मंगलवार, 30 दिसंबर 2008

2008 के दौरान सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की प्रमुख पहल

2008 के दौरान सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की प्रमुख पहल

 

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय

वर्षांत समीक्षा : 2008

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने इस वर्ष के दौरान जनता तक सूचना के निर्बाध प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर विषय की गुणवत्ताा और प्रसारण सिग्नलों के अभिग्रहण को भी सुनिश्चित करने के लिए अनेक नीतिगत पहल एवं कारगर उपाय किए हैं। प्रमुख पहलों में शामिल हैं :

इंटरनेट प्रोटोकॉल टीवी पर नीति

सरकार द्वारा इस वर्ष 8 सितंबर को इंटरनेट प्रोटोकॉल टीवी (आई पी टीवी) पर नीति की घोषणा की गयी थी। इसने दूरसंचार नेटवर्कों के माध्यम से लगभग 400 स्वीकृत सेटेलाइट टीवी चैनलों के सिग्नलों के वितरण के दूसरे स्वरूप के लिए दरवाजों को खोल दिया। यह ग्राहकों की नयी एवं पारस्परिक सेवाओं (सहभागी सेवाओं) की मांग को पूरा करने के लिए संवर्धित मूल्यों के साथ भारतीय दर्शक को एक नया डिजिटल दृश्य अनुभव प्रदान करती है। यह ब्रॉडकास्टरों और प्लेटफॉर्म सर्विस प्रोवाइडरों (सेवा प्रदानकत्तर्ााओं) दोनों के लिए विभिन्न व्यापारिक मॉडलों के निर्माण के लिए बढ़ते अवसरों को भी लेकर आयी है। आई पी टी वी पर नीति संबंधित मामलों पर ज्यादा स्पष्ट है। टेलीकॉम ऑपरेटर और केबल ऑपरेटर दोनों ही आई पी टी वी सेवाएँ प्रदान कर सकते हैं जिसे उनके संबंधित लाइसेंसिंग शत्तर्ाों के आधार पर विनियमित किया जाएगा। इस नीति के तहत विषय को केबुल अधिनियम में निर्दिष्ट कार्यक्रम एवं विज्ञापन कोडों के आधार पर किया जाएगा, जो अश्लील विषय समेत अनेक आशंकाओं को दूर करेगा। यह विषय कोडों के उल्लंघन की जिम्मेदारी को परिभाषित करती है और यह बताती है कि उल्लंघन करने वालों से कैसे निपटा जाएगा और यह राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित चिंताओं का भी ख्याल रखती है। यह नीति आई पी टी वी सेवा प्रदान करने वाले लाइसेंस प्राप्त टेलीकॉम ऑपरेटरों को विषय सामग्री प्रदान करने के लिए ब्राडकास्टरों के साथ-साथ बहु प्रणाली संचालकों (मल्टी सिस्टम ऑपरेटरों) और केबल ऑपरेटरों को भी सक्षम बनाती है। यही नीति समाचार एवं समसामयिकी को छोड़कर आई पी टी वी सेवा प्रदानकत्तर्ााओं को अपना विषय तैयार करने की भी शक्ति प्रदान करती है। ब्रॉडबैंड की सघनता के विस्तार के लिए सरकार की प्रतिबध्दता के साथ आई पी टी वी  विषय सामग्री के वितरण में एक बड़ी भूमिका निभाएगा।

