विकलांगों के लिये बकाया हिस्सेदारी उपलब्ध कराना
एम.आई. हबीबुल्लाह
विशेष लेख
विकलांगों की समस्या को समझते हुए सरकार ने विकलांगों के कल्याण कार्य को अपनी पंचवर्षीय योजनाओं में शामिल किया है। और अधिक भारत के संविधान के अनुच्छेद् 41 एवं 46 में भी विकलांग समुदाय की सर्वांगीण बेहतरी पर जोर दिया गया है। विकलांगों की पांच वर्गों में विभाजित किया गया है - (1) दृश्य विकलांगता (2) अस्थि विकलांगता (3) श्रव्य विकलांगता (4) मानसिक विकलांगता तथा (5) कुष्ठ-उपचारोपरांत विकलांगता।
इस देश में विकलांग लोगों की बहुत बड़ी जनसंख्या है और ये लोग किसी भी कार्य को एक चुनौती के रूप ले लेते हैं। इसलिए सरकार ने इन्हें शारीरिक नि:शक्त व्यक्ति के रूप संदर्भित करना आरंभ कर दिया है।
संयुक्त राष्ट्र संधि -
नि:शक्त लोगों के शक्तिकरण की ओर कदम उठाते हुए सरकार ने नि:शक्त लोगों के अधिकारों के बारे में संयुक्त राष्ट्र संधि पर 30 मार्च, 2007 को हस्ताक्षर किये हैं। इस दिन से ही इस संधि पर हस्ताक्षर करने आरंभ हुए थे। भारत उन पहले देशों में से एक है जिन्होंने 01 अक्तूबर, 2007 को इस संधि को अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी है। यह संधि 03 मार्च, 2008 से प्रभावी हो गई है।
इस संधि का उद्देश्य सभी नि:शक्त लोगों के द्वारा सभी मानव अधिकारों तथा मौलिक स्वतंत्रता की समान रूप से प्राप्ति एवं उनको पूरी तरह सुनिश्चित, सुरक्षित तथा उनका संवर्धन करना है साथ ही साथ उनकी ग़रिमा में भी वृध्दि करना है। संधि का अनुच्छेद् 3 आठों निदेशक तत्वों का विस्तृत विवरण देता है और अनुच्छेद् 4 सामान्य बाध्यताओं को रेखांकित करता है।
एसईईपीएच (सीफ) -
विकलांगों के पुनर्वास की ओर एक कदम के रूप मेें सरकार ने 1957 में बबंई में एक शारीरिक रूप से विकलांगों के लिए विशेष रोज़गार कार्यालय एसईईपीएच (सीफ) खोला गया था। अब सरकार ने इनकी संख्या बढ़ाकर 43 कर दी है। दूसरे कदम के रूप में सरकार ने विकलांग लोगों की व्यावसायिक क्षमताओं में सहायता पहुंचाने के लिए देशभर में मुख्य स्थानों पर व्यावसायिक पुनर्वास केंद्र (वीआरसी) स्थापित किये है। इन 20 व्यावसायिक पुनर्वास केंद्रों (वीआरसी) में से पटना तथा बडौदरा केंद्रों को विशेष रूप से महिला विकलांगों के लिए बनाया गया है।
राष्ट्र स्तरीय संस्थान -
रोज़गार, शिक्षा तथा प्रशिक्षण के क्षेत्र में राष्ट्र स्तरीय सुविधा मुहैया कराने के लिए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने विकलांगों के प्रत्येक वर्ग के लिए चार राष्ट्रीय संस्थानों की स्थापना की थी जो इस प्रकार :-
1- राष्ट्रीय दृश्यता विकलांगता संस्थान, देहरादून, उत्तराखंड।
2- राष्ट्रीय अस्थि विकलांगता संस्थान, कोलकाता, पश्चिम बंगाल।
3- अली यावर जंग राष्ट्रीय श्रव्यता विकलांगता संस्थान, मुबंई, महाराष्ट्र।
4- राष्ट्रीय मानसिक विकलांगता संस्थान, सिकंदराबाद, आंध्र प्रदेश ।
सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्रालय (पूर्वत: सामाजिक कल्याण मंत्रालय) ने चेन्नई के निकट मुत्तुकड्डु में राष्ट्रीय बहु-विकलांगता संस्थान स्थापित किया है। तमिलनाडु के पुडुक्कोत्तई में हॉस्पीटल की विशेष टीम विशेषज्ञ डॉक्टरों के ज़रिए विकलांगों का विशेष तरीके से ईलाज कर रही है।
छूट तथा सुविधाएं -
सरकार विभिन्न मंत्रालयों के ज़रिए विकलांग समुदाय के सर्वांगीण विकास के लिए अनेक सुविधाएं मुहैया करा रही है। 1997 में से ही सरकार समूह क, ख, ग तथा ड़ (वर्ग I,II,III & IV) की नौकरियों में तीन प्रतिशत आरक्षण प्रदान कर रही है। यह एक प्रतिशत दृष्टिहीन लोगों के लिए, एक प्रतिशत मूक बधिरों के लिए तथा एक प्रतिशत अस्थि विकलांगों के लिए है। सभी राज्य सरकारें तथा केंद्र शासित क्षेत्रों के प्रशासन भी इसी नीति का अनुसरण कर रहे है। नि:शक्त लोगों के लिए एक राष्ट्रीय नीति वर्ष 2006 में स्वीकार की गई थी। इसने नि:शक्त लोगों के लिए सभी मानव अधिकारों का उपयोग करने तथा उन्हें पूरी तरह से मान्यता प्रदान करने के लिए व्यापक लक्ष्य निर्धारित किये साथ ही साथ उनके लिए सहायता, स्वायत्तता तथा समान अवसरों के प्रति विस्त्त प्रतिबध्दता को आगे बढ़ाया है। ये कदम भारत को यूएनसीआरपीडी के तहत् अंतराष्ट्रीय समुदाय के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी वहन करने में सक्षम बनायेंगे।
नौकरियों में सामान्य आयु सीमा के मुकाबले विकलांग लोगों को 10 वर्ष की छूट दी जाती है। अगर कोई नि:शक्त व्यक्ति टाईप नही कर सकता तो उस टाईपिंग परीक्षा से छूट मिल जाती है ( समूह सी की रिक्तियो में यह अनिवार्य है)। संचार मंत्रालय, दूरसंचार विभाग ने स्व-रोजग़ार योजना के तहत विकलांग लोगों के लिए टेलीफोन बूथ खोले हैं। अधिकतर विकलांग लोग इस इस योजना के लाभों के तहत टेलीफोन बूथ चला रहे है और अपनी आजीविका कमा रहे है। मंत्रालय ने दृष्टिहीनों के लिए ब्रेल लिपि के पत्रों पर डाक टिकट न लगाने की छूट प्रदान कर दी है।
केंद्र सरकार तथा राज्य सरकार के कार्यालयों में दृष्टिहीन व्यक्तिओं के लिए पदों में आरक्षण कड़ाई के साथ लागू किया जा रहा है। पेट्रोलियम एवं रसायन मंत्रालय ने सार्वजनिक क्षेत्र की तेल इकाइयों की सभी प्रकार की 15 प्रतिशत डीलरशिप तथा एजेंसियां केवल विक्लांग लोगों के लिए आरक्षित कर रखी है। वित्त मंत्रालय के निर्देशों के तहत् सभी राष्ट्रीयकृत बैंक नि:शक्त लोगों को बिना किसी गारंटी के 6,500 रु0 तक का लोन 4 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर पर मुहैया करा रहा है। इस प्रकार का लोन विकलांग लोगों को स्व-रोज़गार के लिए उपलबध कराया जा रहा है।
सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्रालय ने विकलांग लोगों के सर्वांगीण विकास के लिए अभी हाल ही में एक निगम का गठन किया हैं जिसका नाम '' राष्ट्रीय विकलांग वित्तीय विकास निगम '' है। इसका गठन विशेषतौर पर बेरोज़गार विकलांगों के लिए स्व-रोज़गार कार्यक्रम आरंभ करने के लिए किया गया है। यह निगम विकलांगों के द्वारा अपने ही कारखानों में बनाये गये माल की बिक्री के लिए भी इंतजाम करता है। मंत्रालय ने ग़रीब विकलांग विद्यार्थियों के लिए एक राष्ट्रीय छात्रवृत्ति भी मुहैया करा रहा है।
