गुरुवार, 2 जुलाई 2009

योग के आठों अंगों का पालन करने से शरीर, चित्त की शुध्दि होती है

योग के आठों अंगों का पालन करने से शरीर, चित्त की शुध्दि होती है

ग्वालियर 2 जुलाई 09। जिला पतन्जलि योग समिति द्वारा पतंजलि योग पीठ हरिद्वार के तत्वाधान में विनय नगर सेक्टर तीन में नियमित रूप से प्रात: 5 बजे से 6.30 तक योग कक्षाओं का निशुल्क संचालन किया जा रहा है। सभी साधक साधिकायें आसन प्राणायाम और ध्यान का अभ्यास कर रहे हैं। रोग मुक्ति योग एक्यूप्रेशर तथा भजन के साथ पातन्जलि योग सूत्रों का ज्ञान भी श्री रामचन्द्र गुप्त योग शिक्षक द्वारा नियमित रूप से दिया जा रहा है। अध्याय दो सूत्र 28 ' योग अंगानु अष्ठापद शुध्दि क्षये ज्ञानदीप्ति शविवेक ख्याते:' की व्याख्या कतरे हुए श्री गुप्त द्वारा बताया गया कि योग के आठ अंगों (यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, समाधि) का पालन करने से अशुध्दि का क्षय हो जाता है। शरीर और चित्त दोनों की शुध्दि हो जाती है। और चित्त की शुध्दि हो जाने से ज्ञान का प्रकाश हृदय में जागृत हो जाता है। जिससे हम स्वयं व मन की पृथकता का अनुभव करने लगते हैं। इसके प्रकाश में ही विवेक ख्याति का उदय होता है जिससे हम स्वयं को प्रकृति से पृथक समझने लगते हैं और यही सम्प्रज्ञात समाधि की अन्तिम अवस्था है जो हमें धीरे -धीरे प्रकृति के पार ले जाकर ईश्वर का साक्षात्कार करा देती है।

 

कोई टिप्पणी नहीं: