सोमवार, 23 मार्च 2009

जनता की जेब कतरने के आधुनिक एवं नायाब तरींके

जनता की जेब कतरने के आधुनिक एवं नायाब तरींके

निर्मल रानी

163011, महावीर नगर,  अम्बाला शहर,हरियाणा, फोन-09729229728 

 

       दुनिया इस समय आर्थिक मंदी की भीषण चपेट में है। कहा जा रहा है कि विश्व को इस प्रकार की आर्थिक मंदी से पहले कभी रूबरू नहीं होना पड़ा। दुनिया के अनेक देशों को आर्थिक सहायता पहुंचाने वाला तथा विश्व का सबसे समृद्ध समझा जाने वाला अमेरिका भी इन दिनों आर्थिक मंदी की सबसे अधिक मार झेल रहा है। अमेरिका में कई नामी-गिरामी बैंक तथा बहुराष्ट्रीय कम्पनियां अपना दम तोड़ चुकी हैं। विश्व के कई प्रसिद्ध उद्योगपति तथा पूंजीपति अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ते देखे जा रहे हैं। इसका सीधा असर आम जनता पर पड़ता नंजर आने लगा है। कहीं नौकरियों में छंटनी के समाचार प्राप्त हो रहे हैं तो कहीं तन्ख्वाहें घटाई जा रही हैं। आर्थिक मंदी की मार झेल रहे संस्थान किसी भी प्रकार से अपने ंखर्चों पर अंकुश लगाने की जुगत में लगे हैं। ंजाहिर है ऐसे वातावरण में प्रत्येक सरकारी व ंगैर सरकारी कंपनियों की यही कोशिश है कि किसी भी प्रकार अपने संस्थान को आर्थिक रूप से सुदृढ़ करने हेतु धन उगाही के अधिक से अधिक रास्ते तलाश किए जाएं। और इन्हीं रास्तों पर चलते हुए अनेक कम्पनियों द्वारा जनता से धन उगाही के कुछ ऐसे प्रयास किए जा रहे हैं जो ंकतई तौर पर अनैतिक, ंगैर ंजिम्मेदाराना तथा शरारतपूर्ण हैं। यह सरकार में बैठे ंजिम्मेदार लोगों का ंफंर्ज है कि उसके प्रतिनिधि आम जनता की जेबों पर डाका डालने के कुछ निजी कम्पनियों के प्रयासों से उन्हें बचाए।

              उदाहरण के तौर पर मोबाईल ंफोन के वर्तमान युग में उपभोक्ता को मोबाईल संबंधी अनेकों चक्रव्यूह में फंसाकर मोबाईल धारक से जबरन पैसे वसूलने की सफल कोशिशें की जाती हैं। जैसे कई कम्पनियों की ओर से अपने ही किसी प्रॉडक्ट को बेचने या उसके संबंध में रिझाने के लिए उपभोक्ता को अनचाही कॉल की जाती है। यदि आपने अपने संचार क्षेत्र के भीतर कंपनी द्वारा की गई उस कॉल को ग्रहण किया फिर तो आपका केवल ंकीमती समय ही गया। और यदि आप उस समय अपने मोबाईल के साथ रोमिंग में हैं फिर तो आपको कंपनी की किसी भी बकवास, लालच अथवा ऑंफर को सुनने के लिए कंपनी को अपने ंकीमती समय के साथ-साथ रोमिंग शुल्क के रूप में धन भी देना पड़ेगा। मात्र मोबाईल क्षेत्र में ही दी जाने वाली सुविधा के नाम पर ग्राहकों से धन उगाहने के सैकड़ों तरींके अपनाए जा रहे हैं। इनमें जहां कई तरींके शौंक पूरा करने वाले कहे जा सकते हैं, वहीं कई तरींके ऐसे भी हैं जो पूरी तरह से फूहड़पन तथा अनैतिकता से भरपूर हैं। जैसे रिंगटोन, हैलो टयून तथा कॉलर टोन आदि का बिकना तो शौंक पूरा करने की श्रेणी में गिना जा सकता है। परन्तु आशिंकी माशूंकी की बातें करने के ऑंफर देना या इसके लिए प्रोत्साहित करना, गर्लफ्रेंड या ब्वायफ्रेंड ढूंढना, सोना जीतो या कार जीतो जैसे लालचपूर्ण ऑंफर दिखाकर उपभोक्तओं में जुआ खेलने की प्रवृत्ति को पैदा करना आदि तमाम ठगीपूर्ण योजनाओं को आंखिर किस नंजरिए से देखा जाना चाहिए। कभी यह निजी कम्पनियां धार्मिक त्यौहारों के अवसर पर अपने उपभोक्ताओं को अनचाही कॉल या अनचाहे संदेशों के माध्यम से उन्हें भावनात्मक रूप से ब्लैकमेल करने का प्रयास करती हैं तो कभी वैलेंटाईन्ंज डे जैसे अवसरों को भुनाने की कोशिश की जाती है। कभी ज्योतिष के नाम पर उपभोक्ताओं की जेब खंगालने की कोशिश की जाती है तो कभी क्रिकेट के घंटे दो घंटे पहले के स्कोर बताकर क्रिकेट प्रेमी उपभोक्ताओं की जेब पर डाका डाला जाता है। इस प्रकार के और न जाने कितने ऐसे प्रयास किए जाते हैं जिनके द्वारा कि साधारण अथवा ंगरीब उपभोक्ता की जेब से जबरन अथवा लालचवश पैसे वसूले जा सकें। ऐसी गुमराह करने वाली योजनाएं कमोबेश पूरे भारतवर्ष में अधिकांश निजी मोबाईल कम्पनियों द्वारा चलाई जा रही हैं जिससे उपभोक्ताओं को सचेत रहने की ंजरूरत है।

