रविवार, 27 जुलाई 2008

भेंट चढ़ाने के बाद ही मंजूर होते हैं सब्सिडी के प्रकरण

भेंट चढ़ाने के बाद ही मंजूर होते हैं सब्सिडी के प्रकरण

-दास्तां-ए-उद्योग विभाग

मुरैना, 24 जुलाई। मुरैना का जिला उद्योग विभाग भारी भ्रष्टाचार का केन्द्र बन गया है। यहॉ बगैर लेन - देन के कोई प्रकरण मंजूर नहीं किए जाते है। जो हितग्राही पैसे देने में असमर्थता जताता है। इसके प्रकरण को यह कहकर टाल दिया जाता है कि तारीख निकल चुकी है। आखिरकार भेंट चढ़ाने के बाद ही प्रकरण मंजूर होता है।

       उल्लेखनीय है कि निजी व्यवसाय हेतु केन्द्र व राज्य सरकारों द्वारा तमाम सारी योजनाऐं चलाईं जा रहीं है। जिन पर अलग अलग योजनाओं के तहत बैंकों द्वारा कर्ज प्रदान किया जाता है। इसके साथ ही इन योजनाओं पर सरकार द्वारा उद्योग विभाग के माध्यम से हितग्राहियों को सब्सिडी भी प्रदान की जाती है। यह सब्सिडी विभिन्न बैंकों द्वारा उद्योग विभाग को भेजे गए प्रकरणों पर मंजूर होती है। विभाग द्वारा प्रधानमंत्री रोजगार योजना (पीएमआरवाई), दीनदयाल रोजगार योजना एवं रानी दुर्गावती रोजगार योजना के तहत छूट का पैसा दिया जाता है। हालांकि केन्द्र सरकार द्वारा हाल ही में प्रधानमंत्री रोजगार योजना को बंद कर दिया है। जिससे बेरोजगारों को काफी निराशा हुई हैं। उल्लेखनीय है कि बेरोजगारों को प्रकरण तैयार कराने में तीन सौ से पांच सौ तक खर्च हो जाते हैं। रही सही कसर बाबू लोग पूरी कर देते हैं। इसके बाद भी यह जरूरी नहीं कि उनके प्रकरण मंजूर ही हो जाऐंगे। अलग-अलग योजनाओं में उद्योग विभाग में दो हजार से अधिक प्रकरण आते हैं। जिनमें से 25-30 प्रतिशत तक प्रकरण मंजूर हो पाते हैं।

 उधर दीनदयाल रोजगार योजना सभी वर्गो के लिए संचालित है, इसमें 30 प्रतिशत तक छूट दी जाती है। इस योजना के तहत 50 लाख तक के प्रकरण मंजूर किए जाते है। नियमानुसार जिला उद्योग विभाग में कोई प्रकरण आने पर उसे एक निश्चित निर्धारित प्रक्रिया के तहत मंजूर किया जाता है। हालांकि इसकी मंजूरी एक कमेटी द्वारा की जाती है। लेकिन इसके इतर मुरैना के जिला उद्योग केन्द्र में सब्सिडी का प्रकरण मंजूर करने के लिए कोई नियम कानून नहीं है। यहां कई बार कोई प्रकरण महीनों तक पड़ा रहता है। लेकिन उसे मंजूर नहीं किया जाता। उधर कई बार ऐसा भी होता है कि किसी प्रकरण को कुछ ही दिनों में मंजूर कर लिया जाता है। खास बात यह है कि जिन लोगों के प्रकरण मंजूर नहीं होते है उनसे उक्त मद में पैसा नहीं होने या तारीख निकलने की बात कही जाती है। यही नहीं छूट की फाइलों को संबधित विभागों को बापस भेज दिया जाता है। बताया जाता है कि उद्योग विभाग में उन्हीं प्रकरणों को मंजूर किया जाता है, जिनमें पैसा दे दिया जाता है। प्रकरणों को मंजूर करने की रेट भी अलग-अलग है। इस भ्रष्टाचारी गंगा में नीचे से ऊपर तक के सभी विभागीय अधिकारी व कर्मचारी डुबकी लगाते हैं। कुछ महीने पहले करीब आधा दर्जन बेरोजगार युवकों ने आवेदन उद्योग विभाग में जमा किए थे। लेकिन उनके आवेदन अभी तक मंजूर नहीं हुए हैं। बंटी शर्मा, केशव सिंह गुर्जर, सुरेन्द्र सिंह गुर्जर, बिजेन्द्र शर्मा आदि ऐसे युवक हैं जिनके प्रकरण मंजूर नहीं हुए हैं। उधर इस सबंध में जब उद्योग विभाग के महाप्रबंधक आरएस पचौरी से पूछा गया तो उन्होंने बाहर होने की बात कही । इससे ऐसा प्रतीत होता है कि उन्हें भी इस सब घालमेल की जानकारी है।

 

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