रविवार, 15 फ़रवरी 2009

दीपा बनेगी दुल्‍हन, अभ्‍युदय आश्रम पर आयेगी बारात, विदा होगी ऑसूओं और यादों के साथ

दीपा बनेगी दुल्‍हन, अभ्‍युदय आश्रम पर आयेगी बारात, विदा होगी ऑसूओं और यादों के साथ

विमुक्‍त जाति की महिलाओं की मुक्ति की बगिया में उपलब्धि का एक और पुष्‍प खिला

नरेन्‍द्र सिंह तोमर ''आनन्‍द''

मुरैना 15 फरवरी 09, मुरैना का प्रसिद्ध अभ्‍युदय आश्रम उसका मायका है, रामसनेही धर्म पिता । वह बचपन में अबोध बालिका के रूप में महज चार पॉंच साल की उम्र में इस आश्रम में तब आयी जब उसका मॉं अंगूरी बाई को उसके पिता ने छोड़ कर दूसरी शादी कर ली, उसकी मॉं बेसहारा हो गयी और पारम्‍परिक पेशा वैश्‍यावृत्ति करने के सिवा कोई चारा शेष न बचा, लेकिन अगर ऊपर बैठी उस जगत्‍माता जगदम्‍बा की इच्‍छा कुछ और ही हो तो वह तकदीर की कहानी भी कुछ अलग ही ढंग से लिख देती है । ऐसा ही हुआ अँगूरी बाई के साथ और मुरैना में वर्ष 1992 में जाबालि परियोजना के तहत वैश्‍यावृत्ति उन्‍मूलन के लिये चलाये गये अभियान में खोले गये अभ्‍युदय आश्रम में उसे खाना बनाने वाली की नौकरी मिल गयी, ओर फिर उसे रहने का ठिकाना भी मिला और बेटी दीपा के सुनहरे भविष्‍य का ख्‍वाब और उसकी ताबीर भी ।

चार पॉंच साल की दीपा तब अबोध ही थी जब वह यहॉं अभ्‍युदय आश्रम में आयी । वह यहीं रही, पली पढी लिखी और आगे बढ़ी यहीं रहकर उसने शास.कन्‍या विद्यालय मुरैना से प्रथम श्रेणी में इण्‍टरमीडियेट परीक्षा उत्‍तीर्ण किया और यहीं रहते ही उसने शास.कन्‍या महाविद्यालय मुरैना से इतिहास विषय के साथ बी.ए. किया । अब आजकल वह मुरैना के ही टी.एस.एस. महाविद्यालय से समाजशास्‍त्र में एम.ए. कर रही है । साथ ही वह म.प्र. शासन के खेल एवं युवक कल्‍याण विभाग में जिला समन्‍वयक के पद पर बिजावर जिला छतरपुर में पदस्‍थ है । उसने कम्‍प्‍यूटर में भी डिप्‍लोमा पाठयक्रम उत्‍तीर्ण किया है ।

यह दीपा एक ऐसे समाज और पारिवारिक पृष्‍ठभूमि से ताल्‍लुक रखती है जिसमें वैश्‍यावृत्ति करना न केवल पारम्‍परिक व्‍यवसाय है बल्कि गौरव की बात समझी जाती है । अन्‍य समाज के लोग जहॉं पुत्री के जन्‍म पर कुपित होकर कन्‍या भ्रूणों को गर्भ में ही या गर्भ से बाहर आने के बाद मारते आये हैं वहीं दीपा के समाज में इसके ठीक उलट कहानी चलती आयी है । वहॉं पुत्री के जन्‍म पर खुशियां मनायीं जाती हैं और एक बेटी की कीमत पर एक कुटुम्‍ब का रोजगार या धन्‍धा मुकम्‍मल हुआ ऐसा माना जाता रहा है ।

दीपा को हालांकि शुरू से ही अभ्‍युदय आश्रम की छॉव तले एक सुरक्षित आसरा मिल गया और वह ऐसे सभी कुरीतियों और परम्‍परागत दुर्व्‍यवसायों से परे स्‍वत: ही हो गयी । और पढ़ लिख कर एक सभ्‍य और प्रतिष्ठित जीवन जीने के काबिल होकर खुद के पैरों पर खड़ी हो गयी ।

अब दीपा अभ्‍युदय आश्रम से 19 फरवरी को विदा होने जा रही है, उसका विधिवत विवाह होने जा रहा है, और दाम्‍पत्‍य जीवन में प्रवेश करने जा रही हैं । आने वली 19 फरवरी को दीपा का विवाह अम्‍बाह के अभिषेक टुटु के साथ होने जा रहा है और 20 फरवरी को उसकी डोली अपने पति के घर जाने के साथ वह अभ्‍युदय आश्रम से विदा हो जायेगी । हमने दीपा से और अभ्‍युदय आश्रम के प्रसिद्ध संस्‍थापक और समाजसेवी रामसनेही से इस सम्‍बन्‍ध में बातचीत की ।

दीपा ने अपने जीवन के इस काया कल्‍प के लिये सबसे पहले रामसनेही को और अपनी मॉं अंगूरी बाई को पूरा श्रेय देते हुये तहे दिल से उनका शुक्रिया अदा किया ।