मुख्यत: नि:शक्त लोगों से जुड़े विभिन्न कार्यों के लिए गैर सरकारी संगठनों, राष्ट्रीय संस्थानों, भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम तथा राष्ट्रीय विकलांग वित्तीय विकास निगम के लिए सरकार ने वर्ष 2004-05 में 130.55 करोड़ रु0, वर्ष 2005-06 में 124.71 करोड़ रु0 तथा वर्ष 2006-07 में 122.19 करोड़ रु0 जारी किये थे।
पिछले वर्षों के अनुभवों से सबक लेते हुए चालू वित्त वर्ष से गैर सरकारी संगठनों को दी जाने वाली अनुदान सहायता की मंजूरी प्रक्रिया पर मुख्य ध्यान दिया जा रहा है। राज्य सरकारों को सलाह दी गई है कि वे बहु-अनुशासनात्मक समितियों के द्वारा जांच पड़ताल के बाद ही ठोस प्रस्ताव भेंजे। फंड के उचित उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए खातों का लेखा विवरण, लाभार्थियों की सूची तथा उपयोग प्रमाण पत्र के अलावा सामयिक प्रगति रिपोर्ट प्राप्त की गई है।
ब्रेल लिपि में सूचना का अधिकार -
विकलांगों को समान अवसर मुहैया कराने के लिए सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्रालय ने दृष्टिहीन लोगों के लिए सूचना का अधिकार, अधिनियम का ब्रेल लिपि संस्करण जारी किया है। सूचना का अधिकार, अधिनियम का ब्रेल लिपि संस्करण राष्ट्रीय दृश्यता विकलांगता संस्थान, 16, राजपुर रोड़, देहरादून, उत्तराखंड से प्राप्त किया जा सकता है।
इसके अलावा केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड़ ने भी शारीरिक रूप से अक्षम विद्यार्थियों के लिए निम्न छूट उपलब्ध कराई हैं :-
· इन्हें एक ही वैकल्पिक विषय पढ़ना होगा बजाय दो के जोकि सामान्य वर्ग के विद्यार्थियों के लिए है। साथ ही गणित या विज्ञान में से भी किसी एक विषय को वैकल्पिक विषय बनाया जा सकता है।
· यदि ज़रूरत है तो परीक्षा केंद्र में लेखक की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
· परीक्षा में उत्त्र लिखने के लिए भी 30-60 मिनट तक का अतिरिक्त समय दिया जाएगा।
· दृष्टिहीन विद्यार्थियों के लिए प्रश्न पत्र बड़े साईज़ में छपा हुआ होगा।
· कक्षा 10 मे सामाजिक विज्ञान तथा संचारात्मक अंग्रेजी के प्रश्न पत्र में तथा कक्षा 12 में इतिहास, भूगोल एवं अर्थशास्त्र के प्रश्न पत्र में कुछ प्रश्न केवल दृष्टिहीनों के लिए ही होंगे।
· जहां तक संभव हो सकेगा वहां तक इनके लिए भूतल पर ही परीक्षा देने का इंतजाम किया जाएगा।
· फिजीयो-थिरेपी अभ्यास को शारीरिक शिक्षा तथा स्वास्थ्य शिक्षा पाठयक्रमों के समतुल्य ही माना जाएगा।
· इस वर्ग के विद्यार्थियों की उत्तर पुस्तिका अलग से जांची जाएगी।
इन उपरोक्त छूटों का विस्तार देशभर मे केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से सबध्द सभी स्कूलों में किया जा रहा है।
अत: सरकार ने इन नि:शक्त लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए विभिन्न कल्याणकारी कार्यों को लागू कर इन्हें राष्ट्रीय मुख्यधारा में शामिल किया है।
. स्वतंत्र लेखक (तमिलनाडु से)
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