शुक्रवार, 29 अगस्त 2008

कमजोर राजा और पतले वृक्ष की शरण कभी न लें ये अवश्‍य धोखा देते हैं

रहति लटपट काटि दिन, बरू घामें मां सोय । छांह ना बाकी बैठिये, जो तरू पतरो होय ।। जो तरू पतरो होय, एक दिन धोखा दैहे । जा दिन बहै बयारि, टूटि तब जर से जैहे ।। कह गिरधर कविराय, छांह मोटे की गहिये । पाती सब झरिं जांय, तऊ छाया में रहिये ।। पतले वृक्ष अर्थात कमजोर राजा की शरण या राज्‍य में नहीं रहना चाहिये, ऐसे राजा के राज्‍य की शरण में रहने से एक दिन तगड़ा धोखा होता है और जिस दिन भी तेज हवा या आंधी चलती है, कमजोर और पतले वृक्ष जिस तरह जड़ से उखड़ कर उड़ जाते हैं, उसी तरह ऐसा राजा भी कुनबे सहित भाग निकलता है और लुप्‍त व गुप्‍त हो जाता है । भारत के प्रसिद्ध गिरधर कवि ने इस कुण्‍डली में कहा है कि सदा ही मोटे वृक्ष और भारी राजा (जिसका साम्राज्‍य पुख्‍ता हो और प्राचीन हो तथा विश्‍वसनीय कुल का हो) की ही शरण व राज्‍य का आसरा लेना चाहिये । ऐसा वृक्ष सारी पत्तियां झड़ जाने के बावजूद भी छाया और सुख प्रदान करता है, ऐसा राजा व उसका राज्‍य भी सब कुछ व्‍यतीत हो जाने या नष्‍ट हो जाने पर भी सुख व समृद्धि देता है । अन्‍यथा भीषण लपट और घाम (तेज धूप) रहते हुये भी बिना वृक्ष के खुले में बैठकर कष्‍ट भोगना उत्‍तम है- गिरधर कवि की कुण्‍डली भारत के अति मान्‍य प्राचीन कवि  

कम्प्यूटिंग उपकरण अब 5000 रुपए में भी मिलेंगे Minister Invites Silicon Giants to Provide Affordable WiMAX and 3G Devices

कम्प्यूटिंग उपकरण अब  5000 रुपए में भी मिलेंगे

श्री ए. राजा ने कनेक्टेड इंडिया अभियान का शुभारंभ किया

       संचार  एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री ए. राजा ने न्यूनतम 5000 रुपए के कम्प्यूटिंग यंत्रों के लांच की आज घोषणा की। ये यंत्र शीघ्र ही बाजार में उपलब्ध होंगे। मंत्री महोदय आज यहां कनेक्टेड इंडिया अभियान का शुभारंभ कर रहे थे। उद्योग  जगत के अपने सहयोगियों के साथ मिलकर  इंटेल सरकार के समर्थन से इस अभियान में अहम भूमिका निभा रहा है।

       श्री राजा ने कहा कि इससे अभी तक इंटरनेट के सम्पर्क में नहीं आये लोग मामूली कीमत पर आसानी से इंटरनेट का उपयोग कर पायेंगे। उन्होंने  उद्योग जगत से सस्ते  इंटरनेट मॉडल तैयार करने में लगे रहने की अपील की। मंत्री महोदय ने पहले इंटेल को 5000 रुपए के मूल्य का कम्प्यूटिंग उपकरण तैयार करने का निर्देश दिया था।

       उन्होंने कहा कि इस अभियान से ब्रॉडबैंड विस्तार में तेजी आयेगी तथा समग्र सामाजिक एवं आर्थिक परिवर्तन की गति तेज करने में इंटरनेट की शक्तियों का दोहन करने में मदद मिलेगी। उन्होंने मामूली कीमत पर ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी योजनाओं के अलावा आसान, सस्ते तथा इंटरनेट केन्द्रित नेटटोप्स नेटबुक्स और मोबाइल इंटरनेट यंत्र तैयार करने में जुटे उद्योग जगत के  लोगों की सराहना की।

 

 

 

 

Computing devices to be available at Rs 5000

THIRU A RAJA LAUNCHES "CONNECTED INDIAN MOVEMENT"

Minister Invites Silicon Giants to Provide Affordable WiMAX and 3G Devices

 

 

Minister of Communications and IT Thiru A Raja today announced the launch of computing devices starting at an affordable price of Rs 5000. The devices are based on Intel's revolutionary Atom™ Processor and these will be available in the Indian market very soon. The Minister was launching a unique "Connected Indian" movement facilitated by Intel with partners from the industry and support from the Government. Mr. Raja said, this could provide the 'unconnected' citizens with a truly affordable, simple and easy to use access to the Internet. He hoped that the price range will appeal very strongly to the broad citizen base. Mr. Raja called upon the industry to continuously innovate to create cost effective internet access usage models. The Minister had earlier directed Intel to create a computing device at an approximate price point of Rs. 5,000/-.

Mr. Raja observed that the "Connected Indian" movement will bring with it rapid broadband deployment and help harness the powers of internet to accelerate inclusive social and economic change. He commended the industry for working on a new class of simple, affordable, Internet-centric devices "nettops"; "netbooks" & mobile internet devices along with affordable broadband connectivity schemes from the service providers. He said, bridging the digital divide is a key concern for India, considering that nearly 70 per cent of the country's population has been bypassed by the ICT revolution.

Referring to the recent announcement of the WiMAX & 3G Broadband Wireless Access Policy by the Ministry, Mr. Raja said, this will go a long way in providing true broadband internet access in the hands of every Indian. He said, the government will ensure that licenses are awarded so that operators can create long term profitable business model. He expected global silicon companies like Intel to facilitate the bulk adoption of broadband wireless thru a range of affordable WiMAX & 3G devices.

Several captains of IT and telecom industry attended the launch of the Connected Indian Movement.

 

बुधवार, 27 अगस्त 2008

विशेष शनिचरा मंदिर पर मेला 30 अगस्त को सभी तैयारियां पूर्ण

विशेष

शनिचरा मंदिर पर मेला 30 अगस्त को सभी तैयारियां पूर्ण

प्रस्‍तुति जिला जनसम्‍पर्क कार्यालय मुरैना म.प्र

 

शनिचरी अमावस्या के दिन शनि की पूजा अर्चना और काली वस्तुओं का दान करना विशेष शुभदायी माना गया है । शनिवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या पर शनि तीर्थ शनिचरा पर विशाल मेला का आयोजन होता है, जिसमें देशभर के लाखों श्रध्दालु आते हैं । इस वर्ष 30 अगस्त 2008 को पड़ने वाली शनिचरी अमावस्या पर लगभग दो लाख श्रध्दालुओं के पहुचने की संभावना है । जिला प्रशासन ने मेला की सभी तैयारियां और व्यवस्थायें पूर्ण कर ली हैं ।

मुरैना 26 अगस्त 08/   उल्लेखनीय है कि मुरैना जिला मुख्यालय से 37 किलोमीटर दूर एेंती ग्राम में स्थित शनि देव प्राचीन मंदिर है । ऐसी मान्यता है कि महाराष्ट्र के प्रसिध्द शनि सिंगणापुर में स्थापित शनि शिला भी सन् 1817 में इसी शनि पर्वत से ले जाई गई थी, जो खुले आकाश में एक विशाल चबूतरें पर स्थापित है और श्रध्दालुओं के धर्म और श्रध्दा का प्रतीक बनी हुई है । शनि ग्रह को सौर मंडल का सबसे महत्वपूर्ण ग्रह माना गया है, जो व्यक्ति के कर्मानुसार अच्छे और बुरे फल प्रदान करता है । शनिदेव को मृत्यु लोक का न्यायाधीश कहा जाता है ।

       पुराणों के अनुसार सूर्य देव की द्वितीय पत्नी छाया के गर्भ से जन्में शनि के श्याम वर्ण को देख कर सूर्य ने अपनी पत्नी पर आरोप लगायें और शनि को अपना पुत्र मानने से इंकार कर दिया । तभी से शनि देव अपने पिता सूर्य से शत्रुभाव रखते हैं। इन्होंने भगावान शिव की कठोर तपस्या पर अनेक शक्तियां प्राप्त की और नवग्रहों में सर्वश्रेष्ठ स्थान प्राप्त किया । यमराज शनिदेव के भाई और यमुना बहिन है । भाई दूज पर यमुना स्नान करने वाले भाई बहिनों को शनि और यम की पीड़ा नहीं सताती । स्वभाव से गम्भीर त्यागी, तपस्वी, हठी, क्रोधी शनिदेव न्यायप्रिय हैं और हनुमान, काल भैरव, बुध और राहू के मित्र हैं तथा कुम्भ और मकर इनकी प्रिय राशि है । शनि देव व्यक्ति के सुख और स्वास्थ्य पर भी अपने ढंग से प्रभाव डालते हैं । शनि के शुभ प्रभाव से दीर्घ कालिक प्रसिध्द की प्राप्ति होती हैं, जबकि अशुभ प्रभाव होने पर व्यक्ति को दुख, मानसिक प्रताड़ना, दारिद्रय, भय तथा उदर, नेत्र , दांत रोगों के साथ ही अंग-भंग जैसे दु:ख झेलने पड़ते हैं ।

       शनिचरी अमावस्या के दिन शनि की पूजा अर्चना करने से शनि देव विशेष फल देते हैं । इस वर्ष 30 अगस्त को शनिचरी अमावस्या पर विशाल मेला का आयोजन किया गया है । कलेक्टर श्री रामकिंकर गुप्ता ने मेला की सभी आवश्यक तैयारियों और सुरक्षा व्यवस्था को अंतिम रूप दे दिया है । अधिकारियों को व्यवस्था की जिम्मेदारी सौंप दी गई है । मेला की व्यवस्थाओं हेतु सम्पन्न बैठक में लिये गये निर्णय के अनुसार शनिचरी अमावस्या के दिन मंदिर प्रांगण में स्थित स्नान कुण्ड को लोहे की मोटी जाली से ढक दिया जायेगा और मोटर लगाकर पाइप लाइन के जरिये इस कुण्ड से पानी मंदिर प्रांगण के वाहर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जायेगा जहां दर्शनार्थी इस का उपयोग स्नान के रूप में कर सकेंगे । मेला के पूर्व 28 अगस्त से मेला समाप्ति तक अस्थाई रूप से स्वास्थ्य शिविर भी आयोजित किया जायेगा और बिकने वाली खाद्य सामग्री की गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जायेगा । इसके लिए संबंधित अधिकारी सतत निगरानी और पर्यवेक्षण करेंगे । पेयजल के लिए जगह-जगह टोंटी युक्त टेंकर रहेंगे ।

शनिदेव  पर तेल चढाने के लिए श्रध्दालु कांच की शीशी में तेल नहीं ले जा सकेंगे । दुकानदार पॉलीथिन की थैली में ही तेल विक्रय करेंगे । मूर्ति पर सीधे तेल  नहीं चढ़ाया जायेगा। इसके लिए मुख्य मंदिर गेट से मूर्ति तक पाइप लगाया जायेगा और उसके जरिये तेल चढ़ाया जायेगा । धर्म शाला का उपयोग भी अस्पताल, अमानती सामान घर और कन्ट्रोल रूम के रूप में किया जायेगा। श्रध्दालुओं की सुरक्षा और सुविधा के लिए आने जाने वाले वाहनों पर ओवर लेडिंग को सख्ती से रोका जायेगा ।

 

मंगलवार, 26 अगस्त 2008

चम्‍बल विकास प्राधिकरण को बने तो 25 साल हो गये, करोड़ो खर्च के बाद अब दोबारा बनेगा क्‍या

हास्‍य/व्‍यंग्‍य

आओ चलो अखबार निकालें, विज्ञापन पायें, गरीबी हटायें

चम्‍बल विकास प्राधिकरण को बने तो 25 साल हो गये, करोड़ो खर्च के बाद अब दोबारा बनेगा क्‍या

नरेन्‍द्र सिंह तोमर ''आनन्‍द''

सरकार को टेन्‍शन है कि एक अरब लोगों में केवल तीन आदमी अरब पति हैं, बकाया एक अरब सब इनकी पत्‍नीं हैं यानि हाल कंगाल हैं, सरकार फालतू ही नर्राती रहती है, बेकार ही मंजीरे पीटती रहती है कि गरीबी हटाओ । इंदिरा जी भी चिल्‍लातीं थीं गरीबी हटाओ, चिल्‍लाते चिल्‍लाते शहीद हो गयीं मगर गरीबी शहीद न हुयी । गरीब और गरीब होता गया, अमीर को अमीरी रास आ गयी वह और अमीर होता गया । गरीब को गरीबी रास आयी, गरीब की पॉकेट से पैसा अमीर का जिन्‍न लपक कर अमीर की तिजोरी में पहुँचाता रहा । एक हजार गरीब का हैण्‍ड फैन छिन गया तो एक अमीर का ए.सी. लग गया । एक हजार गरीब को एक वक्‍त की रोटी कुर्बान करनी पड़ी तो अमीर के कुत्‍ते के लिये विदेशी बिस्‍कुट का पैकेट आ गया । अमीर अतिअमीर होते रहे गरीब अति गरीब, का करिये अपने अपने नसीब की बात है, अंग्रेजी में एक कहावत होवे है कि अमीर का छोरा मुंह में सोने की चम्‍मच लेकर पैदा होता है, गरीब का बेटा कभी दिल में छेद ले आता है तो कभी पाकिट में सूराख कभी कभी तो ससुरा मुकद्दर ही चलनी सा ले आता है । अब चलनी में दूध दुहोगे तो कर्मन कों दोष क्‍यों देवोगे । गरीब के पास राशन कार्ड बनवाने के पैसे नहीं होते, गरीबी रेखा में नाम लिखाने के पैसे नहीं होते । अब गरीबी रेखा की सूची खाली तो नहीं रखी जा सकती, सो जो दे सकता है वह आई आर डी पी में बिलो पावर्टी लाइन बन जाता है, देने की ताकत अमीरों के पास होती है, मामला फंस जायेगा तो उसे सुल्‍टाने की ताकत भी अमीरों की पॉकिट में होती है, गरीब के पास तो भुखमरी का घण्‍टा रहता है, चौबीस घण्‍टे बजाता है, हरिकीर्तन करता है, बड़ी आस से मन्दिर, मस्जिद गुरूद्वारे जाता है, दीवाली को उधार मांग कर कर्ज लेकर भी लक्ष्‍मी पूजन करता है कि मैया इस साल भण्‍डार भर देना भरपूर कर देना, लक्ष्‍मी मैया इठलाती है, इतराती है कहती है कि पहले भण्‍डार तो बता कि कहॉं है तेरा जिसे मैं भरूं, अपनी तिजोरी तो दिखा जहॉं जाकर बैठ जाऊं, गरीब के पास न तिजोरी है न भण्‍डार, रोज आधा एक किलो आटा, ढाई सौ ग्राम आलू और दो प्‍याज की गॉंठ खरीद लाता है, और लक्ष्‍मी से कहता है मैया वो जो साइड में पॉलीथिन पड़ी है, वही मेरा गोदाम है, मेरा भण्‍डार है, इसे भरपूर कर, मैया ठठा कर हँसती है, फिर गरीब बोलता है कि ये जो मेरी फटी बुशर्ट की फटी जेब है और किवाड़ की कुण्‍दी पर लटकी है यही मेरी तिजोरी है इसमें आन विराजो महारानी ।

लक्ष्‍मी मुस्‍कराती हुयी अपनी पूजा कर खिसक लेती है और उसकी ढाई सौ ग्राम की समाई साइज की पॉलीथिन में ढाई सौ ग्राम का खाता खोल देती है, उसकी फटी बुशर्ट की फटी जेब में भी जीरो बैलेन्‍स अकाउंट खोल देती है और जेब के सूराख से ही बाहर खिसक लेती है, और किसी बड़ी तिजोरी बड़े भण्‍डार वाले का गोदाम तलाशने निकल पड़ती है ।

सरकार फिर चिल्‍लाई, गरीबी हटाओ, पता नहीं किससे कहा, पता नहीं किसने सुना । मगर एक दिन पिछले साल सब सरकारी अफसरान ने एक दिन गरीबी हटाने के लिये अर्पित किया, गरीबी हटाने की शपथ हाथ आगे बढ़ा बढ़ा कर ले डाली, ससुरी शपथ क्‍या संकल्‍प कर डाला, वे सब बोले हम गरीबी हटायेंगें । हमने सारे फोटू इकठ्ठे करे और लघु फिल्‍म बना डाली (ग्‍वालियर टाइम्‍स वेबसाइट पर अभी भी चल रही है ) फिल्‍म बहुतों ने देखी, सरकार की बात भी बहुतों ने सुनी, अखबारों के जरिये या मीडिया के नजरिये ।

