सोमवार, 15 दिसंबर 2008

जैव विविधता से परिपूर्ण है कूनो वन्य प्राणी अभ्यारण्य

जैव विविधता से परिपूर्ण है कूनो वन्य प्राणी अभ्यारण्य

ग्वालियर 13 दिसम्बर 08। कभी महाराजा ग्वालियर एवं पालपुर के जागीरदार की प्रसिध्द शिकारगाह रहा कूना पालपुर क्षेत्र अब प्राकृतिक एवं वन्य जीवन संरक्षण के प्रति बढ़ती जागरूकता के फलस्वरूप कूनो वन्य प्राणी अभयारण्य के रूप मे विकसित किया जा चुका है। यहां की समृध्द जैव विविधता देखते ही बनती है। कूनो वन्यप्राणी अभयारण्य मध्यप्रदेश के चंबल संभाग के श्योपुर जिले की विजयपुर तहसील में उत्तर विंध्य पर्वत श्रेणी के अन्तर्गत स्थित है। कूनो वन्यप्राणी अभयारण्य अक्षांश 250 30' से 250 35' उत्तर, देशांतर 770 07 से 770 28' पूर्व के बीच स्थित है। वन वर्गीकरण के अनुसार कूनो अभयारण्य में दक्षिणी ट्रॉपीकल शुष्क पतझड़ वन तथा उत्तरी ट्रॉपीकल शुष्क पतझड़ वन पाये जाते हैं। इस क्षेत्र की वनस्पति मध्य भारत की शुष्क पतझड वनों का प्रतिनिधित्व करती है। यहां वृक्षों में खैर, सलई, करघई, धावडा, रैझा, गुंजा, तेंदू आदि प्रमुख प्रजातिंयां है। यह क्षेत्र औषधीय पौधों की दृष्टि से भी बहुत समृध्द है। इस क्षेत्र में अनेक प्रकार की घास के साथ हाथी घास भी पाई जाती है जो पूर्व में देश के विभिन्न हिस्सों में उपयोग हेतु भेजी जाती रही है।

       कूनो वन्यप्राणी अभ्यारण्य में स्तनधारी जीव, पक्षियों, सरीसृप आदि की विभिन्न प्रजातियाँ पाई जाती हैं। कूनो वन्यप्राणी अभ्यारण्य में चीतल साँभर, चौसिंगा, जंगली सूअर, नीलगाय, चिंकारा, सियार, लोमड़ी, भालू, सोन कुत्ता, तेंदुआ, तथा कभी कभी शेर आदि भी पाए जाते हैं। लंगूर भी इस क्षेत्र में बहुतायत में पाए जाते हैं, साथ ही विभिन्न प्रकार के सरीसृप एवं 200 से अधिक पक्षियों की प्रजातियाँ भी यहां पाई जाती हैं। कूनो नदी जो अभ्यारण्य के मध्य से गुजरती है में मगर भी देखे जा सकते हैं। पक्षियों में पेट्रीज, नाइटजर, मोर, ओरियोल, हूफो, किंगफिशर, वुडपेकर, आउल, कक्कू, हार्नविल, बीईटर, सनवर्ड, पैराकीट, जंगल फाउल, स्विफ्ट स्वेलो, पिजियन, रॉबिन, ड्रेन्गो, वलचर, फालकन, ईगल, एग्रिट, हेरोन, बार्बलर, वारर्बलर, ट्रीपाई आदि प्रमुख हैं। वन्य प्राणियों की विविधता हेतु यह क्षेत्र प्रसिध्द है। वर्ष 1993-94 में भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून के वैज्ञानिकों द्वारा किये गये सर्वे अनुसार एशियाई सिंहों के पुनर्वास हेतु कूनो वन्यप्राणी अभयारण्य सबसे उपयुक्त पाया गया। वर्तमान में कूनो वन्यप्राणी वनमण्डल का क्षेत्र फल 1235.388 वर्ग किमी. है जिसमें कूनो अभयारण्य का क्षेत्र फल 344.686 वर्ग किमी. शामिल है। कूनो वन्यप्राणी वनमण्डल मे 12 आरक्षित वन खण्ड, 21 संरक्षित वन खण्ड, 294 आरक्षित वन कक्ष एवं 125 संरक्षित वन कक्ष है। इस क्षेत्र की औषत वर्षा 800 मिमी., तापमान अधिकतम 48 डिग्री सेन्टीग्रेड, न्यूनतम 2.00 डिग्री सेन्टीग्रेड तक चला जाता है। 