दीपा से जब हमने पूछा कि भई दीपा कैसा फील कर ही हो तो वह कुछ शर्माते सकुचाते हुये जमीन पर अपना पॉंव के अँगूठे का नाखून चलाते हुये शर्म से लाल चेहरे और झुकी नजरों से जमीन ताकती सी रह गयी । हमने उसकी कठिनाई भांपते हुये सवाल को घुमा कर पूछा कि अगर इतने वर्ष अपने मायके में (अभ्‍युदय आश्रम ) रहकर एकदम से जाओगी तो कैसा लगेगा । वह बोल कि बहुत बुरा लगेगा सर, बहुत दुख होगा सबकी याद आयेगी, हमने अपनी बात बढ़ाते हुये कहा लेकिन कुछ खुशी भी तो होगी आखिर अब नया घर मिलेगा अपने पति का घर तो दीपा बोली हॉं सर होगी । हमने कहा होगी या है । तो वह मुस्‍करा कर रह गयी ।

हमने पूछा कि कभी कभार अपने मायके आश्रम में आओगी कि नहीं, वह उलट कर सवाल पूछते बोली कि क्‍या कृष्‍ण जी ने यशोदा मैया को या गोकुल को भुलाया क्‍या, मेरा तो लालन पालन शिक्षा दीक्षा सब कुछ यही हुयी है मेरा इस आश्रम से नाता कभी नहीं टूट सकता । मैं यहॉं बार बार आऊंगी ।

मैं चाहती हूँ कि मेरे समाज में भी सभी लड़कियां सिर उठा कर सम्‍मान से जीना सीखें । गलत रास्‍ते की ओर गलत धन्‍धे की ओर न जायें । मैं ऐसी सब लड़कियों की हमेशा मदद करूंगी । उन्‍हें अपने पैरों पर खड़ा होने और सम्‍मानजनक जीवन जीने के लिये सदा प्रेरित करूंगी ।

दीपा ने बताया कि उसने अब तक खेलों में भी कई करिश्‍माई प्रदर्शन किये हैं और राज्‍य स्‍तरीय 60 से अधिक, राष्‍ट्रीय 4, तथा 3 विश्‍वविद्यालयीन प्रमाणपत्र व पुरूस्‍कार खेलों के लिये प्राप्‍त किये हैं । दीपा की गौरव गाथा वर्णित करते करते रामसनेही की बूढ़ी ऑंखों में बरबस ही चमक आ जाती है । उल्‍लेखनीय है कि रामसनेही काफी वृद्ध हो चुके हैं उनकी उम्र 76 वर्ष से ऊपर होकर स्‍वास्‍थ्‍य भी ठीक नहीं चल रहा है । रामसनेही को स्‍वयं को भी कई पुरूस्‍कार व सम्‍मान समाजसेवा के लिये मिल चुके हैं ।

मंगलवार, 10 फ़रवरी 2009

हास्‍य/ व्‍यंग्‍य// सपना 85 का, आस कम्‍प्‍यूटर की, कहर बिजली का, चैलेन्‍ज मामा का

हास्‍य/ व्‍यंग्‍य

सपना 85 का, आस कम्‍प्‍यूटर की, कहर बिजली का, चैलेन्‍ज मामा का

नरेन्‍द्र सिंह तोमर ''आनन्‍द''

जगत मामू यानि जग मामा भनजों से बोले चलो बच्‍चो एक खेल खेलते हैं । जो जीतेगा वो एक क्‍म्‍प्‍यूटर पावेगा 500 रू. वाला इनाम में । हारा तो ठेंगा ।

बच्‍चे बोले वाह मामू क्‍या धांसू आइडिया है, हर्र लगे न फिटकरी रंग चोख आ जायेगा, केन्‍द्र सरकार नये नये आइटम निकाले है, ओर मामू अपनी सील उसी पे ठोक के मेड इन मामूज फैक्‍ट्री ठोक देवे है । खैर अब दान की बछिया के दॉंत तो नहीं देखे जावें हैं । फोकट में मिले तो 500 वाला भी चलेगा । मामू कौन कम उस्‍ताद थे, अपने पावर की मेन चाबी नीचे डाली और उड़ा दी बिजली, ससुरी रात गोल पूरी दिन भर गोल देखें भानजे कैसे अब लाओगे 85 परसेण्‍ट, नहीं लाये तो ठेंगा ।

बच्‍चों को टेंशन, सारी रात टेंशन सारा दिन टेंशन । अब मामू ने इनाम भी रख दी बत्‍ती भी गोल कर दी । अब पचासी तो का पास होइवे के लाले पड़ रहे हैं । आखिर एक भानजा तैश में आ ही गया उसने टी.वी पर एडवर्टाइज देखा, अमिताभ बच्‍चन चाचू बोल कि टेंशन गया पेंशन लेने, भानजा चाचू के डायलॉग पे प्ररित हो गया । और एक अखबार में छपी खबर के मामू को चिठ्ठी लिखो तो मामू बुला लेता है सो लिख डाली फटाफट एक पत्री मामा के नाम । बच्‍चे ने जो लिखा

प्‍यारे मामू जान, तुम पर बिजली कुर्बान ।

बड़े दिनों से कोई नई इनामो इकराम नहीं आ रही थी न कोई पंचायत फंचायत नहीं हो रही थी सो लग ही नहीं रहा था कि मामू की सरकार लौट आयी है । न पत्‍थर गाड़ कर कब्रिस्‍तान बनाये जा रहे थे और न साइकिल से पेट्रोल बचाने मामू दफ्तर जा रहे थे, न कहीं भुक्‍खड़ सम्‍मेलन करा कर अनाज बांटे जा रहे थे, न कोई यात्रा फात्रा का टोटका हो रहा था । हमें लग रहा था मामू गद्दी पे जाके हमें भूल गये, बिसरा गये ।

पर मामू कमाल कर दिया अपने बिजी टैम में से थोड़ा बखत भानजों के लिये निकाल कर उन्‍हें 500 रू वाला ही सही कम्‍प्‍यूटर दे डालने का खेल खेलने का हम भानजों के साथ बढि़या फनी गेम शो चालू कर डाला और ठेले रिक्‍शे वालों को भी सरकारी हलवा का जलवा खिला दिया, हॉं अब कुछ कुछ यकीन हुआ कि मामू जान ही हैं, लौट कर सत्‍ता में आये हैं, जमूड़े बनाने और तमाशा दिखाना चालू कर दिये हैं । थैंक्‍यू मामा जी ।

मामा आपकी शर्त 85 परसेण्‍ट से ऊपर लाने की थी, पर मामू मैं और मेरे सारे दोस्‍त आपकी क्राइटिरिया एल.ओ.सी. से आउट हो गये हैं, अब हम 85 तो क्‍या पास ही हो लें तो आपकी दया से बहुत होगा । हमारे यहॉं सारी रात बिजली नहीं रहवे है, सारे दिन भी अँधेरा छाया है, मोमबत्तियां खरीद खरीद कर पागल हो गये हैं, मम्‍मी पापा की जेब भी जवाब दे गयी है, एक मोमबत्‍ती आधा पौन घण्‍टे संग देती है और बिजली सारी रात गुल रहती है, सारा दिन गुल रहती है, अबकी बार गणित में ऐसे ही सवाल पूछोगे तो शायद हम पास भी हो जायें जैसे एक मोमबत्‍ती 40 मिनिट तक जलती है जिसका दाम 2 रू है और बिजली 23 घण्‍टे गुल रहती है तो बताओ कि एक दिन में कितनी मोमबत्तियां लगेंगीं और एक दिन का खर्च कितना आयेगा । मामू जान ऐसे सवाल हमें अब खूब रट गये हैं, हम फटाक से सवाल का उत्‍तर दे देंगें, कोर्स के सवाल तो मामू अब पढ़ नही पाते सो मामू ऐसे सवाल पूछ कर ही हमारा बेड़ा पार करा देना नहीं तो मामू हम सारे के सारे ही फेल हो जायेंगें ।

मामू अब कम्‍प्‍यूटर तो हमारी पकड़ से निकल गया आपका चैलेन्‍ज कि बेटा बिना बिजली के लाओ 85 परसेण्‍ट और पाओ कम्‍प्‍यूटर, ये हमारे बूते का नहीं है । आपका चैलेन्‍ज हम वापस करते हैं, अब तो पास ही हो लें तो साल बच जायेगा वरना मामू आपका ये गेम शो हम गॉंव शहर के गरीब बच्‍चों की कूबत से बाहर है ।

मामू थोड़ा लिखा, बहुत समझना । आपका प्‍यारा भानजा अपने कई साथियों के साथ ।

मामू को चिठ्ठी मिली तो मामू ने भानजे को बुलवा भेजा और भानजे से कहा कि देखो बेटा, बिजली ने गरीब मोमबत्तियां बनाने वालों की रोजी रोटी छीन ली, हमने उन्‍हें रोजगार मुहैया कराया, गरीब इन्‍वर्टर और बैट्री वालों को धन्‍धा दिलाया । ऊर्जा की खपत और बचत पर अब तुम्‍हें निबन्‍ध नहीं रटने पड़ेंगें । भ्रष्‍टाचार खतम करने आ रहे कम्‍प्‍यूटर और आई.टी. तथा ई गवर्नेन्‍स हमने एक ही वार से बिजली काट कर मामला ही जड़ मेख से मिटा दिया ससुरी न बिजली न आई.टी. न कम्‍प्‍यूटर न पचासी परसेण्‍ट हमने एक झटके में सबके टेंशन दूर कर दिये । भ्रष्‍टाचार खतम हुआ तो देश में ग्‍लोबल मन्‍दी छा जायेगी, सरकार की और सरकारी कारिन्‍दों की कमाई ही ठप्‍प हो जायेगी । सब टेंशनों की जड़ ये बिजली थी । हमने बिजली काट दी सारे टेंशन खतम कर दिये । तुमने कहावत तो सुनी ही होगी कि न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी सो प्रिय भानजे न बिजली होगी न भ्रष्‍टाचार खतम होगा, न आई.टी. आवेगी न कम्‍प्‍यूटर, हमने भयमुक्‍त म.प्र. का वायदा किया था हमारे सरकारी कर्मचारी सबसे ज्‍यादा भयभीत पारदर्शिता लागू होने और भ्रष्‍टाचार के खात्‍में से थे हमने उन्‍हें बिजली काट कर भयमुक्‍त कर दिया । रहा बेटा तुम्‍हारे पास और फेल होने की बात । सो चुनाव परिणामों की तरह हमने परीक्षा परिणाम भी सैटल कर लिये हैं । कहॉं कौन पास होगा और कौन फेल, कौन पच्‍चासी लायेगा कौन ज्‍यादा लायेगा कौन कम्‍प्‍यूटर पावेगा कौन इस गेम शो में हारेगा और किसको ठेंगा मिलेगा सब कुछ सैटल्‍ड है बेटा जा अब घर जा और चद्दर तान कर टॉंग पसार कर सो तेरे 85 से ऊपर आ जायेंगें तू चिन्‍ता मत कर । तुझे कम्‍प्‍यूटर मिल जावेगा । अब ज्‍यादा भभ्‍भर मचा कर हमारी गेम शो की ऐसी तैसी मत कर ।

भनजा बोला कि पर क्‍या मामू ये गलत नहं होगा । मामू बाले कि बेटा देश में ये रोज ही हो रहा है । हर गेम शो में हो रहा था लो जमूड़े बन रहे हैं, मदारी जमूड़े बना रहे हैं, मैं तो केवल उनके चरण चिह्नों की धूलमात्र ही ले रहा हूँ ।

भानजा खुशी खुशी बिना पढ़े लिखे ही कम्‍प्‍यूटर मिलने के सपने लेकर अपने घर लौट आया ।        

 

 

हास्‍य/ व्‍यंग्‍य// सपना 85 का, आस कम्‍प्‍यूटर की, कहर बिजली का, चैलेन्‍ज मामा का

हास्‍य/ व्‍यंग्‍य

सपना 85 का, आस कम्‍प्‍यूटर की, कहर बिजली का, चैलेन्‍ज मामा का

नरेन्‍द्र सिंह तोमर ''आनन्‍द''

जगत मामू यानि जग मामा भनजों से बोले चलो बच्‍चो एक खेल खेलते हैं । जो जीतेगा वो एक क्‍म्‍प्‍यूटर पावेगा 500 रू. वाला इनाम में । हारा तो ठेंगा ।

बच्‍चे बोले वाह मामू क्‍या धांसू आइडिया है, हर्र लगे न फिटकरी रंग चोख आ जायेगा, केन्‍द्र सरकार नये नये आइटम निकाले है, ओर मामू अपनी सील उसी पे ठोक के मेड इन मामूज फैक्‍ट्री ठोक देवे है । खैर अब दान की बछिया के दॉंत तो नहीं देखे जावें हैं । फोकट में मिले तो 500 वाला भी चलेगा । मामू कौन कम उस्‍ताद थे, अपने पावर की मेन चाबी नीचे डाली और उड़ा दी बिजली, ससुरी रात गोल पूरी दिन भर गोल देखें भानजे कैसे अब लाओगे 85 परसेण्‍ट, नहीं लाये तो ठेंगा ।

बच्‍चों को टेंशन, सारी रात टेंशन सारा दिन टेंशन । अब मामू ने इनाम भी रख दी बत्‍ती भी गोल कर दी । अब पचासी तो का पास होइवे के लाले पड़ रहे हैं । आखिर एक भानजा तैश में आ ही गया उसने टी.वी पर एडवर्टाइज देखा, अमिताभ बच्‍चन चाचू बोल कि टेंशन गया पेंशन लेने, भानजा चाचू के डायलॉग पे प्ररित हो गया । और एक अखबार में छपी खबर के मामू को चिठ्ठी लिखो तो मामू बुला लेता है सो लिख डाली फटाफट एक पत्री मामा के नाम । बच्‍चे ने जो लिखा

प्‍यारे मामू जान, तुम पर बिजली कुर्बान ।

बड़े दिनों से कोई नई इनामो इकराम नहीं आ रही थी न कोई पंचायत फंचायत नहीं हो रही थी सो लग ही नहीं रहा था कि मामू की सरकार लौट आयी है । न पत्‍थर गाड़ कर कब्रिस्‍तान बनाये जा रहे थे और न साइकिल से पेट्रोल बचाने मामू दफ्तर जा रहे थे, न कहीं भुक्‍खड़ सम्‍मेलन करा कर अनाज बांटे जा रहे थे, न कोई यात्रा फात्रा का टोटका हो रहा था । हमें लग रहा था मामू गद्दी पे जाके हमें भूल गये, बिसरा गये ।

पर मामू कमाल कर दिया अपने बिजी टैम में से थोड़ा बखत भानजों के लिये निकाल कर उन्‍हें 500 रू वाला ही सही कम्‍प्‍यूटर दे डालने का खेल खेलने का हम भानजों के साथ बढि़या फनी गेम शो चालू कर डाला और ठेले रिक्‍शे वालों को भी सरकारी हलवा का जलवा खिला दिया, हॉं अब कुछ कुछ यकीन हुआ कि मामू जान ही हैं, लौट कर सत्‍ता में आये हैं, जमूड़े बनाने और तमाशा दिखाना चालू कर दिये हैं । थैंक्‍यू मामा जी ।

