खिलाड़ियों का अनियंत्रित व्यवहार
मनीष कुमार जोशी
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पाकिस्तान के तेज गेंदबाज आसिफ को आईपीएल के दौरान नशीली दवाओ के सेवन का दोषी पाया गया। आईपीएल के दौरान उनका लिया गया डोपिंग टेस्ट पोजिटिव पाया गया है। जिस समय यह खबर आई ठीक उसी समय इस खबर की पुष्टि हुई कि एशियाकप फाईपन से पूर्व तीन भारतीय क्रिकेटर कराची में देर रात तक एक पार्टी में मस्ती कर रहे थे। समाचार पत्रो में छपी तस्वीरे भारतीय क्रिकेटरो की कारगुजारियों का बखान कर रही है। दो दशक पहले तक ऐसी खबरे इ्रग्लैण्ड, आस्टेंलिया और वेस्टइंडीज के क्रिकेटरो के बारे में छपती थी। परन्तु पिछले एक दशक से जिस प्रकार भारतीय उपमहाद्वीप के खिलाड़ियों के खेल चरित्र. हनन की घटनाऐं सामने आ रही है।, जो चिंता का विषय है। इस एक दशक में मैच फिक्सिंग से लेकर डोपिंग टेस्ट तक की घटनओं में इस उपमहाद्वीप के खिलाड़ी शामिल रहे है। भारतीय उपमहाद्वीप के क्रिकेटरो के इस व्यवहार से क्रिकेट नहीं इस महाद्वीप का पूरा खेल जगत बदनाम हो रहा है। खिलाड़ियों का अनियंत्रित होता यह व्यवहार चिंता का विषय होना चाहिए।
एक समय था इयॉन बॉथम और विव रिचर्डस द्वारा शराब पीकर काउंटी क्रिकेट मैच खेलने की खबरे आती थी। इन खबरो पर क्रिकेट जगत में ज्यादा बवाल नहीं मचता था क्योंकि ऐसे क्रिकेटरो के खेल चरित्र के बारे में काई अच्छी राय नहीं थी। भारतीय उपमहाद्वीप में खासकर भारत के खिलाड़ियों को सभ्य खेल के सभ्य खिलाड़ी माना जाता था। भारतीय खिलाड़ी क्रिकेट के अनुशासित खिलाड़ी माने जाते थै। परन्तु पिछले एक दशक से घट रही घटनाओ ने भारतीय उपहाद्वीप के खिलाड़ियों की छवि को बुरी तरह प्रभावित किया है। पाकिस्तान के खिलाड़ियों की छवि तो शुरू से ही खराब रही है फिर भी वे खेल के प्रति समर्पित देखे गये है। लकिन पिछले एक दशक से पाकिस्तान खिलाड़ी नशीली दवाओ के सेवन और अपने आपराधिक चरित्र के कारण भी सूर्खियों में रहे है। सबसे हैरानी की बात यह है कि भारतीय खिलाड़ी भी इस जमात में शामिल हो गये है। मैच फिक्सिंग में भारतीय खिलाड़ियों के शामिल होने की पुष्टि के बाद अन्य कारणो से भी भारतीय क्रिकेटर सूखिर्या में रहे है। देर रात तक पार्टियों में जाना, मैदान में छींटाकर्शी करना और हाल ही में हरभजनसिंह द्वारा थप्पड़ मारने के प्रकरण ने इस महाद्वीप के क्रिकेटरो की छवि को घूमिल किया है। हाल ही में एशिया कप के फाईनल से पूर्व देर रात तक एक पार्टी में सुरेना रेना की लड़कियो के साथ तस्वीरो ने भारतीय क्रिकेट को शर्मसार किया है।
ऐसा क्या कारण है कि इस महाद्वीप के खिलाड़ियों का लगातार चरित्र हनन हो रहा है। पिछले एक दशक से भारतीय उपमहाद्वीप में क्रिकेट का बूम आया है। श्रीलंका द्वारा विश्वचैम्पिय बनने के बाद इस क्षेत्र की क्रिकेट ने यूरोप , दक्षिण अफ्रीका और वेस्टइंडीज द्वीप समूह की क्रिकेट से बढ़त ले ली है। इस कारण यहा ं क्रिकेट में पैसा भी बहुत आया है। दूसरे महाद्वीपो के खिलाड़ी भी इस क्षेत्र की क्रिकेट की ओर आकर्षित हुए है। क्रिकेट में बढ़ते ग्लेमर और पैसे ने क्रिकेटरो को सितारा छवि दे दी है और वे अपने आपको सितारा से कम नहीं समझते है। इस सितारा होने के अहसास ने ही उनके व्यवहार को अनियंत्रत कर दिया है। इसके अलावा इसका सबसे बड़ा कारण भारत और पाकिस्तान में अनुभवी खिलाड़ियों की उपेक्षा है। अनुभवी खिलाड़ियों की उपेक्षा से युवा खिलाड़ी अपने आपको फ्री हैण्ड अनुभव करते है। टीम में सीनीयर खिलाड़ियों की उपस्थिति से न केवल अनुशासन रहता है बल्कि युवा खिलाड़ियों को काफी कुछ सीखने को मिलता है। सीनीयर खिलाड़ियों के टीम में होने से युवा खिलाड़ियों को न केवल खेल सुधारने में मदद मिलती है बल्कि अन्य मैनर्स सीखने में भी मदद मिलती है। खेल के अलावा भी अन्य मैनर्स भी खिलाड़ियां को पालन करने होते है। ये मैनर्स सीनीयर खिलाड़ियों को देखकर ही सीखे जा सकते है। वर्तमान में सीनीयर खिलाड़ियों के नाम पर भारत और पाकिस्तान दोनो टीमो में शून्यता है।
भारत और पाकिस्तान के क्रिकैट बोर्डस को इस सबघ में कठोर रवैया अपनाना चाहिए। किसी प्रतियोगिता और दौरो के समय खिलाड़ियों के लिए आचार संहिता बनाई जानी चाहिए। अब समय है कि इस महाद्वीप में खिलाड़ियों की धूमिल होती छवि पर गौर किया जाना चाहिए और समय रहते आवश्यक कदम उठा लेने चाहिए अन्यथा कई प्रतिभाशाली खिलाड़ी अपने रास्ते से भटक जायेंगे और समय पूर्व ही उनका खेल जीवन समाप्त हो जायेगा। इस सबंध में बीसीसीआई और पीसीबी को गंभीरता से लेना चाहिए और शीघ्र ही आवश्यक कदम उठाये जाने चाहिए।
मनीष कुमार जोशी, सीताराम गेट के सामने, बीकानेर
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