लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षा विश्वविद्यालय
v जयंत सिंह तोमर
v लेखक - लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षा विश्वविद्यालय,ग्वालियर में व्याख्याता है ।
'बुंदेले हर बोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी
खूब लड़ी मर्दानी, वो तो झाँसी वाली रानी थी ।'
प्रसिध्द कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता की ये पंक्तियां सभी के मन में सन् 1857 की अमर बलिदानी वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई का ओजपूर्ण चित्र खींचती है। ग्वालियर में अंग्रेज फौज से लड़ते हुये देश की स्वतंत्रता की खातिर झांसी की रानी ने अपने प्राण न्यौछावर कर दिये । सौ वर्ष बाद जब स्वाधीन भारत ने प्रथम स्वाधीनता संग्राम का शताब्दी वर्ष मनाया तो यह तय किया गया कि ग्वालियर में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की स्मृति में एक शारीरिक शिक्षा महाविद्यालय स्थापित किया जायेगा ।
ग्वालियर नगर के प्रथम महापौर पहाड़गढ़ के राजा पंचमसिंह की इस संस्था की स्थापना में बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका रही । वे स्वयं एक अच्छे निशानेबाज थे । रियासत के दौर में जहां घुड़दौड़ व पोलो का मैदान था, वहीं इस संस्था की शुरूआत हुई । भारत के श्रेष्ठ शारीरिक शिक्षाविद् प्रो. पी एम जोसेफ इस संस्था के पहले प्रिंसिपल नियुक्त किये गये । शारीरिक शिक्षा के क्षेत्र में केवल पी.एम.जोसेफ ही हैं, जिन्हें पद्मश्री अलंकरण से नवाजा गया। इस संस्थान का प्रारंभ विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन से सम्बध्द महाविद्यालय के रूप में हुआ । ग्वालियर में जीवाजी विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद सन् 1964 में यह उसके अन्तर्गत आ गया । राष्ट्रीय महत्व को ध्यान में रखते हुये सन् 1973 में इसका नामकरण लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षा महाविद्यालय (एलएनसीपीई) किया गया । सन् 1982 में ' स्वायत्तशासी ' संस्था का दर्जा हासिल करने के बाद सितम्बर 1995 में इसे सम विश्वविद्यालय का दर्जा प्रदान किया गया । विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने 14 जनवरी 2009 को इसे पूर्ण विश्वविद्यालय का दर्जा प्रदान किया ।
लक्ष्मीबाई रष्ट्रीय शारीरिक शिक्षा विश्वविद्यालय में इस समय सात विभाग संचालित हैं। टीचर एज्यूकेशन विभाग में चार वर्षीय बैचलर आफ फिजीकल एज्यूकेशन (बीपीई) व दो वर्षीय पाठयक्रम मास्टर आफ फिजीकल एज्यूकेशन (एमपीई) संचालित है । रिसर्च डेवलपमेंट एंड एंडवांस्ड् स्ट्डीज डिपार्टमेंट में एम-फिल व पीएचडी की उपाधि प्रदान की जाती है । खेल प्रबंधन व खेल पत्रकारिता विभाग अपेक्षाकृत नया विभाग है । समाचार पत्र, रेडियो, टेलीविजन व वेब माध्यमों में खेल पत्रकारिता के विस्तृत होते क्षेत्र को ध्यान में रखते हुये प्रशिक्षित खेल पत्रकार तैयार करने के लिये यहां खेल पत्रकारिता में एक वर्षीय पीजी डिप्लोमा पाठयक्रम चलाया जा रहा है । ऐसा ही एक पाठयक्रम खेल प्रबंधन के क्षेत्र में भी संचालित है।
प्रशिक्षण एवं दक्षता विभाग (कोचिंग एंव फिटनेस) क्रीड़ा प्रशिक्षण में पीजी डिप्लोमा व सर्टिफिकेट कोर्स संचालित करता है । युवा कार्यक्रम एवं खेल विभाग साहसिक खेल एवं पर्यटन प्रबंधन में (एकवर्षीय) स्नातकोत्तर पत्रोपाधि प्रदान करता है । स्वास्थ्य विज्ञान एवं योग विभाग, वैकल्पिक चिकित्सा, योग व फिटनेस मैनेजमेंट आदि विषयों में विभिन्न पाठयक्रम संचालित करता है । कम्प्यूटर विज्ञान एवं अनुप्रायोगिक सांख्यिकी विभाग, सूचना प्रौद्योगिकी व सांख्यिकी के पाठयक्रम संचालित करता है ।
वर्तमान में कुलपति मेजर जनरल एस.एन मुखर्जी के कार्यकाल में इस राष्ट्रीय महत्व की संस्था की छवि में बहुत निखार आया है । उनके कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धि है इस संस्थान का डीम्ड यूनीवर्सिटी से पूर्ण विश्वविद्यालय में तब्दील होना । इन्हीं के कार्यकाल में प्रथम प्रचार्य पीएम जोसेफ की स्मृति में एक खूबसूरत केन्द्रीय ग्रंथालय भी स्थापित हुआ है । शारीक्षिक शिक्षा व खेलकूद से संबंधित यह देश का एक मात्र ग्रंथालय है जिसे कम्प्यूटरीकृत कर अत्याधुनिक स्वरूप दिया जा रहा है ।
एलएनयूपीई में सेना द्वारा प्रायोजित खिलाड़ियों के प्रशिक्षण के लिये विशेष पाठयक्रम आयोजित किये जाते हैं । बकौल मेजर जनरल एस एन मुखर्जीं एलएनयूपीई लंबे समय तक एशिया की सर्वश्रेष्ठ संस्थाओं में शुमार होती रही है । अब हम इसे विश्वस्तर की श्रेष्ठ संस्था बनाने के लिये युध्दस्तर पर प्रयासरत हैं । विस्तार देने के लिये हाल में गुवाहाटी व देहरादून में एलएनयूपीई के दो केन्द्र भी स्थापित किये गये हैं ।
' गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानव में निरोगी काया को पहला सुख बताया है । कहा भी जाता है कि ' तंदुरूस्ती हजार नियामत' इसी आदर्श को धारण किये हुये एलएनयूपीई अब ' फिट पीपुल- फिट नेशन ' का मूलमंत्र देश के जनसाधारण के बीच ले जाने के लिये प्रयासरत है ।
एलएनयूपीई के सितारे
लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षा विश्वविद्यालय यों तो मूलरूप से खेल व शारीरिक शिक्षा के प्रशिक्षक तैयार करने का केन्द्र है, इसके बावजूद स्थापना के 52 वर्षों में यहां के कई शिक्षक व विद्यार्थियों ने खेल के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धियां, पुरस्कारों के रूप में हासिल की हैं । इनमें से कुछ महत्वपूर्ण नाम इस प्रकार हैं:-
नाम अवार्ड क्षेत्र
1-डा.पी एम जोसफ पद्मश्री शारीरिक शिक्षण
2- डा. अजमेर सिंह अर्जुन अवार्ड ट्रैक एंड फील्ड
3- प्रो. करन सिंह द्रोणाचार्य अवार्ड ट्रैक एंड फील्ड
4- कल्पना देवनाथ अर्जुन अवार्ड जिम्नास्टिक
5- ब्रिगेडियर लाभ सिंह अर्जुन अवार्ड ट्रैक एंड फील्ड
6- विजय सिंह चौहान अर्जुन अवार्ड डेलाथेलान
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