पर कोई नहीं चेता, कोई नहीं जागा, शपथ लेकर हाल ही सब भूल गये । गरीब ससुरा गरीब होता ही गया फटेहाल फक्‍कड़ होता गया । अब का हो, सवाल बड़ा विषम था । लेकिन हमारे देशभक्‍त चेते, उनने गरीबी दूर करने का बिना शपथ लिये बीड़ा उठाया, गरीबी किल करने की सुपारी ले ली । और लग बैठे देश की गरीबी मिटाने में, कोई बोला गरीब से, कोई का एजेण्‍ट बोला तो कोई का कन्‍सल्‍टेण्‍ट गरीब का हमदर्द बना किसी किसी के बिजनिस एसोसियट गरीब की गरीबी दूर करने गरीब के पास जा पहुँचे । और बोले हमने गरीबी किलिंग की सुपारी ली है, बीड़ा चबाया है (पहले बीड़ा चबाया जाता था, स्‍वतंत्रता के बाद उठाया जाता है )

बीड़ा उठाया तांत्रिकों ने, फायनेन्‍स कम्‍पनीयों, बैंक, शेयर ब्रोकर्स और बीमा कम्‍पनीयों ने । सबने ऐलाने जंग किया '' हम मिटायेंगें गरीबी'' फतहयाबी के आमीन बांचे । और चले गरीबी दूर करने बाबाजी और तांत्रिक गॉंवों और शहरों की निपट गंवार दिमाग से पैदल गरीब बस्तियों में पहुँचे और बोले हम मिटायेंगें बच्‍चा तेरी गरीबी, तेरे संकट का टैम खतम हुआ, अब तू भारत के पॉंच पहले अमीरों में शुमार होगा, फोर्ब्‍स पत्रिका की हिट लिस्‍ट में तेरी सम्‍पदा अंकेगी । पी एम, सी एम तेरी मुलाकात को तरसेंगें तुझे बुलाने के लिये सरकार करोड़ों रूपया फूंकेगी, रेड कार्पेट डालेगी तुझे प्र जमीन पे नहीं धरने पड़ेंगें , राल्‍स रायस में ऐशो सफर करेगा, तेरे घर से पेलेस ऑन व्‍हील्‍स निकलेगी । हसीनायें तेरी बाट जोहेंगीं, दस सुन्‍दरियां सोते से मनुहार कर मधुर संगीत सुनाते हुये जगायेंगीं, दस नवयौवनायें बिना बु्रश के तुझे मंजन अंजन करायेंगीं, दस और इठलातीं जिन्‍न परीयां तुझे स्‍नान ध्‍यान करायेंगीं, महकते इत्र और तैरती खुशबुओं के बीच हमाम में पड़ा इन परियों से मालिश करवा कर मैल छुड़वायेगा, फिर नई हुस्‍न मलिकायें तुझे वस्‍त्र पहनायेंगीं, दस और नवयुवतियां आकर तुझे नाश्‍ता करायेगीं ।

हाथ बांधे सिर झुकाये तेरे सामने फकीर फक्‍कड़ों की लाइन लगी होगी, तू बांटता जायेगा मगर तेरा खजाना उतना ही बढ़ता जायेगा । आफिस में दस सुन्‍दरीयां तेरी स्‍टेनो होंगीं हर समय बस तेरी सूरत पर नजर रखेंगीं और क्‍या हुक्‍म है मेरे आका पुकारतीं होंगीं । एक हजार एकड़ जमीन में तेरा बंगला होगा, अम्‍बानी कां बंगला और मित्‍तल का बंगला उसके बेटे के बंगले और बेटी के बंगले सबके सब तेरे पास गिरवी धरे होंगें ।

टाटा का सिलबट्टा जैसे 75 पैसे में आज तलक गिरवी पड़ा है, धर्मेन्‍द्र बीकानेर वाले पर जैसे एक होटल पान वाले के दो रूपये पिचहत्‍तर पैसे आज तलक उधार हैं, ऐसे अरबपति के खाते तेरे चौके से गुजरेंगें । बस उठ और फलां जगह दबे फलां राजा या फलां बंन्‍जारे का खजाना खोद ले हम तुझे दिलवायेंगें, खरचा मगर पचास हजार से ऊपर का होगा । गरीब ने उनके ख्‍वाब सिर ऑंखों लिये और निकल पड़ा फोर्ब्‍स पत्रिका में अपना नाम लिखाने । कर्ज जुगाड़ा, चोरी करी, डाका डाला, घर बेचा, जेवर बेचा, बिटिया गिरवी रखी, बेटा बंधुआ रखा, पचास हजार इकठ्ठे करके लाया बाबा तांत्रिक को सौंपे, बाबा ने जमीन खुदवा कर पॉंच चांदी के सिक्‍के भी दिये और कहा ये सैम्‍पल है, चेक करवा ले, अब इस खजाने पर सवार मसान या प्रेत कहता है कि बकाया माल दीवाली की अमावस को निकलेगा, तब तक रोज यहॉं घी का दीपक जलाना, किसी को यहॉं फटकने न देना, और सावधान अशुद्धि न हो जाये वरना खजाना पाताल चला जायेगा ।

गरीब खुदी जगह पर झोंपड़ी डाल कर बैठ गया, रोज दीपक जलाता और दीवाली की अमावस की रात का इन्‍तजार करता । साल भर बाद बाबा तांत्रिक फिर पधारे बोले चल निकाल पॉंच हजार नकद और दो बोतल दारू खालिस अंग्रेजी, तीन मुर्गा और सोलह नीबू । गरीब ने फिर जुगाड़ कर सामान और पैसा बाबा को दिया, बाबा और उसके चेलों ने गरीब का नाम फोर्ब्‍स पत्रिका में लिखाने को कर्मकाण्‍ड शुरू किया दो दो ढक्‍कन दारू काली और भैरों को चढ़ायी बकाया परसादी खुद और चेलों ने पा ली । मुर्गों  का रक्‍त काली और भैरों पर चढ़ा, मुर्गे परसादी बन कर बाबा और चेलों के पेट में समा गये ।

बाबा ने चाण्‍डाल चौकी का पहरा बिठाया, सिन्‍दूर का चौकोर घेरा बनाया और फूं फां, धूं धां, ठं ठं ठ: ठ: करता रहा, थोड़ी देर बाद देव प्रकट हुये फिर प्रेत भी आ गया फिर जिन्‍न भी आ पहुँचा, सब बोले चिल्‍लाकर बोले अशुद्धि अशुद्धि अशुद्धि, घोर संकट, बाबा तू भाग जा वरना निपट जायेगा । अलौकिक (दिखाई न देने वाली) आत्‍मायें नशें में झूमते चेलों की बाडी में घुस बैठीं थीं, सबके सब बोले, इसने गलती की है , इसे खजाना हम नहीं दे सकते, बाबा बोला क्‍या गलती हुयी है उसे तो बताओ, सब आत्‍मायें एक सुर में बोलीं इसकी पत्‍नी हर महीने, महीने से (रजस्‍वला) होती थी लेकिन ये उन दिनों भी दीपक लगा देता था, घोर अशुद्धि, पाप कर्म, और देखते देखते गरीब का खजाना पाताल में समा गया । बेचारा गरीब, फोर्ब्‍स में आते आते जरा सी चूक से वंचित हो गया ।          

कल एक प्रसिद्ध व प्रतिष्ठित समाचार पत्र की फ्रण्‍ट पेज की सेकण्‍ड लीड थी कि भाजपा बनायेगी चम्‍बल विकास पाधिकरण, खबर चौंकाने वाली और झन्‍नाटेदार थी, पढ़ कर हम चौंके भी और सन्‍नाटे में भी आ गये । फिर अखबार के ऊपर ध्‍यान गया तो भाजपा का विज्ञापन सरकारी पैसे से अखबार में लगा था, पहले यह टॉप एड अन्‍य अखबारों में भी चलता रहा है, इस प्रकार के विज्ञापन इण्‍टरनेट पर चला करते हैं और इन्‍हें टॉप एड कहते हैं, जो बहुत मंहगे होते हैं, अखबारों में इस प्रकार के विज्ञापन प्रकाशन का रिवाज कभी नहीं रहा, पहली दफा मध्‍यप्रदेश के अखबारों में यह प्रयोग देखने को मिल रहा है, खैर कोई बात नहीं नवाचार और अधुनातन का जमाना है यह भी चलेगा । वैसे भी ग्राहक आजकल अखबार खबर के लिये नहीं विज्ञापन के लिये पढ़ता है । इसलिये अखबारों का 70 से 75 फीसदी भाग केवल विज्ञापन से आवृत्‍त रहता है, अखबार वाले इसे जानते हैं इसलिये खबरें नहीं विज्ञापन छापते हैं, जो अखबार विज्ञापन नहीं छापते वे आजकल बिका नहीं करते, उन्‍हें घटिया अखबार माना जाता है । उन्‍हें कोई नहीं पढ़ता । पढ़ना भी नहीं चाहिये, उपभोक्‍ता अखबार खबर के लिये नहीं विज्ञापन के लिये अखबार खरीदता है । खबर नहीं छपेगी कोई बात नहीं, विज्ञापन नहीं छपे तो उपभोक्‍ता लपक कर उपभोक्‍ता फोरम चला जायेगा । अखबार वाले इस बात को जानते हैं, सो विज्ञापन देवो भव: । विज्ञापन दाता ईश्‍वरो भव: । सो अखबार बेचारे 70 अस्‍सी फीसदी भाग में विज्ञापन छापा करते हैं ।

