बुधवार, 24 दिसंबर 2008

जागो ग्राहक जागो- उपभोक्ता शिक्षा और जागरूकता के लिए एक पहल

जागो ग्राहक जागो- उपभोक्ता शिक्षा और जागरूकता के लिए एक पहल

 

प्रबुध्द ग्राहक ही सशक्त ग्राहक होता है। जागरूक ग्राहक न केवल शोषण से अपनी सुरक्षा करता है बल्कि समूचे निर्माण और सेवा क्षेत्र में दक्षता, पारदर्शिता और जवाबदेही को प्रेरित करता है। उपभोक्ता जागरूकता के महत्व को समझते हुए, सरकार ने उपभोक्ता शिक्षा, उपभोक्ता संरक्षण और उपभोक्ता जागरूकता सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान की है। भारत एक ऐसा देश है जो उपभोक्ता संरक्षण के लिए प्रगतिशील कानून बनाने में आगे निकल गया है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 का बनना देश में उपभोक्ता आंदोलन में बेहद महत्वपूर्ण मील का पत्थर रहा है। इस अधिनियम ने उपभोक्ता अधिकारों के क्षेत्र में क्रांति ला दी है, जिसके समानांतर संभवत: दुनिया में और किसी को नियत नहीं किया जा सकता। यह कानून निजी, सार्वजनिक या सहकारी सभी क्षेत्रों में, जब तक कि  केंद्र सरकार विशेष रूप से कोई छूट न दे,  सभी सामानों और सेवाओं  पर लागू होती है।

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986

 यह अधिनियम उपभोक्ताओं के सभी अधिकारों को प्रतिष्ठापित करता है जो अंतर्राष्ट्रीय रूप से स्वीकृत हैं। अधिनियम के अनुसार, उपभोक्ता अधिकारों को प्रोत्साहन और संरक्षण के लिए केंद्र, राज्य और जिला स्तरों पर उपभोक्ता संरक्षण परिषदें स्थापित की गई हैं। ये अधिकार इस प्रकार हैं:

·       सुरक्षा का अधिकार : नक़ली #जीवन के लिए खतरनाक वस्तुओं और सेवाओं की बिक्री के विरूध्द संरक्षण।

·       सूचना का अधिकार : खरीदी गई वस्तुओं # सेवाओं की गुणवत्ता, मात्रा, वजन और मूल्य के बारे में जानने के लिए, ताकि अनुचित व्यापार व्यवहार के जरिए किसी को ठगा न जा सके।

·       चयन करने का अधिकार : प्रतिस्पर्धी कीमत पर विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं तक पहुंच, जहां कहीं संभव हो, सुनिश्चित करने के लिए।

·       सुनवाई का अधिकार : सुनवाई और यह सुनिश्चित करने का अधिकार कि अभिरूचि समुचित स्तर पर विचार के लिए प्राप्त की जाएगी।

·       क्षतिपूर्ति मांगने का अधिकार : अनुचित या प्रतिबंधित व्यापार व्यवहार या शोषण के विरूध्द कानूनी क्षतिपूर्ति मांगने का अधिकार।

·       उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार : उपभोक्ता शिक्षा हासिल करने का अधिकार।

   उपर्युक्त के आलोक में गांधीजी उपभोक्ता के बारे में और उसके अधिकारों के बारे में निम्नलिखित ठीक ही कहा : '' ग्राहक हमारे परिसर में बहुत महत्वपूर्ण अतिथि होता है। वह हम पर आश्रित नहीं होता है। हम उस पर निर्भर होते हैं। वह हमारे काम में रूकावट नहीं होता है- वह तो इसका उद्देश्य होता है। हम उसकी सेवा करके उस पर कोई अहसान नहीं कर रहे हैं। वह हमें सेवा का मौका देकर हम पर अहसान कर रहा है।'' इसलिए यह बहुत ही उचित था कि संयुक्त राष्ट्र उद्धोषणा के ठीक बाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 संसाधित और अधिनियमित किया गया।

