मंगलवार, 23 जून 2009

भारत-विश्व में चाय की राजधानी, इस शताब्दी का एक स्वास्थ्यवर्ध्दक पेय

भारत-विश्व में चाय की राजधानी, इस शताब्दी का एक स्वास्थ्यवर्ध्दक पेय

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        भारत ने चाय उद्योग लगभग 179 साल पुराना है । भारत सर्वाधिक चाय उत्पादक होने के साथ-साथ विश्व में काली चाय का सबसे बड़ा उपभोक्ता है । चाय देश की सबसे महत्वपूर्ण वाणिज्यिक फसलों में से एक है । भारत में चाय का उत्पादन 1830 के अंत में शुरू हुआ । उसके पहले चाय जंगली पौधे के रूप में पूर्वोत्तर असम के जंगलों में उगा करती थी ।

       सरकार भारतीय चाय को बागान क्षेत्र में अग्रणी उत्पाद बनाने का  संगठित प्रयास कर रही है । भारत दार्जिलिंग, असम और नीलगिरि चाय के लिए भौगोलिक संकेत  पंजीकरण प्राप्त कर लिया है । भौगोलिक संकेत निश्चित उत्पादों पर प्रयोग किया जाने वाला एक नाम अथवा चिह्न है जो विशिष्ट भौगोलिक स्थान (जैसे शहर, क्षेत्र अथवा देश) से संबंध रखता है । अपने भौगोलिक स्थान  के कारण भौगोलिक संकेत का प्रयोग एक प्रमाणन के रूप में कार्य करता है कि यह उत्पाद निश्चित गुणवत्तायुक्त है अथवा प्रतिष्ठित उत्पाद है । पंजीकरण चिन्ह के रूप में भारतीय चाय का लोगो इसकी गुणवत्ता की पहचान है । यह फुरसत के क्षणों में इस्तेमाल हाने वाला पेय है ।

       भारतीय चाय का निर्यात पूरे विश्व में किया जाता है । भारतीय चाय के कुछ मुख्य आयातकर्ताओं में शामिल देश हैं -- रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका, सिंगापुर, श्रीलंका, पोलैंड, जर्मनी , अफगानिस्तान आदि । भारत से अलग अन्य देश जो चाय का उत्पादन करते हैं वे हैं - चीन, श्रीलंका, केन्या, तुर्की, इंडोनेशिया, वियतनाम, बंगलादेश, मालावी, उगाण्डा, तंजानिया और उनके जैसे अन्य देश ।

       भारत में चाय का अलग-अलग उत्पादन करने वाले अनेक क्षेत्र हैं जिनकी भौगोलिक विशेषताएं भिन्न  हैं, इसलिए इन विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न सुगन्ध और स्वाद की चाय का उत्पादन होता है । दार्जिलिंग, असम और नीलगिरि इन क्षेत्रों में शामिल हैं।

दार्जिलिंग-हिमालय  की  शृंखलाओं में बर्फ आच्छादित निचली पहाड़ियों में दार्जिलिंग  विशिष्ट प्रकार की चाय का घर है । ठंडी और नम जलवायु, मिटटी, झरने और ढलाव वाले क्षेत्र सभी मिलकर दार्जिलिंग चाय को एक अनूठा स्वाद प्रदान करते हैं। प्राकृतिक कारकों के संयोजन से दार्जिलिंग चाय में जो अनूठेपन का गुण है, वह विश्व में और कहीं नहीं पाया जाता । इस चाय को वर्षों से चायों का सिरमौर होने का गौरव प्राप्त है।

असम-बाघ और एक सींग वाले गैंडों की भूमि, असम में  असाधारण चाय का उत्पादन होता है । इस चाय से स्वादिष्ट , स्वास्थ्यपरक, चमकीली चाय -मदिरा बनायी जाती है। वे लोग जो चमकीली, कड़क चाय पीना पसंद करते हैं उनके लिए असम चाय का कप ही उत्तम है ।

नीलगिरि- नीलगिरि दक्षिण भारत में स्थित है । ये लहरदार पहाड़ी भू-दृश्य वाला सुरम्य क्षेत्र है जहां चाय पैदा होती है । जलवायु की स्थितियां नीलगिरि चाय के अच्छे सुरूचिपूर्ण स्वाद के अनुकूल  है । यदि आप अच्छे रंग और उत्तम स्वाद के साथ सुगन्धित चाय के शौकीन हैं तो आपके लिए नीलगिरि चाय उनमें से एक हो सकती है।

