स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर भारत की राष्ट्रपति का राष्ट्र के नाम संदेश
मेरे प्यारे देशवासियो,
बासठवें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संख्या पर मैं देश और विदेश में रह रहे आप सभी को हार्दिक बधाई देती हूं । मैं, हमारी सीमाओं की रक्षा कर रही सशस्त्र सेनाओं और अर्धसैनिक बलों के वीर जवानों का भी विशेष आभार व्यक्त करती हूं ।
कल हमारा स्वतंत्रता दिवस है, हम अपने उन महान राष्ट्र नेताओं, वीर स्वतंत्रता सेनानी महिलाओं और पुरुषों को श्रध्दांजलि अर्पित करेंगे, जिन्होंने भारत को औपनिवेशिक शासन से मुक्ति दिलाने के लिए बहुत त्याग किए और अपने जीवन की आहूति दी । कल हम यह भी याद करेंगे कि हमने महात्मा गांधी के प्रेरक नेतृत्व में सत्य व अहिंसा के महान सिध्दांतों के आधार पर स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया और उसमें विजयी हुए, विश्व के इतिहास में यह एक अनूठी घटना थी । ऐसी महान विरासत के वारिस होने के नाते हमें इन उच्च मूल्यों को सहेजकर रखना चाहिए ।
स्वतंत्रता प्राप्ति के वक्त पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भारत को एक उभरता हुआ सितारा, पूरब की आजादी का एक सितारा कहा था । उन्होंने हमें याद दिलाया था कि आजादी के साथ हमें जिम्मेदारियां और कर्तव्य भी मिले हैं, हमें स्वतंत्र और अनुशासित नागरिकों की तरह इसे स्वीकार करना चाहिए । अपने प्रयासों और लगन से, हमने बहुत-सी उपलब्धियां हासिल की हैं लेकिन अभी भी ऐसे अनेक कार्य हैं, जिन्हें पूरा करना है और ऐसी अनेक नई चुनौतियां हैं, जिनका हमें सामना करना है । राष्ट्रीय कार्य कभी रुकते नहीं हैं । वास्तव में, सशक्त लोकतांत्रिक भारत के भविष्य को सुनहरा बनाने के लिए हमें निरंतर प्रयास करने चाहिए । ऐसा भारत आर्थिक रूप से सबल और आधुनिक तो होगा ही लेकिन साथ ही साथ समरसता, सहनशीलता और एक दूसरे के प्रति सम्मान के पुरातन मूल्यों से युक्त भी होगा । हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि यही नैतिक मूल्य हमें भावनात्मक रूप से मजबूत बनाते हैं और हमारे देश को एकता के सूत्र में बांधे रखते हैं । गरीबी, बीमारी और निरक्षरता को मिटाने के लिए अभी हमें बहुत कुछ करना है, लेकिन फिर भी विश्व के दूसरे देश इन मूल्यों की वजह से भारत को बहुत सम्मान देते हैं ।
संगठित होकर कार्य करने पर ही हम अपनी पूरी शक्ति और क्षमता दिखा सकते हैं । भारत में विभिन्न संस्कृतियों, भाषाओं और धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं लेकिन इन सबके बीच एकता की एक ऐसी डोर बंधी है, जिसने हमें सहिष्णु और मजबूत बनाया है । मुझे विश्वास है कि अनेकता में एकता की संकल्पना से भारत की पहचान बनी रहेगी । हमें यह सोच विचार करना चाहिए कि हमारा व्यवहार और कार्य इस एकता को किस तरह मजबूत बना रहे हैं । हमें खुद से पूछना चाहिए कि क्या हम और हमारे कार्य राष्ट्रीय ढांचे को मजबूत और सहनशील बनाने में योगदान दे रहे हैं । हमें एक दूसरे की बात सुननी चाहिए, एक दूसरे को समझना चाहिए और विचारों के न मिलने पर दूसरों को उनके विचार अलग से रखने की आजादी देनी चाहिए ।
