शिक्षा की गुणवत्ता में बढ़ोतरी के लिए सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी– Dainik Madhyarajya
विशेष लेख
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के दो प्रमुख कार्यकर्मों सर्वशिक्षा अभियान तथा मधयाह्न भोजन योजना के कारण क्रमश: स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति बढ़ी है साथ ही साथ उनके पोषण स्तर में भी सुधार हुआ है। इन कार्यक्रमों को लागू करने के बाद प्राथमिक स्तर पर छात्रों के द्वारा शिक्षा पूरी करने के कारण माध्यमिक स्तर की शिक्षा के लिए मांग में भी वृध्दि हुई है।
समाज के कमजोर वर्गों, शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों, बालिकाओं, शिक्षकों, ग्रामीण बच्चों तथा अन्य सीमान्त वर्गों जैसे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग एवं शैक्षिक रूप से पिछड़े अल्पसंख्यकों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। न केवल सभी के लिए नामांकन बल्कि सभी के लिए स्थायी एवं संतोषजनक शिक्षा प्रदान करने को भी प्राथमिकता दी जा रही है।
11वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान माध्यमिक शिक्षा के लिए नई पहलें की जा रही हैं जिनमें स्कूलों में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी भी शामिल है। राज्य सरकार तथा निजी भागीदारी के साथ स्कूलों में एक संशोधित सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी योजना को लागू किया जाएगा। यह योजना एक लाख स्कूलों से भी ज्यादा सरकारी, स्थानीय निकायों तथा सरकारी सहायता प्राप्त माध्यमिक तथा उच्चतर माध्यमिक स्कूलों में ब्रॉडबैण्ड संपर्कता के साथ सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी साक्षरता एवं कम्प्यूटरीकृत शिक्षा मुहैया करायेगी। प्राथमिक तथा माध्यमिक स्तर पर भी कम्प्यूटरीकृत शिक्षा आरंभ करने के भी प्रयास किये जा रहे हैं।
11वीं योजना में उच्चतर शिक्षा के लिए कुछ प्राथमिकताएं है जो इस प्रकार है सुविधा का विस्तार, (जैसे संस्थागत बुनियादी ढांचा), समानता (जैसे पिछड़े समूहों की भागीदारी को सुनिश्चित करने और क्षेत्राीय असमानता को दूर करने), गुणवत्ता में सुधार और सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का बेहतर उपयोग करना आदि ताकि इन लक्ष्यों की प्राप्ति को बढ़ावा दिया जाए। 11वीं योजना के अंत तक 18-24 वर्ष के आयु वर्ग के लिए सकल नामांकन अनुपात को बढ़कर कम से कम 15 प्रतिशत करना है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए योजना में लगभग 85,000 करोड़ रूपये का प्रावधान है जो 10वीं योजना से 9 गुणा अधिक है।
इस अभियान के तहत संपर्कता के ज़रिए उच्च गुणवत्ता की ई-सामग्री को उपलब्ध कराने के अलावा सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के ज़रिए राष्ट्रीय शिक्षा अभियान आरंभ करने का भी प्रस्ताव किया गया है जो 400 से अधिक विश्वविद्यालयों के समकक्ष संस्थानों और 20,000 से अधिक डिग्री कॉलेजों को ब्रॉडबैण्ड संपर्कता उपलब्ध करायेगा।
