ग्रामीण विकास
नरेगा-ग्रामीण भारत में बदलाव लाने का अभियान
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डॉ. अतुल कुमार तिवारी *
* निदेशक (एम एवं सी), पसूका, नई दिल्ली
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (नरेगा) में और अधिक पारदर्शिता एवं जवाबदेही लाने के लिए इसमें और सुधार किया जाएगा। इस कार्यक्रम में मौजूदा कार्यों के अतिरिक्त और कार्य शामिल करने के लिए ऐसे कार्यों की पहचान की जाएगी। प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने 63 वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए यह घोषणा की।
नरेगा सरकार की महत्वपूर्ण (्फ्लैगशिप) योजनाओं में से एक है जिसे आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले से 2 फरवरी 2006 को शुरू किया गया था। अब तक देश के 200 जिलों में यह योजना लागू की गई है। फिलहाल देश के सभी 614 जिलों में इस योजना का विस्तार किया गया है। इस कानून का उद्देश्य वित्त वर्ष के दौरान हर ग्रामीण परिवार को कम से कम 100 दिन के रोजगार की गारंटी देना है। इसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों में बिना दक्षता वाले हाथ के कार्य शामिल किए गए हैं और स्वैच्छिक रूप से ऐसे कार्य करने के इच्छुक लोगों को ये कार्य उपलब्ध कराए जाते हैं। कार्यक्रम के प्रारंभ से अब तक 10 करोड़ से अधिक ग्रामीण परिवार लाभान्वित हो चुके हैं। इसने 2008-09 में 4,479 करोड़ से अधिक परिवारों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए। इसने ग्रामीण बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए भी योगदान दिया है।
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले हर ग्रामीण परिवार के एक सदस्य को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराने पर जोर देता है। इस कानून की खास बातों में निम्नलिखित शामिल हैं-
· समयबध्द रोजगार गारंटी और 15 दिन के भीतर मजदूरी का भुगतान,
· रोजगार उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकारों के वास्ते प्रोत्साहन-हतोत्साहन संरचना,
· रोजगार उपलब्ध कराने की लागत का 90 प्रतिशत भार केंद्र वहन करता है। अगर निर्धारित समय में राज्य सरकार रोज़गार उपलब्ध नहीं कराती तो अपने खर्च पर बेरोजगार भत्ते का भुगतान,
· श्रम प्रधान कार्यों के कारण ठेकदारों और मशीनों के इस्तेमाल को रोकना। इस कानून में महिलाओं की 33 प्रतिशत भागीदारी का भी प्रावधान है।
प्रमुख विशेषताएं
नरेगा के कार्य भावी ज़रूरतों के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में स्थायी परिसंपत्तियों का सृजन करने के इरादे से कराए जाते हैं। इनमें जल संरक्षण और जल संभरण, सूखे से बचने के उपाय (वन रोपण एवं वृक्षारोपण सहित), सूक्ष्म एवं लघु सिंचाई कार्यों सहित सिंचाई नहरें, सिंचाई सुविधा का प्रावधान, अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों या गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले परिवारों या भूमि सुधारों के लाभान्वितों अथवा सरकार की इन्दिरा आवास योजना के तहत लाभार्थियों वाले परिवारों की अपनी भूमि पर बागवानी रोपण और भू-विकास सुविधाएं, टंकियों से गाद निकालने सहित पारंपरिक जल निकायों का जीर्णोध्दार, भू-विकास, जल भराव वाले क्षेत्रों में जल निकासी सहित बाढ़ नियंत्रण और संरक्षण कार्य, हर मौसम के लिए सुगम ग्रामीण संपर्कता, तथा राज्य सरकारों से परामर्श के बाद केंद्र सरकार की ओर से अधिसूचित होने वाले अन्य कार्य शामिल हैं।
वर्तमान वित्तीय वर्ष (2009-10) के दौरान नरेगा के तहत अब तक निम्नलिखित गतिविधियां चलाई गई हैं :
नरेगा के तहत कार्य | शुरू किए गए कार्यों की संख्या | पूरे किए गए कार्यों की संख्या |
सड़क संपर्कता | 335873 | 44177 |
बाढ़ नियंत्रण एवं संरक्षण कार्य | 46980 | 9830 |
जल संरक्षण एवं जल संभरण | 442125 | 57959 |
सूखा रोकने के उपाय | 143945 | 9991 |
सूक्ष्म सिंचाई कार्य | 112677 | 15638 |
किसानों के स्वामित्व वाली भूमि में सिंचाई सुविधा का प्रावधान | 394223 | 72053 |
पारंपरिक जल निकायों का जीर्णोध्दार | 209049 | 24953 |
भू-विकास कार्य | 258345 | 31658 |
ग्रामीण विकास मंत्रालय से अनुमोदित कार्य | 17478 | 1270 |
अधिकार आधारित ढांचा
बिना दक्षता वाला हाथ का कार्य करने के इच्छुक ग्रामीण परिवार के सभी वयस्क सदस्यों को रोज़गार मांगने का अधिकार है। ऐसे परिवार जॉब कार्ड के लिए ग्राम पंचायत में आवेदन करेंगे। ग्राम पंचायत आवेदक की उम्र और स्थानीय निवास स्थान का सत्यापन करेगी। ग्राम पंचायत सत्यापन के बाद, परिवार को फोटो सहित जॉब कार्ड निशुल्क जारी करेगी। जॉब कार्ड परिवार के पास ही रहना चाहिए। जॉब कार्ड धारक काम के लिए ग्राम पंचायत में आवेदन कर सकताती है जो उसे कार्य के लिए आवेदन की दिनांकित रसीद जारी करेगी।
रोज़गार की समयबध्द गारंटी
कार्य के लिए आवेदन करने के बाद 15 दिन के भीतर ग्राम पंचायत (स्थानीय स्वशासन निकाय) रोज़गार उपलब्ध कराएगी, अन्यथा आवेदक को बेरोज़गार भत्ते का भुगतान किया जाएगा। परिवार अपनी आवश्यकता के आधार पर वित्तीय वर्ष में 100 दिन तक के रोज़गार की गारंटी प्राप्त कर सकता है।
बेरोज़गार भत्ता
यदि अग्रिम आवेदन के मामले में रोज़गार के लिए आवेदन प्राप्त होने की तिथि के बाद या रोज़गार मांगने की तिथि के बाद 15 दिन के भीतर, आवेदक को रोज़गार उपलब्ध नहीं कराया जाता तो राज्य सरकार उसे बेरोज़गार भत्ता देगी।
वित्तीय निष्कर्ष
मजदूर को मजदूरी की दर पर मजदूरी का भुगतान बैंक खातेडाकघर के खाते में किया जाएगा। मजदूरी का भुगतान हर सप्ताह किया जा सकता है और किसी भी मामले में भुगतान में 15 दिन से अधिक की देरी नहीं होनी चाहिए।
विकेंद्रीकरण
ग्राम सभा (स्थानीय निकाय) किए जाने वाले कार्यों की सिफारिश करेगी। ग्राम पंचायतें कम से कम 50 % कार्यों का कार्यान्वयन करेंगी। पंचायती राज संस्थाओं की योजना बनाने, निगरानी और कार्यान्वयन में प्रमुख भूमिका होगी।
कार्य स्थल प्रबंधन और सुविधाएं
कार्य स्थल पर कार्य के विवरण के साथ नागरिक सूचना बोर्ड रखा जाएगा। कार्य स्थल पर क्रेश (शिशु सदन), पेय जल, प्राथमिक स्वास्थ्य सहायता और शेड उपलब्ध कराए जाएंगे। काम करने वाले मजदूरों के नाम रजिस्टर में दर्ज होंगे और कार्य स्थल निरीक्षण के लिए खुला रहेगा। समय पर मापन सुनिश्चित किया जाएगा।
महिला सशक्तिकरण
कम से कम एक तिहाई श्रमिक महिलाएं होनी चाहिए।
पारदर्शिता एवं जवाबदेही
नरेगा में पूरी पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए सामाजिक ऑडिट की अनिवार्य व्यवस्था, हर स्तर पर नियमित रूप से निगरानी और शिकायत निवारण प्रणाली स्थापित की गई है।
सूचना प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल
निगरानी, डिज़ाइन निर्माण और पारदर्शिता के लिए वैबसाइट www.nrega.nic.in बनाई गई है।
वित्तीय व्यवस्था
योजना का 90 % खर्च केंद्र सरकार और 10 % खर्च राज्य सरकारें वहन करेंगी।
बीमा सुरक्षा
नरेगा के श्रमिकों को जनश्री बीमा योजना की सुरक्षा उपलब्ध कराने की व्यवस्था है।
बजटीय आवंटन
वित्त वर्ष 2008-09 के दौरान नरेगा के लिए 16,000 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया था जिसे संशोधित करके 30,000 करोड़ रुपए कर दिया गया था। वर्तमान वित्त वर्ष 2009-10 के दौरान नरेगा के तहत 30,100 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं।
कुल व्यय और मजदूरी वितरण
वर्ष | मजदूरी पर व्यय की गई राशि (करोड़ रुपए में) | कुल व्यय (करोड़ रुपए में) |
2006-07 | 5,842.37 | 8,823.35 |
2007-08 | 10,738.47 | 15,856.89 |
2008-09 | 18,165.57 | 1,34,582.29 |
2009-10 (13 अगस्त 2009 तक) | 6,314.86 | 8,561.65 |
कुल योग | 41,061.27 | 1,67,824.18 |
रोज़गार सृजन
योजना के प्रारंभ से अब तक 612.65 करोड़ व्यक्तिदिवसों का रोज़गार सृजन किया गया है।
वर्ष | व्यक्तिदिवस (करोड़ में ) | परिवारों की संख्या जिनको रोज़गार उपलब्ध कराया गया (करोड़ में) |
2006-07 | 90.50 | 2.10 |
2007-08 | 143.59 | 3.39 |
2008-09 | 214.56 | 4.50 |
2009-10 (13 अगस्त 2009 तक) | 73.5 | 2.28 |
कुल योग | 612.65 | 12.27 |
सामाजिक समावेशन
अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति और महिलाओं की भागीदारी
वर्ष | अनुसूचित जाति | अनुसूचित जनजाति | महिलाएं |
2006-07 | 25 % | 36 % | 41 % |
2007-08 | 27 % | 29 % | 43 % |
2008-09 | 29.31 % | 25.41 % | 47.88 % |
2009-10 (13 अगस्त 2009 तक) | 28.94 % | 23.99 % | 52.01 % |
गरीबी पर प्रभाव
सशक्तिकरण के अवसरों और मजदूरी की दरों के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी में महत्वपूर्ण कमी आई है। नरेगा के कार्यान्वयन के बाद कृषि मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी महाराष्ट्र में रु. 47 से बढ़कर रु. 72, उत्तर प्रदेश में रु. 58 से बढ़कर रु. 100, बिहार में रु. 68 से बढ़कर रु. 81, पश्चिम बंगाल में रु. 64 से बढ़कर रु. 75, मध्य प्रदेश में रु. 58 से बढ़कर रु. 85, जम्मू-कश्मीर में रु. 45 से बढ़कर रु. 70 और छत्तीसगढ़ में रु. 58 से बढ़कर रु. 72 हो गई। ये तो कुछ ही उदाहरण हैं। अन्य सभी जगह भी कृषि मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी बढ़ी है। राष्ट्रीय स्तर पर नरेगा के तहत दी जाने वाली औसत मजदूरी 2006-07 में रु. 65 थी जो 2008-09 में रु. 84 हो गई। इस वर्ष मजदूरी के रूप में कुल धन का 67 % से अधिक हिस्सा इस्तेमाल किया गया (रु. 18146.93 करोड़ )।
आमदनी और खरीद क्षमता पर प्रभाव
ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरी की दर और कार्यदिवसों की संख्या में वृध्दि से ग्रामीण परिवारों की आमदनी बढ़ गई है। आमदनी बढ़ने के फलस्वरूप ग्रामीण परिवारों की अनाज, अन्य आवश्यक वस्तुएं खरीदने और शिक्षा एवं स्वास्थ्य की देखभाल करने की क्षमता में वृध्दि हुई है।
प्राकृतिक संसाधनों पर प्रभाव