हमारे संविधान ने राष्ट्र की स्थिरता को मजबूती प्रदान की है । इसने सभी नागरिकों को मौलिक अधिकार और स्वतंत्रता प्रदान की हैं लेकिन उनके मौलिक कर्तव्य भी तय किए हैं । अक्सर हम जोरशोर से अपने अधिकारों की बात करते हैं लेकिन अपने अनेकर् कत्तव्यों को भूल जाते हैं। देश, समाज और परिवार के प्रति हमारे अनेक र्
कत्तव्य हैं जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। हमें यह भी याद रखना चाहिए कि अपनेर् कत्तव्यों को निभाते समय हमें जिम्मेदारी से काम करना है।
महान राष्ट्रों का निर्माण सभी के योगदान और मेहनत से होता है, किन्तु किसी भी प्रकार की हिंसा से प्रगति में रुकावट पैदा होती है। देश में ऐसे उदाहरण है जब लोगों ने कानून अपने हाथ में लिया और जान-माल तथा सार्वजनिक सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाया। कोई भी समस्या हो, कोई भी मुद्दा नहीं होता जिसे बातचीत और मेलजोल से न सुलझाया जा सके। शांति और समझौते का मार्ग जटिल और कठिन हो सकता है लेकिन हमें इस पर चलना होगा। इससे ही राष्ट्र विकास और तरक्की कर सकता है। मैं देश के सभी हिस्सों में शांति बनाए रखने और जहां भी मतभेद हों उन्हें बातचीत के जरिए सुलझाने के भरसक प्रयास करने की अपील करती हूं।
प्यारे देशवासियों,
मुझे विश्वास है कि भारत प्रगति के पथ पर बढता जाएगा, हमारी राष्ट्रीय सम्पत्ति बढती रहेगी और हमारे देशवासियों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति बेहतर होगी। राष्ट्र की प्रगति में कोई भी पीछे नहीं छूटना चाहिए। मेरी इच्छा है कि विकास और समृध्दि देश के हर राज्य, हर जिले, हर शहर, हर नगर, हर गांव और हरेक व्यक्ति तक पहुंचनी चाहिए। हमने प्रभावशाली विकास दर हासिल की है लेकिन समाज के हर तबके को सशक्त बनाने का कार्य अभी अधूरा है। समाज के पिछड़े वर्गों, वंचित और कमजोर वर्गों की जरूरतों पर ध्यान देने से, हमारी विकास प्रक्रिया अधिक स्थिर और न्यायपूर्ण बनेगी। गांधी जी ने हमें अपने कार्यों को कसौटी पर कसने का एक अचूक पैमाना दिया था, उन्होंने कहा था, संदेह की स्थिति में सबसे गरीब और कमजोर व्यक्ति का चेहरा जो आपके ध्यान में हो याद करें, और खुद से सवाल करें कि आप जो काम करने जा रहे हैं उसका कोई फायदा उस व्यक्ति को मिल पाएगा। मैं मानती हूं कि ये शब्द हमारी सामाजिक जिम्मेदारी का आधार तय कर देते हैं। सरकार ने लोगों का जीवन स्तर सुधारने के लिए महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम तैयार किए हैं। विकास और समाज कल्याण योजनाओं के कार्यान्वयन में शामिल लोगों को पूर्ण उत्साह और निष्ठा के साथ अविलम्ब काम शुरू करना चाहिए। पारदर्शी और जवाबदेही तरीके से किए गए कार्यान्वयन से कल्याण योजनाएं समय पर वास्तविक जरूरतमंदों तक पहुंचेगी। इसीलिए हमारी व्यवस्था से भ्रष्टाचार को समाप्त करना और शासन की कुशलता बढाना जरूरी है।
