बुधवार, 20 मई 2009

पशुपालक पौष्टिकता बढ़ाने के लिये भूसा/पुआल का यूरिया उपचार करें

पशुपालक पौष्टिकता बढ़ाने के लिये भूसा/पुआल का यूरिया उपचार करें

Article Presented BY : Zonal Public Relations Office , Gwalior – Chambal Zone

ग्वालियर,20 मई 09। पशुओं के स्वास्थ्य व दुग्ध उत्पादन हेतु हरा चारा व पशु आहार एक आदर्श भोजन है किन्तु हरे चारे का वर्ष भर उपलब्ध न होना तथा पशुआहार की अधिक कीमत पशु पालकों के लिए एक समस्या है।

      सामान्यत: धान और गेंहूँ का भूसा प्रचुर मात्रा में उपलब्ध रहता है । लेकिन इनमें पोषक तत्व बहुत कम होते हैं । प्रोटीन की मात्रा 4 प्रतिशत से भी कम होती है । भूसे का यूरिया से उपचार करने से उसकी पौष्टिकता बढती है और प्रोटीन की मात्रा उपचारित भूसे में लगभग 9 प्रतिशत हो जाती है। पशु को यूरिया उपचारित चारा खिलाने पर उसको नियमित दिये जाने वाल पशुआहार में 30 प्रतिशत तक की कमी की जा सकती है । उपचार के लिये चार किलो यूरिया को 40 लीटर पानी में (समिति की दूध वाली केन के बराबर) घोलें । एक क्विंटल भूसे को जमीन में इस तरह फैलायें कि परत की मोटाई लगभग 3 से 4 इंच रहे । तैयार किये गये 40 लीटर घोल को इस फैलाये गये भूसे पर हजारे से छिड़कें । फिर भूसे को पैरों से अच्छी तरह चल-चल कर या कूद-कूद कर दबायें । इस दबाये गये भूसे के ऊपर पुन: एक क्विंटल भूसा फैलाएं और पुन:चार किलो यूरिया को 40 लीटर पानी में घोलकर, हजारे से भूसे के ऊपर छिड़काव करें और पहले की तरह इस परत  को भी चल-चल कर या कूद-कूद कर दबायें ।

      इस तरह एक के ऊपर एक सौ-सौ किलो की 10 पर्ते डालते जायें,घोल का छिड़काव करते जायें और दबाते जायें । उपचारित भूसे को प्लास्टिक शीट से ढक दें और उससे जमीन में छूने वाले किनारों पर मिट्टी डाल दें । जिससे बाद में बनने वाली गैस बाहर न निकल सके । प्लास्टिक शीट न मिलने की स्थिति में ढेर के ऊपर थोड़ा सूखा भूसा डालें । उस पर थोड़ी सूखी मिट्टी /पुआल डालकर चिकनी गीली मिट्टी /गोबर से लीप भी सकते हैं । एक बार में कम से कम एक टन (1000 किलो) भूसे का उपचार करना चाहिये । एक टन भूसे के लिए 40 किलो यूरिया और 400 लीटर पानी का आवश्यकता होती है ।

यूरिया को कभी जानवर को सीधे खिलाने का प्रयास नहीं करना चाहिये । यह पशु के लिए जहर हो सकता है । साथ ही भूसे के उपचार के समय यूरिया के तैयार घोल को भी पशुओं से बचाकर रखें ।

उपचार करने के लिए पक्का फर्श अधिक उपयुक्त रहता है । यदि फर्श कच्चा ही हो तो जमीन में भी एक प्लास्टिक शीट बिछाई जाती है । यह उपचार किसी बंद कमरे में या आंगन के कोने में अधिक सुविधाजनक रहता है ।

फसल की कटाई के समय यदि पशु पालक किसान खेत में या घर में चट्टा (बिटौरा/कूप) बनाकर भूसा रखते हों,तो चट्टा बनाने के समय ही भूसे को उपरोक्त विधि से उपचारित कर सकते हैं। इससे अतिरिक्त श्रम की बचत भी होगी । उपचार किये गये भूसे के ढेर को गर्मी में 21 दिन व सर्दी में 28 दिन बाद ही खोलें । खिलाने से पहले भूसे को लगभग 10 मिनट तक खुली हवा में फैला दें । जिससे उसकी गैस उड़ जाये । शुरूआत में पशु को उपचारित भूसा थोड़ा थोड़ा दें । धीरे-धीरे आदत पड़ने पर पशु इसे चाव से खाने लगता है।

 

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