केबुल सेवाओं का डिजिटलीकरण

केबुल सेवाओं के डिजिटलीकरण के लिए एक उपयुक्त नियामक ढांचा तैयार करने के लिए सरकार कार्य कर रही है। ग्राहकों की संख्या को कम करके बताने और केबुल ऑपरेटरों द्वारा खास तौर पर टी आर पी शहरों में परिसंचरण शुल्क लगाने जैसी समस्याओं से छुटकारा पाने में यह एक मुख्य घटक है। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (टी आर ए आई) का आकलन है कि वर्तमान में लगभग 6000 समरूप केबुल के एकतरफा समरूप केबल नेटवर्क से एकतरफा डिजिटल केबुल नेटवर्क में परिवर्तन की लागत 15,000 करोड़ रुपये होगी। अगर केबल नेटवर्कों को दो तरफा 750-850 मेगाहर्ट्ज ब्रॉडबैंड डिजिटल केबुल नेटवर्कों में परिवर्तित करना हो तो इस उन्नयन प्रक्रिया की लागत लगभग 64,000 करोड़ रुपये होगी। हेड इंड इन द स्काई (एच आई टी एस) की शुरुआत एक ऐसा नीतिगत पहल है जो निवेश को आवश्यक 15000 करोड़ रुपये से नीचे लाकर कुछ आवर्ती लागत के साथ लगभग 1200 करोड़ रुपये तक ला सकता है।

एक दूसरी पहल जिस पर विचार किया जा रहा है वह भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) की केबुल सेवाओ ंकी पुनर्संरचना पर हाल में की गयी सिफारिशों पर आधारित है। 5 वर्षों की समय अवधि की सिफारिश का प्रस्ताव किया गया है जिसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों में ब्रॉडबैंड सेवाओं को प्रदान करने के लिए दो तरफा केबुल नेटवर्कों को स्थापित करने के लिए लाइसेंस फीस से और यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लीगेशन फंड के सहयोग से मौजूदा और नये मल्टी सिस्टम ऑपरेटरों और लोकल केबुल ऑपरेटरों को डिजीटलीकरण करना होगा। पांच वर्षों की अवधि के बाद समरूप सेवाओं के लिए केबुल संचालन के लिए कोई नया लाइसेंस नहीं दिया जाएगा। ट्राई ग्रूप की सलाह पर मंत्रालय कंडीशनल एक्सेस सिस्टम (सी ए एस) क्षेत्र का पहले दिल्ली, मुम्बई और कोलकता के शेष हिस्सों में विस्तार के लिए भी कार्य कर रहा है। कर और शुल्क संरचना के पुनर्गठन के द्वारा सेट टॉप बॉक्स की लागत को नीचे लाने के लिए उपायों पर विचार किया जा रहा है।

हेड इंड इन द स्काई (एच आई टी एस)

अल्प समय के केबुल ऑपरेटरों के डिजिटल मोड की सेवा में परिवर्तन में मुख्य घटक वह निवेश है जो डिजिटल हेड इंड, कंडीशनल एक्सेस सिस्टम और शॉर्ट मैसेजिंग सर्विस (एस एम एस) की स्थापना के लिए आवश्यक होती है। हेड इंड इन द स्काई मोड की सेवा अल्प समय के केबुल ऑपरेटरों के लिए इन लागतों को नीचे ला सकता है और इस प्रकार परिवर्तन की प्रक्रिया को तेज कर सकता है। एक नीति की शुरुआत के लिए हेड इंड इन द स्काई पर ट्राई की सिफारिशों पर मंत्रालय में विचार किया जा रहा है। हेड इंड इन द स्काई नीति का विस्तृत खांका पहले ही सार्वजनिक क्षेत्र में विचाराधीन है जिसका लक्ष्य है ग्रामीण क्षेत्रों में केबुल बाजार का और विस्तार करना क्योंकि सेट टॉप बॉक्सों की घटी कीमत की अव्यवहार्यता के कारण इन क्षेत्रों में केबुल की सुविधा नहीं है। इससे केबुल बाजार और मजबूत होगा और निवेशों पर वापसी में सुधार लाकर और निवेशों को आकर्षित किया जा सकेगा।

