शनिवार, 12 जुलाई 2008

हास्‍य /व्‍यंग्‍य सारा दिन सताते हो, रातों को जगाते हो .... बिजली का त्रिताल और कहरवा जारी, शिव का यह कऊनसा नृत्‍य है

हास्‍य /व्‍यंग्‍य

सारा दिन सताते हो, रातों को जगाते हो .... बिजली का त्रिताल और कहरवा जारी, शिव का यह कऊनसा नृत्‍य है

नरेन्‍द्र सिंह तोमर 'आनन्‍द'

जितेन्‍द्र भाई की एक फिल्‍म का एक गीत है, सारा दिन सताते हो, रातों को जगाते हो, तुम याद बहुत आते हो, इसमें एक लाइन और जोड़ दो तुम गाली खूब खाते हो बस बन गया म.प्र. का हाल ए सूरत । त्रिताल और कहरवा संगीत में तबले या ढोल‍क की ताल होती हैं

अब सुनो कैसे-    

 

एक नेताजी पूरा गला फाड़ के नर्रा रहे थे, कह रहे थे शिव ने ये किया शिव ने वो किया, शिव ने त्रिताल किया शिव ने कहरवा किया, लोगों को घर बेटा हो तो राम भरोसे और बेटी हो तो शिव भरोसे वगैरह वगैरह । पूरा टेंटुआ फाड़ने के बाद भी पण्डित जी की जनता की जमात में सुनवाई नहीं हो रही थी । सीन जम नहीं पा रिया था, मौसम बन नहीं पा रिया था । नेताजी के माथे से पसीना चू रहा था उनकी बाबा रामदेव जैसी काली दाढ़ी से पसीने की धार बहने लगी थी, गोया जनता थी कि तवज्‍जो ही नहीं दे रही थी, चारों ओर चें पों चें पों मची थी ।

मामला था जौरा का, जहॉं सी.एम. और राजनाथ सिंह आने वाले थे । सीन जम नहीं पाने से नेताजी खिसिया रहे थे, उनके हाव भाव बता रहे थे कि वे कित्‍ती इम्‍पोर्टेंट बात कह रहे हैं और ससुरी बेवकूफ पब्लिक सुन ही नहीं रही हैं । नेताजी के महान उद्गारों से मूरख पब्लिक वंचित हो रही है । घुमा फिरा कर वे यह कहना भी नहीं चूक रहे थे कि पता नहीं कब कौन भावी सी.एम. या पी.एम. हो, तब याद आयेगी कि एक भावी सी.एम. या पी.एम. जौरे में बोल गया निपट मूरख सिकरवारी के लोग उसे सुन नहीं पाये, उसके अनमोल वचनों को कैच नहीं कर पाये ।

वे सब पर बोल रहे थे पर बिजली पर नहीं बोल रहे थे, आतंक राज और भय राज पर नहीं बोल रहे थे केवल शिवराज पर बोल रहे थे, पब्लिक सुन नहीं रही थी, सुनने और बोलने में एक गैप था एक डिफ्रेन्‍स था, खिंच रहा था खत्‍म नहीं हो रहा था । जित्‍ता टैम शिवराज और राजनाथ को आने पहुँचने में लग रहा था उत्‍ता पण्डितजी का फिलर भाषण लम्‍बा खिंच रहा था, वे भी बोलते बोलते उकता चुके थे, कभी घड़ी देखते थे कभी आसमान की ओर मुँह उठा कर कुत्‍ते की तरह कान खड़े कर शिवराज और राजनाथ के पुष्‍पक विमान की घड़घड़ाहट टटोलते । पर शिव और राज (शिवराज और राजनाथ) दोनों लापता थे, टैम बढ़ता जा रिया था, और दोनो पठठे जाने कहॉं अटक गये थे, जैसे पूरा टाइम गटक गये थे । नेताजी ने आखिरकार भाषण का ऑरिजनल फिलर कोटा खत्‍म होते ही पिछले सरकार के टैम के भाषण शुरू कर दिया और पहुँच गये स्‍व. इन्दिरा गांधी के ओल्‍ड एज में (एज ऑफ इमरजेन्‍सी) बोले नेता जी इन्दिरा जी ने कही हती कि एक ही जादू , कड़ी मेहनत, पक्‍का इरादा, दूरदृष्टि वगैरह वगैरह अब वे इसकी पण्डिताई वाली व्‍याख्‍या में जुट बैठे ।

वे उतारना तो कांग्रेस की चाह रहे थे लेकिन वे भूल गये और इसकी निन्‍दात्‍मक व्‍याख्‍या करते करते प्रदेश की भाजपा सरकार को धोना शुरू कर दिया । उन्‍हें ध्‍यान ही नहीं रहा कि इस समय प्रदेश में कांग्रेस की नहीं भाजपा की सरकार है । और बोले कि भ्रष्‍टाचार और रिश्‍वत का एक ही जादू है जो कि सरकार कर रही है पहला भ्रष्‍टाचार और रिश्‍वत के लिये दूरदृष्टि रखो, सरकार में बैठे मंत्री और अफसरों को हिदायत है कि कहॉं कहॉं से कैसे कैसे कमाई हो सकती है इसके लिये दूरदृष्टि रखों, फिर बोले कि ठिकाने पता लगते ही कड़ी मेहनत करो और भ्रष्‍टाचार और रिश्‍वत के लिये जम कर कड़ी मेहनत करो, फिर बोले तीसरी बात है पक्‍का इरादा यानि पक्‍का इरादा रखो कि सबकी यानि जनता की ठेसनी है यानि जम कर भ्रष्‍टाचार करना हे और रिश्‍वत ऐंठनी हैं । उनकी इन्‍टरेस्टिंग और मनभावन बातें सुन कर पब्लिक के कान खड़े हो गये, और पिन ड्राप सायलेन्‍स छा गया सब अब नेताजी को सुनने लगे ।