अब कोई विज्ञापन देवेगा, माने झूर कर पैसा भी देवेगा, अब जब देवेगा तो कुछ लेवेगा भी । भइया बड़ी साधारण सी बात है मक्‍खन लगवायेगा, चमचागिरी करवायेगा, पैर दबवायेगा, घुटने सहलवायेगा । वगैरह वगैरह ।

चलो अखबारों ने टाप एड प्रक्रिया चालू कर दी है, अच्‍छा है अखबार भी ग्‍लोबलाइज हो रहे हैं, पहला ग्‍लोबलाइजेशन जब हुआ था जब इनका साइज कतर कर पौना हो गया था, पहले दिल्‍ली के अंग्रेजी अखबार टाइम्‍स आफ इण्डिया पौना हुआ था, उसके बाद ग्‍वालियर के अखबार इण्‍टरनेशनल स्‍टैण्‍डर्ड के हो गये थे । मगर दाम बढ़ कर सवाये हो गये थे । हूं तो नई कहावत यूं बनी कि ''साइज पौना दाम सवाये'' वाह क्‍या इन्‍वेन्‍शन है । चलो अखबारों ने एक नई कहावत का इन्‍वेन्‍शन करा दिया ।

वैसे तो अखबार एक ही विज्ञापन एक ही अखबार में अलग अलग अलां फलां संस्‍करण (संस्‍करण दो पन्‍ने या एक पन्‍ने का होता है) में अलग अलग छाप कर पैसे दुगने तिगुने करते रहते हैं ।

यह भी एक इन्‍वेन्‍शन हैं, एक रहस्‍य है, देश के लोग फालतू ठोकरें खातें फिरते हैं और पैसा दुगुना तिगुना करने के चक्‍कर में मारे मारे फिरते हैं, कभी कोई बाबाजी या तांत्रिक दुगुना तिगुना का चक्‍कर चला कर चूना लगा जाता है तो कभी शेयरबाजी में घर बर्बाद हो कर लोग सड़क के खण्‍डों पर आ जाते हैं, कभी कोई फायनेन्‍स कम्‍पनी चूना लगा जाती है तो कभी कोई बीमा कम्‍पनी या बैंक की योजना में झांसा देकर फांसा जाता है ।

इन देश वासीयों को कोई अक्‍ल दे, अगर धन दूना तिगुना चौगुना सोलह या हजार गुने तक करना है तो एक अखबार निकालो, संस्‍करण बढ़ाओ, या एक ही संस्‍करण पर अलग अलग छाप लगाओ यानि अलग अलग बार मशीन पर चढ़ाओ और लिखो अलां जगह या फलां जगह से प्रकाशित । अरे मूर्ख देशवासीयों संस्‍करण निकालो, अखबार निकालो हर अलग संस्‍करण के लिये एक ही विज्ञापन कई बार मिलता या छपता है । मेरे प्‍यारे बेवकूफ देशवासीयो तुम्‍हारी जेब पर जो तमाम टैक्‍सों से जेब कतरी होती है उसका साठ फीसदी विज्ञापन पर जाता है, अपनी जेब से गये का कई गुना वापस चाहिये तो अखबार निकालो, मल्‍टी संस्‍करण हो जाओ । गरीबी हटाओ, फोर्ब्‍स पत्रिका में नाम लिखाओ ।

आम के आम गुठलियों के दाम, विज्ञापन से आय, ब्‍लैकमेलिंग से धनवृद्धि, ठांसे और झांसे से कार्य सिद्धि, परिशिष्‍ट प्रकाशन से आय वृद्धि, भ्रष्‍टों से रिश्‍तेदारी और नातेदारी जॉब में सुनहरा मौका, कहॉं खोये हो देश वासीयो, कहॉं लफड़े में फंसे हो, बैंक बीमा शेयर और बाबाओं के चक्‍कर में । अखबार निकालो संस्‍करण छापो ।

चुनाव टैम पर वारे न्‍यारे, इलैक्‍शन डेस्‍क निकालो, जो दे उसको नेता बना दो, जो न दो उसे पैदल कर दो, प्रोजेक्‍ट चला दो, विकास पुस्तिका छाप दो हर जिले पर बीस लाख मिलते हैं, अरे कहॉं सोये हो मूर्खो, जागो, उठो, सुनहरी सुबह तुम्‍हारा इन्‍तजार कर रही है, चमकता दिनकर, उगता भास्‍कर तुम्‍हें पुकार रहा है ।  कई अखबार तो केवल विज्ञापन के लिये ही छपा करते हैं, वे विज्ञापन मिलने पर ही अखबार छापा करते हैं, विज्ञापन और गरीबी हटाओ के इस अचूक रिश्‍ते को देख समझ मध्‍यप्रदेश सरकार के कई मंत्रियों ने अपने अपने अखबार निकालने शुरू कर दिये हैं, और कई टी.वी. चैनल चालू कर डाले हैं, सूत्र बताते हैं मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह भी कई अखबारों और टी.वी. चैनलों में इस नायाब फार्मूले के लिये पार्टनर शिप हथिया लिये हैं । पहले किसी जमाने में कहते थे कि '' अगर तोप मुकाबिल हो, तो अखबार निकालो'' आज कहते हैं कि-

अगर गरीबी हो मुकाबिल तो अखबार निकालो ।

चाहिये अकूत सम्‍पत्ति तो अखबार निकालो ।।

अगर टेंशन बने कोई देशभक्‍त तो निपटाना है आसां ।

छापो फर्जी खबर, केस लपेटो, चलो अखबार निकालो ।।

अगर परेशां हो पैसा बढ़ाने की खातिर, नहीं सुनता पुलिस वाला फरियाद जो तेरी ।

अरे मूरख उठ जाग मुसाफिर भोर भई, अखबार निकालो ।।

अगर नहीं है मुकाबला तेरा वश में भ्रष्‍ट अफसर और नेताओं से ।

अब चेत जा और छाप डाल, बस कर इतना एक अखबार निकालो ।।

नहीं है गर दौलत की मेहरबानी तुझ पर, नहीं बढ़ता पैसा तेरा बैक, बीमा शेयर से अगर ।

फिक्र छोड़, उठ जाग, छाप धड़ाधड़ संस्‍करण अनेक और अखबार निकालो ।।

छोड़ देशभक्ति के चोंचले, छोड़ गरीब की आवाज उठाना, मूरख भूखों मर जायेगा ।

चेत जाग धन की देवी लक्ष्‍मी पुकारती तुझे, उठो और अखबार निकालो ।।

समझ आयोजित और प्रायोजित के अर्थ, अखबार चला ले जायेगा ।

अगर है चमचागिरी और मक्‍खनमारी की कला से सम्‍पन्‍न, ढेरों विज्ञापन पा जायेगा ।।

पुलिस वाले की तरह फरियादी से भी ले, मुल्जिम से भी वसूल ।

इतनी समझ गर आ गयी तुझे तो पक्ष विपक्ष दोनो से मिलेगा धन तुझे, चलो उठो अखबार निकालो ।।

पाठक बना रहेगा, कन्‍जूमर कहलायेगा, जेब पर टैक्‍स ठुकेंगें कई, चौतरफा लुट जायेगा ।

अगर ठिकाने लगाने हैं ब्‍लैक मनी के पैसे तुझे, हजम भ्रष्‍टाचार की कमाई, उठ जाग चलो अखबार निकालो ।।

यदि है परेशान पत्रकारों से नेताओं से और फर्जी शिकायतों से ।

अरे चेत नादान, सीख मंत्र वशीकरन का अब जाग उठ और चलो अखबार निकालो ।।

नहीं सुनेगा देस में कोई बात तेरी, नक्‍कारखाने में तूती बन रह जायेगा ।

बिन नर्राये जो चाहे, कान में मोबाइली मंत्र फूंकना सारे कारज सिद्ध करना तो चलो अखबार निकालो ।।

