गुरुवार, 18 सितंबर 2008

आतंकवाद की छाया में साम्प्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश करते भारतीय त्यौहार

आतंकवाद की छाया में साम्प्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश करते भारतीय त्यौहार

तनवीर जांफरी

(सदस्य, हरियाणा साहित्य अकादमी, शासी परिषद) email:  tanveerjafri1@gmail.com tanveerjafri58@gmail.com  tanveerjafriamb@gmail.com  22402, नाहन हाऊस

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       देश की राजधानी दिल्ली आतंकवादियों द्वारा किए गए सिलसिलेवार बम धमाकों से गत् 13 सितम्बर की सायम काल उस समय फिर दहल उठी जबकि मानवता के इन दुश्मनों ने राजधानी के तीन प्रमुख स्थानों कनॉट प्लेस, करोल बांग व ग्रेटर कैलाश में बम धमाके कर दो दर्जन से अधिक बेगुनाह लोगों की जान ले ली। इन धमाकों में लगभग 150 लोग बुरी तरह ंजख्मी भी हो गए। ऐसा ही जघन्य अपराध इन आतंकवादियों द्वारा गत् वर्ष भी त्यौहारों के इन्हीं अवसर पर किया गया था। हालांकि इन मानवता के दुश्मनों का मंकसद त्यौहारों के दिनों में देश में अशांति पैदा करना तथा साम्प्रदायिक तनाव पैदा करना है। परन्तु इसके विपरीत उत्सव व त्यौहारों के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध भारतवर्ष में इन दिनों विभिन्न सम्प्रदायों के त्यौहारों का सिलसिला पूरे हर्षोल्लास के साथ पूर्ववत जारी है। हिन्दू समुदाय के लोगों ने गत् दिनों अपने धार्मिक पर्व गणेश पूजा का आयोजन बड़े पैमाने पर पूरे श्रद्धा व उल्लास के साथ किया तो देश का मुस्लिम समुदाय भी पवित्र रमंजान के महीने रोंजा (व्रत) रखने में व्यस्त रहा। आगामी दिनों में भी भारत में दशहरा, दुर्गापूजा तथा ईद जैसे प्रमुख त्यौहार मनाए जाने की तैयारियां ंजोर शोर से चल रही हैं। अनेकता में एकता की विश्वव्यापी मिसाल पेश करने वाले इस देश में जहां प्रत्येक समुदायों के लिए उनके अपने त्यौहार धार्मिक महत्व से जुड़े होते हैं, वहीं यही त्यौहार साम्प्रदायिक सौहार्द्र एवं सर्वधर्म सम्भाव की भी ऐसी अनूठी मिसाल पेश करते हैं जिसका मुंकाबला शायद दुनिया का कोई भी देश नहीं कर सकता। इसमें आश्चर्य की बात यह है कि भारत में साम्प्रदायिक सद्भाव की ऐसी मिसालें तब भी देखने को मिलती हैं जबकि आतंकवादी व साम्प्रदायिक शक्तियां अपने साम्प्रदायिक दुर्भाव फैलाने के नापाक मिशन में दिन-रात लगी हुई हैं। आईए लेते हैं भारतीय साम्प्रदायिक सौहार्द्र से जुड़ी हुई ऐसी ही कुछ घटनाओं का एक जायंजा।