स्वास्थ्यवर्ध्दक पेय

       पूरे विश्व में अध्ययनों से पता चला है कि हरी पत्ती वाली चाय के प्रयोग वजन घटाने और अल्झाइमर्स से रक्षा करने के साथ-साथ कुछ प्रकार के कैंसर तथा हृदय रोगों के खतरे को कम करता है । चाय में कैफीन और टेनिन होते हैं जो इसकी चमक, सुगंध और स्वाद को तीखापन प्रदान करते हैं । यह थकावट को दूर करती है । विचारों और पाचन में सुबोध गम्यता लाती है । चीन और जापान में अध्ययन दर्शाते हैं  कि चाय दीर्घजीवी होने में सहायक है । असल तथ्य यह है कि  धूम्रपान करने वाले जापानी लोगों में फेफड़े के कैंसर की दर आधी होती है जबकि  धूम्रपान करने वाले अमेरिकी लोग उपर्युक्त  सिध्दांत के प्रमाण हैं ।

       चाय के लाभों ने नित नई खोजों के कारण इस पेय को महत्वपूर्ण शीर्ष पर पहुंचा दिया है । इसके एंटीऑक्सिड तत्व शरीर में कोलोस्ट्रोल का स्तर कम करते हैं । हृदय तथा धमनियों के स्वास्थ्य में सुधार लाते हैं और कुछ प्रकार के कैंसर से हमारी रक्षा भी करते हैं। हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि इसके पऊलैवोनाइड्स से दांतों पर पीली परत जम जाती है । दरअसल चाय में मौजूद पऊलैवोनाइड्स विटामिनों की ही तरह के संघटक होते हैं । ये प्लेटलेट नाम की रक्त कोशिकाओं में रक्त के जमाव की संभावनाओं को कम करते हैं और ऐसे नशा-निरोधक की तरह काम करते हैं जो शिराओं को नुकसान पहुंचाने वाले मूल तत्वों के प्रभाव में कमी पैदा करते हैं । इसके अतिरिक्त चाय दांतों को रोग मुक्त रखने में भी सहायक होती है क्योंकि इसमें पऊलयुराइड प्रचुर मात्रा में होता है । काली चाय पर पूर्व में किए गए अध्ययनों से पता चला है कि यह हृदय तथा यकृत को  रोगों से मुक्त रखने में सहायक होती है। इसके अलावा  हरी और काली चाय में पाये जाने वाले एंटी आक्सिडेंट्स त्वचा को कैंसर से मुक्त रखते हैं । पिछले 10-15 वर्षों के दौरान होने वाले अनुसंधानों से यह भी पता चलता है कि अगर सशक्त एंटी आक्सीडेंट्स के साथ भोजन और विटामिन लिया जाए तो  अनेक रोगों के  जोखिम के साथ-साथ वृध्दावस्था को भी टाला जा सकता है । 

       जब भी कहीं चाय की चर्चा होती है तो यही समझा जाता है कि यह एक ऐसा पेय है जिसे आमतौर पर बूढे लोग पसंद करते हैं या यह कवियों के लिए प्ररेणादायक होती है । उल्लेखनीय है कि चाय पिछले बहुत समय से अत्यंत लोकप्रिय पेय रही है और चाय से जुड़ी चीजें हर जगह उपलब्ध होती हैं । उदाहरण के तौर पर हरी चाय की आइसक्रीम और बर्फ युक्त नींबू की चाय, सभी सुपर बाजारों में आसानी से मिल जाती है । रोजाना लिए जाने वाले भोज्य पदार्थों में अनेक ऐसे है जिन्हें चाय के विशेष उत्पादन की संज्ञा दी जा सकती है ।

       चाहे जो भी हो एक बात तो निश्चित है कि ज्यादा से ज्यादा लोग रोजाना चाय पीते हैं और वह भी स्वास्थ्य लाभ के लिए नहीं बल्कि  स्वाद और ताजगी का आनंद लेने के लिए इसका सेवन करते हैं। जबकि यह बात भी निश्चित है कि हरी पत्तियों में निहित स्वास्थ्यवर्धक विशेषताओं  को भी नकारा नहीं जा सकता है और अब यह बात बिना किसी संदेह के कही जा सकती है कि आने वाले दिनों में स्वास्थ्य उद्योग का चाय से प्रभावित होना लगभग निश्चित समझा जाना चाहिए ।

 

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