बुधवार, 27 फ़रवरी 2008

बजट कैसे तैयार होता है?

बजट कैसे तैयार होता है?

अवनीश कुमार मिश्र  **दैनिक भास्कर के राष्ट्रीय संस्करण में कार्यकारी सम्पादक।

       बजट प्रक्रिया एक व्यापक प्रयास है। इस प्रयास के विभिन्न चरण होते हैं, और प्रत्येक चरण की शुरूआत बजट निर्माण प्रक्रिया के अलग अलग चरण में होती है। इस आलेख में हम भारत सरकार की बजट प्रक्रिया के सूक्ष्म बिंदुओं पर विचार करेंगे।

बजट के दो पहलु

       पारिवारिक बजट की ही तरह आम बजट के भी दो भाग होते हैं : राजस्व यानी आय और व्यय। विभिन्न केन्द्रीय करों से राजस्व का मूल्यांकन राजस्व विभाग का मुख्य कार्य होता है, जबकि अगले वर्ष के लिए विभिन्न व्यय शीर्षों के अंतर्गत खर्च का अनुमान लगाना व्यय विभाग का काम है। व्यय विभाग सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठानों के संसाधनों का मूल्यांकन भी करता है। बजट प्रभाग आर्थिक कार्य विभाग का एक हिस्सा है। समग्र बजट निर्माण प्रक्रिया में समन्वय वित्त सचिव द्वारा किया जाता है। यह सभी वित्त मंत्री को जानकारी देते हैं और समय समय पर उनसे निर्देश प्राप्त करते हें। मुख्य आर्थिक सलाहकार इस प्रक्रिया में संबध्द विभागीय अधिकारियों की सहायता करता है।

क) संसाधन पक्ष :

कर प्राप्तियों के अलावा बजट में शामिल किए जाने वाले राजस्व के अन्य स्रोतों में सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठानों द्वारा सरकार की हिस्सेदारी के लिए दिए जाने वाले लाभांश शामिल हैं। इनमें अंतरिम लाभांश और सरकारी शेयरों के विनिवेश से प्राप्त पूंजी भी शामिल होती है। इसके अलावा विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक आदि अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों से लिए गए ऋण भी विभिन्न मंत्रालयों के अंतर्गत विभिन्न कार्यक्रमों के सकल बजटीय संसाधनों के मूल्यांकन में शामिल किए जाते हें। प्रचालनगत अधिशेष और उधार ली गयी राशि सहित सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठानों के संसाधन भी सकल बजटीय संसाधनों के महत्तवपूर्ण घटक होते हैं। वे अपनी योजनाओं के लिए वित्त व्यवस्था करते हैं। सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठानों की योजनाओं के वित्त पोषण के बारे में सामान्य नीति यह रही है कि वे स्वयं के संसाधनों से धन जुटाते हैं किंतु योजना आयोग की सिफारिशों के आधार पर कुछ नीतिगत और आर्थिक दृष्टि से महत्तवपूर्ण क्षेत्रों के लिए बजटीय सहायता दी जाती है। बजटीय संसाधनों का यह आंतरिक और बाहरी मूल्यांकन व्यय विभाग द्वारा किया जाता है। यह वास्तव में कुल योजना संसाधनों का एक हिस्सा होता है और बजटीय दस्तावेज में भी इसे व्यक्त किया जाता है।

सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठानों की आय का अनुमान लगाने के लिए सरकार इन प्रतिष्ठानों के मुख्य प्रबंधन निदेशकों या वित्तत निदेशकों को नॉर्थ ब्लॉक में आमंत्रित करती है। वित्त मंत्रालय का एक संयुक्त सचिव स्तर का अधिकारी प्रत्येक प्रतिष्ठान के अध्यक्ष के साथ बैठक करता है और राजस्व का अनुमान लगाता है। वह इस जानकारी को राजस्व सचिव के पास भेजता है जो इसे वित्त सचिव को देते हैं। यह प्रक्रिया आम तौर पर अगस्त-सितम्बर में शुरू हो जाती है। यह राजस्व योजना खर्च का हिस्सा होता है।

