मंगलवार, 8 सितंबर 2009

काश्तकारों के जीवन में खुशहाली का ताना-बाना बुनते बलराम तालाब

काश्तकारों के जीवन में खुशहाली का ताना-बाना बुनते बलराम तालाब

- जे.पी. धौलपुरिया, उपसंचालक, जिला जनसंपर्क कार्यालय शहडोल म.प्र.

शहडोल 7 सितम्बर 2009. जब पैंतीस वर्षीय श्री रामनारायण कुशवाहा ने तमाम प्रयासों के बाद नौकरी नहीं मिलने पर दो वर्ष पूर्व शहडोल जिले के खेतौली गांव में अपने परिवार की पांच एकड़ जमीन के खेतों के बीच कृषि विभाग के अनुदान की सहायता से तालाब खुदवाने का फैसला किया, तो उन्हें जरा भी एहसास नहीं था कि वे बहुत जल्द लखपति बन जाएंगे । लेकिन बारवीं पास श्री रामनारायण की दो साल में उस तालाब ने तकदीर बदल दी ।

       रामनारायण ने जब भी खेतों से अपना भविष्य बनाने की कल्पना की, वह परवान नहीं चढ़ सकी । सिंचाई की कमी उनके मार्ग में बाधा थी । सिंचाई के लिए खेत पूरी तरह वर्षा पर निर्भर होने के कारण खेती की ओर बढ़ते उनके कदम हमेशा डगमगाने लगते थे । लेकिन कृषि विभाग द्वारा खेतों में ही तालाब निर्माण के प्रति जगाए अनुराग ने सिंचाई को लेकर उनके मन में उपजी निराशा को पलट दिया । कृषि विभाग ने सिंचाई के लिए उनके खेतों में तालाब की व्यवस्था करके क्रांति ला दी । श्री रामनारायण ने पांच एकड़ के अपने पारिवारिक खेतों के बीच कृषि विभाग के अनुदान की बदौलत एक तालाब खुदवाया, जिसे आज बलराम तालाब के नाम से जाना जाता है । इस तालाब के भरोसे रामनारायण ने खेतों में फसलें बो दीं । बरसात में गिरा पानी तालाब में जमा होने लगा और उससे खेतों की प्यास बुझने लगी । फसलें लहलहाने लगीं ।

       कभी फांकाकशी करने वाले रामनारायण को सरकारी मदद और उनकी मेहनत की बदौलत फर्श से अर्श तक पहुंचने में तुरंत सफलता हाथ लग गई । यही नहीं, खेतों से फसल निकालते ही वे लखपति बन गए । रामनारायण में इस काम को लेकर खासा उत्साह है । उन्होंने अपनी धान, गेंहू , तिल की फसलों की अप्रत्याशित बिक्री की और भारी कारोबार के जरिए उन्होंने खेतों में दूसरी फसलें भी लेना शुरू कर दिया । आज तालाब की सिंचाई से भरपूर फसलें लेने में आसपास के गांवों में रामनारायण एकदम जाना-पहचाना नाम है , जिसकी बदौलत उनके पास मकान व मोटर साइकिल है और अब टे्रक्टर खरीदने की सोच रहे हैं । उनका सालाना टर्नओवर तकरीबन 3 लाख रूपये का हो गया है । वे 90 क्विंटल अकेले धान का ही उत्पादन लेते हैं ।

       अनेक काश्तकार बलराम तालाब योजना की ओर आकर्षित हुए हैं । बलराम तालाब रामनारायण के पांच एकड़ खेतों की प्यास बुझाता है और साल में तीन फसलें होती हैं। रामनारायण डीजल पंप से अपने खेतों में सिंचाई करते हैं । खास बात यह है कि तालाब को नीचाई पर इस तरह बनाया गया है कि खेतों में दिया गया पानी अन्तत: बहकर वापस तालाब में ही जमा हो जाता है, जिससे तालाब खाली नहीं हो पाता । बलराम तालाब से पनपे खेतों से आज रामनारायण और उनके दो भाईयों यानि तीन परिवारों की बड़े मजे में आजीविका चल रही है । उनके बच्चे अच्छे स्कूलों में पढ़ रहे हैं और वे सब जीवन का हर सुख भोग रहे हैं। बलराम तालाब ने उनके जीवन में समृध्दि ला दी है ।

       बीते वक्त को याद करते हुए रामनारायण का कहना है, ''अगर आज तालाब नहीं होता, तो मैं फक्कड़ ही बना रहता । तालाब ने जीने का सहारा दिया है और आगे बढ़ने का हौसला बढ़ाया है । '' वे बताते हैं, '' खेती के दौरान मैं बस इसी बारे में सोचता था । और आज जब पीछे मुड़कर देखता हूँ, तो हैरान होता हूँ कि क्या यह सब मैंने किया है । ''

       शहडोल जिले में सरकारी तालाबों के निर्माण की छवियां बेशक सुखद हैं, जिन्होंने हमेशा के लिए तमाम काश्तकारों का जीवन बदल दिया । कुछ ही वर्षों में वे लाखों में खेलने लगे । शहडोल के उप संचालक कृषि श्री के. एस. टेकाम कहते हैं, '' इसे एक बदलाव वाला मोड़ कहा जा सकता है । असिंचित क्षेत्रों के काश्तकार अपने खेतों में बरसाती पानी के तालाबों से अपनी फसल बचा लेते हैं । गत तीन वर्षों में विभाग ने जिले में 583 तालाब बनवाए, जिनके लिए काश्तकारों को कुल 64.60 लाख रूपये की अनुदान राशि मुहैया कराई गई । अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जन जाति के काश्तकारों को एक लाख रूपये तक और सामान्य वर्ग के काश्तकारों को 80 हजार रूपये तक का अनुदान दिया जाता है ।''

सिंचाई के लिए एक कारगर साधन के रूप में काश्तकारों के लिए जीवनयापन के स्थायी और उन्नतशील मॉडल बलराम तालाब ने शहडोल जिले के तमाम काश्तकारों को आजीविका चलाने में मदद की है।

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