मंगलवार, 10 जून 2008

पंचायती राज संस्थाओं में प्रशिक्षण तथा क्षमता विकास– Dainik Madhyarajya

पंचायती राज संस्थाओं में प्रशिक्षण तथा क्षमता विकास– Dainik Madhyarajya

 

राष्ट्रीय तथा राज्य स्तरीय अनेक मंचों पर पंचायती राज संस्थाओं में निर्वाचित प्रतिनिधियों और स्थानीय प्रशासन में कार्यशील कर्मचारियों को क्षमता विकास सहायता उपलब्ध कराने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया गया है। अभी हाल ही में ज़िला तथा मध्यवर्ती पंचायतों के अध्यक्षों का दिल्ली में एक तीन दिवसीय सम्मेलन आयोजित किया गया था। इसमें 26 राज्यों एवं संघ शासित क्षेत्रों के 8,000 से भी अधिक प्रतिनिधिमण्डलों ने भाग लिया था। इस अवसर पर दो रिपोर्टे जारी की गई थी। एक रिपोर्ट द स्टेट ऑफ पंचायत्स 2007-2008 थी जिसे प्रधनमंत्री ने जारी किया था। दूसरी रिपोर्ट पंचायती राज संस्थाओं में निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों पर अधययन थी जिसे यूपीए अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी ने जारी किया। इस अध्ययन में कहा गया है कि बेहतर प्रशिक्षण, निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों के कार्य प्रदर्शन में एक प्रमुख तत्व के रूप में उभरकर सामने आया है। जिन महिलाओं ने प्रशिक्षण लिया है उन्होंने अपने क्षेत्रों में बेहतर कार्य का प्रदर्शन किया है। अत: इस बात की भी सिफारिश की गई है कि न केवल निर्वाचित प्रतिनिधियों के लिए इसे अनिवार्य किया जाए बल्कि इसे नियमित रूप से आयोजित भी किया जाना चाहिए। उसका बहुपक्षीय विस्तार हो जिसमें नियम-विनियम, बजट एवं वित्त और विकास योजनाओं का कार्यान्वयन भी हो। क्षमता विकास प्रशिक्षण के लिए मुख्य तर्क इस प्रकार हैं - मौजूदा सामाजिक असमानताओं में यह अनिवार्य है कि महिलाओं, अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजातिओं को पिछड़ेपन से लड़ने के लिए सहायता दी जाए और आत्मविश्वास के साथ स्थानीय प्रशासन में भागीदारी के लिए उन्हें सक्षम बनाया जाए। प्रशिक्षण तथा क्षमता विकास पहलों से वे न केवल अपने घरों से बाहर आयेंगी बल्कि इसके ज़रिए वे बेहतर भागीदारी के लिए सक्षम हो सकेंगी।

       हमें इस बात को भी अपने दिमाग में रखना है कि स्थानीय प्रशासन व्यवस्था में भाग लेने वाले बड़ी संख्या में हैं जो पहली बार इसमें भाग ले रहे हैं। अत: उनके कौशल अनुभव को बढ़ाने की बेहद ज़रूरत है, और उन्हें आवश्यक एवं उचित सूचना मुहैया कराई जाये तथा उन्हें ताज़ा जानकारी से लगातार अवगत कराया जाता रहे।

       73वें संविधान संशोधन की भावना के दायरे में ही स्थानीय प्रशासन व्यवस्था का स्थिरीकरण करते हुए स्थानीय नेतृत्व के सृजन के लिए क्षमता विकास प्रयासों की भी जरूरत है, जो असमानता तथा अन्याय में परिवर्तन लाये जोकि अभी देश में मौजूद है।