महिलाओं की आर्थिक स्थिति को सुधारने और उनके सशक्तिकरण के लिए सहकारी संस्थाओं और स्वसहायता समूहों से बेहतर रास्ता और कोई नहीं है। महिलाओं को कुछ हद तक त्रऽण, उत्पादन और विपणन सहयोग दिया जा रहा है। महिलाओं के सशक्तिकरण के राष्ट्रव्यापी आंदोलन के लिए ऐसे प्रयासों को आपस में जोड़ने और मजबूत बनाने की जरूरत है। मैं गहराई से महसूस करती हूं कि महिलओं को विकास और भागीदारी के बेहतर अवसर मुहैया करवाने चाहिए और उनके प्रति भेदभाव को दूर करने में उनका सहयोग करना चाहिए। यह उनका अधिकार है और महिलाओं को इन अधिकारों को हासिल करने की पूरी कोशिश करनी चाहिए। महिलाओं को शामिल किए बिना सही विकास नहीं हो पाएगा, क्योंकि महिलाएं ही सामाजिक बदलाव में प्रमुख भूमिका निभाती है।
समाज में फैली समाजिक बुराइयां, एक प्रगतिशील राष्ट्र बनने के हमारे प्रयास में बाधा पहुंचाती है। सामाजिक कुरीतियों से परिवार परेशान होते हैं, समाज में अशांति फैलती है और जिससे संसाधन बेकार हो जाते हैं। चाहे दहेज हो, बालिकाओं के प्रति भेदभाव हो, कन्या भ्रूण हत्या हो, घरेलू हिंसा हो, तम्बाकू, नशीले पदार्थ और शराब की आदत हो इन सब बुराइयों को हमारे समाज से पूरी तरह मिटा देना चाहिए। उदाहरण के लिए, तम्बाकू के सेवन से भारत में हर साल करीब 8 लाख लोगों की मौत और लोगों को अनेक जानलेवा बीमारियां हो जाती हैं। नवीनतम अध्ययन के अनुसार, लगभग छह साल पहले तम्बाकू से होने वाले कैंसर, हृदय और फेफड़ों से संबंधित रोगों पर तकरीबन 30800 करोड़ रुपये सामाजिक और व्यक्तिगत लागत लगने का अनुमान था, और यह लागत लगातार बढती ज़ा रही है। अगर अन्य मादक पदार्थों से होने वाले नुकसान को इसमें जोड़ दिया जाए तो यह संख्या और बढेग़ी। इसके अलावा इन मादक पदर्थों के सेवन की वजह से उत्पादकता में कमी आ जाती है जिसके परिणामस्वरूप आय भी कम हो जाती है और राष्ट्र को आर्थिक नुकसान होता है। हमें राष्ट्रव्यापी नशामुक्ति कार्यक्रम पर ध्यान देना होगा। नशे की लत समाप्त करने और सामाजिक बुराइयों के खिलाफ लड़ाई, लम्बी खिंच सकती है क्योंकि इसमें लोगों की मानसिकता बदलनी पड़ती है इसलिए इस लड़ाई को हमेशा जारी रखना चाहिए। जैसा कि बुध्दिमान लोगों का कहना है कि पत्थर पर निरंतर पानी गिरते रहने से उसमें भी छेद हो जाता है उसी प्रकार निस्वार्थ कार्यकर्ता निरंतर सामाजिक कार्यों के जरिए जागरूकता पैदा कर सकते हैं। चाहे इसमें काफी समय लगे, पर निश्चित ही वे गलत रीति-रिवाजों को समाप्त कर सकते हैं। फल की इच्छा किए बिना सतत प्रयासरत लोग और संगठन ही राष्ट्र की आधारशिला रखते हैं और राष्ट्र को सशक्त भी बनाते हैं, हो सकता हैं उनके द्वारा किए जा रहे कार्यों का प्रचार ना हो और शायद कभी-कभी उन्हें इसके लिए प्रशंसा भी न मिले। रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने ठीक ही कहा था, न्नधरती के नीचे वृक्ष की जड़ें, शाखाओं को फलदायक बनाने का कोई भी पुरस्कार नहीं मांगती।
