रविवार, 13 सितंबर 2009

शिवपुरी के कद्दू की दिल्ली में धाक, एक बीघा में पैदा होता है पचास क्विंटल कद्दू

शिवपुरी के कद्दू की दिल्ली में धाक, एक बीघा में पैदा होता है पचास क्विंटल कद्दू

Presented By : Subhash Chandra Arora, Divisional/ Regional Public Relations Officer, Gwalior –Chambal Division/ Region

ग्वालियर 13 सितम्बर 09। एक स्थानीय समाचार पत्र में जर्मनी के कद्दुओं के बीच बिल्ली का चित्र देख मुझे सहज ही शिवपुरी के कद्दू की याद आ गई जिसकी दिल्ली में भी धाक है। दरअसल ग्वालियर संभाग के शिवपुरी जिले का कद्दू देश की राजधानी दिल्ली में घर घर खाया जाता है। शिवपुरी के अधिकतर गांवों में जायद फसल के रूप में कद्दू पैदा किया जा रहा है। कुछ किसान तो मेढ़ों पर कद्दू की बेल लगाकर आराम से अच्छी खासी आमदनी कर लेते हैं। गत दिनों भोपाल से ग्वालियर आते हुए मुझे सुभाषपुरा के समीप इमलिया करसेना ग्राम का प्रगतिशील कृषक श्री उत्तम सिंह रावत दो ट्रैक्टर ट्रालियों में कद्दू लादकर ग्वालियर मंडी ले जाता हुआ मिल गया। श्री रावत ने मुझे बताया कि वह साठ दिन में प्रति बीघा 50 क्विंटल कद्दू पैदा करता है। वह एवं अन्य कृषक शिवपुरी मंडी की अपेक्षा ग्वालियर मंडी जाकर कद्दू बेचना अधिक पसंद करते हैं। जहॉ से कद्दू देश की राजधानी दिल्ली सहित कई भागों में भेजा जाता है। साथ ही ग्वालियर मंडी में दाम भी अच्छे मिलते हैं। श्री रावत ने आगे बताया कि टमाटर बैंगन और मिर्च भी उसकी पसन्द वाली सब्जियाँ हैं जो अच्छा फायदा दे जाती हैं। उसने आगे कहा कि सब्जियों में सबसे अधिक मुनाफा मिर्च पैदा करने से होता है।

       उत्तम सिंह रावत के गाँव के लोग मेहनती प्रगतिशील और संपन्न किसान है। एक वरिष्ठ पत्रकार श्री शुक्ला ने बताया कि कुख्यात डकैत गड़रिया द्वारा इमलिया -करसेना के कृषकों के अपहरण से यह गाँव मीडिया में भी चर्चित हो चुका है परन्तु इस गाँव का कद्दू और टमाटर दूर दूर तक जाता है इसकी जानकारी शायद कम ही लोंगो को है। सब्जी के क्षेत्र में टमाटर एवं कद्दू शिवपुरी जिले की चैम्पियन फसलें मानी जाती हैं। कद्दू की फसल जिले के कोलारस, शिवपुरी, पोहरी और बदरवास तहसीलों में अधिक ली जाती है। यहाँ पैदा होने वाला कद्दू 05 से 20 किलो तक का होता है। लम्बी अवधि वाली फसल का कद्दू तो और भी बड़ा होता है। कद्दू की खास विशेषता यह है कि यह शिवपुरी में ही नहीं बल्कि देश की राजधानी की सब्जी मंडी में अपनी धाक जमाये हुए है। कद्दू वर्ग के कुमढ़े का उपयोग ग्वालियर एवं आगरा में बड़े पैमाने पर पेठा बनाने में किया जा रहा है।

       कद्दू की फसले लेने के प्रति कृषकों का रूझान दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है। जिसके कारण कद्दू के रकबे एवं उत्पादन में भी प्रतिवर्ष वृध्दि हो रही है। गत वर्ष 2007 -08 में 532.5 हेक्टेयर क्षेत्र में 1 लाख 65 हजार मैट्रिक टन का उत्पादन हुआ। जिले में रणनीति बनाकर टमाटर, मिर्च, प्याज, लहसुन, कद्दू बीजों का अधिकतम उपयोग करके उत्पादन बढ़ाने के प्रयास किये जा रहे हैं।

       संभाग का प्रथम एवं प्रदेश का दूसरा कृषक प्रशिक्षण केन्द्र शिवपुरी में होने के कारण कृषकों को सब्जी उत्पादन की आधुनिक एवं उन्नत तकनीकों का भी प्रशिक्षण विषय विशेषज्ञों द्वारा दिया जा रहा है।

       सहायक संचालक उद्यानिकी श्री सेंगर ने बताया कि शिवपुरी जिला प्रदेश में सब्जी उत्पादन के मामले में अग्रणीय जिला है। इस जिले की मिट्टी एवं जलवायु सब्जी एवं फलों के लिए काफी अनुकूल होने के कारण व कृषकों के रूझान के फलस्वरूप सब्जियों का रकबा एवं उत्पादन लगातार बढ़ रहा है।

       उन्होंने आगे कहा कि सब्जी बीज उत्पादन कार्यक्रम के तहत वर्ष 2008-09 में 250 कृषकों को 120 हेक्टेयर क्षेत्र में सब्जी उत्पादन हेतु 2 लाख 26 हजार की अनुदान सहायता उपलब्ध कराई गई। जबकि वर्ष 2009-10 में लगभग 300 कृषकों को 192 हेक्टैयर क्षेत्र में 3 लाख 90 हजार रूपये का अनुदान उपलब्ध कराया जा चुका है।

-सुभाष चन्द्र अरोड़ा

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