बिजली बचाना अब सभी की जिम्मेदारी, एनर्जी सेव्हर्स के इस्तेमाल की अपील
ग्वालियर 5 मई 09 । वक्त कीे अहम मांग यह भी है कि हर व्यक्ति अब उपलब्ध बिजली को बचाए। बिजली उत्पादन के जो भी मौजूदा स्त्रोत हैं उनमें से अधिकतर कुदरत की मेहरबानी पर निर्भर हैं। इसलिए ग्लोबल वार्मिंग, पानी और कोयले की कमी के मद्देनजर आने वाला वक्त इन संसाधनों को लेकर क्या होगा यह सटीक कयास लगाना किसी के भी लिए मुश्किल है। इन हालात में उपभोक्ताओं से अपनी मासिक खपत में कमी लाने और इसके चलते बिजली के भारी बिलों से निज़ात हासिल करने के लिए एजर्नी सेव्हर्स (सी.एफ.एल.) के इस्तेमाल की अपील की गई है। विद्युत मंडल और कंपनियों की मानें तो सात से 18 वॉट तक के ये एनर्जी सेव्हर्स बिजली बचाने की मुहिम में सहायक बन सकते हैं। यदि हम थोड़ी सी हिकमतअमली दिखाएं तो हर दिन 25 से 35 फीसदी बिजली को बचा सकते हैं।
विशेषज्ञों की राय है कि 60 वॉट का एक बल्ब जहाँ 10 घंटे के इस्तेमाल में 18 यूनिट बिजली खा जाता है, वहीं 13 वॉट का सी.एफ.एल. इतने ही इस्तेमाल के लिए सिर्फ 3.9 यूनिट बिजली मांगता है। अब इस हिसाब से चार रूपये प्रति यूनिट की दर पर हर महीने 56 रुपए 40 पैसे भी बिजली के साथ ही बचाए जा सकते हैं। इसी तरह अगर 40 वॉट के बल्ब की बात करें तो 10 घंटे इस्तेमाल में इसकी दरकार 12 यूनिटों की है जबकि 11 वॉट का सी.एफ.एल. यह काम सिर्फ 3.3 यूनिटों में कर देगा और इससे हर महीने 34 रुपए 80 पैसों की बचत होगी। जहॉ तक 25 वॉट के बल्ब का सवाल है तो यह 10 घंटे में खायेगा 7.5 यूनिट बिजली लेगा जबकि इसकी जगह सात वॉट का सी.एफ.एल. सिर्फ 2.1 यूनिट से ही काम चला देगा। इस किफायत से भी हर महीने 21 रुपए 60 पैसों की बचत होगी।
विशेषज्ञ यह सलाह भी दे रहे हैं कि खाना बनाने के लिए बिजली के हीटरों की बजाय सोलर कुकर और पानी गर्म करने के लिए भी गीज़र की जगह सोलर वाटर हीटर का इस्तेमाल फायदेमंद होगा। उनका यह कहना है कि दफ्तरों को भी घर की तरह मानें और बिजली का इस्तेमाल किसी भी जगह सिर्फ जरुरत के वक्त ही करें।
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