गुरुवार, 21 फ़रवरी 2008

हीरों के उत्पादन ने बनाए कई लखपति चमक बरकरार है पन्ना के हीरा खनिक क्षेत्र की

हीरों के उत्पादन ने बनाए कई लखपति चमक बरकरार है पन्ना के हीरा खनिक क्षेत्र की

 

पन्ना 12 फरवरी/ अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर डायमण्ड सिटी के रूप में पहचान बना चुके पन्ना ने हीरा उथली खदानों के जरिए तमाम लोगों की तकदीर ही नहीं, उनके जीवन की तस्वीर भी बदल दी है। बेरोजगारों और जरूरतमंदों की माली हालत सुधारने के लिए राज्य सरकार के खनिज विभाग द्वारा हीरा उथली खदानों के पट्टों को बढ़ावा देने से कई लोग लखपति बन गए हैं।

 

              ये हीरा खदानें पूंजी निर्माण और रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। कई ऐसे हीरा उत्पादक हैं, जिनने हीरा उत्पादन से हुई आय से अपनी इच्छानुसार उद्योग स्थापित कर लिए हैं। पन्ना के हीरों ने तमाम बेरोजगारों की जिन्दगी संवारते हुए अपने उत्पादन का एक लम्बा फासला तय किया और इस यात्रा में पन्ना ने हीरा नगर के रूप में दुनिया में अपनी साख बनाई। दूसरों के घरों को रोशन करने में यहॉ के हीरों की चमक आज भी बरकरार है। इसलिए इस शहर को देश के प्रमुख हीरा उत्पादक केन्द्र होने का भी गौरव मिला है।

 

              मजे की बात यह है कि पन्ना जिला सहित देश के विभिन्न हिस्सों से यहां आए लोगों ने उथली हीरा खदानें शुरू कीं। कई मायनों में खदानों का जोखिम उठाने का चलन उन खदान लेने वालों के लिए बिल्कुल सही साबित होता है, जो पन्ना की हीरा खदान आने के लिए अपना सब कुछ दाव पर लगा देते हैं। जिला हीरा अधिकारी श्री जे0के0 सोलंकी ने बातचीत में कहा कि अगर आपके खून में जोखिम लेने का हौंसला है, तो खदानों में बहुत मौके हैं। साथ ही यहॉ की मामूली शुल्क पर पट्टे देने की व्यवस्था उद्यमशीलता को बढ़ावा देती है। श्री सोलंकी का यह भी कहना था कि वर्ष 2000-01 से वर्ष 2007-08 के आठ वर्षों के बीच पन्ना जिले की उथली खदानों से कुल 2949.66 कैरेट के 5220 हीरों का उत्पादन हुआ। इनकी कीमत 1 करोड 78 लाख 76 हजार 339 रूपये होती है।   उथली हीरा खदानों ने इस अवधि में 55 हजार 330 लोगों को रोजगार दिया और खनिज विभाग ने उथली हीरा खदानों से 49 लाख 76 हजार 956 रूपये तथा पन्ना जिले में कार्यरत राष्ट्रीय खनिज विकास निगम से 21 करोड़ 66 लाख 5 हजार 848 रूपये का राजस्व प्राप्त किया। उथली हीरा खदानों से उत्पादित हीरों की यहां बाकायदा नीलामी होती है। इस नीलामी में दूर-दूर से हीरा व्यापारी भाग लेने पन्ना आते हैं।

 

              हीरों के उत्पादन के प्रति लोगों की बढ़ती रूचि के कारण वर्ष 2000-01 मेें खदान लेने वाले कुछ ज्यादा ही रहे। इस वर्ष 21 लाख 53 हजार 340 रूपये मूल्य के 442.07 कैरेट के 834 हीरों का उत्पादन हुआ। हीरा अधिकारी श्री सोलंकी बताते हैं कि इसके मुनाफे को देखते हुए देश के कई हिस्सों से बड़ी संख्या में लोग हीरा खदानों के पट्टे लेकर हीरों का उत्पादन लेने के लिए आगे आने लगे। जिससे वर्ष 2001-02 में 27 लाख 51 हजार 226 रूपये मूल्य के 395.41 कैरेट के 642 हीरों, वर्ष 2002-03 में 14 लाख 49 हजार 719 रूपये मूल्य के 252.94 कैरेट के 395 हीरों का, वर्ष 2003-04 में 8 लाख 86 हजार 528 रूपये मूल्य के 246.43 कैरेट के 321 हीरों, वर्ष 2004-05 में 12 लाख 39 हजार 464 रूपये मूल्य के 246.64 कैरेट के 447 हीरों, वर्ष 2005-06 में 15 लाख 6 हजार 144 रूपये मूल्य के 393.57 कैरेट के 850 हीरों, वर्ष 2006-07 में 30 लाख 26 हजार 480 रूपये मूल्य के 480.29 कैरेट के 867 हीरों का उत्पादन हुआ तथा वर्ष 2007-08 में अब तक 48 लाख 63 हजार 438 रूपये मूल्य के 492.31 कैरेट के 864 हीरों की बिक्री हो चुकी है। इस तरह हीरों के उत्पादन से कई लोग लखपति बन गए हैं।

 

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