विशेष सामग्री आयुर्वेद ने किया बरसों पुराने मर्ज का इलाज वरदान साबित हुआ सेहत का अनुष्ठान
जयपुर,
जनजाति बहुल बांसवाड़ा जिले में लगा मेगा सर्जिकल चिकित्सा शिविर ग्रामीणों के लिए वरदान साबित हुआ है। इसमें अन्य चिकित्सा पध्दतियों के साथ ही आयुर्वेद चिकित्सा की बदौलत बड़ी संख्या में मरीजाें को सेहत का सुकून दिया गया।
इस शिविर में क्षेत्रा के विभिन्न हिस्सों से आए रोगियों ने पुराने और नए रोगों से मुक्ति का अहसास किया वहीं बड़ी संख्या में रोगी ऐसे हैं जिन्होंने आयुर्वेदिक शल्य चिकित्सा पध्दति की बदौलत पीड़ाओं से निजात पायी। मेगा सर्जिकल शिविर के अन्तर्गत आयुर्वेद विभागीय चिकित्सा सेवाओं की प्रभावी भूमिका रही और इसके विशेषज्ञों तथा सेवाकर्मियों ने सैकड़ों लोगों को आयुर्वेद चिकित्सा से लाभान्वित किया।
इस शिविर में अन्य रोगों के अलावा मस्सा, भगंदर एवं फिस्चूला(परिकर्तिका) के रोगियों को भी ऑपरेशन कर इन रोगों से मुक्त किया गया। अर्श(मस्सा) रोगियों में दो बालिकाएं भी हैं जिनके मस्सोें का ऑपरेशन किया गया है। मस्सा होने की वजह से शौच जाते वक्त खून गिरने और दर्द होने की शिकायत से परेशान इन बालिकाओं के लिए मेगा सर्जिकल शिविर की सेवाएं पूरी जिन्दगी याद रहेंगी।
ये दोनों बालिकाएं इन दिनों बांसवाड़ा जिला मुख्यालय के हाउसिंग बोर्ड स्थित राजकीय 'अ'श्रेणी आयुर्वेदिक चिकित्सालय में भर्ती हैं। इनमें घाटोल पंचायत समिति अन्तर्गत सवनिया गांव के दलपुरा पाड़े में रहने वाली सात वर्षीया गुड्डी पिछले एक साल से मस्सों की शिकायत से परेशान थी। उसे शौच जाते वक्त खून आने की शिकायत थी वहीं असहनीय दर्द भी होता था।
बीपीएल परिवार के शंकरलाल की पुत्राी गुड्डी सवनिया के राजकीय प्राथमिक विद्यालय के पढ़ती है। हाल ही शंकरलाल जब रामोरवल्ली में अपने ससुराल आए, वहां ससुराल वालों ने बांसवाड़ा में मेगा सर्जिकल शिविर के बारे में बताया। इस पर शंकरलाल अपनी बिटिया को बांसवाड़ा के शिविर में लाया और डॉक्टरों को दिखाया।
शिविर में आयुर्वेद विशेषज्ञों ने गुड्डी की जांच की और एक मस्सा पाया। इस पर गुड्डी को आयुर्वेदिक अस्पताल के अर्श रोग विभाग में भर्ती किया गया जहां अर्श रोग विशेषज्ञों डॉ. सुभाषचन्द्र उपाध्याय, डॉ. रामानंद दाधीच एवं डॉ. गौरीशंकर कोलखंध्या ने इस बालिका के मस्से का क्षार सूत्रा चिकित्सा पध्दति से ऑपरेशन किया। अपने ऑपरेशन के बाद गुड्डी खुश है। उसे तकलीफ से निजात मिल गई है तथा अब उसे कोई कष्ट नहीं है।
बचपन की बीमारी दूर हुई
इसी प्रकार बोड़ीगामा गांव की सात वर्षीया कोकिला भी मस्सा रोग से परेशान थी। राजकीय प्राथमिक विद्यालय बोड़ीगामा में पढ़ने वाली कोकिला को बचपन से ही शौच जाते वक्त खून गिरने व दर्द होने की शिकायत थी। उसके पिता मेघा गवरिया ने उसका खूब इलाज कराया। गोलियां खिलाई और देशी जड़ी-बूटियों के जानकारों के पास ले जाकर जंगली दवाइयां भी पिलायी मगर आराम नहीं पहुंचा।
बांसवाड़ा में मेगा सर्जिकल शिविर होने की जानकारी मिलने के बाद मेघा अपनी बेटी कोकिला को बांसवाड़ा लाया जहां उसे आयुर्वेदिक अस्पताल में लगे मस्सा निवारण शिविर में भर्ती कर उसके एक मस्से का ऑपरेशन किया गया। अब कोकिला की पुरानी बीमारी जाती रही।
शिविर प्रभारी डॉ. भालचन्द्र व्यास बताते हैं कि मस्सों की बीमारी आम तौर पर कब्ज से होती है किन्तु कुपोषण और संतुलित आहार नहीं मिल पाने की वजह से भी शरीर को स्नेहन के लायक खाद्य पदार्थ नहीं मिल पाते हैं तब धीरे-धीरे मस्सों का पनपना आरंभ होता है जो बाद में कष्टकारक स्थिति में पहुंच जाता है। इसका शर्तिया इलाज आयुर्वेद के पास ही है जिसमें आयुर्वेद के निष्णात चिकित्सक क्षार सूत्रा पध्दति से इलाज करते हैं और इसमें सौ फीसदी सफलता हासिल होती है।
सेहत का वरदान बना शिविर
शिविर में इस समय कुल 40 रोगी भर्ती हैं। इनमें 8 महिलाएं हैं। इनमें से आठ जनों के भगंदर, 7 का परिकर्तिका तथा 25 जनों के मस्सों का ऑपरेशन किया गया है। इन सभी के लिए दवाइयों, भोजन,नाश्ते, दूध आदि की नि:शुल्क व्यवस्था आयुर्वेद विभाग द्वारा मुहैया कराई गई है जबकि मरीजों के साथ आने वाले परिजनों के लिए पर्ची के आधार पर वागड़ सेवा ट्रस्ट की धर्मशाला में नि:शुल्क भोजन की व्यवस्था उपलब्ध है।
जिला आयुर्वेद अधिकारी डॉ. महेश पण्डया के अनुसार इस शिविर में दो तरह का सर्जिकल स्टाफ नियुक्त है। इनमें प्री-ऑपरेटिव टीम में डॉ. दुर्गासहाय शर्मा, डॉ. ओमप्रकाश शर्मा एवं डॉ. मदनमोहन दीक्षित शामिल हैं। जबकि पोस्ट ऑपरेटिव टीम में डॉ. संगीता वाकड़े, डॉ. राहत कुरैशी, डॉ. गणेशशंकर उपाध्याय तथा डॉ. सुरेन्द्र जोशी प्रमुख हैं। दोनों टीमों द्वारा मरीजों की चिकित्सा एवं सार-संभाल बेहतर ढंग से की जा रही हैं।
बांसवाड़ा के शिविर में ऐसे कई रोगी हैं जो मस्सों की वजह से परेशान थे मगर मेगा सर्जिकल केंप में आयुर्वेद सेवाओं की वजह से नई जिन्दगी पा रहे हैं।
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