वर्तमान समय में मीडिया का कार्यक्षेत्र बहुत बढ गया है। लोगों में सामाजिक जागरूकता और शिक्षा के प्रचार-प्रसार द्वारा सामाजिक बुराइयों को समाप्त करने में यह एक अहम भूमिका निभा सकता है। हर घर में टेलीविजन पहुंच गया है और विशेषकर युवाओं के विचारों और सोच पर इसका बहुत जबरदस्त प्रभाव पड़ता है। बच्चों और युवाओं से संबंधित कार्यक्रमों के दौरान यह व्यावसायिकता के उच्च स्तरों और पत्रकारिता के मूल्यों द्वारा युवाओं का मार्गदर्शन कर सकता है। मीडिया में उम्मीद जगाने और मूल्यों को बढावा देने की क्षमता होती है, मीडिया को यह अहम भूमिका जिम्मेदारी से निभानी चाहिए।
प्यारे देशवासियों,
भारत की 54 करोड़ जनसंख्या युवा है। हमारे देश के युवा एक सुनहरे भविष्य की खोज में लगे हैं और एक नए भारत का निर्माण करना चाहते हैं। अपनी महत्त्वकांक्षी युवा आबादी के जरिए भारत उत्पादकता के बेहतर स्तर प्राप्त कर सकता है। इसके लिए हमें अपने बच्चों के लिए अच्छी शिक्षा सुनिश्चित करने, उन्हें उच्च मूल्य प्रदान करने पर ध्यान देना होगा और एक उपयोगी कार्य बल तैयार करने के लिए अपने युवाओं को कुशल बनाना होगा।
मैं हमेशा कहती हूं कि हमें कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों के विकास पर विशेष ध्यान देना चाहिए। हमारी 70 प्रतिशत आबादी गांवों में रहती है और कृषि पर निर्भर है। इसलिए भारत का व्यापक और पूर्ण विकास तभी संभव हो सकता है जब हम अपने ग्रामीण क्षेत्रों का विकास करें और कृषि उत्पादकता को बढाएं। हमें यह नहीं भूलना है कि भारत की खाद्य सुरक्षा कृषि के विकास पर ही निर्भर करती है। नई कृषि प्रणालियों और बेहतर तकनीकों के उपयोग के साथ-साथ पंचायत की सक्रिय भागीदारी से उत्पादन में वृध्दि हमारा लक्ष्य होना चाहिए। साथ ही हमारे वैज्ञानिकों और कृषि अनुसंधान संस्थानों को दूसरी हरित क्रांति लाने के लिए मेहनत करनी चाहिए और कृषि-जैव तकनीकों के जरिए इसे चिर-हरित क्रांति में तब्दील कर देना चाहिए।
वर्तमान ज्ञान आधारित समाज के विकास का श्रेय विज्ञान और प्रौद्योगिकी को दिया जाता है। पूंजी, श्रम और संसाधनों की उत्पादकता इसी पर निर्भर करती है। फिलहाल भारत अपने भौतिक ढांचे को विस्तृत बनाने और औद्योगिक तथा कृषि उत्पादकता को बढाने पर ध्यान दे रहा है। हमारे वैज्ञानिकों और अनुसंधानकर्ताओं को विकास के कुशल और किफायती विकल्प खोजने चाहिए।
विकासशील देश होने के कारण ऊर्जा की हमारी मांग निरंतर बढ रही है। हमें, उच्च विकास हासिल करने के प्रयास में ऊर्जा की कमी को बाधा नहीं बनने देना चाहिए। तेल मूल्यों में वृध्दि और जलवायु परिवर्तन की चुनौती के साथ ही ऊर्जा सुरक्षा का प्रश्न हमारे सामने है। हमें ऐसे ऊर्जा मिश्रणों की ओर ध्यान देना चाहिए जो लम्बे समय तक चलें और जो ऊर्जा के शुध्द स्रोत हों। हमें धीरे-धीरे अक्षय ऊर्जा की दिशा में बढना चाहिए। ऐसे तरीके खोजना हमारा राष्ट्रीय मिशन होना