11वीं योजना में उच्च शिक्षा स्तर पर श्रेष्ठ अनुसंधान को बढ़ावा देने, नियमित जीवन वृत में सुधार एवं नियमित मूल्यांकन पर जोर देने, प्रत्यायित व्यवस्था का विस्तार करने और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग तथा अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् जैसी उच्च संस्थाओं में सुधार के लिए प्राथमिकता देने की बात कही गई है ताकि इन्हें वर्तमान तथा आने वाली चुनौतियों तथा आवश्यकताओं के प्रति और अधिक जवाबदेह बनाया जा सके।
भारतीय प्रत्यायित राष्ट्रीय बोर्ड को वर्ष 2007 के दौरान वॉशिंगटन संधि का अंतरिम सदस्य बनाया गया। इसके साथ ही अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के भारतीय प्रत्यायित राष्ट्रीय बोर्ड के द्वारा मान्य पाठयक्रमों में स्नातक छात्रों को इस संधि के सदस्य देशों जैसे अमरीका, ब्रिटेन, कनाडा, जापान आदि में शिक्षा तथा रोज़गार प्राप्त करने में आसानी हो जाएगी।
दिल्ली के स्कूलों में अच्छा प्रचलन
राष्ट्रीय राजधनी क्षेत्र दिल्ली सरकार ने शिक्षा निदेशालय के अधिकारियों सहित, अध्यापकों की ज़िम्मेदारी तथा विद्यार्थियों के प्रदर्शन, कक्षा में अध्यापन से संबंधित प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष चुनौतियों से निपटते हुए आईसीटी में शैक्षिक नवीनताओं और प्रशासन में सक्षम करते हुए राष्ट्रीय राजधनी क्षेत्र दिल्ली, सरकार ने एक व्यापक सूचना प्रौद्योगिकी कार्य योजना आरंभ की है।
इन पहलों में निदेशालयों में कार्मिक एवं कार्यालय प्रबधन के लिए हस्तक्षेप भी शामिल है, जैसे कर्मचारी सूचना व्यवस्था, हस्तांतरण नियुक्ति इकाई, वित्त इकाई, पुस्तकालय प्रबंधन और अवसंरचना इकाई इत्यादि इसके परिणाम स्वरूप मानवीय हस्तक्षेप के साथ विभाग के शैक्षिक तथा प्रशासनिक परिणामों में एक आम बदलाव आया है, अनन्यता को भी कम किया गया है जिसके कारण साफ-सुथरी, पारदर्शी, उत्तरदायी तथा जवाबदेह व्यवस्था सामने आई है।
सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के सबसे अधिक महत्वपूर्ण पहलू इस प्रकार है -
विभाग का सारा कार्य इस सिस्टम के साथ जोड़ दिया गया है ताकि उपयोगकर्ता सिस्टम के ज़रिए बच्चे की अंक तालिका इत्यादि बना सके बजाय इसके कि पहले आपके पास डाटा आये और फिर आप अपना कार्य शुरू करें।
किसी भी इकाई को हमेशा पूरी तरह से ही लागू किया जाएगा। यहां पर कोई भी परीक्षण परियोजना नहीं होगी। सभी उपयोगकर्ता सिस्टम को एक साथ ही उपयोग करते हैं।
यह सिस्टम अपने ही देश में बनाया गया है। इसके लिए पहले आवश्यकताओं की पहचान की गई, जवाबों पर विचार किया गया, सम्भवत: आसान सिस्टम को लागू किया गया, परीक्षण किया गया और फिर इसे ठीक प्रकार से चलाया गया।
यह बात सच है कि बेव आधारित यह सिस्टम अनूठा नहीं है। परन्तु फिर भी यह सुनिश्चित किया गया है कि यह हर बार प्रत्येक स्तर पर अभिप्राय पूर्ण परिणाम दे।
इस सिस्टम को सभी हितधारकों ने पहले ही स्वीकार कर लिया है। सच तो यह है कि अध्यापक संघ ने यह दावा किया है कि यह उपलब्धि उसके अथक प्रयासों का परिणाम है।
उन सभी पैमानों पर, जिन पर एक स्कूल शिक्षा प्रणाली का मूल्यांकन किया जा सकता, उनमें एक निश्चित तथा अतुलनीय सुधार हुआ है।