मोबाइल टीवी

मोबाइल टीवी की अपार क्षमता और उद्योग जगत द्वारा दिखायी गयी रुचि के कारण सूचना व प्रसारण मंत्रालय ने ट्राई से हित धारकों के साथ उचित परामर्श के बाद अपनी सिफारिशों को भेजने का अनुरोध किया था। उस वक्त से ट्राई ने अपनी सिफारिशें  भेजी हैं जो सरकार के परीक्षण के अंतर्गत हैं। मंत्रालय मोबाइल टीवी ट्रांसमिशन के लिए विभिन्न ब्रॉडकास्टिंग प्रौद्योगिकी के लिए फील्ड ट्रायलों को अनुमति देने पर भी विचार कर रहा है।

डी टी एच सेवा

डायरेक्ट टू होम (डी टी एच) सेवा ग्राहकों के भवनों में सीधे टीवी सिग्नलों को प्रदान करने के लिए एक उपग्रह प्रणाली का प्रयोग करते हुए के यू बैंड में बहु चैनल कार्यक्रमों के वितरण के लिए भेजता है। डायरेक्ट टू होम ग्राहकों को भौगोलिक सचलता का लाभ प्रदान करता है यानि कि अगर एक ग्राहक डी टी एच हार्डवेयर एक बार खरीदने के बाद उसका प्रयोग भारत में कहीं भी कर सकता है। प्रसार भारती के द्वारा प्रस्तुत डी डी डायरेक्ट प्लस भारत का पहला और एकमात्र एफ टी ए डायरेक्ट टू होम सेवा है। इसके अलावा मेसर्स डिश टीवी, टाटा स्काई, सन डायरेक्ट टीवी, रिलायंस बिग टीवी, भारती टेलीमीडिया और भारत बिजनेस चैनल अन्य निजी व्यावसायिक डी टी एच सेवा संचालक है।

सेटेलाइट रेडियो सर्विस

मंत्रालय में सेटेलाइट रेडियो पर ट्राई की सिफारिशों पर विचार किया गया और एक प्रारूप नीति तैयार की गयी और उसे सिफारिशों के लिए ट्राई के पास भेजा गया। प्रारूप नीति पर ट्राई की सिफारिशों को प्राप्त कर लिया गया है और सरकार इन पर अपने विचार बनाने की प्रक्रिया में हैं।

वर्तमान कार्यक्रम की समीक्षा के लिए सूचना व प्रसारण सचिव की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा एक प्रारूप विषय कोड बनाया गया और विज्ञापन कोडों को मंत्रालय की वेबसाइट पर लगाया गया। ब्रॉडकास्टिंग संगठनों, सिविल सोसायटी ग्रूपों और उपभोक्ता फोरमों इत्यादि की प्रतिक्रियाओं पर विचार करने के बाद इस समिति ने 05.03.2008 को सरकार को अंतिम रिपोर्ट सौंप दी।

टीवी न्यूज चैनलों के लिए एक प्रतिनिधि संगठन, न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसियेशन (एन बी ए) ने विवाद निपटारा प्राधिकरण के लिए नियमावलियों और आचरण संहिता को मंत्रालय को सौंप दिया जिसने स्व विनियमन आधार पर 2 अक्टूबर, 2008 से कार्य करना शुरू कर दिया। न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसियेशन का मूल रूप से निर्माण इसलिए किया गया था क्योंकि न्यूज ब्रॉडकॉस्टर्स सरकार द्वारा तैयार किए गए किसी भी प्रकार के विनियमन या विषय संहिता के खिलाफ थे। समरूप तरीके से केबुल टीवी नेटवर्कों के नियमों के उल्लंघन को देखने के लिए राज्य स्तरीय और जिला स्तरीय निगरानी समितियों के लिए विस्तृत नियमावलियों को तैयार किया गया। इन समितियों में इनके अलावा महिलाओं के लिए काम करने वाले शीर्ष गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों, शिक्षाविदों, मनोवैज्ञानिकों और समाजशास्त्रियों को शामिल किया जाएगा।

