शनि का ग्रह परिवर्तन, भावी परिवर्तन और उथल पुथल का तेज संकेत
9 सितम्बर को शनि का सिंह राशि से कन्या राशि में प्रवेश
नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनन्द''
कर्क राशि के जातक पिछले सात आठ साल से झेल रहे शनि की साढ़े साती से 9 सितम्बर 09 को अंतत: मुक्त हो जायेंगें, तथा तुला राशि पर साढ़े साती चालू हो जायेगी । दरअसल सबसे धीमी चाल तेज तासीर और असर वाले शनिदेव 9 सितम्बर 2009 को राशि बदल कर सिंह राशि से कन्या राशि में प्रवेश करेंगे ।
शनिदेव की विशेषता है कि वे जिस राशि में होते हैं उससे एक राशि आगे और एक राशि पीछे तक अपना असर विस्तारित कर रखते हैं । शनिदेव यूं तो गणितीय तौर पर एक राशि पर सामान्यत: ढाई साल तक विद्यमान रह कर गोचर करते हैं , किन्तु व्यावहारिक रूप से ऐसा कम ही होता है, शनिदेव अपनी वक्री व अतिचारी चाल से चलते कई बार वर्तमान राशि से पीछे की राशि तक चले जाते हैं परिणाम स्वरूप कभी कभी एक ही राशि पर तीन से साढे तीन चार साल तक टिके रहते हैं । शनि की वक्री चाल अक्सर हर साल आती है शायद ही कुछ अपवाद स्वरूप एकाध साल होता है जब शनि देव वक्री गति से नहीं चलते फलस्वरूप कभी कभी जितना आगे जाते है, उससे कहीं अधिक पीछे चले जाते हैं ।
शनिदेव की साढ़े साती से अक्सर लोग भरी भयभीत व आतंकित रहते हैं लेकिन ऐसा नहीं है, कुछ लोग सबसे अधिक फायदा शनि की साढ़े साती में ही उठाते हैं । उदाहरण के तौर पर जब पिछली बार वृश्चिक और तुला पर साढ़े साती आयी थी तो रोमानिया नामक देश के अतुलनीय वैभव से युक्त सम्राट निकोलाई चाऊशेस्कू की सपरिवार सार्वजनिक दण्ड स्व्ारूप हत्या कर जनता ने उनके महल पर कब्जा कर लिया और उनके लगभग पौन सदी के राज्य का खात्मा कर दिया । रूस पर उसी समय समस्यायें टूटना शुरू हो गयीं । एन.टी.रामाराव जैसे नेता ने इन्हीं दिनों में काफी संकट झेले अंतत: उनका स्वर्गवास भी हो गया ।
इसक बाद कुम्भ व मकर पर साढ़े साती लगते ही सोमालिया में हालात इतने बदतर हो गये कि भुखमरी में कई लोग अपने ही बच्चों को मार कर उनका मॉंस खने जैसी खबरों से लोगों के दिल हिल गये वहीं उसी दरम्यान इसी साढ़े साती के काल में ''सोवियत संघ'' जैसी विश्व महाशक्ति का विखण्डन होकर नक्शा ही मिट कर अस्तित्व समाप्त हो गया और एक चक्रवर्ती वैभवशाली साम्राज्य टुकड़ों में टूटकर तिनका तिनका बिखर कर एक कमजोर राष्ट्र मात्र बन कर रह गया ।
मीन राशि की साढ़ेसाती में कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह म.प्र. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बने और इसी साढ़े साती के दरम्यान ही वे म.प्र. के मुख्यमंत्री भी बने ।
मीन की साढ़े साती के साथ ही अगली राशि मंगल के स्वामित्वाधीन मेष पर साढ़े साती का चरण चालू होते ही देश में भरी राजनीतिक उथलपुथल हुयी । और मेष राशि की कई हस्तियां जहॉं अचानक धरती से उठकर आसमान चूम गयीं वहीं आसमान में व्याप्त कई सितारे धरती पर मुँह के बल आ गिरे और कई संकटो व जंजालों में फंस गये ।