इसके बाद सरकार के मंत्रालयों की भूमिका शुरू होती है। प्रत्येक मंत्रालय का एक वित्तीय सलाहकार होता है। वित्तीय सलाहकार को वित्त मंत्रालय द्वारा बुलाया जाता है और उसके मंत्रालय को आबंटित धन राशि के व्यय के बारे में पूछा जाता है। आम तौर पर मंत्रालय आबंटित धन को पूरा खर्च कर पाने में सक्षम नहीं होते, लेकिन कुछ मंत्रालय ऐसे भी होते हैं जो आबंटित धन से अधिक धन खर्च करते हैं। विभिन्न मंत्रालयों से मिली जानकारी के अनुसार संशोधित अनुमान तैयार किए जाते हैं। संशोधित अनुमान का अर्थ है मंत्रालय को वास्तव में कितने धन की आवश्यकता है ? व्यय प्रबंधन के हिस्से के रूप में सरकार ने विभिन्न मंत्रालयों को निर्देश जारी किए हैं कि वे तिमाही खर्च का ब्यौरा तैयार करें और अंतिम तिमाही में सारा खर्च एक साथ करने की प्रवृत्तित से बचें। संशोधित अनुमान स्तर पर अतिरिक्त धन भी प्रदान किया जाता है। अगले वर्ष के लिए अपेक्षित गैर योजना खर्च के अनुमान अत्यंत महत्तवपूर्ण होते हैं। बाद में वित्त मंत्रालय द्वारा निर्देशित सकल बजटीय सहायता के आधार पर योजना आयोग द्वारा योजना आबंटन किए जाते हैं। यह प्रक्रिया अक्टूबर-दिसम्बर में प्रारंभ होती है।

वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अंतर्गत दो बोर्ड हैं- केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) और केन्द्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी)। जनवरी के मध्य तक ये बोर्ड 31 दिसम्बर तक की गयी कर वसूली के आंकड़े उपलब्ध कराते हैं। शेष तीन वर्षों के लिए कर वसूली का अनुमान पिछली प्रवृत्तिायों के आधार पर लगाया जाता है। बोर्ड अगले वित्ता वर्ष में प्राप्त होने वाले कर के अनुमान भी लगाता है। बजट निर्माण की निष्ठा इन अनुमानों, विशेषकर एफआरबी अधिनियम द्वारा लागू किए गए राजकोषीय अनुशासन के वास्तविक स्वरूप पर निर्भर करती है। पिछले दो तीन वर्षों के दौरान यह अच्छी बात रही है कि इन अनुमानों में बहुत अधिक अंतराल नहीं रहा है।

ख) व्यय पक्ष

इन सब गतिविधियों के समानांतर योजना आयोग स्थिति का जायजा लेने की कवायद भी करता है। आयोग सितम्बर-अक्टूबर के महीने में अलग अलग मंत्रालयों के साथ बैठकें करता है और मंत्रालयों की जारी परियोजनाओं की समीक्षा करता है तथा उनके लिए आवंटन पर विचार करता है। आयोग कुछ कार्यक्रमों को बंद करने अथवा एक जैसे दो कार्यक्रमों का विलय करने जैसे निर्णय कर सकता है। इस प्रकार योजना बजट का अनुमान तैयार किया जाता है। योजना आयोग वित्ता मंत्रालय को यह जानकारी देता है कि उसे अगले वित वर्ष के लिए योजना कार्यक्रमों को संचालित करने के लिए कितने दिन की आवश्यकता है वित्त मंत्री और योजना आयोग के उपाध्यक्ष मांग पर विस्तार से विचार करते हैं। इस प्रकार योजना खर्च का ब्यौरा तैयार किया जाता है। विभिन्न मंत्रालयों से भी उनकी धन की जरूरतों के बारे में पूछा जाता है। यह जानकारी बजट अनुमान का हिस्सा होती है।

