रविवार, 19 अप्रैल 2009

भारत का बाघ अभयारण्य-नामदाफा बाघ अभयारण्य

भारत का बाघ अभयारण्य-नामदाफा बाघ अभयारण्य

       अरूणाचल प्रदेश में नामदाफा बाघ अभयारण्य ने वर्ष 1993 से लेकर बाघ की संख्या में निरन्तर वृध्दि दर्ज की  है। इसके संरक्षित क्षेत्र का 60 प्रतिशत से अधिक भाग अछूता है। बाघों की पिछली गणना के दौरान इस अभयारण्य में 61 बाघ देखे गए हैं। वर्ष 1993, 1995 और 1997 के दौरान ंची पहाड़ी चोटी दाफाबूम से निकलती है। लगभग पूरा संरक्षित क्षेत्र ऊंची पहाड़ियों और घने जंगलों से ढका है तथा यहां कई नदियां और मौसमी धाराएं हैं। इस अभयारण्य के एक बड़े हिस्से का सड़कों से वंचित होना और दूरस्थ होना  जहां एक ओर इसके संरक्षण के लिए एक प्राकृतिक बाधा के रूप में काम करता है, वहीं दूसरी ओर प्रबंधन संबंधी गतिविधियों को पंगु बनाता है।

       इस नामदाफा अभयारण्य में पैंथर, सांभर, बाकिर्गं डीयर, हिमालयी काला भालू और गौर के साथ-साथ बाघ, तेंदुआ, चितकबरा तेंदुआ और बर्फीला तेंदुआ जैसी बड़ी बिल्लियां पायी जाती हैं। हूलॉक गिबॉन, सुनहरी बिल्, मार्बल्ड बिल्ली, मिश्मी तकीन, लाल पंडा, नामदाफा की उड़ने वाली गिलहरी, उजले पंख वाला जंगली बत्तख, नामदाफा की छोटे पंख वाली चिड़िया इस अभयारण्य की अद्वितीय जैव विविधताओं के प्रतीक हैं। यह क्षेत्र मूल रूप से संरक्षित वन था और इसे असम वन विनियमन के अधीन 1972 में वन्य प्राणी अभयारण्य घोषित किया गया था। इसके बाद 1983 में इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित  किया गया। उसी वर्ष बाघ परियोजना के अधीन इसे बाघ अभयारण्य घोषित किया गयाथा। वर्ष 1986 में इस बाघ अभयारण्य में संरक्षित वन का 177.425 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र जोड़ दिया गया था।

       अरूणाचल प्रदेश के गठन से पहले पूरे संघ क्षेत्र को उत्तर-पूर्व सीमावर्ती एजेंसी (नेफा) के रूप में जाना जाता था। नेफा में एक राष्ट्रीय उद्यान के सृजन का प्रस्ताव 1947 में किया गया था। किन्तु यह फलीभूत नहीं हो सका। खोनसा के उपायुक्त के प्रयासों से वर्ष 1970 में असम वन विनियमन के अधीन इस क्षेत्र को संरक्षित वन घोषित किया गया  और इसके बाद 1972 में इसे वन्य प्राणी अभयारण्य घोषित किया गया।

       वर्ष 1996-97 से लेकर प्रत्येक वर्ष  50 से अधिक ग्रामीणों को काजीरंगा  ले जाकर  उन वन्य प्राणियों के महत्व के बारे में शिक्षित किया जाता है और वन्य पर्यटन तथा अन्य गतिविधियों के माध्यम से लोगों की आर्थिक  स्थिति में सुधार लाने हेतु संभावनाओं के बारे में जानकारी दी जाती है।  आज नामदाफा की विरासत के बारे में लोग गौरवान्वित हैं।

 

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