              आर्थिक मंदी के इस दौर में निजी कम्पनियों द्वारा और भी कई चौंकाने वाले ऑंफर उपभोक्ताओं को दिए जा रहे हैं। इनमें कई ऑंफर तो ऐसे हैं जिनसे कि उपभोक्ता चाहते हुए भी बच नहीं पाता। और आंखिरकार लालच में फंस ही जाता है। मिसाल के तौर पर अपने ही देश में सक्रिय ंफ्यूचर ग्रुप की एक   रिटेल दुकानदारी की प्रसिद्ध श्रृंखला बिग बांजार द्वारा उपभोक्ताओं को अपने घर का कोई भी कबाड़ घर से निकाल कर बिग बांजार तक पहुंचाने का लोकलुभावना ऑंफर दिया जा रहा है। ऑंफर के प्रचार का तरींका इसके योजनाकारों ने ऐसा बनाया है कि चतुर से चतुर उपभोक्ता भी बिग बांजार द्वारा रचे गए इस मायाजाल में फंसने को कम से कम एक बार तो ंजरूर मजबूर हो रहा है। उदाहरणतय: रद्दी कांगंज को ही ले लें। यदि आप बांजार में किसी कबाड़ी की दुकान पर रद्दी बेचने जाएं तो अधिक से अधिक 6, 7, या फिर 8 रुपए प्रति किलो के भाव से ही आप अपनी रद्दी, चाहे वे अंखबार हों अथवा कापी किताब, कुछ भी बेच सकेंगे। परन्तु बिग बांजार का प्रस्ताव है कि वे 25 रुपए प्रति किलो के दर से रद्दी का ंखरीददार है। ंजाहिर है कोई भी व्यक्ति 4 गुणा रेट पर ही अपनी रद्दी बेचना चाहेगा। इसी प्रकार पुराने कपड़े की ंकीमत सौ रुपए किलो से लेकर 200 रुपए किलो तक रखी गई है। यहां तक कि आपके घर का कोई ऐसा सामान जो कबाड़ी भी ंखरीदने से इन्कार कर दे, उसे भी अच्छे दामों पर ंखरीदने के लिए बिग बांजार तैयार बैठा है। ंफर्नीचर, फ्रिज, टीवी, बर्तन, लोहा, लकड़ी, गत्ता, टायर, रबड़, प्लास्टिक कुछ भी ले आईए बिग बांजार को सब कुछ स्वीकार्य है।