अखबार निकाला और सिद्ध हो गये हजारों जोगी, शेष सब जोगना हो गये ।

कभी बेचते थे मूंगफली, चराते थे भैंसे, ढोते थे रिक्‍शा, हांके थे तांगे, आज पत्रकार हो गये ।।

नहीं है दो कौड़ी की कदर जो तेरी, चिन्‍ता न कर उनकी भी नहीं थी कभी ।

उन्‍हें भी जलालत झेलनी पड़ी थी कभी, मारा पुलिस ने था अफसरों ने दफ्तरों से भगाया था, पत्रकार बने तो माननीय हो गये ।।

बनेगा पत्रकार, मिटेगा अंधकार, जीवन में उजाला छा जायेगा, गुण्‍डे से माननीय हो जायेगा ।

अरे बेवकूफ फेंक बन्‍दूक आ चम्‍बल के गहरे भंवर तले, लगा मशीन छाप अखबार बिन बन्‍दूक का शाही डकैत हो जायेगा ।।

कहॉं खाक छानता है चम्‍बल के बीहड़ों में दो चार पकड़ में क्‍या कमा पायेगा ।

पौना पुलिस ले जायेगी, चौथाई के लिये मारा जायेगा, फेंक बन्‍दूक बीहड़ की गहरी खाई में चल आ बन जा माननीय, उठ जाग और चलो अखबार निकालो ।।

भटकता फिरता है चोरी भडि़याई करते, किसी दीवाल से फिसलेगा मारा जायेगा ।

केवल दस परसेण्‍ट पर चोरी में क्‍या कर पायेगा, नब्‍बे खाकी खायेगी, छोड़ ये जान का संकट उठ जाग और चलो अखबार निकालो ।।

कई चोर थे, कई पिटे भी थे कई की इज्‍जत तार तार हुयी थी कभी मगर तब जब वे पत्रकार नहीं थे ।

पत्रकार हुये और पुज गये, सारे काम सफेद हो गये, मिलतीं हैं लड़कियां भी शराब और मुर्गे भी उन्‍हें, अरे मूरख जाग उठ और अखबार निकालो ।।

कभी वे तरसते थे, छिपके हसीनाओं के निहोरे करते थे, शराब की बूंद को तरसा करते थे, बोतल खाली कबाड़ी से खरीद कर उन्‍हें उल्‍टी कर नब्‍बे बूंद टपका कर प्‍याला भरते थे जो ।

पत्रकार बने तो दिन फिर गये, अम्‍बाह जौरा और रेशमपुरा तक सरकारी गाड़ी में जायेगा, सुन्‍दरीयों के साथ दिन औ रात बितायेगा, सरकारी शराब और मुर्गे चाटेगा, फिर भी न तू अघायेगा, जाग बेवकूफ उठ चलो अखबार निकालो ।।

क्‍या कलेक्‍टर क्‍या कमिश्र्नर, मंत्री भी क्‍या औ संतरी भी क्‍या ।

अब बेवकूफ खुदी को कर बुलन्‍द इतना कि सब तुझसे पूछें बता तेरी रजा क्‍या है, बस जाग चेत उठ एक अखबार निकालो ।।

वह वक्‍त वह बातें हवा हुयीं, जब अखबार निकलते थे स्‍वतंत्रता की लड़ाई के लिये ।

अब तू छाप अखबार गरीबी हटाने के लिये, चमचागिरी करने के लिये प्रचार साधन के लिये ।।

अरे पगले, भ्रष्‍ट अफसर नेता औ बाबू कीमती ध्‍ारोहर हैं देश के लिये ।

नहीं बढ़ने देते मुद्रा स्‍फीति, नहीं करते वायदा कभी धन बढ़ाने का ।।

चलन में है भ्रष्‍टाचार, संवैधानिक दर्जा है भ्रष्‍टाचार का, इन्‍हें संरक्षण दे, फलीभूत कर, कमाऊ पूत हैं देश के ये कर्णधार ।

इनसे मिल कर चलेगा, अखबार चलेगा, वरना कागज के कोटे को तरस जायेगा, इनके साथ चल विज्ञापन बटोर उठ पागल उठ चलो अखबार निकालो ।।

गोया मामला जरा ज्‍यादा लम्‍बा होता जा रहा है, हम बस इतना कहना चाहते हैं कि प्रसिद्ध मशहूर अखबार कहीं चूक गया, तथ्‍यात्‍मक त्रुटि कर गया चाहे विज्ञापन के चक्‍कर में यह प्रायोजित समाचार प्रकाशन हुआ हो चाहे विज्ञापनार्थ मक्‍खनबाजी के चक्‍कर में चूक गंभीर व अक्षम्‍य है । सही तथ्‍य निम्‍न प्रकार हैं

चम्‍बल विकास प्राधिकरण लगभग 25 -27 साल पहले जब मोतीलाल वोरा म.प्र. के मुख्‍यमंत्री बने, उससे पूर्व जब अर्जुन सिंह म.प्र. के मुख्‍यमंत्री थे, तब तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री अर्जुन सिंह ने भिण्‍ड व मुरैना के नगर सुधार न्‍यासों की स्‍थापना की , और चम्‍बल विकास प्राधिकरण का गठन किया । जिसमें स्‍थानीय समस्‍त विधायक, सांसद, जिले के मंत्रीगण, प्रभारी मंत्रीगण तथा तमाम सरकारी अफसरान इसके सदस्‍य हैं । यह वर्तमान में अस्तित्‍व में है । इसकी कुछ बैठकों में मुझे अपनी बुआ के लड़के (जो तत्‍समय भिण्‍ड के विधायक व म.प्र. शासन के मंत्री होकर मुरैना जिला के प्रभारी मंत्री भी रहे) के साथ दो चार बैठकों में शामिल होने का सौभाग्‍य नसीब हुआ । इसके अलावा चम्‍बल कम्श्र्निर का कार्यालय इसका मुख्‍यालय है, वहीं इसकी बैठके होतीं आईं हैं, चम्‍बल विकास प्राधिकरण की बैठकों की कई फाइलें मुझे पढने को नसीब हुयीं हैं ।

इस पूर्व गठित चम्‍बल विकास प्राधिकरण को कभी भंग किया गया हो यह सूचना मेरे मस्तिष्‍क में नहीं है, इस प्राधिकरण और इसकी गतिविधियों पर सरकार करोड़ों रूपये पहले ही खर्च कर चुकी है, मेरी सूचना के मुताबिक अभी भी यह अस्तित्‍व में हैं, प्रश्‍न यह है कि क्‍या एक प्राधिकरण के अस्तित्‍व में रहते उसी प्राधिकरण का गठन दोबारा किया जा सकता है । पुनर्गठन तो सम्‍भव है ले‍किन गठन सम्‍भव नहीं है, मगर खबर गठन के बारे में है । हैरत अंगेज है । अगर नहीं है तो जो करोड़ों पहले खर्च हो चके हैं उसका हिसाब किताब कहॉं गया, क्‍या गरीब की जेब में एक सूराख और बना दिया ।

मामला ठीक उन पर्यावरण क्‍लबों की तरह जिनका गठन सन् 2001 में भारत सरकार की नेशनल ग्रीन कोर (एन.जी.सी.) योजना के तहत म.प्र. शासन ने बाकायदा आदेश जारी करके किया, यह पर्यावरण लम्‍बे समय तक चले भी और पिछले साल तक मुरैना जिले में पढ़ने वाले हर स्‍कूली छात्र से 6 रू प्रति छात्र परिचय पत्र का तथा 5 रू प्रति छात्र पर्यावरण क्‍लब की सदस्‍यता शुल्‍क का वसूलते रहे, मुरैना जिला में औसतन आठ लाख छात्र प्रतिवर्ष अध्‍ययनरत रहे इस हिसाब से 11 का आठ लाख में गुणा कर दीजिये, औसतन सालाना रकम बनती है 88 लाख रूपये, आठ साल तक बाकायदा आदेश निकाल कर (आदेश की प्रतियां और सम्‍बन्धित समस्‍त आदेश व दस्‍तावेजी साक्ष्‍य हमारे पास उपलब्‍ध हैं) जबरन बच्‍चों से पैसे वसूले जाते रहे, अब 88 लाख में फिर आठ का गुणा कर दीजिये 704 लाख रूपये यानि 7 करोड़ 8 लाख रूपये होते हैं । यह एक मोटा हिसाब और आंकड़ा है, असल छात्र संख्‍या और रकम इससे कई गुना अधिक है ।