निजी टीवी चैनलों को जिन कार्यक्रम और विज्ञापन कोडों के प्रावधानों को भारत में टीवी चैनलों के संचालन के लिए दी गई अनुमति के अनुसार चलने के लिए और खासतौर पर अभद्र विषय के अवयस्कों पर पड़ने वाले प्रभाव का ध्यान रखने के सामान्य परामर्श#चेतावनी दी जाती है।

एक विशेष सुविधा इलेक्ट्रिक मीडिया मॉनिटरिंग सेंटर की स्थापना की गयी जो
09.06.2008 से प्रभाव में है ताकि भारत में प्राप्त किए जाने वाले ब्रॉडकास्ट सिग्नलों को लगातार रिकार्ड किया जा सके। शुरुआत में 100 टीवी चैनलों की निगरानी की जाती है और वर्तमान वित्ताीय वर्ष के दौरान 300 टीवी चैनलों की निगरानी की व्यवस्था करने का प्रस्ताव है।

अभी तक अनुमति प्राप्त टीवी चैनलों की संख्या का सारांश इस प्रकार है :

निजी टीवी चैनलों की कुल संख्या          :     417

निजी चैनल (अपलिंक्ड)                 :     357 (197 न्यूज चैनल # 160 गैर न्यूज व करंट अफेयर्स चैनल)

डाउनलिंक्ड टीवी चैनलों की संख्या          :     60 (13 न्यूज चैनल #47 गैर न्यूज व करंट अफेयर्स चैनल)

दूरदर्शन व संसदीय चैनल                :     33

कश्मीर चैनल के विषय में सुधार के लिए जम्मू एवं कश्मीर के लिए 300 करोड़ रुपये तक के एक विशेष पैकेज को मंजूर किया गया है।

महत्वपूर्ण घटनाओं का कवरेज

आर्थिक मामलों पर मंत्रिमंडलीय समिति ने कामनवेल्थ यूथ गेम्स पुणे 2008 और कामनवेल्थ गेम्स दिल्ली 2010 के कवरेज के लिए मेजवान ब्रॉडकास्टर के रूप में प्रसार भारती और प्रेस अंग के रूप में पत्र सूचना कार्यालय के प्रस्ताव को मंजूर कर लिया। कामनवेल्थ यूथ गेम्स, पुणे 2008 का प्रसार भारती द्वारा उसके आंतरिक संसाधनों द्वारा विस्तार से कवरेज किया गया जिसे काफी सराहना मिली।

एफ एम रेडियो

इस वर्ष के दौरान मंत्रिमंडल ने निजी एजेंसियों (चरण - क्ष्क्ष्) के माध्यम से एफ एम रेडियो ब्रॉडकास्टिंग सर्विसेज के विस्तार पर नीति के आंशिक सुधार में शेयरों के स्थानांतरण द्वारा कंपनियों के विलय#विसम्बध्दन#एकीकरण और सहायकों के निर्माण के लिए एफ एम ब्रॉडकास्टिंग कंपनियों को अनुमति के अनुदान को मंजूरी दे दी। देश के 83 शहरों में कुल 241 निजी एफ एम चैनल चल रहे हैं। वर्तमान वर्ष के दौरान
40.5 करोड़ रुपये समेत निजी एफ एम चैनलों से लाइसेंस फीस के द्वारा 1609 करोड़ रुपये की कुल राशि प्राप्त की गयी। सरकार ने ट्राई को एफ एम चरण - क्ष्क्ष्क्ष् की नीति पर अपने विचारों के बारे में बता दिया है और इसकी सिफारिश मांगी है।

कम्यूनिटी रेडियो

इस वर्ष के दौरान कम्यूनिटी रेडियो पर नीति को उदारीकृत किया गया ताकि जन समाज और उन स्वैच्छिक संगठनों को भी इसके दायरे में लाया जा सके जो लाभ के लिए नहीं काम करते हैं। पहले सिर्फ शैक्षिक संस्थानों को कम्युनिटी रेडियो स्थापित करने की अनुमति दी गयी थी। विकास एवं सामाजिक परिवर्तन के मुद्दे पर जन समाज की ज्यादा भागीदारी को अनुमति देने के दृष्टिकोण से सरकार द्वारा इस नीति का उदारीकरण किया गया।