उपभोक्ता संरक्षण के लिए बुनियादी ढांचा

उपभोक्ता संरक्षण की सरकार की पहल तीन बुनियादी पैरामीटर पर निर्भर है। सर्वप्रथम एक कानूनी ढांचा सुनिश्चित करना जिसमें उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम शामिल है। 1986 में अधिनियमित उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम को दुनिया के किसी भी भाग में अधिनियमित कानून के बेहतरीन आधारों में से एक माना जाता है और भारत उपभोक्ता संरक्षण के लिए ऐसा विशिष्ट कानून रखने वाला एकमात्र देश होने पर गर्व कर सकता है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में उपभोक्ता द्वारा उठाए गए मामलों की सुनवाई के लिए राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर त्रिस्तरीय, सरल, अर्ध न्यायिक मशीनरी है। दूसरे, विभिन्न उत्पादों के बारे में सूचित विकल्प के लिए उपभोक्ताओं को समर्थ बनाने के लिए विभिन्न उत्पादों के मानक तैयार करना है। मानक गुणवत्ता के आवश्यक निर्माण खंड होते हैं जो उपभोक्ता संरक्षण में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। मानक तकनीकी जरूरत (विनिर्देशन), संशोधित विशिष्ट मानक पारिभाषिक शब्दावली (शब्द संग्रह), व्यवहार संहिता या परीक्षण विधियां या प्रबंधन प्रणाली मानकों पर होंगे। मानक आमतौर पर सरकार या अंतर-सरकारी निकाय तय करते हैं परंतु दुनिया भर में यह माना जाता है कि मानकों की स्वैच्छिक स्थापना उपभोक्ताओं के संरक्षण के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। तीसरे, उपभोक्ता संरक्षण के लिए मुख्य निर्माण खंड उपभेक्ता जागरूकता और शिक्षा है।

उपभोक्ता संरक्षण पर राष्ट्रीय कार्य योजना

50वीं राष्ट्रीय विकास परिषद की बैठक के फलस्वरूप, योजना आयोग ने उपभोक्ता मामलों के विभाग द्वारा कार्रवाई के लिए प्राथमिकता एजेंसी के रूप में उपभोक्ता जागरूकता, क्षतिपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के प्रवर्तन की पहचान की है। दसवीं योजना के अंतिम दो वर्ष में उपभोक्ता संरक्षण गतिविधियों के लिए आवंटन में उल्लेखनीय वृध्दि हुई।

ग्यारहवीं योजना में उपभोक्ता जागरूकता स्कीम

       आर्थिक मामलों से संबध्द मंत्रीमंडल समिति ने 24.01.08 को ग्यारहवीं योजना के लिए उपभोक्ता जागरूकता स्कीम के लिए कुल 409 करोड़ रूपए की राशि का अनुमोदन किया है। यह स्कीम उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों के बारे में जागरूक करने के लिए मल्टीमीडिया प्रचार अभियान में तेजी लाने के लिए तैयार की गई है। पिछले 3 वर्ष में  चलाए गए प्रचार अभियान के फलस्वरूप जागो ग्राहक जागो नारा अब घर-घर में मशहूर हो चुका है। ग्यारहवीं पंच वर्षीय योजना में उपभोक्ता जागरूकता पर जोर बढ़ाने के जरिए, सरकार ने आम आदमी को उपभोक्ता के रूप में उसके अधिकारों के बारे में सूचित करने के लिए पहल की है। उपभोक्ता जागरूकता स्कीम के अंग के रूप में, ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। भारत जैसे बड़े देश में, आर्थिक विषमता के परिदृश्य और शिक्षा एवं अज्ञानता के स्तर के मद्देनज़र, उपभोक्ताओं को शिक्षित करना विराट कार्य रहा है। सरकार ने इस उपभोक्ता जागरूकता स्कीम के अंग के रूप में उपभोक्ता जागरूकता पैदा करने के लिए अनेक गतिविधियां और स्कीमें शुरू की हैं।

मल्टी मीडिया प्रचार अभियान

मल्टी मीडिया प्रचार अभियान के अंग के रूप में, निम्नलिखित गतिविधियां चलाई जा रही हैं :

उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों के बारे में शिक्षित करने के लिए समाचार पत्रों में विज्ञापन के इस्तेमाल से प्रिंट मीडिया के जरिए प्रचार

       शिकायत क्षतिपूर्ति प्रणाली, एमआरपी, आईएसआई हाल मार्क, वैकल्पिक विवाद,, क्षतिपूर्ति प्रणाली, वजन एवं मापतौल, उपभोक्ताओं के अधिकारों इत्यादि जैसे विविध उपभोक्ता संबंधी मसलों पर 30 सेकेंड की अवधि के वीडियो स्पोट के प्रसारण के जरिए इलैक्ट्रानिक माध्यमों से प्रचारा। विभिन्न विज्ञापन स्पाट में ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों से संबंधी मसलों को प्राथमिकता दी गई है।

       पूर्वोत्तर राज्यों में अधिकतम खुदरा मूल्य -एमआरपी, कम मापतौल, दवाइयों पर समाप्ति तिथि, मिलावट, क्षतिग्रस्त उत्पाद और क्षतिपूर्ति प्रणाली जैसे उपभोक्ता संबंधी मसलों पर क्षेत्रीय भाषाओं में 20 सेकेंड और 30 सेकेंड के विज्ञापनों का प्रसारण।

       विभाग ने डाक विभाग के परामर्श से पूर्वोत्तर राज्यों सहित दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचने के लिए मेघदूत पोस्ट कार्डों के जरिए उपभोक्ता जागरूकता संदेश का प्रसार किया है। उपभोक्ता जागरूकता संदेश को फैलाने के लिए डाक विभाग के विशाल नेटवर्क को इस्तेमाल करने के लिए डाक विभाग के साथ भागीदारी की बड़ी योजना तैयार की गई है। 1.55 लाख डाकघरों के विशाल नेटवर्क के जरिए उपभोक्ता जागरूकता संदेश वाले कैलेंडर प्रदर्शित किए गए हैं।

       विभाग मुद्रित साहित्य के जरिए भी जागरूकता फैला रहा है। उपभोक्ता जागरूकता मिशन के शीर्षक वाला फोल्डर जिसमें उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के प्रमुख विशेषताएं शामिल हैं, के साथ पॉकेट कैलेंडर और पोस्टर आईआईटीएफ, नुक्कड नाटकों जैसे विभिन्न आयोजनों के जरिए और जमीनी स्तर पर राज्य सरकारों के जरिए वितरित किए जा रहे हैं। उपभोक्ता जागरूकता संबंधी प्रचार सामग्री का क्षेत्रीय भाषाओं में भी अनुवाद किया जा रहा है और विभिन्न राज्य सरकारों को प्रसारित किया जा रहा है।

       सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के गीत एवं नाटक विभाग के परामर्श से नुक्कड नाटक कराए जा रहे हैं। जमीनी स्तर पर जागरूकता पैदा करने के लिए सभी राज्यों संघ शासित क्षेत्रों में 1000 से अधिक कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं।

       टॉल फ्री नंबर 1800-11-4000 के जरिए प्रायोगिक परियोजना राष्ट्रीय उपभोक्ता हैल्प लाइन शुरू की गई है जिसे उपभोक्ताओं की शिकायत के निपटारे के लिए परामर्श देने के वास्ते दिल्ली विश्वविद्यालय संचालित कर रहा है। उपभोक्ताओं के लिए टॉल फ्री नंबर का समय सभी कार्य दिवसों - सोमवार से शनिवार के दौरान सुबह 9.30 से शाम 5.30 तक उपलब्ध है।  उपभोक्ता जागरूकता विभाग से संबंधित विभिन्न विज्ञापनों के जरिए राष्ट्रीय हैल्पलाइन को पर्याप्त प्रचार किया गया है ताकि प्रभावित उपभोक्ता राष्ट्रीय हैल्पलाइन के जरिए मार्गनिर्देश  परामर्श ले सकें।

       अधिक से अधिक उपभोक्ताओं तक पहुंचने के लिए, विभाग ने तीन देशों की क्रिकेट प्रतियोगिता, भारत पाक श्रंखला, भारत-आस्ट्रेलिया श्रंखला, भारत- इंग्लैंड क्रिकेट श्रंखला इत्यादि के दौरान उपभोक्ता सूचना संबंधी वीडियो स्पॉट प्रसारित किए हैं।

       भारत ऐसा देश है जिसकी 70 प्रतिशत से अधिक आबादी 35 वर्ष से कम उम्र की है। युवक विभिन्न उददेश्यों के लिए बड़े पैमाने पर इंटरनेट का उपयोग कर रहे हैं और प्रमुख उपभोक्ता बनने वाले हैं। इसके मददेनजर, ऑनलाइन माध्यम के जरिए उपभोक्ता जागरूकता फैलाने के लिए प्रमुख पहल की गई है। विभाग द्वारा तैयार विज्ञापन मंत्रालय की वेबसाइट .ढड़ठ्ठत्द.दत्ड़.त्द पर भी प्रदर्शित किए गए हैं।

       प्रकाशन विभाग के योजना, कुरूक्षेत्र, बाल भारती, आजकल और उनके क्षेत्रीय संस्करणों जैसे प्रकाशनों में विज्ञापन दिए जा रहे हैं। लक्षित पाठकों के मददेनजर इन पत्रिकाओं में उपभोक्ता जागरूकता पर केंद्रित लेखों पर ध्यान दिया जा रहा है। प्रकाशन विभाग का पऊलैगशिप प्रकाशन एम्प्लायमेंट न्यूज अपने तरह का सबसे बड़ा कैरियर साप्ताहिक है, यह उपभोक्ताओं के अधिकारों के बारे में सूचना देने वाले युवकों की रूचि के लेख प्रकाशित करता है। विभाग के विज्ञापन एम्प्लायमेंट न्यूज और रोजगार समाचार में नियमित रूप से प्रकाशित होते हैं ताकि देश के सुवकों को उनके उपभोक्ता अधिकारों के बारे में जागरूक किया जा सके।

भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में भागीदारी

       भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में आने वाले भारी संख्या में दर्शकों को ध्यान में रखते हुए, विभाग ने आईआईपीए में स्टाल के जरिए अपनी गतिविधियां प्रदर्शित की। उपभोक्ता संरक्षण के प्रमुख प्रावधानों, मानकीकरण, वजन एवं मापतौल, आईएसआई , हाल माकिर्गं ओर उपभोक्ता रूचि से जुड़े अन्य मामलों की प्रचार सामग्री मुपऊत वितरित की गई। व्यापार मेले के दौरान उपभोक्ताओं को मौके पर परामर्श भी उपलब्ध कराया गया।

संयुक्त अभियान

      जागो ग्राहक जागो प्रमुख विषय बन चुका है जिसके जरिए प्राय: सभी सरकारी विभागों की कार्यप्रणाली संबंधी उपभोक्ता से जुड़े मसले निपटाए जा सकते हैं। इस उद्देय के लिए अनेक सरकारी विभागों के साथ संयुक्त अभियान चलाए गए और चलाए जा रहे हैं।  लोगों को बीईई स्टार लेबल की जागरूकता वाले ऊर्जा संरक्षण के बारे में शिक्षित करने के लिए विभाग ने संयुक्त अभियान चलाए हैं। उपभोक्ताओं को फार्मा उद्योग संबंधी विभिन्न मसलों के बारे में शिक्षित करने के लिए नेशनल फार्मास्यूटीकल प्रोडक्ट अथारिटी के साथ संयुक्त अभियान तैयार किया जा रहा है। इसीप्रकार , भारतीय रिजर्व बैंक, फिक्की, शहरी विकास मंत्रालय (रीयल एस्टेट क्षेत्र के लिए ) और मानव संसाधन विकास मंत्रालय के साथ अभियान चलाने की योजना बनाई जा रही है।

राज्य संघ क्षेत्रों की सरकारों की सहायता के बारे में विशेष स्कीम

       ग्रामीण, दूरदराज के क्षेत्रों और पिछड़े क्षेत्रों तक आन्दोलन को ले जाने के लिए जागरूकता अभियानों में राज्य सरकारों की सक्रिय भागीदारी के तथ्य के महत्व को समझते हुए राज्य संघ क्षेत्रों की सरकारें उपभोक्ता जागरूकता के क्षेत्र के विस्तार में सक्रिय सहयोग कर रही हैं। दरअसल, स्कीम की प्रभावशीलता का तथ्य  राज्य संघ क्षेत्रोंपीआरआई की भागीदारी से और बढ गया है। राज्य संघ क्षेत्रों  को अनुदानसहायता उपभोक्ता जागरूकता स्कीम का एक प्रमुख घटक रहा है।

       उपभोक्ता मामलों के विभाग ने ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायतों के जरिए वितरण के लिए राज्य संघ क्षेत्रों की सरकारों को पोस्टर, ऑडियो,फोल्डर, कैलेंडर और पत्रिकाओं इत्यादि जैसी प्रचार सामग्री उपलब्ध कराई है।

भावी योजना

       उपभोक्ताओं को शिक्षित करने के लिए और उनको इपने अधिकारों के बारे में जागरूक करने के लिए मल्टी मीडिया प्रचार का न सिर्फ अंतिम उपयोक्ता तक उसका दीर्घावधि असर पड़ेगा बल्कि समूचे निर्माण और सेवा क्षेत्र पर  भी प्रभाव पड़ेगा। सार्वजनिक के साथ साथ निजी क्षेत्र द्वारा उपलब्ध सेवाओं में अधिक जवाबदेही और पारदर्शिता लाने में भी स्कीम से काफी मदद मिलेगी क्योंकि अंतिम उपयोक्ता यानी उपभोक्ता शिक्षित होगा  और अपनी मेहनत की कमाई के बदले हर संभव बेहतर सेवा की मांग करने के लिए जागरूक होगा। इस प्रकार जागो ग्राहक जागो एक ऐसी पहल है जो अपने अधिकारों के बारे में जागरूक बनाने के साथ साथ शिकायत क्षतिपूर्ति तंत्र के बारे में जागरूक बनाकर उपभोक्ता को सशक्त बनाता है।

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 # उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के सहयोग से तैयार

 

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