              हरियाणा के बराड़ा ंकस्बे में जहां कि गत् वर्ष देश का सबसे ऊंचा रावण बनाए जाने का कीर्तिमान स्थापित किया गया था, वहीं स्थानीय रामलीला क्लब द्वारा इस वर्ष पुन: रावण की ऊंचाई को लेकर विश्व कीर्तिमान स्थापित करने की तैयारी की जा रही है। क्लब के संस्थापक अध्यक्ष राणा तेजिन्द्र सिंह चौहान अपने सैकड़ों साथियों के साथ विश्व के सबसे ऊंचे रावण को बनाए जाने की तैयारी में गत् 3 माह से जुटे हुए हैं। इस परियोजना में उनका साथ देने के लिए आगरा से आया हुआ है मोहम्मद उस्मान का एक मुस्लिम परिवार। अपने घर से लगभग 500 किलोमीटर की दूरी तय कर के मोहम्मद उस्मान अपनी पत्नी व बच्चों समेत गत् तीन माह से बराड़ा ंकस्बे में तेजिन्द्र सिंह चौहान के विशेष अतिथि के रूप में रह रहे हैं। मोहम्मद उस्मान की भी हार्दिक इच्छा है कि राष्ट्रीय कीर्तिमान स्थापित करने के बाद विश्व कीर्तिमान स्थापित करने में भी वे तेजिन्द्र चौहान के इस महत्वाकांक्षी मिशन में उनके सहयोगी बने रहें। इस विशालकाय रावण के निर्माण के दौरान पवित्र रमंजान का महीना भी गुंजरा। मोहम्मद उस्मान व उनका परिवार नियमित तौर पर रोंजा रखता है। उनके रोंजे की पूरी व्यवस्था बड़े ही आदर व आस्था के साथ तेजिन्द्र चौहान द्वारा की जाती है। इतना ही नहीं बल्कि रमंजान की शुरुआत में जब मोहम्मद उस्मान की पत्नी को ंकुरान शरींफ की ंजरूरत महसूस हुई तो चौहान द्वारा स्वयं बांजार जाकर धार्मिक पुस्तकों की दुकान से ंकुरान शरींफ मुहैया कराया गया तथा उनकी धार्मिक ंजरूरतों व इच्छाओं की पूर्ति की गई। स्वयं मोहम्मद उस्मान का यह मानना है कि तेजिन्द्र चौहान द्वारा निर्देशित रावण का निर्माण करने हेतु बराड़ा आने पर उन्हें जो मान-सम्मान व सत्कार मिलता है तथा यहां जिस धार्मिक स्वतंत्रता का उन्हें यहां एहसास होता है, वह एहसास शायद उन्हें अपने समुदाय के लोगों के साथ    रहकर भी नहीं हो पाता। यही वजह है कि चौहान के निमंत्रण पर मोहम्मद उस्मान प्रत्येक वर्ष अपने सहयोगी मुस्लिम कारीगरों व अपने पूरे परिवार के साथ बराड़ा चले आते हैं। इस विषय पर तेजिन्द्र चौहान का कहना है कि वे मोहम्मद उस्मान व उनके परिजनों की धर्म संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति कर तथा उसमें भागीदार बनकर महंज अपनेर् कत्तव्यों का पालन करते हैं तथा 'अतिथि देवो भव' की भारतीय परम्परा का निर्वाहन करते हैं। चौहान का कहना है कि उनकी कोशिश है कि उनके कला निर्देशन व संरक्षण में मोहम्मद उस्मान के परिश्रम के परिणामस्वरूप तैयार होने वाले इस विशालकाय रावण का नाम गिनींज बुक ऑंफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो जाए। यदि ऐसा हो सका तो हरियाणा के बराड़ा ंकस्बे में इस वर्ष दशहरे पर तैयार किया जाने वाला रावण का पुतला न केवल ऊंचाई व भारी भरकमपन में विश्व कीर्तिमान स्थापित करेगा बल्कि भारतीय साम्प्रदायिक सौहार्द्र के क्षेत्र में भी यह अपनी अनूठी मिसाल स्वयं पेश करेगा।