कलेक्‍टर इस वसूली कमेटी का अध्‍यक्ष था, जिला शिक्षा अधिकारी सचिव । यह पैसा कहॉं जमा होता था कहां खर्च होता था किसी को नहीं पता, कोई मद नहीं फिर भी रकम आती थी, कहां जाती थी किसी को नहीं पता, (विस्‍तृत आलेख इस आपराधिक घटनाक्रम पर पृथक से छापेंगें) जब शिकवे शिकायतें हुयीं और जिला शिक्षा अधिकारी लगभग 10 करोड़ के घोटाले में फंस गये तो, जिला शिक्षा अधिकारी के साढ़ू तत्‍कालीन स्‍कूली शिक्षा मंत्री ने पर्यावरण क्‍लबों की स्‍थापना की घोषणा कर दी और कहा कि स्‍कूलों में पर्यावरण क्‍लब गठित किये जायेंगें । अखबारों में खबर छपी, और लोग भौंचक्‍के थे कि जो पर्यावरण क्‍लब आठ साल से चल रहे हैं, अस्तित्‍व में हैं, उनका गठन कैसे किया जायेगा । आज तक लोग इस राज को समझ नहीं पाये, और दस करोड़ के मामले को धूल में डाल दिया गया (सारा मामला डाक्‍यूमेण्‍ट्री एविडेन्‍सेज, फोटोग्राफ्स, वीडियो फिल्‍मों पर सिद्ध है, ये रहस्‍य हम आगे चल कर खोलेंगे)

रविवार, 24 अगस्त 2008

चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी

गुरुवार, 21 अगस्त 2008

भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक श्री राय ने महालेखाकार मध्यप्रदेश की वेबसाइट का शुभारंभ किया

भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक  श्री राय ने महालेखाकार मध्यप्रदेश की वेबसाइट का शुभारंभ किया

 

  ग्वालियर 21 अगस्त 08भारत के नियंत्रक- महालेखापरीक्षक श्री विनोद राय ने आज महालेखाकार मध्यप्रदेश की वेबसाइट www.agmp.cag.gov. in का शुभारंभ किया। श्री राय 20 अगस्त को ग्वालियर के दो दिवसीय प्रवास पर आये हुए है। उन्होंने आज महालेखाकार कार्यालय की जानकारी आम जन तक पहुंच सके इसके लिए वेबसाइट का शुभारंभ किया। अपने प्रवास के दौरान ही श्री राय ने लेखा एवं हकदारी कार्यालयों के कार्यों की समीक्षा की । श्री राय ने मौके पर भारत शासन एवं राज्य शासन द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का सही रूप से क्रियान्वयन हो सके इसके लिए योजनाओं की सतत् समीक्षा पर बल दिया । उन्होंने निर्देश दिये कि राज्य शासन के कर्मचारियों के व्यक्तिगत दावे बिना किसी देरी के निपटाये जावें, ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित की जायें। उन्होने कहा कि भारत शासन से बहुत धन अशासकीय संस्थाओं एवं एन.जी.ओ को सीधे प्राप्त होता है, इस राशि के व्यय पर भी लगातार समीक्षा होती रहना चाहिए। जिससे शासन की योजनाओ का लाभ सही हितग्राहियों को मिल सके। भारत के नियंत्रक महालेखापरीक्षक ने भारतीय लेखा एवं लेखा सेवा के अधिकारियों और कर्मचारी संघों के प्रतिनिधियों से भी मुलाकात की।

       भारत के नियंत्रक- महालेखापरीक्षक श्री विनोद राय के आज कार्यालय महालेखाकार लेखा एवं हकदारी लेखा भवन पहुंचने पर महालेखाकार (लेखा एवं हकदारी) प्रथम सुश्री दिव्या मल्होत्रा महालेखाकार (लेखा एव हकदारी) द्वितीय सुश्री ऐन जी. मैथ्यू ने स्वागत किया। श्री राय का स्वागत अन्य वरिष्ठ अधिकारी और कर्मचारियों ने भी किया। श्री राय के साथ उपनियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक श्री ननेन्द्र सिंह ए.ई.सी. के महानिदेशक श्री राकेश जैन नियंत्रक महालेखापरीक्षक के सचिव श्री एस आलोक उपस्थित थे।

 

राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005

राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005

 

ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (नरेगा) 2005 सरकार का प्रमुख कार्यक्रम है जो गरीबों की जिंदगी से सीधे तौर पर जुड़ा है और जो व्यापक विकास को प्रोत्साहन देता है। यह अधिनियम विश्व में अपनी तरह का पहला अधिनियम है जिसके तहत अभूतपूर्व तौर पर रोजगार की गारंटी दी जाती है। इसका मकसद है ग्रामीण क्षेत्रों के परिवारों की आजीविका सुरक्षा को बढाना। इसके तहत हर घर के एक वयस्क सदस्य को एक वित्त वर्ष में कम से कम 100 दिनों का रोजगार दिए जाने की गारंटी है। यह रोजगार शारीरिक श्रम के संदर्भ में है और उस वयस्क व्यक्ति को प्रदान किया जाता है जो इसके लिए राजी हो। इस अधिनियम का दूसरा लक्ष्य यह है कि इसके तहत टिकाऊ परिसम्पत्तियों का सृजन किया जाए और ग्रामीण निर्धनों की आजीविका के आधार को मजबूत बनाया जाए। इस अधिनियम का मकसद सूखे, जंगलों के कटान, मृदा क्षरण जैसे कारणों से पैदा होने वाली निर्धनता की समस्या से भी निपटना है ताकि रोजगार के अवसर लगातार पैदा होते रहें।

       राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (नरेगा) को तैयार करना और उसे कार्यान्वित करना एक महत्त्वपूर्ण कदम के तौर पर देखा गया है। इसका आधार अधिकार और माँग को बनाया गया है जिसके कारण यह पूर्व के इसी तरह के कार्यक्रमों से भिन्न हो गया है। अधिनियम के बेजोड़ पहलुओं में समयबध्द रोजगार गारंटी और 15 दिन के भीतर मजदूरी का भुगतान आदि शामिल हैं। इसके अंतर्गत राज्य सरकारों को प्रोत्साहित किया जाता है कि वे रोजगार प्रदान करने में कोताही न बरतें क्योंकि रोजगार प्रदान करने के खर्च का 90 प्रतिशत हिस्सा केन्द्र वहन करता है। इसके अलावा इस बात पर भी जोर दिया जाता है कि रोजगार शारीरिक श्रम आधारित हो जिसमें ठेकेदारों और मशीनों का कोई दखल  हो। अधिनियम में महिलाओं की 33 प्रतिशत श्रम भागीदारी को भी सुनिश्चित किया गया है।

       नरेगा दो फरवरी, 2006 को लागू हो गया था। पहले चरण में इसे देश के 200 सबसे पिछड़े जिलों में लागू किया गया था। दूसरे चरण में वर्ष 2007-08 में इसमें और 130 जिलों को शामिल किया गया था। शुरुआती लक्ष्य के अनुरूप नरेगा को पूरे देश में पांच सालों में फैला देना था। बहरहाल, पूरे देश को इसके दायरे में लाने और माँग को दृष्टि में रखते हुए योजना को एक अप्रैल 2008 से सभी शेष ग्रामीण जिलों तक विस्तार दे दिया गया है।

       पिछले दो सालों में कार्यान्वयन के रुझान अधिनियम के लक्ष्य के अनुरूप ही हैं। 2007-08 में 3.39 करोड़ घरों को रोजगार प्रदान किया गया और 330 जिलों में 143.5 करोड़ श्रमदिवसों का सृजन किया गया। एसजीआरवाई (2005-06 में 586 जिले) पर यह 60 करोड़ श्रमदिवसों की बढत है। कार्यक्रम की प्रकृति ऐसी है कि इसमें लक्ष्य स्वयं निर्धारित हो जाता है। इसके तहत हाशिए पर रहने वाले समूहों जैसे अजाअजजा (57#), महिलाओं (43#) और गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों (129#) की भारी भागीदारी रही। बढी हुई मजदूरी दर ने भारत के ग्रामीण निर्धनों के आजीविका संसाधनों को ताकत पहुंचाई। निधि का 68# हिस्सा श्रमिकों को मजदूरी देने में इस्तेमाल किया गया। निष्पक्ष अध्ययनों से पता चलता है कि निराशाजन्य प्रवास को रोकने, घरों की आय को सहारा देने और प्राकृतिक संसाधनों को दोबारा पैदा करने के मामले में कार्यक्रम का प्रभाव सकारात्मक है।