इस प्रक्रिया के साथ-साथ आर्थिक कार्य विभाग व्यापार संगठनों, उद्योग मंडलों, अर्थशास्त्रियों और अन्य संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक भी आयोजित करता है। बजट निर्माण की प्रक्रिया में विभिन्न सम्बध्द पक्षों के सुझावों को ध्यान में रखा जाता है।

वित्ता मंत्री अपने सहयोगियों के साथ मिलकर निर्णय करते हैं।

उपरोक्त गतिविधियों के पूरी होने के बाद वित्ता मंत्री यह अनुमान लगाने की स्थिति में होते हैं कि उन्हें करों से कितना प्राप्त होगा और आने वाले वित्ता वर्ष में कितना धन खर्च करने की आवश्यकता होगी। वित्ता मंत्री कुछ और भी दबाव होते हैं। उन्हें एफआरबीएम अधिनियम का पालन करने और राजाकोषीय घाटे में कमी लाने की आवश्यकता पड़ती है। इन सब बातों को ध्यान में रखकर वित्तत मंत्री अपने सहयोगियों के साथ मिलकर यह निर्णय करते हैं कि अधिक कर वसूली के लिए कुछ नए कर लगाए जायें या नहीं और कर का आधार कैसे व्यापक बनाया जाये ताकि अधिक राजस्व प्राप्त हो सके। ऐसा करते समय विभिन्न हित समूह के सुझावों को भी ध्यान में रखा जाता है।

सकल घरेलू उत्पाद का मूल्यांकन

राजस्व विभाग और आर्थिक कार्य विभाग मिलकर अगले वर्ष के लिए जीडीपी का मूल्यांकन करते हैं। आम तौर पर सकल घरेलू उत्पाद में न्यूनतम वृध्दि का अनुमान व्यक्त किया जाता है। सकल घरेलू उत्पाद में वास्तविक वृध्दि का अर्थ है मुद्रास्फीति के आंकड़ों में से सकल घरेलू उत्पाद की न्यूनतम वृध्दि दर को घटाना ।

वित्ता मंत्री का बजट भाषण

इसके बाद बारी आती है बजट भाषण की। इसे अंतिम क्षण में तैयार किया जाता है। 15 फरवरी के आसपास कुछ बजटीय दस्तावेज लगभग पूरे हो चुके होते हैं। इनका प्रकाशन स्वयं नॉर्थ ब्लॉक में स्थित एक प्रेस में किया जाता है। सुरक्षा एजेंसियां प्रेस को घेरे रहती है और प्रवेश प्रतिबंधित होता है।

संसद में वित्ता मंत्री के बजट भाषण का दिन

फरवरी की आखिरी तारीख को वित्ता मंत्री लोकसभा में बजट भाषण देते हैं। इसके बाद बजट दस्तावेज उपलब्ध हो जाते हैं। इन्हें वेबसाइट www.finmin.nic.in पर भी प्रदर्शित किया जाता है। वर्ष 2008 चूंकि लिप वर्ष है इसलिए संसद में बजट 29 फरवरी को प्रस्तुत किया जायेगा।

।आर्थिक सर्वेक्षण और केन्द्रीय बजट प्रस्तुतिकरण की प्रक्रिया और ये दस्तावेज किस प्रकार आम लोगों तक पहुंचते हैं, इस बारे में पत्र सूचना कार्यालय द्वारा 15 फरवरी 2008 को एक कार्यशाला आयोजित की गयी। तत्सम्बन्धी प्रस्तुतिकरण पीआईबी वेबसाइट www.pib.nic पर उपलब्ध है।

**दैनिक भास्कर के राष्ट्रीय संस्करण में कार्यकारी सम्पादक।

**वरिष्ठ पत्रकार

 

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