       वर्ष 1994 में अफ्रिकी उपखण्ड में सिरेन्जटी राष्ट्रीय उद्यान केनाइन डिस्टेम्पर नामक महामारी से लगभग 2500 सिंहों में से 30 प्रतिशत सिंहों की मृत्यु हो गई थी। वर्तमान में पूरे भारत वर्ष में केवल गुजरात के गिर राष्ट्रीय उद्यान मे लगभग 359 एशियाई सिंह 1800 वर्ग किलो मी क्षेत्र में मौजूद हैं। यह एक ही टोकरी में सभी अण्डे होने जैसी स्थिति है, जिनको कभी भी खतरा हो सकता है। एशियाई सिंहों को बचाने एवं संवर्धन करने की दृष्टि से भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून द्वारा कूनो अभयारण्य के क्षेत्र में गुजरात से एशियाई सिंहों को लोने की अनुशंसा की गई। व इसकी योजना भी बनाई गई।

कूनो वन्यप्राणी अभयारण्य में एशियाई सिंह पुनर्स्थापना परियोजना अन्तर्गत विगत 10 वर्षों में कूनो अभयारण्य के अन्दर बसे समस्त राजस्व ग्रामों का पुनर्वास किया जा चुका है साथ ही पश्चिम पालपुर परिक्षेत्र में 20 हैक्टेयर परिक्षेत्र को चैनलिंग फैन्ंसिग से घेरकर प्री-रिलीजिंग सेन्टर भी स्थापित किया गया। पुनर्वास के फलस्वरूप अभयारण्य क्षेत्र में प्रशसंनीय ढंग से जैविक दबाव कम हुआ है। जैविक दबाव में कमी तथा वनो एवं वन्यप्राणियों की प्रभावी सुरक्षा के परिणाम स्वरूप अभयारण्य क्षेत्र में पर्यावरण सुधार एवं शाकाहारी वन्यप्राणियों की संख्या में भी वृध्दि हुई है।

       भारतीय वन्य जीव संस्थान देहरादून द्वारा शाकाहारी वन्यप्राणियों का आंकलन किया गया है जिसके अनुसार मात्र शाकाहारी वन्यप्राणियों से उपलब्ध बायोमास के आधार पर एशियाई सिंहो का एक परिवार कूनो अभयारण्य में छोड़ा जा सकता है। वित्तीय वर्ष 2008-09 मे कूनो अभयारण्य के दुरैडी क्षेत्र में एशियाई सिंहों के प्रजनन केन्द्र की स्थापना की जा रही है।

 

वन्यप्राणियों की अनुमानित संख्या

कूनो अभयारण्य में मार्च 2008 में कराई गई वन्यप्राणी गणना के अनुसार 8582 चीतल, 952 चिंकारा, 2317 नीलगाय, 1848 जंगली सुअर, 845 सांभर, 54 चौसिंगा पाये गये। मांसाहारी प्राणियों की उपस्थिति का प्रत्यक्ष/ अप्रत्यक्ष प्रमाणों के आधार पर लगाये गये अनुमान के अनुसार तैंदुआ 27, हायना 40, सियार 57, भालू 28, भेड़िया 9, जंगली बिल्ली की संख्या 3 है। कभी-कभी समीपस्थ रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान से कूनो अभयारण्य में बाघ आने की घटनायें भी प्रकाश मे आती रहती हैं।

 

 

प्रशासनिक ढांचा

वर्तमान में सिंह परियोजना ग्वालियर के अन्तर्गत 01 वन्यप्राणी वनमण्डल, 02 उप वनमण्डल, 08 परिक्षेत्र, 29 सर्किल, 135 बीट गठित है। ईको विकास समितियां 13, ग्राम वन समितियां 16, वन सुरक्षा समितियां 12 इस प्रकार कुल 41 समितियां गठित हैं। सम्पूर्ण वनमण्डल क्षेत्र में लगभग 43 नग स्थाई वायरलेस सेट, 53 हेन्ड सेट्स, 07 पेट्रोलिंग कैम्प एवं 31 निगरानी कैम्प/ वॉच टावर/ वन रक्षक नाका/ गेम गार्ड नाका आदि हैं।

 

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