सोमवार, 15 दिसंबर 2008

पल्स पोलियो अभियान अन्तर्गत 21 दिसम्बर को पांच वर्ष तक के बच्चों को दवा पिलायें - डा. जगजीत सिंह नामधारी

पल्स पोलियो अभियान अन्तर्गत 21 दिसम्बर को पांच वर्ष तक के बच्चों को दवा पिलायें - डा. जगजीत सिंह नामधारी

पोलियो एक विषाणुजन्य (वायरल) रोग है इस रोग में मनुष्य के शरीर के विभिन्न हिस्सों विशेषकर पैरों की विकलांगता हो सकती है तथा कभी कभी रोगी की गंभीर अवस्था में मृत्यु तक हो सकती है।

       दक्षिण पूर्व एशिया में भारत ही एक मात्र ऐसा देश है जहां पोलियो के रोगी रिपोर्ट किये जा रहे हैं। हमारे देश में पोलयो के अधितम मरीज बिहार और उत्तर प्रदेश मे होते हैं। मध्यप्रदेश के पड़ौसी राज्यों मे पोलियो ज्यादा होने के कारण मध्यप्रदेश में पोलियो रोग के फैलने की संभावना लगातार बनी रहती है।

       पोलियो की बीमारी किसी भी व्यक्ति को हो सकती है यद्यपि मुख्यत: यह बच्चों में पाया जाता है। क्योंकि वयस्कों में इसके लिए कुछ रोग प्रतिरोधक क्षमता आजाती है। भारत में कुल पोलियो रोगियों में से आधे से अधिक एक साल से कम उम्र के बच्चे होते है। तथा छ: माह से तीन वर्ष तक के बच्चे पोलियो के सर्वाधिक शिकार होते हैं।

       पोलियो अधिकांशत: वर्षा श्रृतु में फैलता है तथा भारत में लगभग दो तिहाई पोलियो केसेज जुलाई से सितम्बर के मध्य रिपोर्ट किये जाते हैं।

       पोलियो का विषाणु रोगी के मल तथा, मुंह एवं नाक के स्राव मे पाया जात है तथा यह खाने या पीने की वस्तुओं के साथ किसी स्वस्थ्य व्यक्ति में प्रवेश कर जाता है। भारत जैसे देश में अधिक जन संख्या तथा स्वच्छता की काफी स्थानों पर कमी के कारण पोलियो विषाणु के फैलने के लिए वातावरण बहुत ही उपयुक्त होता है।

       पोलियो रोगी में विषाणु इसके तंत्रिका तंत्र में प्रवेश करके अलग  अलग हिस्सों में कई प्रकार का विकलांगता कर सकता है । पोलियो ग्रसित व्यक्तियों मे पैरों की विकलांगता हममें से अधिकतर लोगों ने अपने जीवन मे देखी होगी एसे व्यक्तियों मे जहां एक ओर शारीरिक अक्षमता (विकलांगता) आती है वहीं दूसरी ओर व्यक्ति का विश्वास और उत्साह भी कम होता है। तथा पालियो से ग्रसित व्यक्ति परिवार के लिये परेशानी का कारण और समाज में दया का पात्र बनता है।

       इस भयावह पोलियो रोग से बचने का एकमात्र प्रभावी रास्ता पोलियो के विरूध्द टीका करण है। पोलियो टीकाकरण मुंह द्वारा पोलियो की दवा पिलाकर एवं इन्जैक्शन के द्वारा किया जाता है। मुंह द्वारा पिलाई जाने वाली पोलियो की दवा एक आसान एवं प्रभावी उपाय है तथा भारत सरकार द्वारा विश्व स्वास्थ्य संगठन की मदद से प्रतिवर्ष पांच वर्ष तक के बच्चों को पोलियो की खुराक दी जाती है। सभी माता पिता को अपने पांच वर्ष से कम के बच्चो को पालियो की खुराक अवश्य पिलवानी चाहिए जिससे इस भयावह बीमारी से उनके बच्चे ग्रसित न हों तथा समाज और राष्ट्र के विकास में अपना पूर्ण योगदान देते हुए स्वयं का भी एक सम्मान जनक स्थान बना सकें।

       पोलिया की दवा आपके घर के पास स्वास्थ्य केन्द्रों पर भी  आसानी ने एवं निशुल्क उपलब्ध रहती है। पल्स पोलिया अभियान 21 दिसम्बर को बच्चों को दवा पिलाने के विस्तृत एवं माकूल इंतजाम किये गये हैं जिसका में पूरा लाभ उठाना चाहिये ।

       आयें हम सब मिलकर पोलियोरूपी नासूर को उखाड़ फैंके वैसे ही जैसे तीन दशक पूर्व पीडादायक एवं जानलेवा चेचक की बीमारी को अपने देश से उखाड़ फेंका था। हम सब को इसके लिए न सिर्फ स्वयं जाग्रत रहना बल्कि समाज मे अन्य लोग जिन्हें इसके बारे में कम जानकारी है उन्हें भी जागृत और प्रेरित करना है। लेकिन यह कार्य सतत् तब तक करते रहना पड़ेगा जब तक हमारे देश मे एक भी बच्चा इससे ग्रसित पाया जाता है। सतत एवं इस वृहद प्रयास के द्वारा हम अपने देश और देश वासियों को पोलियो मुक्त बना सकते हैं।

 

-लेखक गजराजा चिकित्सा महाविद्यालय में रजिस्ट्रार पद पर सेवारत हैं ।

 

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