गुरुवार, 4 मार्च 2010

सचिन: क्रिकेट के महानायक- राकेश अचल

सचिन: क्रिकेट के महानायक

राकेश अचल

(लेखक ग्‍वालियर चम्‍बल के वरिष्‍ठ एवं विख्‍यात पत्रकार हैं )

 

      दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ ग्वालियर मे एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैच खेलते हुए सचिन रमेश तेंदुलकर ने एक नया इतिहास लिख दिया। सचिन ने नाबाद दोहरा शतक लगाकर साबित कर दिया कि क्रिकेट की दुनिया में वे इस सदी के सबसे बडे महानायक है।

      क्रिकेट इतिहास में सचिन ने जो किया, वह पहले कभी नही हुआ। सचिन की इस उपलब्धि पर क्रिकेट के समीक्षको ने सचिन की क्रिकेट का भगवान तक कह डाला। वे लोग जो कल तक सचिन के एनर्जी लेबल को लेकर आशंकित थे अब सचिन के सबसे बडे प्रसंशक है।

      सचिन की आतिशी पारी के गवाह ग्वालियर के रूपसिंह स्टेडियम में 24 फरवरी 2010 को जो हुआ सो अविश्वसनीय, अकल्पनीय और अकथनीय था। मै सचिन को पहले दिन से खेलते देख रहा हूं। मैने सचिन को लडखडाते और सम्हलते कई बार देखा है। सचिन को रनों का पहाड खडा करते भी देखा है, लेकिन 24 फरवरी को सचिन ने रनों का एवरेस्ट तान दिया। रनों के इस एवरेस्ट को दक्षिण अफ्रीका की फौलादी क्रिकेट टीम भी नही लांघ सकी।

      भारत में क्रिकेट की लोकप्रियता ने रातों रात कई खिलाडियो को साधारण खिलाडी से नायक और महानायक बनाया है। भारतीय क्रिकेट टीम के वर्तमान कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी भी इसका उदाहरण है। धोनी सचिन की कप्तानी में खेले है अब अपनी कप्तानी में सचिन को खिला रहे है। इससे सचिन का न तो रूतबा कम हुआ न उन्हे कोई चुनौती मिली। वे निरंतर क्रिकेट का इतिहास लिखते जा रहे है।

      भारतीय क्रिकेट के महानायक कपिल देव भी सचिन की इस उपलब्धि पर लट्टू है। उन्हे लगता है कि सचिन ने जो किया वह केवल सचिन ही कर सकते है। कपिल को सचिन की तुलना इग्लेंड में क्रिकेट के देवता माने जाने वाले सर ब्रेडमेन से करने में संकोच होता है। कपिल कहते है कि मैने सर ब्रेड मैन को खेलते नही देखा। मैने सचिन को देखा है इसलिए मे कह सकता हूं कि सचिन सचमुच महान है।

सचिन तेंदुलकर को तलाशने और तराशने का काम कर चुके भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर तो सचिन के दोहरे शतक के बाद इतने ज्यादा अभिभूत हो गए है कि कह बैठे कि मै सचिन के पैर छू लूंगा। यह अतिरेक है ा सचिन के पैर छूने की जरूरत नही है जरूरत है सचिन के हाथ चूमने की। क्योकि सारा ज्यादू इन्ही मजबूत हाथो का है।

      24 फरवरी 2010 को देश के हर समाचार चैनल और अखबार सचिन को विचलित न कर दे इसलिए आवश्यक है कि सचिन को सचिन ही बनाकर रखा जाए। सचिन को भगवान बना देने से बात नही बनेगी। भगवान क्रिकेट नही खेलते। क्रिकेट सचिन खेलते है। उन्हे अगले विश्वकप तक क्रिकेट खेलना है। अत: सचिन की पीठ थपथपाइए, शाबासी दी जाए, अभिनंदन किया जाए। कीजिए।

      सचिन की उपलब्धियों पर देश को गर्व है। हम भारत के लोग सचिन को लेकर इतरा सकते है। देश की राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा देवी सिंह पाटिल के अलावा प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह के भी सचिन को बधाईया दी है। पूरा देश सचिन की उपलब्धि की खुशिया मना रहा है। रोशनी की जा रही है जाहिर है कि सचिन अब सिर्फ एक क्रिकेटर नही बल्कि एक किंवदंती बन गए है सचिन देश की थाती है। सचिन पर पूरे देश को नाज है।

      दरअसल सचिन के बल्ले से निकलने वाले रन किसी भूखे का पेट नही भर सकते, लेकिन किसी भी भूखे की आंखो में सचिन के रन देख कर चमक जरूर आ जाती है। यही सचिन की कामयाबी है। सचिन ने क्रिकेट जीवन में 17 हजार से ज्यादा रन बनाए। 47 शतक ठोके। हमारी कामना है कि उनका रनो की खातिर शुरू किया गया अश्वमेघ यज्ञ लगातार चलता रहे-चलता रहे (भावार्थ)

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