              देखा गया कि तथाकथित संभ्रान्त लोग अपने घर का तमाम कबाड़ गठरियों में बांधकर अपनी कारों में भरकर यहां तक कि कारों की छतों पर रखकर तथा डिग्गियों में भरकर बिग बांजार की ओर निकल पड़े। इस अंदांज में कि मानो पूरा का पूरा शहर बिग बांजार को ही लूट लेने पर उतारु हो गया हो। परन्तु आपका कबाड़ तौलने के बाद आपको उसकी ंकीमत के रूप में नंकद धनराशि नहीं दी जाती। इसके बदले आपको बिग बांजार की ओर से दिए जाते हैं, कबाड़ की ंकीमत के बराबर के कुछ कूपन। यानि यदि आपका कबाड़ एक हंजार रुपए ंकीमत का था तो आपको एक हंजार रुपए मूल्य के कूपन थमा दिए जाएंगे। यह कूपन सौ रुपए वाले दस, 50 रुपए ंकीमत वाले 20 अथवा 10 रुपए ंकीमत के 100 कूपन भी हो सकते हैं। उपभोक्ता अपना कबाड़ इन चतुर बुद्धि योजनाकारां के गुर्गों के हाथों में सौंपकर तथा उसके बदले में कांगंज के कूपन प्राप्त कर पूरी तरह से इनकी गिरंफ्त में आ जाता है। फिर उपभोक्तओं को उसी लेन-देन स्थल पर समझाया जाता है कि इस कूपन के बदले में आप बिग बांजार से शॉपिंग कर सकते हैं। मगर रुकिए जनाब। इतनी आसानी से बिग बांजार वाले आपको कूपन की ंकीमत के बदले उस ंकीमत का सामान कहां देने वाले हैं। आपके हाथों में जो कूपन दिए गए हैं, उसकी ंकीमत मात्र 25 प्रतिशत आंकी जाती है। उदाहरण के तौर पर यदि आपने एक हंजार मूल्य का सामान बिग बांजार से ंखरीदा है तो आपको सात सौ पचास रुपए तो अपनी जेब से भरने होंगे जबकि केवल ढाई सौ रुपए के ही कूपन स्वीकार किए जा सकते हैं।

              मगर अभी भी ठहरिए जनाब। उपभोक्ताओं को ठगने का तथा उसकी जेब पर जबरन डाका डालने का यह अभियान अभी भी पूरा नहीं हुआ है। बिग बांजार के योजनाकारों ने शॉपिंग मॉल में उपलब्ध सभी वस्तुओं की ंखरीद पर कूपन को अधिकृत नहीं किया है। केवल उनके द्वारा निर्धारित की गई वस्तुओं की ंखरीद पर ही आप कूपन का प्रयोग मात्र 25 प्रतिशत राशि के रूप में कर सकते हैं। यदि आप मॉल पहुंच गए हैं तथा उनकी सूची से अलग का कोई सामान ंखरीद रहे हैं तो जनाबेआली आपको शत् प्रतिशत भुगतान अपनी जेब से ही करना पड़ेगा। बात अगर यहीं ख़त्म हो जाती फिर भी कुछ ंगनीमत था। परन्तु ऐसा नहीं है। यह तथाकथित 25 प्रतिशत ंकीमत रखने वाले कूपन भी यदि आपने कूपन प्राप्त करने के मात्र 10 दिनों के भीतर प्रयोग नहीं किए तो इसकी वह ंकीमत भी जाती रहेगी जो आपको मिलने की संभावना थी। क्योंकि योजनाकारों ने इसकी समय सीमा भी निर्धारित कर रखी है। अर्थात् बिग बांजार को न केवल आपके घर का कबाड़ चाहिए बल्कि उसके साथ-साथ 75 प्रतिशत की नंकद धनराशि भी चाहिए और वह भी यथाशीघ्र।

              सोचने का विषय है कि मंदी व मंहगाई की मार झेल रहे उपभोक्ताओं को इस प्रकार की निजी कम्पनियों द्वारा कैसी-कैसी लोकलुभावनी तथा गुमराह करने वाली मक्कारीपूर्ण योजनाओं में फंसाया जा रहा है। सरकार आम जनता को निजी कम्पनियों के इन हथकंडों से बचाने के लिए कोई उपाय करेगी भी या नहीं यह भी संदेहपूर्ण है। क्योंकि हो सकता है सरकार की नंजरों में निजी कम्पनियों के हितों का ध्यान रखना आम उपभोक्ताओं के हितों का ध्यान रखने से कहीं अधिक ंजरूरी भी हो। अत: आम जनता को स्वयं जागना होगा, जागरूक होना होगा, दूसरों को जगाना व जागरूक करना होगा ताकि आम लोग लालचवश निजी कम्पनियों के इन या इन जैसे अन्य लुभावने ऑंफंर्ज के झांसे में न आने पाएं।   निर्मल रानी

 

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