मेष राशि के इन्द्र कुमार गुजराल प्रधनमंत्री बन गये, लालकृष्ण आडवाणी, अटल बिहारी, उमाभारती जैसे लोग इसी दरम्यान गर्दिशों से निकल कर चर्चाओं में आ गये । वही मेष की साढ़े साती में ही लालू प्रसाद यादव चारा घोटाले में फंस गये और राजगद्दी से हाथ धो बैठे और कई संकटों में उलझ गये । मेष की साढ़े साती में ही अर्जुन सिंह पी.वी.नरसिंहाराव सरकार से इस्तीफा दे बैठे और कांग्रेस से भी बाहर हो गये , इसी साढ़े साती में चन्द्रबाबू नायडू भी मेष राशि के होकर मुख्यमंत्री बन गये, मेष की साढ़े साती में ही अटलबिहारी बाजपेयी प्रधानमंत्री बन गये, लालकृष्ण आडवाणी मंत्री और उपप्रधानमंत्री बन गये, उमाभारती केन्द्रीय मंत्री बन बैठीं ।
अटलबिहारी बाजपेयी के लिये वक्री शनि बहुत अच्छा फलप्रद रहता आया वहीं मार्गी शनि के समय वे सदा झंझटों में उलझे रहे । मेष की साढ़े साती समाप्त होने के साथ ही मेष राशि वाले भाजपा नेताओं की सत्ता छिन गयी वहीं मध्यप्रदेश में भी मेष की साढ़ेसाती काल में मुख्यमंत्री बनीं उमाभारती को भी नाटकीय ढंग से राजगद्दी से हाथ धोना पड़ा और अगली राशि वृष पर साढ़ेसाती के चलते बाबूलाल गौर म.प्र. के मुख्यमंत्री बन गये ।
मेष राशि की साढ़ेसाती काल में ही मेष राशि के राष्ट्रों में भी युद्ध छिडे अमरीका, ईराक, अफगानिस्तान और ओसामा बिन लादेन सभी मेष राशि के ही जातक हैं, इनका पूरा घटनाक्रम मेष राशि की साढ़ेसाती के दरम्यान ही घटित हुआ ।
शनि का वक्री होना म.प्र. के मुख्यमंत्री रह चुके बाबूलाल गौर को नही फला और उनका मुख्यमंत्री पद चला गया यदि वे किसी तरह शनि संतुष्टि का उपाय साध कर शनि के मार्गी होने तक टिके रहते तो उनका बाल बांका नहीं होता तथा वे मुख्यमंत्री बने रहते । तथा शिवराज सिंह को लघु कल्याणी ढैया का या उनकी जन्म राशि (ज्ञात नहीं) पर संभवत: साढ़ेसाती के कारण आया राजयोग बंध जाता यानि टल जाता ।
वर्तमान में चल रहा कर्क की साढ़ेसाती का दौर 9 सितम्बर को समाप्त होकर कई अच्छे परिवर्तन होने की उम्मीद है क्योंकि कर्क राशि का गहरा सम्बन्ध नक्षत्र सम्राट पुष्य नक्षत्र, विप्र वर्ण, देव योन से होकर स्वामी चन्द्रमा है । कर्क राशि के जातक देवता तुल्य मान्य किये गये हैं, संकट से दौर से गुजर रहे इस राशि के जातक अब भारी राहत महसूस करेंगें वहीं यदि साढ़े साती के कारण कर्क राशि के कुछ जातक जो अब तक मलाई मार रहे थे उन्हें अब अपना इन्तजाम कर लेना चाहिये ।
अब वर्तमान साढ़े साती शनि की दशा 10 सितम्बर 09 से तुला, सिंह व कन्या पर चलेगी जिसमें सिंह पर साढ़ेसाती का अंतिम चरण और, कन्या पर दूसरा चरण एवं तुला पर पहला चरण शुरू होगा ।
वर्तमान में भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह राशि के हैं वे भी सिंह की राशि पर साढ़े साती आते ही प्रधानमंत्री सुख पा गये । लेकिन सिंह राशि का साढ़ेसाती का अंतिम चरण होने से अब उनका यह सुख लम्बे समय तक नहीं चलेगा । ज्योतिषीय हिसाब से किसी न किसी कारण से वक्री शनि आने पर (13 जनवरी 2010) मकर संक्रान्ति से मुसीबतों का दौर चालू होगा । और बाद में शनि के मार्गी होते ही मुसीबतें समाप्त भी हो जायेगा । लेकिन सिंह की साढे साती समाप्त होने के बाद वे प्रधानमंत्री नहीं रहेंगें , ज्योतिषीय तौर पर यह तय है । सिंह की साढ़े साती समाप्ति के साथ ही वृश्चिक राशि पर साढ़े साती शुरू हो जायेगी । तो यह तय है कि अगली सत्ता पर या राजगद्दियों पर तुला, वृश्चिक और कन्या राशि के लोग काबिज होंगे ।
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