सोमवार, 4 मई 2009

हरियाणा के मतदाता तय करेंगे हजकां का भविष्य

हरियाणा के मतदाता तय करेंगे हजकां का भविष्य

निर्मल रानी 163011, महावीर नगर,  अम्बाला शहर,हरियाणा, फोन-09729229728 email: nirmalrani@gmail.com

       भारतवर्ष में हो रहे पन्द्रहवीं लोकसभा के आम चुनावों में जहां पूरे देश के लोगों की नंजरें इस बात पर जा टिकी हैं कि देखें दिल्ली दरबार पर किसकी सरकार का परचम लहराता है। वहीं देश के कुछ राज्य भी ऐसे हैं जो स्थानीय स्तर पर कुछ राष्ट्रीय स्तर के नेताओं की प्रतिष्ठा का प्रश् बने हुए हैं। ऐसा ही देश का एक समृद्ध एवं सम्पन्न राज्य है हरियाणा। इस राज्य में जनता सबसे अधिक उत्सुकता से यदि कुछ देख रही है तो वह है नवोदित राजनैतिक संगठन हरियाणा जनहित कांग्रेस तथा इसके सूत्रधार चौधरी भजन लाल का राजनैतिक भविष्य।

              चौधरी भजन लाल देश की राजनीति में एक ऐसा नाम है जिसे राजनैतिक जगत के लोग विशेषकर तिकड़मबांजी की राजनीति पर नंजर रखने वाले कभी भुला नहीं सकते। हरियाणा के मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए जिस प्रकार चौ0 भजन लाल ने रातों-रात राजनैतिक धर्म परिवर्तन करते हुए पूरे के पूरे जनता पार्टी के मंत्रिमंडल को कांग्रेस के मंत्रिमंडल के रूप में परिवर्तित कर दिया था, उसकी दूसरी मिसाल फिलहाल देश में कहीं भी देखने को नहीं मिली। इस निराली राजनैतिक घटना ने भजन लाल को 'राजनीति में पी. एच. डी.' की उपाधि दे डाली थी। उनके इस राजनैतिक 'कौशल' की वजह से चौधरी भजन लाल की गिनती कांग्रेस के केंद्रीय नेताओं में की जाने लगी। भजन लाल ने अपने राजनैतिक कौशल का ंजोरदार प्रदर्शन उस दौरान भी किया जबकि नरसिम्हाराव सरकार को गिरने से बचाने के लिए झारखंड मुक्ति मोर्चा के 4 सांसदों का लोकसभा में समर्थन कांग्रेस द्वारा हासिल किया गया। परन्तु इसमें भी कोई दो राय नहीं कि हरियाणा में कांग्रेस को मंजबूत करने में तथा राज्य में कांग्रेस को सत्ता तक लाने में भजन लाल की अहम भूमिका रही।

