रविवार, 22 मार्च 2009

सौर शहरों का विकास

सौर शहरों का विकास

श्रीमती कल्पना पालकीवाला*

भारत के कई शहरों और कस्बों में विद्युत मांग में 15 प्रतिशत की वृध्दि हो रही है। तेजी से बढती ऌस मांग के परिणामस्वरूप, ज्यादातर शहर और कस्बे भारी विद्युत कटौती का सामना कर रहे हैं। इसलिए, ऊर्जा मांग का प्रबंध करना स्थानीय सरकारों और नगर निगमों के लिए एक प्राथमिक कार्य बन गया है। इसलिए, एक ऐसी कार्य योजना को विकसित किए जाने की आवश्यकता है जिससे ऊर्जा संरक्षण और नवीकरणीय ऊर्जा उपकरण और प्रणाली के माध्यमों को अपनाकर कार्बन उत्सर्जन की अत्यधिक मात्रा में कमी लाने के अतिरिक्त पारंपरिक ऊर्जा खपत में कमी लायी जा सकती है। इसके अनुसार, न्न सौर शहरों का विकास न्न पर एक कार्यक्रम तैयार किया जा चुका है जिसके तहत शहरी क्षेत्रों में नवीकरणीय ऊर्जा के प्रयोग हेतु नगर निगमों को अपने शहरों को सौर शहरों के तौर पर विकसित करने की तैयारी और एक कार्ययोजना के कार्यान्वयन में सहायता प्रदान करना है।

उद्देश्य

       इस कार्यक्रम के उद्देश्यों में शहरी स्थानीय निकायों को शहर स्तर पर ऊर्जा चुनौतियों से निबटने में सक्षम बनाना, निकायों को ढांचागत योजना प्रदान करना और उसमें मदद करना, वर्तमान ऊर्जा स्थिति, भविष्यगत की मांग और कार्य योजनाओं के निर्धारण सहित प्रमुख योजना की तैयारी करना, निकायों की क्षमता को बढाना और नागरिक समाज के सभी वर्गो के बीच जागरूकता जगाना, योजना प्रक्रिया में विभिन्न पणधारकों को शामिल करना और सार्वजनिक-निजी साझेदारी के माध्यम से दीर्घकालीन ऊर्जा विकल्पों के कार्यान्वयन की देखभाल करना शामिल है।

भौतिक लक्ष्य-

       11वीं योजनावधि में, कुल 60 शहरों को न्न सौर शहरों न्न के तौर पर विकसित किये जाने का प्रस्ताव है। मंत्रालय द्वारा एक राज्य में कम से कम एक शहर से लेकर अधिकतम पाँच शहरों को मदद प्रदान की जाएगी। इस कार्यक्रम में शामिल शहरों की जनसंख्या 5 लाख से ज्यादा और 50 लाख से कम होगी।

प्रमुख गतिविधियां-

       इस कार्यक्रम को मंत्रालय द्वारा स्वीकृत तिथि से एक वर्ष की अवधि के भीतर मुख्य योजना की तैयारी के माध्यम से शहर स्तर पर दीर्घकालीन ऊर्जा को प्रदान करने में सामने आने वाली चुनौतियों को हल करने के आधार पर तैयार किया गया है। मुख्य योजना को संकेतात्मक दिशानिदेर्शो के अनुसार तैयार किया गया है जिससे अगले 10 वर्षो के लिए संपूर्ण और क्षेत्रवार ऊर्जा मांग और आपूर्ति प्रदान की जायेगी। इसके अलावा, यह शहर में ऊर्जा उपयोग और ग्रीन हाऊस गैसों के उत्सर्जन के बारे में एक संपूर्ण क्षेत्रवार आधार व्यवस्था भी प्रदान करेगा। मुख्य योजना में ऊर्जा संरक्षण के वर्षवार लक्ष्य, नवीकरणीय ऊर्जा और ग्रीन हाऊस गैसों की कमी के साथ कार्य योजना के कार्यान्वयन को स्पष्ट रूप से सामने लाया जायेगा। वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्र दोनों क्षेत्र के संदर्भ संगठनों से अनुदान के संभावित स्रोतों की पहचान की जाएगी। चयनित प्रतिनिधि, स्थानीय अनुसंधान और शैक्षिक संस्थान, निवासी कल्याण संस्थाएं, औद्योगिक और कॉरपोरेट संगठन, गैर सरकारी संगठन, एसएनए आदि की प्रस्तुति के साथ अंतिम रूप देने से पूर्व, मुख्य योजना पर पणधारक सलाहकार कार्यशाला में विचार विमर्श किया जाएगा। मुख्य योजना में वर्तमान स्तर से 10 प्रतिशत तक की ऊर्जा खपत और कार्बन उत्सर्जन में कमी का न्यूनतम लक्ष्य रखा जाएगा।

