बुधवार, 2 जून 2010

आज आज्ञा दे, वीर बाना फिर पहना माँ -नरेन्द्र सिंह तोमर "आनन्द"

आज आज्ञा दे, वीर बाना फिर पहना माँ -नरेन्द्र सिंह तोमर "आनन्द"

 

- नरेन्द्र सिंह तोमर "आनन्द"

 

जिस भारत ने दी पहचान मुझे, मेरी जान मुझे ।
जिसने पल पल पाल मुझे, खडा किया, बडा किया ।
उस माटी को आज दूर से नित नित शीश झुकाता हूँ ।
एक तराना वतन हिन्द को दिल से आज सुनाता हूँ ।
यूँ होंगे तेरे लाल बहुत ओ माँ सुन भारत माता ।
तेरे सीने को जोत चीर उदर जिन्हें भरना आता ।
अपने ही सुख की खातिर जिनको खून बहाना आता ।
अपने अपनों का खून चूस भ्रष्टाचार जिन्हें है आता ।
रिश्वत जिनका दीन धरम है जिनकी आँखों से दूर शरम है ।
हुयी जहाँ रोटी भी मँहगी, मँहगाई जहाँ एक धरम है ।
जहाँ गरीब की लाज है सस्ती , नित जहँ इक उजडे बस्ती ।
आतंक है चारों ओर, मचा खून का खेल यहाँ ।
आई पी एल ताल ठोकती क्रिकेट कलंकी खेल यहाँ ।
तुझ पर माता खून चढाने वीरों की जो टोली निकली ।
तुझ पर शीष चढाने वाले वीर बांकुरे केसरिया बाने ।
महारण के महारथी हाथ जो वीर ध्वजायें ताने ।
सिंहनाद जहाँ जय भवानी, हर हर महादेव जयघोष ।
घोडे अंग अंग अंगडाते हाथी चीख चीख चिंघाडें ।
वीरों के चेहरे सजते, तन पर कवच ढाल हैं मढते ।
रमणी जिन पर वारि जायें, तिलक आरती बलि बलि जायें ।
भारत तेरे वीर सिंह जो धरा दहाडों से थर्राते, शत्रु काँप काँप मर जाँय ।
चेहरे पर जिनके अतुल तेज वाणी में है अदभुत ओज जिनके नेत्रों में नेत्र मिलाते स्वयं महाकाल थर्रांय ।
जिन पर सदा चढी भवानी पूरी जिनकी होती वाणी नाम से जिनके काल थम जाय ।
एक को मारें, दो मर जावें तीजो दहशत सो मर जाय ।
ईंट फूट के गुटई हो जाय, गुटईं फूट छार हो जाय ।
छार फूट के रेता हो जाय रेता आसमान मंडराय ।
रणभूमि में शीष यूं कटते जैसे फसल काटते आज ।
रक्त चंदन से धरा रंगी वीरों ने पावन करदी जैसे आज ।
उस पावन धरणी पर माता जिस पर वीर हुये कुर्बान ।
पापी पाप अब सिर चढ बोले वीर भूमि पे चढा मसान ।
जाग जाग ओ भारत माता तेरी पावन लाज को खतरा है फिर आज ।
अपने वीरों को दे आज्ञा माता फिर दे केसरिया बाना हो फिर नया रण इक आज ।
अंदर बाहर सारे दुश्मन हम मारें फिर काट कमान ।
फिर धरा पावन करें तुझे दें दुष्ट पापीयों के बलिदान ।
भ्रष्टों की गर्दन हम तोडें पापीयों के लें शीष उतार ।
आतंक अन्याय, शोषण जिन्दा फूंकें कुछ तो कम करें तेरा भार ।
जाग जाग हे सिंह भवानी सजा आरती का फिर थाल ।
माँ अब तिलक भाल पर करदे तरसा माँ ये कईयों साल ।

- नरेन्द्र सिंह तोमर "आनन्द"

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