              परन्तु हरियाणा में चौ0 भुपेन्द्र सिंह हुड्डा को जब से राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया, उसी समय से भजन लाल को तथा उनसे भी अधिक उनके छोटे पुत्र कुलदीप बिश्नोई को यह महसूस होने लगा कि कांग्रेस पार्टी द्वारा उन्हें ठगा गया है तथा भजन लाल को 2005 में राज्य का मुख्यमंत्री न बनाकर उनके साथ अन्याय किया गया है। उसी समय से भजन लाल ने कांग्रेस आलाकमान के विरुद्ध बंगावत के स्वर बुलंद करने शुरु कर दिए थे। इस काम में भजन लाल से भी आगे-आगे चल रहे थे उनके पुत्र कुलदीप बिश्नोई। हालांकि कुलदीप बिश्नोई को कांग्रेस ने लोकसभा का चुनाव लड़वा कर भिवानी से सांसद भी निर्वाचित कराया था। कुलदीप के बड़े भाई चन्द्रमोहन को भजनलाल का पुत्र होने के नाते ही हरियाणा का उपमुख्यमंत्री भी बनाया गया। परन्तु भजन लाल के परिवार को यह सब कुछ मुख्यमंत्री का पद न मिल पाने के आगे तुच्छ महसूस हो रहा था। इस कुंठा की परिणिति कुछ इस प्रकार हुई कि कल तक सोनिया गांधी का गुणगान करने वाले कुलदीप बिश्ोई को सोनिया गांधी विदेशी महिला नंजर आने लगीं तथा राज्य की भुपेन्द्र सिंह हुड्डा सरकार भी उन्हें निकम्मी, अक्षम तथा अकुशल प्रतीत होने लगी। परिणामस्वरूप भजन लाल व उनके पुत्र कुलदीप बिश्ोई ने कांग्रेस को अपनी हैसियत बताने के लिए हरियाणा जनहित कांग्रेस नामक एक राज्य स्तरीय राजनैतिक दल का गठन किया। उनके इस नए राजनैतिक प्रयोग में हालांकि चन्द्रमोहन उनके सहयोगी नहीं बने। चन्द्रमोहन अपने जीवन के निजी जंजालों में कुछ ऐसा उलझे कि पहले तो उनके रहस्यमयी तरींकों से लापता होने का समाचार मिला। फिर अचानक पता चला कि चन्द्रमोहन जी ने अपनी आशिंकी पर कुर्बान होते हुए धर्म परिवर्तन तक कर लिया है और वे चन्द्रमोहन के बजाए चांद मोहम्मद बन चुके हैं। हरियाणा एवं पंजाब हाईकोर्ट की एक अधिवक्ता अनुराधा बाली के साथ उनके निकाह की खबरें आईं। अनुराधा बाली भी फिंजा मोहम्मद बन गईं। हरियाणा के उपमुख्यमंत्री जैसे जिम्मेदार एवं गरिमामयी पद पर बैठे व्यक्ति द्वारा लापता हो जाने, आशिंकी करने तथा    धर्म परिवर्तन करने जैसी खबरों ने मुख्यमंत्री भुपेन्द्र सिंह हुड्डा को इस बात के लिए मजबूर किया कि वे अपनी पार्टी की तथा शासन की गरिमा को बचाए रखने के लिए चन्द्रमोहन को उनके पद से हटा दें। उधर भजन लाल भी अपने जयेष्ठ पुत्र की इस आशिंकाना हरकत से आग बबूला हो उठे। उन्होंने भी अपने व अपनी नवगठित हरियाणा जनहित कांग्रेस के उावल भविष्य के मद्दनेंजर चन्द्रमोहन को अपनी सम्पत्ति तथा अपने रिश्तों से बेदंखल कर दिया। इस प्रकार बेचारे चन्द्रमोहन- 'न सनम ही मिला न विसाले सनम' के पर्याय बन गए। इस लोकसभा चुनाव के दौरान चन्द्रमोहन कहां हैं तथा वर्तमान राजनैतिक घटनाक्रम में उनकी क्या भूमिका है, किसी को पता नहीं। परन्तु भजन लाल अपने छोटे पुत्र कुलदीप को लेकर अपने परिवार के राजनैतिक अस्तित्व की लड़ाई लड़ते जरूर दिखाई दे रहे हैं।