              इसी प्रकार गणेश पूजा का त्यौहार भी प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी साम्प्रदायिक सद्भाव के अनूठे उदाहरण पेश कर रहा है। जहां भारतीय सिनेमा के प्रसिद्ध नायक सलमान ंखान प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी गणेश पूजा के अवसर पर भक्ति भाव में सराबोर नंजर आए, वहीं देश के कई हिस्सों में ऐसे गणेशोत्सव भी मनाए गए जिनकी अधिकांश व्यवस्था मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा की गई। इतना ही नहीं बल्कि दिल्ली में हुए बम धमाकों के बावजूद देश में गणेश पूजा के अनेकों आयोजन ऐसे भी हुए जिसमें मुसलमानों द्वारा गणेश प्रतिमा अपने घरों में स्थापित की गई तथा उनका पूजा पाठ किया गया। दिल्ली के धमाकों को साम्प्रदायिक सौहार्द्र पर बदनुमा दांग बताते हुए गणेश प्रतिमा विसर्जन में इसी वर्ष मुस्लिम समुदाय के लोगों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। एक और प्रसिद्ध ंफिल्म अभिनेता शाहरुंख ंखान भी हिन्दू व मुस्लिम धर्मों के लगभग सभी त्यौहार स्वयं बड़े जोश व उत्साह के साथ मनाते हैं। होली दिवाली तथा ईद बंकरीद जैसे सभी त्यौहारों को अपने परिजनों एवं मित्रों के साथ मनाकर वे सच्चे भारतीय होने का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत करते हैं।

              ऐसा नहीं है कि सर्वधर्म सम्भाव या साम्प्रदायिक सौहार्द्र से ओत-प्रोत उक्त आयोजन केवल सम्पन्न व्यक्तियों अथवा प्रसिद्ध हस्तियों द्वारा ही किए जाते हैं। बल्कि ंगरीबी, बदहाली व बेबसी से जूझते हुए लोगों के मध्य भी ऐसी भावना भारत में देखी जा सकती है। उदाहरण के तौर पर भारत के बिहार राज्य के 19 ंजिले इस वर्ष बिहार की कोसी नदी के तटबंध टूट जाने के कारण आई प्रलयकारी बाढ़ से प्रभावित हैं। इस बाढ़ के दौरान प्रभावित लोगों ने बिना किसी धार्मिक भेदभाव के एक दूसरे धर्म के लोगों को न केवल सहयोग व संरक्षण दिया बल्कि उनकी धार्मिक गतिविधियों में भी परस्पर सहयोगी रहे। अनेक स्थानों पर प्रलयकारी बाढ़ से शीघ्र निजात पाने के लिए पूजा पाठ करने व दुआएं आदि मांगने के सामूहिक तौर पर आयोजन किए गए। एक ही छत के नीचे हिन्दू समुदाय द्वारा भजन पूजन करने तथा मुसलमानों द्वारा नमांज पढ़कर ंखुदा से दुआ मांगने के नंजारे देखने को मिले। यही नहीं रमंजान के महीने में आई इस बाढ़ में मुस्लिम भाईयों के रोंजा रखने संबंधी ंजरूरतों को पूरा करने में भी हिन्दू समुदाय ने बढ़ चढ़कर भाग लिया। कई स्थानों पर तो हिन्दू समुदाय के लोगों द्वारा भी रमंजान में रोंजा (व्रत) रखे जाने के समाचार प्राप्त हुए हैं।

              भारत में तेंजी से फैलता जा रहा आतंकवाद तथा इन आतंकवादी घटनाओं में अधिकांशतय: मुस्लिम समुदाय के लोगों के सम्मिलित होने के समाचार तथा इसके जवाब में गुजरात राज्य की तंर्ज पर भारत की हिन्दुत्ववादी शक्तियों द्वारा किए जाने वाले साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण के घिनौने प्रयास और इन सबके बीच देश में साम्प्रदायिक सौहार्द्र की मिसाल पेश करने वाली उपरोक्त घटनाएं यह समझ पाने के लिए कांफी हैं कि रामानन्द, कबीर, नानक, चिश्ती, ंखुसरु, साईं बाबा, ंफरीद व बुल्लेशाह की इस पावन धरती पर साम्प्रदायिक दुर्भावना फैलाने की साम्प्रदायिक शक्तियों अथवा आतंकवादियों द्वारा कितनी ही कोशिशें क्यों न की जाएं। किन्तु सन्तों व ंफंकीरों के इस देश में साम्प्रदायिक सौहार्द्र की जड़ें इतनी गहरी हैं कि उन्हें कोई भी आतंकवादी अथवा साम्प्रदायिक संगठन हिला नहीं सकता।

                                                                                           तनवीर जांफरी  

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