शहडोल की बरसाती प्याज जो काश्तकारों को बना दे लखपति
जे.पी. धौलपुरिया, उप संचालक, जनसंपर्क कार्यालय शहडोल म.प्र.
शहडोल 3 सितम्बर 2009. सोच के साथ जज्बा हो तो कामयाबी मिलना तय होता है । शहडोल जिला मुख्यालय से करीब 20 मिलोमीटार की दूरी पर मैकल पहाड़ी की तराई में बसे भमरहा गांव के निवासी श्री बृजेश सिंह राठौर ने अपनी लगभग दस डिसमिल जमीन में दो साल पहले नासिक की ए.डी.आर. बरसाती प्याज की प्रजाति रोपकर खेत में लगायी । श्री राठौर ने कृषि विभाग की पहल पर उसके द्वारा अनुदान बतौर उपलब्ध कराए गए उक्त बरसाती प्याज के बीज और तकनीकी मार्गदर्शन पर बरसाती प्याज की खेती प्रयोग के तौर पर इस सोच से की कि ढलाननुमा और काली मिट्टी की जमीन में नासिक की तरह बरसाती प्याज शायद पैदा हो सके । हालांकि श्री राठौर के पिता ने उनके इस कदम का विरोध किया था । लेकिन कल्पना सफल हुई और उन्होंने 10 क्विंटल प्याज का उत्पादन लेकर 15 हजार रूपये कमाए । इससे वे बेतहाशा प्रोत्साहित हुए और उन्होंने गत वर्ष 50 डिसमिल जमीन में बरसाती प्याज लगाई । इसमें 50 क्विंटल प्याज पैदा हुई और उन्होंने इसकी विक्री से 90 हजार रूपये कमाए ।
इस वर्ष श्री राठौर ने ढाई एकड़ जमीन पर बरसाती प्याज बोयी है और इसमें करीब 400 क्विंटल उत्पादन होने की संभावना ह,ै जिससे उन्हें कम से कम 6 लाख रूपये की आय होने का अनुमान है । श्री राठौर के अलावा जिले के पचास गांवों के डेढ़ सौ किसानों ने भी नासिक की बरसाती प्याज की उपरोक्त प्रजाति के बीज लगाकर अपने-अपने खेत खड़े कर डाले, जो तीखी महकदार प्याज कांदों से इस साल लद गए । कम पानी, कम लागत और कम समय में कई फसलों की तुलना में कई गुना अधिक उत्पादन देने वाली बरसाती प्याज से ये काश्तकार इन दिनों अपने सुनहरे भविष्य का ताना-बाना बुनने में जुटे हैं । कृषि विभाग काश्तकाराें को अनुदान बतौर बीज उपलब्ध कराने के साथ -साथ इसकी फसल लेने का प्रशिक्षण भी दे रहा है। खास बात यह है कि इनमें से कई किसान गत वर्ष भी इससे भरपूर कमाई कर चुके हैं और अब इससे लाखों रूपये कमाने के सपने देख रहे हैं । प्याज की खेती में बड़ी संख्या में मजदूरों को रोजगार मिल रहा है जिनमें ज्यादा संख्या महिलाओं की है ।
इधर शहडोल जिले के कलेक्टर श्री नीरज दुबे ने इन प्याज उत्पादक इलाकों का दौरा करने के बाद प्याज उत्पादन का रकबा बढ़ाने के लिए काश्तकारों को प्रेरित करने हेतु सहुलियतें देने के कृषि विभाग को निर्देश दिए हैं । उन्होंने आदिवासी काश्तकारों के यहां कपिलधारा के तहत कुए खुदवाने और उन्हें विभिन्न मदों के अन्तर्गत डीजल पंप मुहैया कराने के भी निर्देश दिए हैं । भमरहा के बृजेश राठौर बताते हैं कि बरसाती प्याज से सोयावीन की तुलना में आठ गुना कमाई अधिक है । प्याज की कमाई से ही उन्होंने शहडोल में एक मकान खरीद लिया है और दो मोटर साइकिलें ले ली हैं । एक टे्रक्टर खरीदा है जिसमें कुछ अंश प्याज की कमाई का भी है ।
इमलीटोला (बुढ़ार) के अवधेश सिंह बरगाही ने गत वर्ष 50 डिसमिल जमीन में बरसाती प्याज का उत्पादन लेकर साठ हजार रूपये की कमाई की थी । इस पैसे से न केवल उन्होंने बेटी की शादी का कर्ज अदा किया, बल्कि दो भैंसें खरीद डाली और मछली पालन का काम भी शुरू कर दिया । प्याज की फसल एक तरह से नगदी फसल साबित हुई है । बरसाती प्याज का मौसम जून के प्रथम सप्ताह से सितम्बर के प्रथम सप्ताह तक रहता है । अक्टूबर-नवम्बर तक शहडोल की बरसाती प्याज बाजार में आ जाती है । हालांकि कुछ काश्तकारों ने दो साल पहले शहडोल की प्याज को बाजार में उतारा था । लेकिन उसके तीखेपन और महक से खानेवाले परिचित नहीं हो सके थे । अलवत्ता पसंद बढ़ने लगी थी । इस साल शहडोल की बरसाती प्याज पूरी तरह पहचानी और पसंद की गई ।
बरसाती प्याज उत्पादकों की कहानी शहडोल जिले के किसानी हलकों में अलग ही नजर आती है और उसका स्वाद भी दूसरों से अलग है । चंद काश्तकारों ने जिस प्याज के काम को प्रयोग के तौर पर शुरू किया था, आज उसी प्याज का कारोबार लाखों रूपये के फलते-फूलते कारोबार में तब्दील होने जा रहा है । अनेक काश्तकारों द्वारा बरसाती प्याज का उत्पादन लेने से प्याज बाजार में उफान आने लगा है और जिन काश्तकारों ने इसका एकबार उत्पादन ले लिया, उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा । प्याज उत्पादन के विस्तार से तमाम लोगों के लिए रोजगार पैदा हुआ है । अगर इसी रफ्तार से प्याज के रकबे का विस्तार होता रहा तो आने वाले समय में शहडोल प्याज उत्पादन में मिनी नासिक बन जाएगा । उप संचालक कृषि श्री के. एस. टेकाम का कहना है कि बरसाती प्याज के उत्पादन से कई गुना अधिक आमदनी होती है । काश्तकारों का इस तरफ रूझान बढ़ रहा है ।
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