मामा आपकी शर्त 85 परसेण्‍ट से ऊपर लाने की थी, पर मामू मैं और मेरे सारे दोस्‍त आपकी क्राइटिरिया एल.ओ.सी. से आउट हो गये हैं, अब हम 85 तो क्‍या पास ही हो लें तो आपकी दया से बहुत होगा । हमारे यहॉं सारी रात बिजली नहीं रहवे है, सारे दिन भी अँधेरा छाया है, मोमबत्तियां खरीद खरीद कर पागल हो गये हैं, मम्‍मी पापा की जेब भी जवाब दे गयी है, एक मोमबत्‍ती आधा पौन घण्‍टे संग देती है और बिजली सारी रात गुल रहती है, सारा दिन गुल रहती है, अबकी बार गणित में ऐसे ही सवाल पूछोगे तो शायद हम पास भी हो जायें जैसे एक मोमबत्‍ती 40 मिनिट तक जलती है जिसका दाम 2 रू है और बिजली 23 घण्‍टे गुल रहती है तो बताओ कि एक दिन में कितनी मोमबत्तियां लगेंगीं और एक दिन का खर्च कितना आयेगा । मामू जान ऐसे सवाल हमें अब खूब रट गये हैं, हम फटाक से सवाल का उत्‍तर दे देंगें, कोर्स के सवाल तो मामू अब पढ़ नही पाते सो मामू ऐसे सवाल पूछ कर ही हमारा बेड़ा पार करा देना नहीं तो मामू हम सारे के सारे ही फेल हो जायेंगें ।

मामू अब कम्‍प्‍यूटर तो हमारी पकड़ से निकल गया आपका चैलेन्‍ज कि बेटा बिना बिजली के लाओ 85 परसेण्‍ट और पाओ कम्‍प्‍यूटर, ये हमारे बूते का नहीं है । आपका चैलेन्‍ज हम वापस करते हैं, अब तो पास ही हो लें तो साल बच जायेगा वरना मामू आपका ये गेम शो हम गॉंव शहर के गरीब बच्‍चों की कूबत से बाहर है ।

मामू थोड़ा लिखा, बहुत समझना । आपका प्‍यारा भानजा अपने कई साथियों के साथ ।

मामू को चिठ्ठी मिली तो मामू ने भानजे को बुलवा भेजा और भानजे से कहा कि देखो बेटा, बिजली ने गरीब मोमबत्तियां बनाने वालों की रोजी रोटी छीन ली, हमने उन्‍हें रोजगार मुहैया कराया, गरीब इन्‍वर्टर और बैट्री वालों को धन्‍धा दिलाया । ऊर्जा की खपत और बचत पर अब तुम्‍हें निबन्‍ध नहीं रटने पड़ेंगें । भ्रष्‍टाचार खतम करने आ रहे कम्‍प्‍यूटर और आई.टी. तथा ई गवर्नेन्‍स हमने एक ही वार से बिजली काट कर मामला ही जड़ मेख से मिटा दिया ससुरी न बिजली न आई.टी. न कम्‍प्‍यूटर न पचासी परसेण्‍ट हमने एक झटके में सबके टेंशन दूर कर दिये । भ्रष्‍टाचार खतम हुआ तो देश में ग्‍लोबल मन्‍दी छा जायेगी, सरकार की और सरकारी कारिन्‍दों की कमाई ही ठप्‍प हो जायेगी । सब टेंशनों की जड़ ये बिजली थी । हमने बिजली काट दी सारे टेंशन खतम कर दिये । तुमने कहावत तो सुनी ही होगी कि न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी सो प्रिय भानजे न बिजली होगी न भ्रष्‍टाचार खतम होगा, न आई.टी. आवेगी न कम्‍प्‍यूटर, हमने भयमुक्‍त म.प्र. का वायदा किया था हमारे सरकारी कर्मचारी सबसे ज्‍यादा भयभीत पारदर्शिता लागू होने और भ्रष्‍टाचार के खात्‍में से थे हमने उन्‍हें बिजली काट कर भयमुक्‍त कर दिया । रहा बेटा तुम्‍हारे पास और फेल होने की बात । सो चुनाव परिणामों की तरह हमने परीक्षा परिणाम भी सैटल कर लिये हैं । कहॉं कौन पास होगा और कौन फेल, कौन पच्‍चासी लायेगा कौन ज्‍यादा लायेगा कौन कम्‍प्‍यूटर पावेगा कौन इस गेम शो में हारेगा और किसको ठेंगा मिलेगा सब कुछ सैटल्‍ड है बेटा जा अब घर जा और चद्दर तान कर टॉंग पसार कर सो तेरे 85 से ऊपर आ जायेंगें तू चिन्‍ता मत कर । तुझे कम्‍प्‍यूटर मिल जावेगा । अब ज्‍यादा भभ्‍भर मचा कर हमारी गेम शो की ऐसी तैसी मत कर ।

भनजा बोला कि पर क्‍या मामू ये गलत नहं होगा । मामू बाले कि बेटा देश में ये रोज ही हो रहा है । हर गेम शो में हो रहा था लो जमूड़े बन रहे हैं, मदारी जमूड़े बना रहे हैं, मैं तो केवल उनके चरण चिह्नों की धूलमात्र ही ले रहा हूँ ।

भानजा खुशी खुशी बिना पढ़े लिखे ही कम्‍प्‍यूटर मिलने के सपने लेकर अपने घर लौट आया ।        

 

 