       साथ ही इसी समय अधिकतर सरकारी अधिकारियों के लिए शक्तियों का अधोहस्तांतरण एक नई अवधारणा है। विकेन्द्रीकरण तथा शक्तियों का अधोहस्तांतरण के कार्य करने के विभिन्न तरीकों की ज़रूरत है और उनके व्यवहार तथा दृष्टिकोण में परिवर्तन लाने के लिए प्रशिक्षण की भी ज़रूरत है ताकि वे स्थानीय प्रशासन कार्य को प्रभावी बना सके। विकेन्द्रीकरण तथा शक्तियों का अधोहस्तांतरण को ग़रीबी उपशमन, सीमांत वर्गों की भागीदारी को बढ़ाने के लिए और स्थानीय स्तर पर जवाबदेही तथा बड़ी जिम्मेदारियों को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक माना गया है। विकेन्द्रीकरण के लिए गति बल, जोकि बहुपक्षीय तथा द्विपक्षीय संस्थाओं द्वारा आगे बढ़ाया गया है, को बहुत माना गया है। यदि आवश्यक तकनीक शर्तें पूरी कर दी गई हों तो भागीदारी तथा जवाबदेही अपने आप ही आ जाएगी। हालांकि विद्वान तथा कार्यकर्ता गवर्नेन्स के मुद्दे पर कार्य कर रहे हैं। साथ ही साथ महिलावादी लेखन तथा विचार ने विकेन्द्रीकरण के विश्वास को राज्य की संस्थाओं का केवल तकनीकी पुनर्गठन मानने को चुनौती दी है। संस्थाओं में लिंग विचारधारा के आसपास ही सारी कवायद केंद्रित रहती है जो इस बात को सिध्द करती है कि किसी भी संस्थागत् प्रबंधन के लिए प्रक्रियाओं तथा लिंग एजेंडा को प्राथमिकता प्रदान की जा रही है। महिलाओं अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के सदस्यों की उपस्थित की आशा अपने आप ही विकास के एजेंडा की तरफ ले जाएगी। इस बात को भी समझना जरूरी है कि यहां पर अन्य परिस्थितियों के साथ-साथ किसी भी प्रकार का महत्वपूर्ण परिवर्तन होना आवश्यक है। क्षमता विकास प्रक्रिया में यह भी अपेक्षित है कि सरकारी नौकरशाही में ऊपर से लेकर निचले स्तर तक एक उचित परिपेक्ष्य स्थापित किये जाने की ज़रूरत है।

अधययन - केरल

       केरल स्थानीय प्रशासन संस्थान (केआईएलए), केरल स्थानीय स्वशासन विभाग के अधीन एक स्वायत्त संस्थान है। इसकी स्थापना 1990 में प्रशिक्षण सुविधा, अनुसंधान, दस्तावेज़ीकरण और स्थानीय प्रशासन के बारे में विचार-विमर्श के लिए की गई थी। इसके अलावा यह संस्थान विकेन्द्रीकरण के मुद्दे पर राष्ट्रीय तथा राज्य स्तर की कार्यशालाओं और सेमीनारों का भी आयाोजन करता है। यह संस्थान आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु के लिए क्षेत्रीय संसाधन केन्द्र है।

जीवन के सभी पक्षों, जैसे आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक तथा तकनीक आदि में हो रहे परिवर्तनों को अपनी मान्यता देते हुए केरल ने लोगों के विभिन्न वर्गों को व्यापक प्रशिक्षण देने के लिए योजना बनाई है।

केआईएलए के प्रशिक्षण तथा क्षमता विकास प्रयासों को इस प्रकार से डिज़ाइन किया गया है कि पूरी केरल विकास योजना के प्रति तार्किक एवं लगातार सहायता को सुनिश्चित किया जा सके। केआईएलए राज्य सरकार और स्थानीय निकायों के साथ करीबी स्तर पर मिलकर कार्य कर रहा है। विभिन्न कार्य वर्गों में भाग लेने वाले प्रतिभागियों से जो फीडबैक मिल रहा है उससे राज्य सरकार को नीतियों के निर्माण में सहायता मिल रही है। केआईएलए के सभी कर्मचारी केरल विकास योजना को पूरा करने में लग गये हैं। यह संपूर्ण व्यवस्था के विभिन्न वर्गों के साथ मिल कर कार्य कर रहा है तथा लक्षित विभिन्न वर्गों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम चला रहा है।

विकेन्द्रीकृत प्रशिक्षण

       स्थानीय शासन, तकनीकी सलाहकार समिति तथा तकनीकी समिति के सदस्यों को जगह-जगह चलाए जा रहे प्रशिक्षण कार्यक्रमों में शामिल किया जा रहा है। यह कार्य क्षेत्रीय, ज़िला तथा ब्लॉक स्तर पर किया जा रहा है। वर्ष 2003-04 में 1,36,080 लोगों को प्रशिक्षण दिया गया।

निर्वाचित प्रतिनिधियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम

       केआईएलए निर्वाचित प्रतिनिधियों के लिए स्थानीय प्रशासन पर एक 10 महीने का प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाता है ताकि ये प्रतिनिधि तुच्छ राजनीति से ऊपर उठ सकें और अपनेर् कत्तव्यों का प्रभावी ढंग से निर्वहन कर सके। इसे दूरस्थ एवं संपर्क कार्यक्रम के रूप में डिज़ाइन किया गया है। इसमें परिसर से बाहर जाकर अध्ययन करना तथा अनुसंधान कार्य भी शामिल है। जो लोग यहां अपना प्रशिक्षण पूरा कर लेते हैं उन्हें विभिन्न स्तरों पर तकनीकी सलाहकार समितियों के सदस्यों के रूप में तथा वरिष्ठ प्रशिक्षक के रूप में नियुक्त कर दिया जाता है।