मजदूरी आय में वृध्दि और न्यूनतम मजदूरी में इजाफा

       वर्ष 2007-08 के दौरान नरेगा के अंतर्गत जो 15,856.89 करोड़ रुपए कुल खर्च किए गए, उसमें से 10,738.47 करोड़ रुपए बतौर मजदूरी  3.3 करोड़ से ज्यादा घरों को प्रदान किए गए।

       नरेगा के शुरू होने के बाद से खेतिहर मजदूरों की राज्यों में न्यूनतम मजदूरी बढ गर्ऌ है। महाराष्ट्र में न्यूनतम मजदूरी 47 रुपए से बढक़र 72 रुपए, उत्तरप्रदेश में 58 रुपए से बढक़र 100 रुपए हो गई है। इसी तरह बिहार में 68 रुपए से बढक़र 81 रुपए, कर्नाटक में 62 रुपए से बढक़र 74 रुपए, पश्चिम बंगाल में 64 रुपए से बढक़र 70 रुपए, मध्यप्रदेश में 58 रुपए से बढक़र 85 रुपए, हिमाचल प्रदेश में 65 रुपए से बढक़र 75 रुपए, नगालैंड में 66 रुपए से बढक़र 100 रुपए, जम्मू और कश्मीर में 45 रुपए से बढक़र 70 रुपए और छत्तीसगढ में 58 रुपए से बढक़र 72.23 रुपए हो गई है।

ग्रामीण सरंचनात्मक ढांचे पर प्रभाव और प्राकृतिक संसाधन आधार का पुनर्सृजन

       2006-07 में लगभग आठ लाख कार्यों को शुरू किया गया जिनमें से 5.3 लाख जल संरक्षण, सिंचाई, सूखा निरोध और बाढ नियंत्रण कार्य थे। 2007-08 में 17.8 लाख कार्य शुरू किए गए जिनमें से 49# जल संरक्षण कार्य थे जो ग्रामीण क्षेत्रों मे  आजीविका के प्राकृतिक संसाधन आधार का पुनर्सृजन से संबंधित थे। 2008-09 में जुलाई तक 14.5 लाख कार्यों को शुरू किया गया।

       नरेगा के माध्यम से तमिलनाडू के विल्लूपुरम जिले में जल भंडारण (छह माह तक) में इजाफा हुआ है, जलस्तर में उल्लेखनीय वृध्दि हुई है और कृषि उत्पादकता (एक फसली से दो फसली) में बढोत्तरी हुई है।

कामकाज के तरीकों को  दुरुस्त करना

       पारदर्शिता और जनता के प्रति उत्तरदायित्व: सामाजिक लेखाजोखा राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम का महत्त्वपूर्ण पक्ष है। नरेगा के संदर्भ में सामाजिक लेखाजोखा में निरंतर सार्वजनिक निगरानी और परिवारों के पंजीयन की जांच, जॉब कार्ड का वितरण, काम की दरख्वास्तों की प्राप्ति, तारीख डाली हुई पावतियों को जारी करना, परियोजनाओं का ब्योरा तैयार करना, मौके की निशानदेही करना, दरख्वास्त देने वालों को रोजगार देना, मजदूरी का भुगतान, बेरोजगारी भत्ते का भुगतान, कार्य निष्पादन और मास्टर रोल का रखरखाव शामिल हैं।

       वित्तीय दायरा: निर्धन ग्रामीण परिवारों को सरकारी खजाने से भारी धनराशि मुहैया कराई जा रही है जिसके आधार पर मंत्रालय को यह अवसर मिला है कि वह लाभान्वितों को बैंकिंग प्रणाली के दायरे में ले आए। नरेगा कामगारों के बैंकों व डाकघरों में बचत खाते खुलवाने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान शुरू किया जा चुका है; नरेगा के अंतर्गत 2.28 करोड़ बैंक व डाकघर बचत खाते खोले जा चुके हैं।

       सूचना प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल: मजदूरी के भुगतान की गड़बड़ियों और मजदूरों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय ने दूरभाष आधारित बैंकिंग सेवाएं शुरू करने का निर्णय किया है जो देश के सुदूर स्थानों पर रहने वाले कामगारों को भी  आसानी से उपलब्ध होगी। बैंकों से भी कहा गया है कि वे स्मार्ट कार्ड और अन्य प्रौद्योगिकीय उपायों को शुरू करें ताकि मजदूरी को आसान और प्रभावी ढंग से वितरित किया जा सके।

       वेब आधारित प्रबंधन सूचना प्रणाली (.दध्दङ्ढढ़ठ्ठ.दत्ड़.त्द) ग्रामीण घरों का सबसे बड़ा डेटाबेस है जिसकी वजह से सभी संवेदनशील कार्य जैसे मजदूरी का भुगतान, प्रदान किए गए रोजगार के दिवस, किए जाने वाले काम, लोगों द्वारा ऑनलाइन सूचना प्राप्त करना, आदि पूरी पारदर्शिता के साथ किया जा सकता है। इस प्रणाली को इस तरह बनाया गया है कि उसके जरिए प्रबंधन के सक्रिय सहयोग को कभी भी प्राप्त किया जा सकता है। अब तक वेबसाइट पर 44 लाख मस्टररोल और तीन करोड़ जॉब कार्ड को अपलोड किया जा चुका है।

       मंत्रालय का नॉलेज नेटवर्क इस बात को प्रोत्साहन देता है कि किसी भी समस्या के हल को ऑनलाइन प्रणाली द्वारा सुझाया जाए। इस समय इस नेटवर्क के 400 जिला कार्यक्रम संयोजक सदस्य हैं। नेटवर्क नागरिक समाज संगठनों से भी जुड़ गया है।

माँग आधारित कार्यक्रम को पूरा करने के लिए क्षमता विकास

       ग्रामसभाओं और पंचायती राज संस्थाओं को योजना व कार्यान्वयन में अहम भूमिका प्रदान करके विकेन्द्रीयकरण को मजबूत बनाने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को गहराई के साथ चलाने में नरेगा महत्त्वपूर्ण है। सबसे कठिन मुद्दा इन ऐजेंसियों की क्षमता का निर्माण है ताकि ये कार्यक्रम को जोरदार तरीके से कार्यान्वित कर सकें।

       केन्द्र की तरफ से समर्पित प्रशासनिक व तकनीकी कार्मिकों को खण्ड व उप खण्ड स्तरों पर तैनात किया गया है ताकि मानव संसाधन क्षमता को बढाया जा सके।

       राज्यों के निगरानीकर्ताओं के साथ नरेगा कर्मियों का प्रशिक्षण शुरू कर दिया गया है। अब तक 9,27,766 कार्मिकों  तथा सतर्कता और निगरानी समितियों के 2,47,173 सदस्यों को प्रशिक्षित किया जा चुका है।

       मंत्रालय ने नागरिक समाज संगठनों और अकादमिक संस्थानों के सहयोग से जिला कार्यक्रम संयोजकों के लिए पियर लर्निंग वर्कशॉप का आयोजन किया ताकि औपचारिक व अनौपचारिक सांस्थानिक प्रणाली और नेटवर्क तैयार किया जा सके। इन सबको अनुसंधान अध्ययन, प्रलेखन, सामग्री विकास जैसे संसाधन सहयोग भी मुहैया कराए गए।

       संचार, प्रशिक्षण, कार्य योजना, सूचना प्रौद्योगिकी, सामाजिक लेखाजोखा और निधि प्रबंधन जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों को तकनीकी समर्थन भी प्रदान किया जा रहा है।

निराशाजन्य प्रवास को रोकना

       रिपोर्टों के अनुसार बिहार और देश के अन्य राज्यों की श्रमशक्ति अब वापस लौट रही है। पहले कामगार बिहार से पंजाब, महाराष्ट्र और गुजरात प्रवास करते थे जो अब धीरे धीरे कम हो रहा है। इसका कारण है कि मजदूरों को अपने गाँव में ही रोजगार व बेहतर मजदूरी मिल रही है जिसके कारण कामगार अब काम की तलाश में शहर की तरफ जाने से गुरेज कर रहे हैं। बिहार में नरेगा के अंतर्गत मजदूरी की दर 81 रुपए प्रति दिन है। प्रवास में कमी आ जाने के कारण मजदूरों के बच्चे अब नियमित स्कूल भी जाने लगे हैं।

