रविवार, 12 अक्टूबर 2008

खास खबर: विचाराधीन कैदियों को मिले मताधिकार, ऐहतियातन हिरासत नहीं हो अनिश्चित काल तक

खास खबर: विचाराधीन कैदियों को मिले मताधिकार, ऐहतियातन हिरासत नहीं हो अनिश्चित काल तक

राष्‍ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने की सिफारिशें

याहू हिन्‍दी से साभार

नई दिल्ली। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने विचाराधीन कैदियों को मतदान करने की अनुमति दिए जाने की वकालत की है। साथ ही कहा है कि एहतियातन हिरासत की अवधि अनिश्चितकाल तक नहीं होनी चाहिए।

हिरासत में बंद कैदियों के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने अपनी सिफारिश में कहा है कि विचाराधीन कैदियों को भी मताधिकार का इस्तेमाल करने की अनुमति मिलनी चाहिए। इससे उनमें एक सम्मान की भावना जागृत होगी और उन्हें समाज के एक हिस्सा के रूप माना जाएगा। मानवाधिकार आयोग ने समाज की भागीदारी के लिए खुले कारागार की भी वकालत की है।

आयोग ने यह भी कहा है कि विचाराधीन अथवा गैर जमानती व्यक्ति चुनाव लड़ सकता है लेकिन उसे मताधिकार का इस्तेमाल करने का अधिकार नहीं है। कैदियों को मतदान का अधिकार दिए जाने से उनके रवैये में बदलाव लाने में मदद मिलेगी।

इसमें यह भी कहा गया है कि एहतियातन हिरासत की अवधि अनिश्चितकाल के लिए नहीं हो सकती। इसलिए आयोग ने इसे कम कर एहतियातन हिरासत की न्यूनतम अवधि साठ दिन तथा अधिकतम अवधि 180 दिन तक करने की सिफारिश की है।

आयोग ने सरकार को विचाराधीन कैदियों तथा दोषियों के लिए अलग अलग कारागार बनाने की सलाह भी दी है। आयोग ने अपनी सिफारिशों में कहा है कि प्रदेश सरकारों को हिरासत में कैदियों का खास ख्याल रखना चाहिए तथा उनके मानवाधिकारों को भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

 

 

 

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