दसवीं कक्षा के परिणामों में भी अतुलनीय वृध्दि हुई है। वर्ष 2006 में 11.7 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2007 में यह 17.39 प्रतिशत हो गया है। जिन स्कूलों में दसवीं कक्षा का परिणाम 90 प्रतिशत से अधिक है, उन स्कूलों की भी संख्या बढ़ी है। अध्यापकों की उपस्थिति की पुष्टि किसी भी समय व्यक्तिगत रूप से या समूह के द्वारा की जा सकती है। इस बारे में अधिक जानकारी वेबसाईट .ङ्ढड्डद्वड्डङ्ढथ्.दत्ड़.त्द पर भी मौजूद है। कार्यान्वयन के पहले वर्ष के दौरान ही आन लाईन दाखिला व्यवस्था के कारण कक्षा 6 में नामांकन कराने वाले छात्रों की संख्या में 14 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है।
हस्तांतरण तथा नियुक्ति की अनन्य शक्तियां भी समाप्त कर दी गई हैं। अब सभी हस्तांतरण तथा नियुक्तियां पारदर्शी कम्प्यूटरीकृत हस्तांतरण व्यवस्था के ज़रिए की जाएगीं। इसमें जीआईएस आधारित नियुक्तियां भी हैं।
प्रबंधन सूचना व्यवस्था (एमआईएस) के ज़रिए वास्तविक समय संचार तंत्र मुहैया कराया गया है। महत्वपूर्ण सूचनाओं को प्रत्येक कर्मचारी को भेजा जा रहा है ताकि सूचना में देरी से बचा जा सके। समय सीमा के भीतर फंड के शत-प्रतिशत उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए एक विशुध्द एवं सक्षम वित्तीय प्रबंधन व्यवस्था को सक्षम बनाया गया है।
वित्तीय व्यवस्था का कम्प्यूटरीकरण होने के कारण अध्यापन तथा गैर अध्यापन कर्मचारियों के उनका बकाया अब समय पर मिल जाया करेगा। ऑन लाईन (ईओआर) निगरानी व्यवस्था के उपयोग से स्कूलों में रखरखाव में सुधार आया है। एमआईएस में नागरिकों के लिए फीड़बैक सिस्टम भी उपलब्ध हैं जिसके ज़रिए माता-पिता या नागरिक विभाग या शिक्षा मंत्री से अपनी बात कह सकते है और सूचना का आदान प्रदान भी कर सकते है।
दिल्ली सरकार ने वर्ष 2007 में राष्ट्रीय विद्यालय खेलों में सबसे अधिक पदक जीते थे। शिक्षा विभाग ने भी पिछले तीन वर्षों में चार बार नेशनल गवर्नेन्स अवार्ड जीता है।
अन्य राज्यों में इसे लागू करना
यह सिस्टम ऑन-लाईन है और पूरे देश में एक जैसा है। इस सिस्टम की अनुकृतियां भी बनाई जा सकती हैं।
यह न केवल अंतर्राज्यीय बल्कि अंत:विभागीय स्तर पर भी इसकी अनुकृतियां बनाई जा सकती हैं। सारे देश और राज्यों में विभागीय कार्य लगभग एक समान ही होता है। उदाहरणत: कार्मिक-प्रबंधन सूचना व्यवस्था (पीआईएमएस) को शुरू में लोक निर्माण विभाग, दिल्ली ने लागू किया था। बाद में इसे केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग ने पूरे देश में फैला दिया।
सबसे पहले इसका डिज़ाइन निर्माण और इसका कार्यान्वयन शिक्षा विभाग ने लोक निर्माण, दिल्ली के लिए किया था। हाल ही में हरियाणा सरकार ने अपने एडूसेट पर मल्टी-मीडिया पाठयक्रम का प्रसारण आरंभ किया है। पंजाब सरकार से भी राज्य में भी इसे लागू करने के लिए बातचीत चल रही है। मध्य प्रदेश, राजस्थान और अण्डमान सरकारों ने भी इसे अपने यहां लागू करने में रूचि दिखाई है। (पसूका)
Û मानव संसाधन विकास मंत्रालय से साभार
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