विकेन्द्रीकृत शासन पर पाठयक्रम

       केआईएलए प्रत्येक दो महीने में एक बार विकेन्द्रीकृत शासन पर एक राष्ट्रीय स्तर का पाठयक्रम चलाता है। यह पाठयक्रम केरल में स्थानीय निकायों की कार्यविधि के बारे में जानकारी प्राप्त करने का अवसर प्रदान कराता है। विभिन्न राज्यों के नीति निर्माता, अधिकारी और निर्वाचित सदस्य इन कार्यक्रमों में नियमित रूप से भाग लेते हैं। यह विकेन्द्रीकरण पर राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम भी चलाता है। जिसमें सार्क देशों जैसे पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल और बंगलादेश के निर्वाचित सदस्य तथा अधिकारी शामिल होते हैं।

पंचायत से पंचायत तक

       केरल में कम से कम 200 पंचायते हैं, जिन्होंने अपने यहां अभिनव कार्यक्रम चला रखे हैं। ऐसी पंचायतें जो विचारों, क्षमताओं, सेमीनारों, कार्यशालाओं और अवसर के क्षेत्र में पिछड़ी हुई है, उन्हें प्रेरणा देने तथा एक दूसरे से परिचित कराने के लिए, उनका अच्छा प्रदर्शन कर रही पंचायतों के साथ संपर्क बनाया जा रहा है।

कैंपस से बाहर प्रशिक्षण

       कैंपस के बाहर विभिन्न जगहों पर अनेक प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। जिसमें कार्यरत समूह प्रशिक्षण, तकनीकी सलाहकार समिति प्रशिक्षण, तकनीकी समिति प्रशिक्षण, ग्राम सभा प्रशिक्षण, नई व्यवस्था के लिए प्रशिक्षण और जनजातीय उप-योजना के लिए प्रशिक्षण इत्यादि शामिल है।

प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण

       ऊपर के कार्यक्रमों के लिए प्रशिक्षकों को प्रशिक्षण प्रदान करने के कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। इनके अतिरिक्त नागरिक समिति के सदस्यों एवं अधिकारियों, राजनीतिक पार्टी के नेताओं तथा मीडियाकर्मियों के लिए भी प्रशिक्षण कार्यक्रम है।

       केआईएलए ने स्थानीय शासन में गंभीर सक्रिय भागीदारी के लिए अंतर्राष्ट्रीय तथा राष्ट्रीय एजेंसियों के साथ गठबंधन किया है। इन एजेंसियों में यूएनडीपी, यूएन हबीटेट, यूनेस्केप, एसडीसी, हुडको, मानव व्यवस्थापन प्रबंधन संस्थान, राष्ट्रीय शहरी कार्य संस्थान, अखिल भारतीय स्थानीय स्वशासन संस्थान शामिल हैं। साथ ही इसको अपने खर्चों को  पूरा करने के लिए आवश्यक पर्याप्त संसाधन एकत्रित करने में भी सक्षम बनाया गया है।

शिक्षा

       केरल एक अनूठा तथा समृध्द अनुभव भी पेश करता है, जहाँ से अनेक शिक्षाएं प्राप्त की जा सकती हैं। विशेषताएं -

1.      प्रशिक्षण एवं क्षमता विकास कार्यक्रम बहुत अधिक प्रभावी होते हैं जब वे व्यापक कार्यढांचे के अंतर्गत होते हैं जोकि व्यवस्था के सभी तत्वों से निपटता है। केवल सरपंचों, वार्ड सरपंचों या ज़िला परिषद् सदस्यों को प्रशिक्षण देने का कोई लाभ नहीं होगा जब तक स्थानीय शासन व्यवस्था तथा संबंधित अधिकारियों से रूबरू न हुआ जाए।   

2.     केरल उन कुछ राज्यो में से एक है जो विभिन्न स्तरों पर प्रमाणित पाठयक्रम और पहलगामी पाठयक्रमों के ज़रिए स्थानीय शासन पर प्रशिक्षण के मुद्दे को हल कर रहा है।

3.     केआईएलए के प्रशिक्षण प्रयास इतने व्यापक हैं कि वे राज्य विकास तंत्र के अन्य अंगों से जुड़े हुए हैं। ये प्रशिक्षण प्रयास राज्य विकास योजना के साथ बेहतरीन ढंग से समन्वित हैं। अत: वे एक विस्तृत परिप्रेक्ष्य तथा उद्देश्य स्थापित कर रहे हैं। पंचायती राज संस्थाएं अपने संबंधित समुदायों के लिए एक दृष्टिकोण का विकास करने के लिए सक्षम है।

4. अंतत: केरल ने यह दिखा दिया है कि यहां सभी उद्देश्यों को पूरा करने के वास्ते प्रशिक्षण एवं क्षमता विकास के लिए एक ऐसे संस्थागत कार्य ढांचे की ज़रूरत है जो मानव तथा वित्तीय दोनों ही संसाधनों से लैस हो।

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.. उपनिदेशक (मीडिया एवं संचार) पत्र सूचना कार्यालय, दिल्ली

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