व्यंग्य
भारत रत्न दो रूपया किलो, पद्मश्री पॉंच की पसेरी
चाहिये भारत रत्न तो आ जाओ चम्बल में
नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनन्द ''
मुरैना 18 जनवरी । जी हॉं चौंकिये नहीं , हम पुरूस्कारों की बाज नहीं कर रहे हैं, यह नई वेरायटी की सब्जीयों के दाम हैं । शहर में इन दिनों काछीयों ने सब्जी बेचने का नया तरीका ईजाद किया है, जब मैंने पहली बार एक सब्जी वाले ठेले पर ऐसी आवाज सुनी तो मैं भी चौंक गया था । फिर बाहर आकर हकीकत जानी तो महज मुस्करा कर ही रह गया । हालांकि मेरा भी मन हुआ था कि पसेरी भर भारत रत्न मैं भी तुलवा लूं ।
हुआ कुछ यूं कि कुछ काछीयों की कम्पटीशन और ग्लोबलाइजेशन के चलते सब्जीयों की बिक्री में मन्दी आ गयी तो वे चिन्तित हो गये । काछीयों की पंचायत बैठी, चिन्तन हुआ फिर मन्थन हुआ । आखिर शिविर समाप्त हुआ, तय हुआ कि मार्केटिंग के नये गुर अपनाने होंगें और इसके लिये जिम्मेवारी निर्वहन एक बूढ़े काछी को सौंपी गयी । बूढ़े काछी ने टी.वी., इण्टरनेट और एमबीए फेमबीए सब पुस्तक किताब अखबार खंगाल डाले और पाया कि आज का हॉट क्या है यानि टॉप ई मेल स्टोरी क्या है । बूढ़े काछी को इतनी लम्बी खोज के बाद मिले ''भारत रत्न और पद्मश्री'' यही आजकल हॉट हैं, यही मोस्ट ई मेल्ड स्टोरी हैं ।
बूढ़े काछी ने गला खंखारा और महागुरू स्टायल में बोला कि ''लाल बुझक्कड़ बूझ के और न बूझो कोय, हरी हरी सब्जियन में रत्नश्री धर देय ।।खूब बिके फूलें फलें चमके किस्मत सोय । फ्रेश सेण्टरवा मारे बास, जो रत्नश्री धर लेय ।।
काछीयों को बूढ़े काछी की बात जंच गयी और अब सारे काछीयों ने अपने अपने साग भाजी ''भारत रत्न और पद्मश्री'' के नाम से बेचना शुरू कर दिये । अब काछीयों का माल भी खूब बिक रहा है और खरीदने वालों को भी मंहगे दाम चुकाकर भी तसल्ली होती है, आखिर वे भारत रत्न दो रूपया किलो और पद्मश्री पॉंच रूपैया पसेरी में खरीद कर खा रहे हैं ।
मैंने ये काछीयों वाला मामला जब अपने गांव में गांव वालों को सुनाया, तो पहले तो वो ठठा कर हँसे लेकिन बाद में गुरू गम्भीर हो गये आखिर ठाकुरों में अक्ल जरा देर से जो आती है । और अम्बाह की गुरूवारी हाट और मुरैने (हमारे यहॉं मुरैना को मुरैने और अम्बाह को अमाह कहा जाता है) की मंगलवारी हाट में जब कोई जानवर बेचने लाते हैं, तो उसकी मार्केटिंग के लिये कह देते हैं कि इसने सौ क्विंटल भारत रत्न और डेढ़ सौ क्विंटल पद्मश्री खाये चबाये और पचाये हैं ।
यह महज एक व्यंग्य आलेख है, उसी रूप में कृपया इसे ग्रहण करें
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