54वां राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार

वर्ष 2006 के लिए 54वां राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भारत की राष्ट्रपति द्वारा सितंबर,2008 में प्रस्तुत किया गया। सर्वोत्ताम फिल्म का पुरस्कार मलयाली फिल्म 'पुलीजनम' को मिला। सर्वोत्ताम अभिनेता का पुरस्कार श्री सौमित्र चटर्जी और सर्वोत्ताम अभिनेत्री का पुरस्कार सुश्री प्रियामणि को मिला। बाल कलाकार दिव्या चाफडकर को सर्वोत्ताम बाल कलाकार का पुरस्कार मिला। वर्ष 2007 के लिए दादा साहब फाल्के पुरस्कार फिल्म निर्देशक श्री तपन सिन्हा को दिया गया। भारत की आजादी की 60वीं वर्षगांठ की यादगारी में लाइफ टाइम एचीवमेंट अवार्ड (जीवन पर्यंत उपलब्धि पुरस्कार) दिलीप कुमार, लता मंगेशकर, तपन सिन्हा ओर बी. सरोजा देवी को दिया गया।

भारत का 39वां अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह

भारत का 39वां अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह गोवा में 22.11.2008 से 02.12.2008 तक आयोजित किया गया। अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह के साथ ही राष्ट्रीय फिल्म-विकास निगम (एन एफ डी सी) ने फिल्म उद्योग के लिए एक व्यापारिक प्लेटफॉर्म फिल्म बाजार आयोजित किया गया।

आजादी एक्सप्रेस

1857 के 150 वर्ष, आजादी के 60 वर्ष और शहीद भगत सिंह की जन्म शताब्दी के स्मरण में मोबाइल ट्रेन प्रदर्शनी की यात्रा 28 सितंबर, 2007 को शुरू हुई थी जो 70 स्थानों से होकर मई, 2008 में अपने अंतिम गंतव्य स्थल पर पहुँच कर संपन्न हुई। विज्ञापन एवं दृश्य प्रचार निदेशालय एवं संस्कृति मंत्रालय के माध्यम से मंत्रालय द्वारा इस प्रतिष्ठित परियोजना का क्रियान्वयन किया गया। ग्यारह कोचों वाली प्रदर्शनी ने तस्वीरों, चित्रों, कट आउटों, स्क्रॉलरों व ऑडियो-वीडियो के माध्यम से हमारे इतिहास के 150 वर्षों का चित्रण किया।

सार्वजनिक सूचना अभियान

पत्र सूचना कार्यालय सरकार के फ्लैगशिप कार्यक्रमों के बारे में ज्यादा जागरुकता पैदा करने के लिए समस्त भारत में सार्वजनिक सूचना अभियान आयोजित कर रहा है। इन अभियानों में सरकार की विकास स्कीमों पर प्रकाश डाला जाता है। सूचना एवं प्रसारण की अन्य मीडिया इकाइयों के माध्यम से प्रचार प्रयासों को पूरा किया जाता है। यह रिपोर्ट लिखे जाने तक देश भर में कुल 234 सार्वजनिक सूचना अभियान आयोजित किए गए हैं।