सोमवार, 9 फ़रवरी 2009

चौ0 रणवीर सिंह हुड्डा को श्रद्धांजलि बुझ गया संविधान सभा का अंतिम चिरांग

चौ0 रणवीर सिंह हुड्डा को श्रद्धांजलि

                     बुझ गया संविधान सभा का अंतिम चिरांग

निर्मल रानी  163011, महावीर नगर,  अम्बाला शहर,हरियाणा। फोन-09729229728 

अपनी खुशी से आए, न अपनी खुशी चले। लाई हयात आए, कजा ले चली, चले॥

       बेशक उपरोक्त पंक्तियों में शायर ने सही ंफरमाया है कि इस संसार में किसी प्राणी का आना और जाना उसके अपने ऊपर निर्भर नहीं करता बल्कि जीवनदाता ईश्वर जब किसी आत्मा को जीवात्मा में प्रविष्ट कर देता है तो उसे जीवन मिल जाता है तथा जब वही ईश्वर उसके नाम मौत का परवाना जारी कर देता है, तब वही व्यक्ति अपनी संसारिक यात्रा पूरी कर ईश्वर अल्लाह या गॉड की आंगोश में वापस चला जाता है। बेशक जीवन तथा मृत्यु की इस पूरी प्रक्रिया में किसी भी व्यक्ति की अपनी इच्छा या ंखुशी का कोई सरोकार नहीं होता। हां इतना ंजरूर है कि जीवन तथा मृत्यु के बीच के इस पड़ाव के दौरान यदि मनुष्य चाहे तो अपने सद्कर्मों के द्वारा संसार में वह स्थान बनाने में अवश्य सफल हो जाता है जिससे कि मरणोंपरान्त भी उस व्यक्ति विशेष का नाम अमर रहे। भारत मां ने ऐसे तमाम सपूत दिए हैं जिन्हें आज देश का बच्चा-बच्चा गौरवान्वित होकर न केवल याद करता है बल्कि उन्हें अपना सर्वोच्च आदर्श भी स्वीकार करता है। कहा जा सकता है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ऐसे ही महान व्यक्तित्व में एक थे।

              चौधरी रणवीर सिंह हुड्डा भी हरियाणा की धरती पर जन्मे उस महान गांधीवादी व्यक्तित्व का नाम था जोकि गत् 1 ंफरवरी को इस संसार की यात्रा पूरी कर ईश्वर की शरण में जा बसे। 94 वर्ष की आयु में इस संसार को अलविदा कहने वाले चौधरी रणवीर सिंह हुड्डा का जन्म 26 नवम्बर 1914 को रोहतक ंजिले के सांघी गांव के एक सुप्रसिद्ध आर्य समाजी चौधरी मातुराम के परिवार में हुआ था। इनका परिवार शुरु से ही आर्य समाजी होने के नाते अंधविश्वास से दूर तथा समाज व मानव सेवा के लिए सदैव तत्पर रहता था। चौधरी रणवीर हुड्डा की प्रारम्भिक शिक्षा इनके गांव मे ही हुई। सर्वप्रथम इन्हें 1920 में गांव की ही एक पाठशाला में भर्ती कराया गया। उसके पश्चात आपने वरिष्ठ आर्य समाजी कार्यकर्ता तथा समाज सुधारक भगत फूल सिंह द्वारा सोनीपत में गोहाना के निकट स्थापित गुरुकुल भैंसवाल कलां में दांखिला लेकर अपनी आगे की शिक्षा ग्रहण की। गुरुकुल की शिक्षा पूरी करने के बाद आपने रोहतक में वैश्य हाई स्कूल में दांखिला लिया तथा 1933 में मैट्रिकुलेशन परीक्षा पास की। अपनी पढ़ाई को आगे बढ़ाते हुए हुड्डा जी ने गवर्नमेंट कॉलेज रोहतक में दांखिला लिया तथा 1935 में एंफ ए की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके पश्चात आप दिल्ली चले गए तथा 1937 में रामजस कॉलेज से स्नातक किया। इसके बाद श्री हुड्डा के भीतर देश के लिए कुछ कर दिखाने की प्रबल इच्छा जागृत हुई। आर्य समाजी विचारधारा होने के नाते चूंकि आप महात्मा गांधी की शांति व अहिंसा की नीति से बहुत प्रभावित थे अत: आप में भी स्वतंत्रता संग्राम में कूदने का जंज्बा जगा और इस प्रकार आप गांधीजी की सेना में शामिल हो गए। इस प्रकार चौधरी रणवीर सिंह हुड्डा ने कांग्रेस की सदस्यता भी ग्रहण कर ली। महात्मा गांधी के हरियाणा (तत्कालीन पंजाब) आगमन के अवसर पर चौधरी साहब प्राय: गांधीजी के साथ रहने लगे। गांधीजी ने जब रोहतक व गुड़गांव में अपना शांति मार्च किया उस समय चौ0 हुड्डा कंधे से कंधा मिलाकर गांधीजी के साथ चले।