              यूं तो हरियाणा में कुल 10 संसदीय निर्वाचन क्षेत्र हैं। राज्य में मुख्य रूप से कांग्रेस, भाजपा-इनैलो गठबंधन, बहुजन समाज पार्टी तथा हरियाणा जनहित कांग्रेस के प्रत्याशी राज्य की लगभग सभी सीटों पर अपना भाग्य आंजमा रहे हैं। मंजे की बात तो यह है कि सभी राजनैतिक दलों के वरिष्ठ नेता पूरी की पूरी दस सीटें जीतने का अलग-अलग दावा भी पेश कर रहे हैं। सत्तारूढ़ कांग्रेस 2004 के लोकसभा चुनावों में प्राप्त हुई 9 सीटों को 10 सीटों में बदलने अथवा विगत् 9 सीटों की स्थिति को ही बरंकरार रखने के लिए जी जान से संघर्ष कर रही है तो इनैलो भाजपा गठबंधन कांग्रेस से अधिक से अधिक सीटें छीन कर अगले वर्ष हरियाणा में होने वाले विधानसभा चुनावों पर अपनी नंजरें गड़ाए हुए है। उधर बहुजन समाज पार्टी कांग्रेस को नुंकसान पहुंचाने के अपने राष्ट्रव्यापी अभियान के अन्तर्गत राज्य की सभी सीटों पर चुनाव लड़कर अपनी हैसियत का अंदांजा लगाने की कोशिश कर रही है। परन्तु इन सबसे अलग यदि राजनैतिक विशेषकों की नंजरें बड़ी सूक्ष्मता से कुछ देख रही हैं तो वह है राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी भजन लाल तथा उनकी हरियाणा जनहित कांग्रेस का भविष्य जोकि इस बार पहली बार चुनाव लड़कर कांग्रेस को अपनी तांकत दिखाने की कोशिश में लगी है।

              हजकां वैसे तो राज्य की सभी 10 सीटों पर अपने प्रत्याशी लड़ा रही है। परन्तु केवल दो ही लोकसभा सीटें ऐसी हैं जिन्हें उनके पक्ष में आशाओं व चुनौतियों की नंजरों से देखा जा रहा है। इनमें एक हिसार की सीट पर स्वयं चौधरी भजन लाल अपना भाग्य आंजमा रहे हैं जबकि भिवानी से कुलदीप बिश्नोई चुनाव मैदान में हैं। कुलदीप बिश्ोई भी अन्य दलों के 'बयान बहादुर' नेताओं की तरह आठ या सभी दस सीटें जीतने की बात क्यों न कर रहे हों परन्तु राजनैतिक विशेषकों की नंजरें केवल हिसार और भिवानी में हजकां के संभावित प्रदर्शन पर ही लगी हुई हैं। इन दोनों ही सीटों को पिता-पुत्र ने अपनी प्रतिष्ठा का प्रश् बना लिया है। कुलदीप बिश्नोई स्वयं को हरियाणा का भावी मुख्यमंत्री बताकर मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं तो चौधरी भजन लाल अपने जीवन का अंतिम चुनाव बताकर मतदाताओं से उन्हें जिताने की भावनात्मक अपील कर रहे हैं। भजन लाल व कुलदीप को यह बंखूबी मालूम है कि यदि वे दोनों कम से कम अपनी यह दो सीटें जीत सके फिर तो किसी हद तक वे कांग्रेस आलाकमान को अपनी राजनैतिक हैसियत का अन्दांजा लगवा पाने में सफल होंगे और यदि ऐसा न हो सका तो कांग्रेस छोड़कर गए और कई दूसरे नेताओं की तरह इन्हें भी यह अहसास हो जाएगा कि संगठन महान होता है, न कि व्यक्ति।

              अब देखना यह है कि हरियाणा के मतदाता हरियाणा जनहित कांग्रेस को राज्य का विकास करने की इच्छा रखने वाले एक राज्यस्तरीय दल के रूप में लेते हैं अथवा एक ऐसे दल के रूप में जिसका उदय केवल इसलिए हुआ हो कि उसके संरक्षकों को कांग्रेस पार्टी उनकी इच्छाओं के अनुरूप सत्ता की उस कुर्सी पर बिठा पाने में असमर्थ रही जिसकी वे उम्मीद लगाए बैठे थे। निश्चित रूप से जहां देश का सम्पूर्ण चुनाव परिणाम दिलचस्प होने की संभावना है, वहीं हरियाणा में नवगठित हरियाणा जनहित कांग्रेस को लेकर आने वाले परिणामों के विषय में भी हरियाणा की जनता उतनी ही उत्सुक दिखाई दे रही है। समय बताएगा कि भजन लाल व कुलदीप बिश्नोई स्वयं को शरद पवार तथा ममता बैनर्जी की श्रेणी में स्थापित कर पाते हैं अथवा इनका हश्र उमा भारती जैसा होगा।

 

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