प्रिंट मीडिया नीति

विदेशी निवेश के साथ या उसके बिना भारतीय प्रकाशकों द्वारा समाचार एवं समसामयिकी श्रेणी में पड़ने वाली रिपोर्टों यानि कि सार्वजनिक समाचारों और सार्वजनिक समाचारों पर टिप्पणियों को प्रकाशित करने वाले विदेशी पत्रिकाओं के भारतीय संस्करण को अनुमति देने का भी निर्णय लिया। ऐसे संस्करणों के प्रकाशक 26 प्रतिशत तक विदेशी निवेश प्राप्त कर सकते हैं। कुल विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (जिसमें प्रवासी भारतीयों, भारतीय मूल के लोग के विदेशी प्रत्यक्ष निवेशों और मान्यता प्राप्त विदेशी संस्थागत निवेशों द्वारा विभागीय निवेशों को साथ शामिल किया गया है) सूचना व प्रसारण मंत्रालय द्वारा समय-समय पर जारी किए गए विदेशी प्रत्यक्ष निवेशो ंकी रूपरेखा के प्रावधानों के अनुसार 26 प्रतिशत तक है।

इन नियमों के उद्देश्य से निकाली गयी पत्रिका को 'सार्वजनिक समाचारों पर टिप्पणियों और सार्वजनिक समाचारों को गैर-प्रतिदिन आधार पर निकाली गयी पत्रिका के प्रकाशन' के रूप में परिभाषित किया जाता है।

विज्ञापनों के लिए विदृप्रनि (डी ए वी पी) दरों का संशोधन

मंत्रालय ने इस वर्ष के दौरान वि दृ प्र नि (डी ए वी पी) विज्ञापनों की मौजूदा दरों में 24 प्रतिशत की वृध्दि की है जो 1 सितंबर, 2008 को या उसके बाद जारी किए गए विज्ञापनों पर लागू होगा। वि दृ प्र नि के पैनल पर सभी समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं को संशोधित दरों के अंतर्गत शामिल किया गया है।

इस निर्णय से 4000 से अधिक समाचार पत्र एवं पत्रिकाएँ लाभान्वित होंगी। लघु एवं मध्यम समाचार पत्रों को सबसे अधिक लाभ पहुँचेगा क्योंकि इन श्रेणियों के समाचार पत्रों के लिए जारी किए जाने वाले विज्ञापनों का प्रतिशत पहले बढ़ा दिया गया था।

वि दृ प्र नि की विज्ञापन नीति का संशोधन

लघु एवं क्षेत्रीय समाचार पत्र उद्योग की मदद के लिए सरकार प्रेस विज्ञापन नीति में पहले ही परिवर्तन ला चुकी है। मौद्रिक रूप में छोटे समाचार पत्रों के लिए विज्ञापनों की मात्रा को बढ़ाकर 10 प्रतिशत से 15 प्रतिशत कर दिया गया और मध्यम समाचार पत्रों के लिए इसे 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 35 प्रतिशत कर दिया गया।

बोडो, डोगरी, गढ़वाली, खासी, कश्मीरी, कोंकणी, मैथिली, मणिपुरी, मिजो, नेपाली, राजस्थानी, संस्कृत, संथाली, सिंधी, उर्दू और जनजातीय भाषाओं में क्षेत्रीय भाषा समाचार पत्रों के लिए न्यूनतम प्रकाशन अवधि की आवश्यकता को 36 महीने से घटाकर सिर्फ 6 महीने कर दी गयी। पिछड़े, दूरस्थ पर्वतीय क्षेत्रों और सीमा क्षेत्रों और जम्मू-कश्मीर, अंडमान निकोबार और 8 पूर्वोत्तार राज्यों से प्रकाशित सभी भाषाओं के सभी समाचार पत्रों को ऐसी ही छूट दी गयी। जो समाचार पत्र अपने प्रकाशन के एक वर्ष के भीतर ही एक लाख प्रति की बड़ी संख्या प्राप्त कर लेते हैं, अब उन पर ही एक वर्ष के प्रकाशन के बाद पैनल में शामिल करने के लिए विचार किया जाता है ताकि सरकार अपने संदेशों के लिए पाठकों की इस विशाल संख्या को न खो दे। उर्दू समाचार पत्रों को बढ़ाये गए समर्थन को प्रिंट विज्ञापन के लिए कुल आबंटन का 3.54 प्रतिशत निर्धारित करके सुनिश्चित कर दिया गया है।

 

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