चाहिए जिसके जरिए ऊर्जा के नए स्रोतों का समुचित इस्तेमाल किया जा सके। गहन ऊर्जा उपयोग क्षेत्रों में ऊर्जा की बचत करने वाली प्रौद्योगिकियां विकिसत करने की जरूरत है। इसी प्रकार ऊर्जा बचत और उत्सर्जन स्तर कम करने के लिए संरक्षण और कुशल उपयोग आधारित ऊर्जा खपत विधियां अपनाने की जरूरत है। ऊर्जा बचत का कोई भी प्रयास पर्यावरण-संरक्षण और इस धरती की विविध वनस्पति और जीव-जन्तुओं की सुरक्षा में सहायक होगा।
आतंकवाद वैश्विक समस्या के रूप में उभर कर सामने आया है और राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय शांति व सुरक्षा के लिए खतरा बन गया है। आतंकवाद के रास्ते पर चल रहे लोगों के लिए जान की कोई कीमत नहीं होती है। वे हिंसा भड़काते हैं और भीषण तबाही मचाते हैं। दुर्भाग्यवश आतंकवादी संगठनों को निरन्तर सहायता और प्रश्रय मिलता रहता है। पिछले कई दशकों से भारत आतंकवादी हमलों का निशाना बना हुआ है और कुछ समय से विश्व के अनेक देश इसकी चपेट में आ गए हैं। हमें आतंकवादी खतरों का एकजुट होकर मुकाबला करना चाहिए। आतंकवादी अपने विनाशकारी इरादों के जरिए कभी भी मजबूत भारत के निर्माण अथवा हमारे क्षेत्र से इस खतरे को समाप्त करने के लिए हमारे पड़ोसी देशों के साथ मिलकर काम करने के हमारे संकल्प अथवा विश्व के अन्य देशों के साथ सहयोगी संबंध स्थापित करने की हमारी प्रतिबध्दताको विचलित करने में सफल नहीं हो सकेंगे।
विश्व में शांति और विकास को बढावा देने के लिए भारत अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर काम करना चाहता है। विश्व के महानतम लोकतंत्र और प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में वैश्विक राजनीति और आर्थिक मामलों में हमारी महत्त्वपूर्ण और सकारात्मक भूमिका है। हमारे विचार से बहुपक्षीय संस्थाओं को ज्यादा न्यायसंगत बनाना चाहिए और उन्हें सामयिक वास्तविकताओं के अनुरूप होना चाहिए। हमारा प्रयास रहेगा कि हमारी राष्ट्रीय परंपराओं में निहित सौहार्द, बहुवाद, शांतिपूर्ण सहअस्तित्व और मानव एकता का संदेश हम विश्व में फैलाते रहें।
प्यारे देशवासियो,
आज जब इस समय बीजिंग में ओलंपिक खेल चल रहे हैं। मैं भारतीय दल को अपनी शुभकामनाएं देती हूं। खासतौर से भारत के लिए पहली बार व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने की ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए मैं श्री अभिनव बिंद्रा को बधाई देती हूं।
कल सुबह तिरंगा झंडा फहराएगा और हम गौरव की भावना से भर उठेंगे। आइए हम इस महान राष्ट्र के प्रति अपनार् कत्तव्य पूरी निष्ठा, मेहनत और ईमानदारी के साथ निभाने का संकल्प लें। मैं इन पंक्तियों के साथ अपनी बात समाप्त करना चाहूंगी:
परिश्रम से खुलते द्वार प्रगति के,
लगन से मिलती कामयाबी
शांत मन रोकें हिंसा,
प्रबुध्द जन करें मानव सेवा।
अंत में एक बार फिर मैं आप सबको स्वतंत्रता दिवस की बधाई देती हूं।
जय हिन्द।
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