आगे नाथ न पीछे पगा। आपकों पता ही होगा कि ट्रासपोर्ट महकमा सरकार की कामधेनु है। इसे दोहने की कला केवल ट्राँसपोर्ट कमिश्नर को आती है।

 

नए सी.पी.आर. की खोज

      काम के बोझ से जमीन में घंसे जा रहे जनसंपर्क आयुक्त मनोज श्रीवास्तव को राहत देने के लिए अब उनके उत्तराधिकारी की गंभीरता से खोज की जा रही है। मनोज श्रीवास्तव ने सत्ता और संगठन की बेहतर सेवाएं कर अपने लिए नया मुकाम लगभग तय कर लिया है। उनके स्थान पर भोपाल के संभाग आयुक्त पुखराज मारू तथा संजय शुक्ला के नामों पर चर्चा हो रही है। मारू के पास हालांकि डिग्रियों का अंबार है लेकिनउनके साथ जुडे विवाद डिग्रियों पर भारी पड़ रहे है। ऐसे में संजय शुक्ला की संभावनाएं ज्यादा उज्जवल और प्रबल है। यह परिवर्तन किसी भी समय हो सकता है। निगम चुनावों का इससे कोई लेना देना नहीं है।

 

निदंक नियरे राखिए

      प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अनूप मिश्रा की सेहत का राज क्या है? खोजा तो पता चला  िकवे सदैव अपने निदंको को अपने नियर (पास) रखते है वह भी आगन मे कुटिया डलवा कर। पूर्व विधायक नरेंद्र निरथरे ने जल संसाधन मंत्री के रूप मे अनूप मिश्रा की थोक में शिकायतें की लेकिन मिश्रा जी से जैसे ही जिरथरे ने अपने भतीजे के लिए काम मांगा, स्वास्थ्यम मंत्री के रूप मे मिश्रा जी ने तत्काल बिरथरे के भतीजे को शिवपुरी मे स्वास्थ्य विभाग की दो इमारते बनाने का ठेका दिला दिया। मंत्री जी की इस दरियादिली की खबर पाकर पार्टी के नरियदिल नेता परेशान है। बेचारे मंत्री जी को घेर ही नही पा रहे।

 

जोशी बनाम जोशी

      जलसंसाधन विभाग में 307 करोड़ रूपए का घोटाला खुला सो अब घोटाले में लिप्त इंजीनियर अपने नेता यानि चीफ इंजीनियर जोशी को कोस रहे है। खबर है कि चीफ इंजीनियर जोशी ने हरसी बांध परियोजना में करोड़ो के टेण्डर लगाकर भुगतान कर दिया लेकिन विभाग के प्रमुख सचिव जोशी को कानी कौड़ी भी नही दी। जोशी ने जोशी से तकादा भी किया लेकिन रिटायर होने के बैठे चीफ इंजीनियर जोशी ने प्रमुख सचिव जोशी को ढेंगा दिखा दिया। इस पर पंडित जी को गुस्सा आया। उन्होने मामला ई.ओ.डब्लू को दे दिया। मुकदमा दर्ज होते ही तमाम इंजीनियर सस्पेंड हो गए अब उनकी तिजोरियां सोने की ईटें और नोटों के बंडल उगल रही है।

 

राकेश अचल

 

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