मंगलवार, 6 मई 2008

वनवासियों की जिन्दगी बदल रही हैं पन्‍ना की जंगली जडी-बूटियां अमेरिकावासी और जापानवासी भी ले जाते हैं आयुर्वेदिक औषधियां

वनवासियों की जिन्दगी बदल रही हैं जंगली जडी-बूटियां

अमेरिकावासी और जापानवासी भी ले जाते हैं आयुर्वेदिक औषधियां

   पन्ना 5 मई- जंगली जडी-बूटियों से वनवासियों को रोजगार उपलब्ध कराने की मध्यप्रदेश सरकार की कोशिशें रंग लाने लगी हैं। मध्यप्रदेश के वन विभाग ने पन्ना जिले के जंगलों में फैली जडी-बूटियों के संग्रहण्ा के कार्य में वनवासियों को काम देकर उनके जीवन में खुशहाली की नई इबारत लिख दी है। खास बात यह है कि पन्ना आने वाले विदेशी पर्यटक यहां के संजीवनी औषधि केन्द्र से आयुर्वेदिक औषधियां भी ले जाते हैं और इस तरह से आयुर्वेदिक औषधियां अमेरिका जापान तक पहुंच रही हैं।

        जगंल की शुद्व जडी-बूटियों की आयुर्वेदिक औषधियों को बढावा तथा आयुर्वेद जानने वालो ंको आय का जरिया देने तथा गांव और देहात के गरीब वनवासी मजदूरों को रोजगार सुलभ कराने के मकसद से पन्ना में चार माह पहले संजीवनी औषधि केन्द्र खोला गया था। केन्द्र के माध्यम से अपनी तरह की यह अनोखी मुहिम आयुर्वेद दुनिया के सामने एक नई मिसाल पेश कर रही है। यहां वन विभाग ने वनवासियों में ऐसा मंत्र फूंका है कि वह जंगलों की रखवाली करने के साथ गुणवत्ता से भरी जडी-बूटियों से कमाई कर रहे हैं। वनवासियों की माली हालत सुधारने के लिए जडी-बूटियों के संग्रहण को बढावा देने से कई वनवासियों के जीवन में खुशियों के रंग भर गए हैं। इससे करीब पांच सौ लोगों को रोजगार मिल रहा है।

          जटिल बीमारियों के निदान के साथ-साथ सौन्दर्य प्रसाधनों में जडी-बूटियों की काफी तेजी से मांग बढ गई है। इसका फायदा औषधि निर्माण क्षेत्र से जुडे लोगों को मिल रहा है। पन्ना जिले में करीब 5 हजार हैक्टेयर जंगली क्षेत्र में जडी-बूटियां होती हैं। यहां के जंगलों में अब तक करीब 203 प्रकार की जडी-बूटियों की पहचान की जा चुकी है। यहां इकट्ठा होने वाली जडी-बूटियों को लघु वनोपज प्रसंस्करण एवं अनुसंधान केन्द्र भोपाल भेजा जाता है, जहां ''विन्ध्य हर्बल्स'' उत्पाद श्रृंखला के नाम से आयुर्वेदिक औषधियां बाजार में उतारी जाती हैं। विन्ध्य हर्बल्स श्रृंखला की औषधियां पन्ना के संजीवनी औषधि केन्द्र में भी रखी गई हैं। जिनके प्रति लोगों की रूचि बढती जा रही है। इनमें सबसे ज्यादा शिक्षित शहरी लोग हैं। पन्ना का संजीवनी औषधि केन्द्र इस बात का गवाह है कि वह वन विभाग के निर्देशों के अनुरूप आयुर्वेदिक औषधियों को भारत से बाहर के देशों में लोकप्रिय बनाने के लिए प्रयासरत है। इस केन्द्र से विदेशी पर्यटक आंवला चूर्ण, विन्ध्य गोल्ड पावर केप्सूल, सितोपलादि चूर्ण, हरण चूर्ण, विन्ध्य अश्वगंधा कैप्सूल ले जाते हैं।

         उत्तर वनमंडल के तत्कालीन वनमंडलाधिकारी श्री निजाम कुरैशी बताते हैं कि आयुर्वेद प्रेमियों को शुद्व प्राकृतिक जडी-बूटिायाें से बनीं दवाइयां उपलब्ध कराने के साथ-साथ वनवासियों को काम देकर उनकी माली हालत सुधारने का जो वीडा उठाया था,  उसके सुखद परिणाम सामने रहे हैं। डिप्टी रैंजर श्री आर0के0 मिश्रा का कहना है कि पन्ना की विशेषता है कि देश में बगैर रेशेवाला आंवला सिर्फ पन्ना में ही पाया जाता है। इस जिले में आंवला बहुतायत में होने की बजह से यह आंवला जिला भी घोषित हो चुका है। गुणवत्ता के मामले में यहां की सफेद मूसली और शतावर को बहुत पसंद किया जाता है। श्री मिश्रा के मुताबिक आने वाले समय में जडी-बूटी संग्रहण कार्य में करीब 10 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। संजीवनी औषधि केन्द्र से वैद्य-हकीमों को शुद्व जडी-बूटियों से निर्मित दवाइयां प्राप्त हो रही हैं। इस केन्द्र को संवारकर यहां वैद्यों के बैठने की व्यवस्था की जा रही है, ताकि दवाईयों के साथ-साथ मरीजों का चैकअप भी किया जा सके। कुल मिलाकर जडी-बूटी कारोबार से गांव के गांव आर्थिक रूप से मजबूत होंगे आयुर्वेद प्रेमियों को भी गुणवत्तापूर्ण दवाईयां प्राप्त हाेंगी।

 

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