              स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान आपने अनेकों बार जेल यात्राएं कीं तथा अंग्रेंजों के ंजुल्म सहे। एक शिक्षित, ज्ञानी तथा संविधान की भरपूर समझ रखने वाले नेता के रूप में आपने अपना स्थान कांग्रेस पार्टी में बनाया। यही वजह थी कि 1947 में कांग्रेस पार्टी ने श्री रणवीर सिंह हुड्डा को भारतीय संविधान सभा का सदस्य मनोनीत किया। भारतीय संविधान सभा का सदस्य होने के दौरान आपने भारतीय संविधान की भरपूर सेवा की तथा इसके सुगमतापूर्ण लागू होने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हुड्डा जी अपने समय के प्रथम श्रेणी के राजनेताओं में गिने जाते थे। हालांकि वे स्वयं किसी पद या कुर्सी के लिए कभी न तो लालायित रहते थे और न ही उसके पीछे भागते थे। जबकि ठीक इसके विपरीत उनमें विद्यमान गुण, उनकी योग्यता, एक कुशल प्रशासक व राजनेता के रूप में स्थापित होती जा रही उनकी पहचान ने उन्हें उनके सक्रिय राजनैतिक   जीवनकाल में प्राय: कभी बिना किसी पद व ंजिम्मेदारी के नहीं रखा। 1947 में संविधान सभा के सदस्य बनने के पश्चात 1950 से 1952 तक आप प्रांतीय संसद के सम्मानित सदस्य रहे। इसके पश्चात अपने राजनैतिक जीवन के सफर को और आगे बढ़ाते हुए पहली बार 1952 में हुड्डा जी ने रोहतक की लोकसभा सीट पर भारी मतों से विजय हासिल की। 1957 में दूसरी बार वे रोहतक लोकसभा से विजयी हुए। इस दौरान उनकी योग्यता को देखते हुए उन्हें पंजाब प्रांत के उर्जा व कृषि मंत्रालय जैसे अति महत्वपूर्ण विभाग का केबिनेट मंत्री बनाया गया। यही वह दौर था जबकि देश की उर्जा का गौरव समझा जाने वाला भाखड़ा नंगल डैम निर्माणाधीन था। पंजाब के एक संबंधित मंत्री के नाते हुड्डा साहब ने भी आंजाद देश के सबसे पहले इस अति विशाल डैम के निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह कहने में कोई हर्ज नहीं कि भारत का प्रत्येक विद्युत उर्जा उपभोक्ता चाहे वह कोई साधारण सा व्यक्ति हो अथवा बड़ा उद्योगपति, सभी रणवीर सिंह हुड्डा जैसे उन महापुरुषों के सदैव ऋणी रहेंगे जिन्होंने स्वतंत्र भारत को पहले विशाल विद्युत उत्पादन केंद्र के रूप में भाखड़ा नंगल डैम जैसी बेशंकीमती सौगात पेश की।

              1 नवम्बर 1966 को हरियाणा राज्य देश के एक नए प्रांत के रूप में अस्तित्व में आया। मूल रूप से हरियाणा के ही निवासी होने के कारण आपने भी हरियाणा की राजनीति में सक्रिय रहना उचित समझा। जब पंडित भगवत दयाल शर्मा के नेतृत्व में हरियाणा का पहला मंत्रिमंडल गठित हुआ, उस समय श्री हुड्डा उनके मंत्रिमंडल के वरिष्ठ केबिनेट मंत्री बने। इसके पश्चात हरियाणा में हुए मध्यावधि विधानसभा चुनावों में आपने किलोई विधानसभा सीट से 1968 में चुनाव लड़ा तथा विजयी हुए। अभी आपने हरियाणा की राजनीति में एक मंत्री के रूप में दिलचस्पी लेनी शुरु ही की थी कि कांग्रेस पार्टी ने एक बार पुन: केंद्रीय राजनीति में आपकी सेवाओं की ंजरूरत महसूस की। इस प्रकार 1972 में एक बार फिर आपने केंद्रीय राजनीति का रुंख किया तथा राज्यसभा के सदस्य चुने गए। लगभग 5 वर्षों तक केंद्रीय राजनीति में अपनी सक्रिय भूमिका निभाने के बाद पार्टी ने उन्हें हरियाणा की राजनीति में वापस भेज दिया। 1977 से 1980 तक कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष के पद पर रहते हुए हुड्डा जी ने हरियाणा के एक-एक गांव तक कांग्रेस का झंडा फहरा दिया। कहा जा सकता है कि आज हरियाणा में कांग्रेस पार्टी का जो भी जनाधार है, उसे सींचने, बनाने तथा स्थापित करने में चौधरी रणवीर सिंह हुड्डा का अत्यन्त महत्वपूर्ण योगदान है। उनके बुलन्द राजनैतिक रुतबे को यूं भी समझा जा सकता है कि जब अफ्रीकी नेता नेल्सन मंडेला पहली बार भारत आए तो वरिष्ठ गांधीवादी नेता के रूप में उनका स्वागत करने वाले श्री रणवीर सिंह हुड्डा एक विशिष्ट भारतीय नेता थे।

              रणवीर सिंह हुड्डा के रूप में भारत माता के इस सपूत ने एक लंबी, अनुभवी एवं समर्पित राजनैतिक पारी खेलने के बाद आंखिरकार गत् 1 ंफरवरी को इस संसार से अपना नाता तोड़ते हुए अपनी वास्तविक ईश्वरीय यात्रा का रुंख कर लिया। कितने गौरव की बात है कि उनके नक्शेंकदम पर चलते हुए उनके योग्य पुत्र भुपेन्द्र सिंह हुड्डा ने भी न केवल राजनीति में स्वयं को पूरी सफलता से स्थापित किया बल्कि अपने पिता द्वारा दो बार जीती गई लोकसभा सीट को भी लगातार तीन बार जीतकर अपने पिता के राजनैतिक उत्कर्ष को बरंकरार रखा। इतना ही नहीं बल्कि भुपेन्द्र सिंह हुड्डा अपने पिता ही की तरह हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद को भी सुशोभित कर चुके हैं। यहां तक कि वर्तमान समय में हरियाणा के सफल मुख्यमंत्री के रूप में हुड्डा जी राज्य को जिन बुलंदियों पर जिस कौशल व निपुणता के साथ ले जाने का प्रयास कर रहे हैं, इसमें भी हो न हो उनके पिता स्व0 चौधरी रणवीर सिंह हुड्डा के वे संस्कार अवश्य शामिल हैं जोकि उन्हें बाल्यकाल से ही प्राप्त हुए हैं।