नेताजी भी जनता की नब्‍ज पकड़ गये और समझ गये कि सरकार की बुराई करो तो जनता सुनती है वरना कोई घास भी नहीं डालता, नेताजी को अब जोश आने लगा और पण्डित जी के नेताई तेवर लौटने लगे । मगर अफसोस जैसे ही नेता पण्डित जी का मौसम बनना शरू हुआ तब तक आसमान से घड़घड़ की आवाज आयी मजबूरी में नेताजी को माइक से हटना पड़ा ।

शिव आ गये पर राज नहीं आयें । (हम जैसो गुरूघण्‍टालों को पहले से ही पता था कि अकेले शिव आयेंगें राज नहीं आयेंगे ) नेता लोग जनता को बहला फुसला रहे थे कि राज के पुष्‍पक विमान का ए.सी. फेल हो गया सो नहीं आ पाये, हम मुस्‍करा रहे थे, हमने अपने साथ वालों को पहले ही बता दिया था कि अब तो अकेले शिव ही आयेंगें राज नहीं आयेंगें ।

लोग हमें मान गये, जान गये वाह क्‍या भविष्‍यवाणी करता है पठठा । गोया हुआ ये कि बिजली पर कोई बोला हो न बोला हो पर शिवराज सिंह बोले, बिना लाग लपेट खुलकर बोले, रियलाइज किया माफी मांगीं और घिघियाये कि हॉं हम बिजली नहीं दे पाये इसका हमें ओपन दुख है हम इसके लिये गलतीशुदा हैं माफी मांगते हैं लेकिन अगर वर्षा अच्‍छी हुयी और हमारे बांधो में पानी आ गया तो मेरा वायदा है मैं आपको चौबीसों घण्‍टे बिजली दूंगा, यह मेरी गारण्‍टी है ।

भईया शिवराज साइकिल वाले, जब कांग्रेस की सरकार मध्‍यप्रदेश में थी तो तुम्‍हारी भाजपा लालटेन टांग कर (राष्‍ट्रीय जनता दल का चुनाव चिह्न) घूमती थी और लालटेन रैली लालटेन यात्रा निकाला करती थी, अब यार सरकार में आकर पार्टी चेन्‍ज कर समाजवादी पार्टी की साइकिल हथिया लिये हो, गलत बात है ये, बहुत नाइन्‍साफी है । यार भईया शिवराज साइकिल वाले, क्‍यों समाजवादी पार्टी और राष्‍ट्रीय जनता दल के पीछे पड़े रहते हो उन्‍हीं के चुनाव चिह्न अगर इत्‍ते काम के हैं तो यार ज्‍वाइन क्‍यों नहीं कर लेते सपा या राजद । ससुरा कमल किसी काम की नहीं, जब कहीं काम ही नहीं आता तो फेंको ससुरे को, न तो पेट्रोल बचाने के काम का न बिजली समस्‍या बताने का न और किसी मतलब का । क्‍या यार बाहियात चिह्न है । इससे तो कांग्रेस का पंजा ठीक है कम से कम सभाओं में हाथ उठा कर दिखा तो देते हो । मैं एक दिन फोटो चेक कर रहा था, आपका पंजा हिलता देख मैं समझा शायद कांग्रेस ज्‍वाइन कर लिये हो और लोगों को हाथ का पंजा दिखा कर कांग्रेस के लिये वोट की अपील कर रहे हो । वैसे साइकिल से पेट्रोल बचा कर हेलीकॉप्‍टर में भरवा लेते हो गलत बात है ये, सरासर गलत । 

खैर मैं तो अर्ज ये कर रहा था हुजूर कि आपके वायदे के मुताबिक अब तो ताल तलैया पोखर डबरा, बांध बंधैये सब के सब छकाछक्‍क भर कर ओवर फ्लो मार रहे हैं, पर बिजली अब भी काहे नहीं आयी है । सारा दिन सताते हो, रातों को जगाते हो , तुम याद बहुत आते हो । दिग्विजय सिंह से भी ज्‍यादा । इत्‍ती काटनी थी तो यार दिग्‍गी को ही बना रहने देते कम से कम कह बता के तो काटता था । और टैम पता रहता था कि कब सोना है कब जागना है, कब कम्‍प्‍यूटर बन्‍द करना है कब चालू करना है । तुम्‍हारा तो ठीया ही नहीं है । अरे भईया बांध तो भर गये अब का कर रहे हो सो बताओ । या ये वायदा भी 370 खत्‍म करने या मन्दिर बनवाने जैसा ही है । जैसी भी हो थोड़ा लिखा बहुत समझना, रोटी खाओ तो, पानी बिजली आने के बाद ही पीना ।

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