       नरेगा के बहुस्तरीय प्रभावों को बढाने के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय राष्ट्रीय उद्यान मिशन, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, भारत निर्माण, वॉटरशेड डेवलपमेन्ट, उत्पादकता वृध्दि आदि कार्यक्रमों को नरेगा से जोड़ने का प्रयास कर रहा है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में योजनाबध्द व समन्वयकारी सार्वजनिक निवेश को बल मिलेगा। इसके परिणामस्वरूप गामीण क्षेत्रों में लंबे समय तक आजीविका का सृजन होता रहेगा।

#ग्रामीण रोजगार मंत्रालय द्वारा प्रदत्त सूचनाओं के आधार पर

 

 

बुधवार, 20 अगस्त 2008

दलाली मुक्‍त इण्‍टरनेट सेवायें और ई प्रशासन की ओर म.प्र. सरकार ने रखे कदम, स्कूली शिक्षकों की तनख्वाह भी हुई ऑनलाईन, यूनीक कोड वेबसाईट पर, अगस्त से शुरूआत

दलाली मुक्‍त इण्‍टरनेट सेवायें और ई प्रशासन की ओर म.प्र. सरकार ने रखे कदम, स्कूली शिक्षकों की तनख्वाह भी हुई ऑनलाईन, यूनीक कोड वेबसाईट पर, अगस्त से शुरूआत

एक राय ग्‍वालियर टाइम्‍स की

यह समाचार रिलीज करने से पहले ग्‍वालियर टाइम्‍स की टीम ने इस वेबसाइट की स्थिति व गुणवत्‍ता का परीक्षण किया । हालांकि भारी बिजली कटौती के चलते कई बार व्‍यवधान आया लेकिन लोकहित में इस वेबसाइट पर टीप लिखना समीचीन व सामायिक है । अत: हम अपने पाइक वर्ग को बताना चाहेंगें । कि यह वेबसाइट म.प्र. के एजुकेशनल पोर्टल के नाम से विकसित की गयी है, वेबसाइट का डिजाइन और लोक सेवाओं की उपलब्‍धता यद्यपि अभी प्रारंभिक स्थिति में है तथा अपरिपक्‍व है किन्‍तु इसके बावजूद यह एक श्रेष्‍ठ व उपयोगी वेबसाइट है, आगे विकसित होकर संभवत: वाकई बेहतरीन ई सेवा उपलब्धि या ई प्रशासन की दिशा में मील का पत्‍थर होगी । वेबसाइट की गुणवत्‍ता बहुत उत्‍कृष्‍ट है वहीं फिलहाल केवल शिक्षकों से सम्‍बन्धित सेवाये हीं इसमें शुरू कीं गयीं हैं, आन लाइन लोक सेवाये मसलन ऑनलाइन स्‍कूल मान्‍यता आवेदन, निरीक्षण रिपोर्ट, स्‍कूल मान्‍यता स्थिति, स्‍कूल शिकायत, स्‍कूल मानदण्‍ड और ऑनलाइन स्‍कूल एडमीशन, ऑन लाइन शिक्षक हाजरी, ऑन लाइन योजनायें व कार्यक्रम आदि अभी यहॉं उपलब्‍ध नहीं हैं इसके साथ ही स्‍कूलों की स्थितियां, भौगोलिक अवस्थिति आदि जानकारीयो के साथ उनमें उपलब्‍ध सुविधायें आदि अभी यहॉं नहीं हैं । उम्‍मीद की जा सकती है कि निकट भविष्‍य में यह सब यहॉं उपलब्‍ध हो जायेगा ।

सबसे बड़ी बात इस वेबसाइट की यह है कि यह टाटा कन्‍सल्‍टेन्‍सी और भ्रष्‍ट एमपीएसईडीसी के चंगुल से बच निकली है और नेशनल इन्‍फारमेटिक्‍स सेण्‍टर (एन आई सी) ने इसे विकसित किया है, इस पर उपलब्‍ध हर सेवा निशुल्‍क तथा हर जगह से हर समय एक्‍सेसेबल है ।

एमपीऑन लाइन से बाहर रहने से उम्‍मीद है कि जनता सरकारी प्रायवेट पार्टनरशिप की लूटपाट से बची रहेगी  , वरना हमने तो म.प्र. में उम्‍मीद ही छोड़ दी थी कि म.प्र. की जनता को तथाकथित एमपी ऑन लाइन और उसके कियोस्‍कों के विषदन्‍तों से कभी राहत मिल सकेगी । पूर्णत: फ्री एक्‍सेसेबल और हर किसी के लिये फायदेमन्‍द यह वेबसाइट शीघ्र ही ग्‍वालियर टाइम्‍स की ई सेवाओं में जोड़ दी जायेगी और ग्‍वालियर टाइम्‍स के 58 लाख पाठक इसकी सेवाओं का उपयोग कर सकेगे । दलाली मुक्‍त इण्‍टरनेट सेवाओं की शुरूआत के लिये सरकार को साधुवाद । - सम्‍पादक ग्‍वालियर टाइम्‍स डॉट कॉम      

 

इन्टरनेट के मौजूदा दौर का फायदा अब प्रदेश के स्कूली शिक्षकों को भी अपनी तनख्वाह से जुड़ी जानकारियों के लिए मिलने जा रहा है। राज्य सरकार की इस सिलसिले में खास कोशिशों के चलते शिक्षा विभाग के अधीन सभी शिक्षकों और कर्मचारियों की तनख्वाह इसी महीने से ऑनलाईन हो रही है। ये लोग इस मकसद से उन्हें आवंटित किए गए यूनीक कोड एन.आई.सी. की वेबसाईट पर देख सकेंगे।

स्कूली शिक्षा के सारे कर्मचारी जिनमें शिक्षक, प्राचार्य और लिपिक शामिल हैं, अब उनके वेतन की जानकारी कम्प्यूटरीकृत कर दी गई है। अब तक हो यह रहा था कि उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों के सवा तीन हजार से ज्यादा प्राचार्य बतौर आहरण संवितरण अधिकारी की हैसियत से शिक्षकों के वेतन का कामकाज मेन्युअल के जरिए कर रहे थे। इसके चलते हर महीने इस काम में दस-बारह दिन लग जाते थे। अनावश्यक विलंब और वेतन की जानकारी हासिल करने की दिक्कतें आम बात थीं। बरसों से चली आ रही इस पुरानी परम्परा पर अब विराम लगा दिया गया है।

ताजा इंतजाम के जरिए वेतन का पत्रक अब ऑनलाईन तैयार होगा। इससे हर महीने कर्मचारियों के पे-बिल तैयार करने की कवायद नहीं करनी पड़ेगी। सिर्फ उस जानकारी को अपडेट किया जाएगा जिसके तहत किसी कर्मचारी की वार्षिक वेतन वृध्दि लगना है या फिर ऐसे कर्मचारी की जानकारी जिसकी पदस्थापना में परिवर्तन किया गया है। शिक्षकों के वेतन की जानकारी ऑनलाईन होने का एक और फायदा यह होगा कि विभाग को स्कूलवार भरे हुए पद और बजट एवं व्यय की सूचना भी मिलती रहेगी। इन जानकारियों की ताजा स्थिति जिला, संभाग और राज्य स्तर पर ऑनलाईन मिल जाएगी। इसके चलते स्कूलों में शैक्षिक, प्रशासनिक और वित्तीय प्रबंधन भी पुख्ता किया जा सकेगा।

स्कूल शिक्षा विभाग में कम्प्यूटरीकरण के कार्य को अंजाम तक पहुंचाने का जिम्मा राज्य शिक्षा केन्द्र के आयुक्त श्री मनोज झालानी को सौंपा गया था। उन्होंने बताया कि अगले चरण में शिक्षकों की सेवा पुस्तिका के कम्प्यूटरीकरण पर भी विचार शुरू हो चुका है। ससे कर्मचारियों की पदस्थापना, क्रमोन्नति और वित्तीय स्वत्वों के मामले निपटाने में भी गति आ जाएगी। इसी तरह विभाग की वरिष्ठता सूची भी ऑनलाईन हर वक्त उपलब्ध रहेगी।

फिलहाल स्कूली शिक्षा के कर्मचारियों को आवंटित किए गए यूनीक कोड का इस्तेमाल भविष्य में उनसे जुड़े हर प्रशासकीय काम में होगा। कर्मचारी इसके जरिए सिर्फ एक क्लिक कर अपने वेतन के ब्यौरे, वेतन पर्ची और सालाना आमदनी के पत्रक को इंटरनेट पर देख सकेंगे। एन.आई.सी. की इस जानकारी वाली वेबसाईट का पता http://demo.mp.nic.in/educationportal रहेगा।