        इस कार्यक्रम के अंतर्गत शहर परिषद में  न्न सौर शहर प्रकोष्ठ न्न का गठन भी शामिल है जिसमें योजना और कार्यान्वयन के लिए वरिष्ठ प्रशासक और शहर अभियंता होगें। नगर निगम निकायों , स्थानीय अनुसंधान, शैक्षिक संस्थान, निवासी कल्याण संस्था, औद्योगिक और कॉरपोरेट संगठन, गैर सरकारी संगठन, राज्य क्षेत्रीय एजेन्सियां और अन्य संबंध्द पणधारकों की प्रस्तुति के साथ सलाहकार सहायता के लिए एक न्न सौर शहर पणधारक समिति का गठन किया जाएगा।

          विभिन्न पणधारकों जैसे नगर निगम निकायों , नगर निगम अधिकारियों, वास्तुकारोंअभियंताओं, भवननिर्माताओं, वित्तीय संस्थानों,गैर सरकारी संगठनों, तकनीकी संस्थानों, उत्पादक और आपूर्तिकर्ताओं, निवासी कल्याण संस्थाओं आदि के चयनित प्रतिनिधियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम, कार्यशालाएं, व्यापारिक बैठकें,  जागरूकता शिविर आदि  और भारत में अध्ययन यात्राओं का आयोजन करना।

       कार्बन वित्तपोषण के लिए प्रस्ताव तैयार करना तथा प्रिंट इलेक्ट्रोनिक मीडिया के जरिए प्रचार प्रसार एवं जनजागरूकता अभियान चलाना भी इस कार्यक्रम का हिस्सा होगा।

वित्तीय प्रावधान

       हर नगर या शहर के लिए 50 लाख रुपये तक का वित्तीय प्रावधान होगा। यह राशि उस शहर की जनसंख्या तथा संबंधित नगर परिषदप्रशासन द्वारा उठाये गये कदमों पर निर्भर करेगी।

·                                 मास्टर प्लान बनाने हेतु एक साल के अंदर 10 लाख रुपये तक का अनुदान

·                                 पांच साल के दौरान क्रियान्वयन की निगरानी के लिए 10 लाख रुपये तक का अनुदान

·                                 सौर सेल की स्थापना तथा पांच वर्षों तक उसकी क्रियाशीलता के लिए 10 लाख रुपये तक का प्रावधान

·                                 शेष पांच लाख रुपये पांच साल के अन्य प्रोत्साहन कार्यों के लिए

       इस मंत्रालय की विभिन्न स्कीमों के प्रावधानों के मुताबिक विभिन्न नवीकरणीय ऊर्जा उपकरण लगाने के लिए उपभोक्ता को पूंजीइंटरेस्ट सब्सिडी दी जाएगी। स्कीम प्रावधानों के अनुसार विभिन्न अन्य गतिविधियों के लिए भी सहायता दी जाएगी। सक्षमता वाले शहर के रूप में चिन्हित शहरों को सहायता में प्राथमिकता दी जाएगी। इन शहरों को इस मंत्रालय, आईआरईडीए तथा नवीकरणीय ऊर्जा उपकरणोंप्रणालियों के इस्तेमाल को बढावा देने में जुटे अन्य संस्थानों द्वारा प्राथमिकता वाले माने जायेंगे। एसएनए भी अपने शहरों में विभिन्न नवीकरणीय ऊर्जा उपकरणप्रणाली लगाने के लिए मंत्रालय से उनकी विभिन्न स्कीमों के तहत सब्सिडी के जरिए ऊंचे लक्ष्य आवंटित करने का अनुरोध कर सकती है।

