सोमवार, 2 मार्च 2009

भिण्ड और मुरैना लोकसभा सीटों का मुकाबला दिलचस्प, दो आई.ए.एस. भिण्ड में और दो नरेन्द्र सिंह तोमर मुरैना में आमने सामने

भिण्ड और मुरैना लोकसभा सीटों का मुकाबला दिलचस्प, दो आई.ए.एस. भिण्ड में और दो नरेन्द्र सिंह तोमर मुरैना में आमने सामने

काँग्रेस से भी लड़ेगे नरेन्द्र सिंह तोमर

लायक सिंह गुर्जर

प्रधान सम्पादक, ''गुर्जर उदय'' मासिक समाचार पत्रिका

मुरैना 2 मार्च 09, आने वाले लोकसभा चुनाव में जहां राजनीतिक दलों की सरगर्मियां तेज होती जा रहीं हैं वही इसी चुनाव के दरम्यान या उसके बाद जहाँ आते वक्त में भाजपा की मान्यता खतरे में है और चुनाव चिह्न जप्ती की कार्यवाही उछल कर सामने आने वाली है, वहीं भाजपा के मुख्य समर्थक अब तक सी.ई.सी. रह रहे श्री गोपालस्वामी का ही स्वयं का आदेश भाजपा की मान्यता समाप्ति के लिये पर्याप्त है, उल्लेखनीय है कि भाजपा की जहरीली सी.डी. काण्ड में गोपालस्वामी ने आदेश किया था कि यदि भाजपा पुलिस जाँच और अनुसंधान में दोषी पायी गयी तो उसकी मान्यता समाप्त कर उसका चुनाव चिह्न कमल का फूल जप्त कर लिया जायेगा !

समय चक्र के चलते भाजपा पुलिस इन्वेस्टीगेशन में दोषी पायी गयी और मामला पुलिस ने अदालत तक पहुँचा दिया, बात को लगभग डेढ़ साल बीत गया लेकिन गोपालस्वामी भाजपा की मान्यता खत्म करने और चुनाव चिह्न जप्त करने के आदेश की फाइल को दबा कर बैठ गये ! अब जब गोपालस्वामी 30 अप्रेल को रिटायर हो जायेंगें तो कोई शक नहीं कि इस फाइल की धूल जरूर झड़ाई जायेगी और इससे भाजपा को धूल चटाई जायेगी ! दूसरा आदेश गोपालस्वामी का खुद का ही उनके खुद के लिये मुसीबत की घण्टी बजाता लग रहा है, वह है कि किसी भी सरकारी कर्मचारी या सांविधानिक निकाय के अधिकारी या कर्मचारी को सेवानिवृत्ति के बाद कम से कम 6 साल तक कोई भी सरकारी या सांविधानिक पद नहीं धारण करना चाहिये ! गोपालस्वामी की समस्या यह है कि भाजपा उन्हें राज्यसभा सदस्य बनाने की घोषणा कर चुकी है, और गोपालस्वामी खुद ही विपरीत आदेश निकाल चुके हैं, गोपालस्वामी की सेवानिवृत्म्ति के बाद इस आदेश की फाइल से भी धूल झड़ाई जायेगी इसमें कोई शक नहीं ! नवघोषित मुख्य निर्वाचन आयुक्त नवीन बी चावला सख्ती और कड़क अंदाज के लिये जाने जाते हैं, ऐसी सूरत में भाजपा की बौखलाहट स्वाभाविक ही है ! हालिया विधानसभा चुनावों में गोपालस्वामी ने भाजपाई सरकारों को दोबारा बनवाने में अप्रत्यक्ष भूमिका अदा की इससे भला कौन अनभिज्ञ है ! जिसमें विशेष रणनीति के तहत मीडिया को मतगणना स्थल पर जमकर बेइज्ज्त भी किया गया और तथा कथित मीडिया सेण्टरों के नाम पर नजरबन्द कर दिया गया ! मतदान में भी और मतगणना में भी जमकर बिजली कटी, ई.वी.एम. मशीनें बदली गयीं, कई ई.वी.एम. मशीनों को मतगणना के वक्त रेण्डमाइजेशन के नाम पर अनसील्ड यानि टूटी सील और बदली हुयी सीलों के साथ ले कर बड़ी चालाकी से असल मशीनों के साथ मिला कर गिन दिया ! जहाँ कई मशीनों में वोटरों की कुल संख्या से भी ज्यादा वोट निकल पड़े ! खैर जो भी हो इस प्रकार बनी सरकार जनता की नजर में आज तक सम्मान नहीं पा सकी और रही बची प्रतिष्ठा को गंवा कर महज सड़ा टमाटर बन कर रह गयी !

 

क्रमश: जारी अगली किश्त में .........

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