रविवार, 19 जुलाई 2009

एक कुँये ने दिहाड़ी मजदूर को बना दिया लखपति

एक कुँये ने दिहाड़ी मजदूर को बना दिया लखपति

आलेख- जे. पी. धौलपुरिया, उप संचालक, जिला जन सम्पर्क कार्यालय, शहडोल म. प्र.

शहडोल / एक पिछड़े इलाके में बगैर सिंचाई साधन के वित्ताभर खेती करने वाले श्री खोजराम सिंह के भविष्य के बारे में यही कल्पना की जा सकती थी कि वह इन्द्रदेव के प्रसन्न होने पर अनाज के कुछ दाने पैदा करके और दूसरों के खेतों में दिहाड़ी मजदूरी करके गरीबी में ही जीवन बिताएगा। लेकिन खुद खोजराम के इरादे कुछ और ही थे । शासन की कपिलधारा योजना के तहत उन्होंने अपने खेतों में कुआ न खुदवाया होता, तो उनकी जिन्दगी में यह मोड़ नहीं आता । आज श्री खोजराम सिंह एक लखपति किसान हैं । सरकारी योजनाओं की मदद और अपनी मेहनत से सम्पन्न हुए किसानों पर लिखी सफलताओं की गाथाओं में से एक उनकी भी है ।

       शहडोल जिला मुख्यालय से 35 कि.मी. के अन्तर पर स्थित एक छोटे से गांव चटहा के रहनेवाले श्री खोजराम सिंह कहने को तो साढ़े तीन एकड़ जमीन के स्वामी थे, लेकिन उनके खेतों की प्यास बझाने को उनके पास सिंचाई की कोई व्यवस्था नहीं थी । हकीकत में वह दिहाड़ी मजदूर थे और दूसरों के खेतों में काम करके किसी तरह अपनी आजीविका चला रहे थे।

       तभी ग्रामीण विकास विभाग ने वर्ष 2007 में उन्हें अपने खेतों में कुआ खोदने के लिए कपिलधारा के तहत 67 हजार रूपये की आर्थिक मदद दी । कुए के भरोसे उन्होंने बैंक से लोन लेकर मोटर पंप भी लगवा लिया । इस कुए ने श्री खोजराम सिंह का जीवन ही बदल दिया । कुए की मदद से पहले साल ही ली गई फसल ने उनको लखपति बना दिया । उन्होंने धान, प्याज, बेगन, टमाटर, गेहूँ की भरपूर फसल ले डाली । अकेले प्याज की विक्री से ही उन्हें एक लाख रूपये की आमदनी हुई।  बेगन और टमाटर भी हजारों रूपये के बिके और अभी उनके खेतों से रोजाना 50 किलो बेगन निकल रहा है। उनके खेतों से करीब साठ हजार रूपये की लौकी का उत्पादन होने का अनुमान है। कभी जो हाथ काम मांगने को उठते थे, वही आज दूसरों को काम दे रहे हैं । श्री खोजराम सिंह कुआ पाकर इतने उत्साहित हैं कि चहकते हुए बघेली में बताते हैं, '' हमार हाल वहै हवै जइसन कि कउनै भूखे आदमी का खाइ का मिल गा होय'' । खोजराम आज खेतों के जरिए अपने परिवार के सुनहरे भविष्य का तानाबाना बुनने में जुटे हैं । खास बात यह है कि खोजराम ने इतने अल्प समय में ही अपनी फसलों की कमाई से अपना पुराना कर्ज पटा दिया और आलीशान मकान बनवाना शुरूकर दिया है । दो कमरे वह पहले ही बनवा चुके थे । एक दो पहिया वाहन भी खरीद लिया है, जिस पर उनका पुत्र सब्जी लादकर शहडोल मंडी ले जाता है । इसी से उनके दो पुत्रों ने मोबाइल खरीद लिए हैं । जिनसे वे आड़तियों से सब्जियों के भाव पता करते रहते हैं । सब्जी के बढ़ते उत्पादन को देखते हुए उन्होंने एक पिकअप वाहन खरीदने की योजना भी बनाई है । आज श्री खोजराम सिंह की बड़े सब्जी उत्पादकों में गिनती होती है।

       लेकिन श्री खोजराम के लिए यह सब इतना आसान नहीं था । इसमें उनके और उनके परिबार की कड़ी मेहनत भी शामिल है । श्री खोजराम की पत्नी श्रीमती मुन्नीबाई अपनी पुरानी जिन्दगी को याद करके कहती हैं, '' पहिले हम अउर हमार परिवार एक-एक पइसा का तरसत रहा है । आज हमरे नेरे चौबीसों घण्टा पइसा रहा आबत है। पहिले पइसा केर काम पड़ जात रहा है ता दूसरेन से कर्जा लेय का पड़त रहा है। आज हम खुद वक्त जरूरत मां दूसरेन का कर्जा देइत हयन ''

       कपिलधारा ने उन अनेक लोगों का जीवन बदला है, जो अपनी जमीन पर फसल उगाने और उसे बेचने के सिवा कुछ और करने की सोच भी नहीं सकते थे । लेकिन सिंचाई संसाधन के अभाव ने उन्हें विवश कर रखा था । इन्हीं में से एक हैं चटहा के तीन एकड़ भूमि के स्वामी श्री उदयभान सिंह । कपिलधारा के एक कुए ने न केवल उन्हें आत्मनिर्भर बना दिया, बल्कि उनका जीवन ही बदल दिया । पहले साल ही उन्होंने फसल की विक्री से एक लाख रूपये की कमाई की ।  उन्होंने भी अपना पुराना कर्ज अदा कर दिया । वह प्याज के बड़े उत्पादक माने जाते हैं । आज उनके गोदाम में कई क्विंटल प्याज भरा पड़ा है ।

 

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