              चौधरी रणवीर सिंह हुड्डा के मरणोपरांत जिस प्रकार लाखों लोगों का जनसमूह रोहतक स्थित उनके निवास से लेकर आई एम टी स्थित शमशान घाट पर बनाए गए संविधान स्थल तक पटा पड़ा था तथा जिस तरह से देश के सभी राजनैतिक दलों के नेताओं ने उनकी अंतिम शव यात्रा में उपस्थित होकर भारतीय संविधान सभा के इस अकेले बचे अन्तिम सदस्य को अपनी ओर से अलविदा कहा, उससे यह प्रमाणित हो गया कि चौधरी रणवीर सिंह हुड्डा वास्तव में समाज के हर वर्ग में लोकप्रिय थे तथा राजनैतिक विद्वेष तथा व्यक्तिगत् राजनैतिक प्रतिद्वन्द्विता से स्वयं को वे कितना दूर रखते थे। देश व प्रदेश के अनेकों नेताओं के अतिरिक्त भारतीय थल सेना अध्यक्ष जनरल दीपक कपूर ने भारतीय सेना की ओर से अंतिम बिदाई देकर भारतीय संविधान सभा के इस अंतिम सदस्य के प्रति राष्ट्र की कृतज्ञता व्यक्त की। ऐसे महान स्वतंत्रता सेनानी, योग्य प्रशासक, पूर्व सांसद, पूर्व मंत्री, महान समाजसेवी तथा भारतीय समाज में शालीनता एवं मृदुभाषी होने का अपना अनूठा उदाहरण प्रस्तुत करने वाले इस महान आर्य समाजी व्यक्तित्व को मेरा भी शत्-शत् प्रणाम तथा शत्-शत् नमन।       निर्मल रानी

 

NATIONAL AWARDS FOR E-GOVERNANCE 2008-09

 

NATIONAL AWARDS FOR E-GOVERNANCE 2008-09 ANNOUNCED

 

 

 

National Awards for E-Governance 2008-09 have been announced. Following is the list of winners in different categories.

 

AWARD
CATEGORY

WINNERS

GOLD

SILVER

BRONZE

Excellence in Government Process Re-Engineering

Public Distribution System-Online, Dept. of Food, Civil Supplies and Consumer Protection, Govt of Chhattisgarh and NIC

NIOS Online (Ni-On) Project, National Institute of Open Schooling, NOIDA M/o HRD, GoI

 

Granting of Patents and Trade Marks Process

D/o IP&P & NIC, GoI

e-Gazette, Controller of Printing & Stationery, Govt. of Himachal Pradesh and NIC

Exemplary Horizontal Transfer of ICT-based Best Practice

E-CITY, Ahmedabad Municipal Corporation, Gujarat

e-Lekha, Controller General of Accounts and AID, CGA

e-Procurement, Industry & Mines Department, Govt. of Gujarat

Outstanding performance in Citizen-Centric Service Delivery

Jaankari, DAR&PG, Patna, Govt. of Bihar

 

e-Krishi-kiran, Anand, Agricultural University, Anand, Gujarat

 

HIMPOL (Himachal Pradesh Police Web Portal), Police Headquarters, Govt. of Himachal Pradesh

Innovative usage of Technology in e-Governance

Sujala Watershed Project,

Watershed Development Dept., Govt. of Karnataka

Fire Alert And Messaging System, O/o Principal Chief Conservator of Forests, Forest Dept., Govt. of Madhya Pradesh

Management Information System (MIS), Jharkhand Renewable Energy Development Agency (JREDA), Ranchi, Govt. of Jharkhand

Exemplary Usage of ICT by PSUs

 

Automated Metering Project in MP East DISCOM-Jabalpur Division, Dept. of Energy, Madhya Pradesh

 

e-HUDA-Plots and Property Management, HUDA IT Wing Panchkula, Haryana

Digital OFS (Order for Supplies) and Excise Permit System Karnataka State Beverages Corporation Ltd, Bangalore

Best Government Website

 

www.incois.gov.in Indian National Centre for Ocean Information Services, Hyderabad, M/o Earth Sciences, GoI

 

www.panchayat.gov.in National Panchayat Portal, Ministry of Panchayati Raj, GoI and NIC

www.cityhealthline.org Nagpur Municipal Corporation, Maharashtra

Special Sectoral Award- Focus sector Health

Tele-opthalmology Project-Vision Center, Dept. of Health, Govt. of Tripura

Drug Logistics Information and Management System Central Medical Stores Organization, Health & Family Welfare Dept., Govt. of Gujarat

Hospital Management Information System Health and Family Welfare Dept., Gandhinagar, Govt. of Gujarat

 

Department of Administrative Reforms and Public Grievances  presents National Awards for e-Governance every year  to recognize and promote excellence in implementation of e-Governance initiatives. These awards intend to encourage horizontal transfer of ICT based practices, promote citizen-centricity of ICT applications as well as the innovative usage of technology amongst others. The National Awards for e-Governance attract a large number of nominations every year and are selected after rigorous processing and meticulous review of each nomination. Over the years, due to the high standards of quality, fairness and transparency in the selection process, these awards are considered very prestigious and are extremely sought after.

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RS/SR