शहरों के चयन की कसौटी

       इस कार्यक्रम के तहत उच्च स्तर की कटिबध्दता तथा नेतृत्व कौशल वाले शहरों को उत्साहवर्ध्दन किया जाता है। मंत्रालय शहरों को चयन करते वक्त निम्नलिखित बातों पर ध्यान देती है। शहर की जनसंख्या, क्षेत्रीय अवस्था एवं क्षेत्र में महत्त्व, नवीकरणीय ऊर्जाओं को अपनाने में राजनीतिक एवं प्रशासनिक कटिबध्दता (सौर शहर कार्यक्रम में वर्णित गतिविधियां को क्रियान्वित करने के लिए नगर परिषदप्रशासन द्वारा पारित किया जाने वाला प्रस्ताव), ऊर्जा संरक्षण एवं नवीकरणीय ऊर्जा अपनाने के लिए उठाये गये विनियामक कदम, शहरी गतिविधियों में ऊर्जा संरक्षण तथा नवीकरणीय ऊर्जा अपनाये जाने की क्षमता, नगर परिषदप्रशासननिजी विकार्सकत्ता, उद्योगआमलोगों द्वारा ऊर्जा संरक्षण एवं नवीकरणीय ऊर्जा को बढावा देने के लिए पहले ही उठाये कये गदम, आम लोगों को शामिल करने में तथा हितधारकों के साथ काम करने में शहरी स्थानीय निकाय का अनुभव तथा इस कार्यक्रम के तहत शुरू की गयी गतिविधियों को संसाधन तथा स्थायित्व प्रदान करने का इरादा।

प्रस्तावों की सुपुर्दगी तथा धनराशि जारी

       नगर परिषद द्वारा निर्धारित प्रपत्र में प्रस्ताव राज्य नोडल एजेंसी के जरिए जमा किये जायेंगे। प्रस्तावों की मंत्रालय में जांच की जायेगी और इसके आधार पर, योजना के क्रियान्वयन पर सलाह मशविरा के लिए गठित स्वतंत्र पैनल द्वारा अनुशंसित सीएफए का 50 प्रतिशत मंजूर परियोजनाओं के लिए जारी किया जाएगा तथा बाकी राशि काम के निष्पादन तथा धनराशि के इस्तेमाल के आधार पर जारी की जाएगी।

पुरस्कार व्यवस्था

       चिन्हित सौर शहरों को वार्षिक पुरस्कार स्वरूप वैजयंतीप्रमाणपत्र प्रदान किये जाते हैं। नगर परिषदप्रशासन शहर को सौर शहर के रूप में विकसित करने के लिए उठाये गये कदमों की जानकारी प्रदान करता है और इसी आधार पर पुरस्कार दिये जाते हैं।

माडल सौर शहर

       अन्य शहरों को सौर शहर के रूप में विकसित होने के लिए मंत्रालय उनके सम्मुख उदाहरण के तौर पर दो शहरों को सौर शहर के रूप में विकसित करेगा। इन मॉडल सौर शहरों में हरेक को इस स्कीम के तहत तैयार मास्टर प्लान कार्यान्वित करने के लिए मंत्रालय से अधिकतम साढे 9 क़रोड़ रुपये की वित्तीय मदद दी जाएगी। मंत्रालय तथा संबंधित नगर निगमनगर प्रशासनराज्य सरकार व्यय का आधा-आधा हिस्सा वहन करेगी। धनराशि तब जारी की जायेगी जब मॉडल सौर शहर के रूप में विकसित किये जाने के लिए चिन्हित शहर अपना मास्टर प्लान जमा करेगा, इसके लिए उपरोक्त नियमानुसार अलग से मदद दी जायेगी। यदि शहर को माडल सौर शहर के रूप में विकसित करने के लिए 19 करोड़ रुपये की धनराशि मंत्रालय से साढे 9 क़रोड़ रुपये तथा संबंधित नगर निगमनगर प्रशासनराज्य सरकार से भी साढे 9 क़रोड़ रुपये) प्रर्याप्त नहीं होती है तो उक्त शहर इस धनराशि के अलावा नवीकरणीय ऊर्जा प्रणाली लगाने के लिए मंत्रालय की अन्य मौजूदा योजनाओं से मदद ले सकता है जहां नवीकरणीय ऊर्जा प्रणाली उपकरण की संख्याक्षमता पर मौजूदा सीमा लागू नहीं है।

# उप निदेशक, पसूका, नई दिल्ली

 

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