शुष्क और ऊसर क्षेत्रों में जल स्तर बढ़ा है क्योंकि नरेगा के तहत जल संरक्षण और सूखा रोकने के उपाय जैसे अनेक कार्य किए गए हैं। वित्त वर्ष 2008-09 में मध्य दिसम्बर 2008 तक 20.71 लाख कार्य किए गए जिनमें से 47 प्रतिशत जल संरक्षण से संबंधित हैं, व्यक्तिगत लाभार्थियों के लिए सिंचाई सुविधाओं के प्रावधान का योगदान लगभग 19 प्रतिशत, सड़क संपर्कता 17 प्रतिशत, भूमि विकास 16 प्रतिशत और शेष 1 प्रतिशत कार्य अन्य गतिविधियों से संबंधित हैं।
ग्रामीण शासन संरचना पर प्रभाव
· पंचायती राज संस्थाएं और ग्राम सभाएं सक्रिय हो गई हैं।
· नरेगा के मजदूरों के लिए बैंकों और डाकघरों में 5.77 लाख से अधिक बचत खाते खोले गए हैं।
· जनश्री बीमा योजना और राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत बीमा कवर के दायरे में नरेगा के मजदूरों को भी लाया जा रहा है।
· 1 करोड़ 16 लाख मस्टर रॉल और 5 करोड़ 70 लाख जॉब कार्ड वेबसाइट (nrega.nic.in) पर रखे गए हैं।
राष्ट्रीय हैल्पलाइन
सरकार को शिकायत दर्ज कराने और पूछताछ के लिए मजदूरों और अन्य व्यक्तियों को समर्थ बनाने के लिए टोल फ्री (मुफ्त काल की सुविधा वाला) नम्बर 1800110707 स्थापित किया गया है। ओडिशा, हिमाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल, गोवा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों ने मजदूरों के लिए हैल्पलाइन शुरू की है।
सामाजिक ऑडिट
एक लाख 80 हजार ग्राम पंचायतों में सामाजिक ऑडिट कराया गया है। राज्यों को नरेगा के प्रत्येक कार्य का 3 महीने के भीतर सामाजिक ऑडिट कराने का निर्देश दिया गया है।
परिवारों को गारंटी के साथ रोज़गार सुनिश्चित करने के क्रम में, इस कानून के तहत अपने कानूनी अधिकारों के बारे में ग्रामीण परिवारों में अधिक जागरूकता पैदा करने के लिए गहन आईईसी गतिविधियां चलाई गई हैं। राज्यों पर जोर दिया गया है कि वे कार्यान्वयन एजेंसियों में समर्पित कर्मियों को तैनात करें। ऐसे समर्पित कर्मियों का वेतन इस कानून के तहत स्वीकार्य प्रशासनिक खर्चों से पूरा किया जाता है। राज्यों को यह सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए गए हैं कि मजदूरों की मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त संख्या में कार्य उपलब्ध हों। नरेगा के कार्यान्वयन की निगरानी नियमित आधार पर की जाती है। राष्ट्रीय स्तर के निगरानी कर्ता और क्षेत्र अधिकारी इस कानून की प्रगति के अवलोकन के लिए विभिन्न जिलों का दौरा करते हैं। आईआईएम, आईआईटी, कृषि विश्वविद्यालय और अन्य सामाजिक विज्ञान संस्थाएं राज्यों में नरेगा के कार्यान्वयन के आकलन में संलग्न हैं। बैंकों और डाकघरों के जरिए अदक्ष मजदूरों के वेतन के भुगतान में पारदर्शिता सुनिश्चित करना इस कानून की महत्वपूर्ण विशेषता है। www.nrega.nic.in वेबसाइट पर सभी आंकड़े अपलोड किए गए हैं तथा सभी प्रमुख स्थानों पर प्रदर्शन के लिए नागरिक सूचना बोर्ड लगाए गए हैं। नरेगा संबंधी शिकायतों और पूछताछ के लिए नरेगा के तहत शिकायत निपटान प्रणाली और राष्ट्रीय टोल फ्री टेलीफोन हैल्पलाइन स्थापित की गई है। राज्यों से भी ऐसी ही हैल्पलाइन शुरू करने का आग्रह किया गया है। यह कानून लाखों ग्रामीण लोगों के जीवन में खुशियां लाने में मददगार रहा है और पारदर्शिता एवं जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए इसमें और सुधार से यह आने वाले समय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
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