रविवार, 30 नवंबर 2008

विशेष आलेख - न्याय पाने का सभी को समान अधिकार है

विशेष आलेख - न्याय पाने का सभी को समान अधिकार है

म प्र. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण का उद्देश्य समस्त व्यक्तियों को उनके विधिक अधिकारों के प्रति जागरूक करना एवं अधिकार प्राप्त करने की प्रक्रिया से अवगत कराना है। कानून ने प्रत्येक व्यक्ति को समानता का अधिकार दिया है। धर्म, जाति,लिंग के आधार पर किसी व्यक्ति को दुकानों, सार्वजनिक भोजनालय, होटल, सार्वजनिक स्थान में प्रवेश से एवं सार्वजनिक कुओं, तालाबों, स्नान घाटों, सड़कों के उपयोग से नहीं रोका जा सकता है। अस्पृश्यता (छुआछूत) का अंत हो चुका है। सभी को व्यापार या कारोबार करने का समान अधिकार है। एक अपराध के लिये एक से अधिक बार दंडित नहीं किया जा सकता। अपने विरूध्द गवाही के लिये बाध्य नहीं किया जा सकता। गिरफ्तारी के आधार जानना एवं वकील से सलाह का हर नागरिक को अधिकार है। मजिस्ट्रेट के आदेश बिना चौबीस घण्टे से अधिक बन्दी नहीं बनाया जा सकता। चौदह वर्ष से कम आयु के बालक को कारखाने व संकट के काम में नहीं लगाया जा सकता। मानव का दर्ुव्यापार तथा बेगार समाप्त हो चुकी है। शासकीय कार्यालयों के कार्यों की सूचना प्राप्त करने का प्रत्येक व्यक्ति को अधिकार है।

       प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि संविधान का पालन करे, देश की रक्षा करे, राष्ट्र की सेवा करें। सभी लोगों में समरसता और समान भ्रातत्व (भाईचारा) की भावना पैदा करें जो धर्म या वर्ग के भेदभाव से परे हो। स्त्रियों के सम्मान के विरूध्द प्रथाओं का त्याग करें। वन, वन्य, प्राणी,नदी, झील की रक्षा करें। सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित रखें और हिंसा से दूर रहें।

फौजदारी कानून अन्तर्गत- गिरफ्तार होने वाला व्यक्ति यदि गिरफ्तारी का विरोध नहीं करता है तो पुलिस उसके शरीर को नहीं छू सकती तथा हथकड़ी नहीं लगा सकती। गिरफ्तारी का आधार बताएगी, परिवार को सूचना देगी, वकील से मिलने देगी तथा महिला की तलाशी महिला ही ले सकती है।

v                   यदि कोई व्यक्ति अपना भरण पोषण नहीं कर सकता है तो अपने पति, संतान एवं माता पिता से मजिस्ट्रेट न्यायालय में आवेदन देकर मासिक भत्ता पा सकता है। भत्ता बढ़ाने का आवेदन भी पेश कर सकता है।

v                  भूमि या जल, सीमा संबंधी विवाद होने पर कार्यपालक मजिस्ट्रेट के यहां आवेदन प्रस्तुत कर सकता है।

v                  पुलिस थाना रिपोर्ट नहीं लिखे तो डाक से पुलिस अधीक्षक को भेजे फिर भी कार्यवाही नहीं हो तो न्यायालय में परिवाद पेश कर सकता है। घटना की रिपोर्ट तुरंत करे अन्यथा विलम्ब घटना की सत्यता पर संदेह पैदा कर सकता है। घटना अनुसार ही रिपोर्ट लिखाए। हस्ताक्षर से पहले रिपोर्ट पढ़े या सुने, रिपोर्ट प्रति प्राप्त करें। अपने प्रकरण के प्रति जागरूक रहें। प्रत्येक पेशी पर फरियादी न्यायालय में उपस्थित रहें। गवाह झूठ बोले तो सरकारी वकील को कारण बतायें।

v                  घर के बाहर साधारण मारपीट, गाली -गलोच, धमकी, रास्ता रोकना, भूमि पर अतिक्रमण करना जैसे अपराध में जमानत अधिकार है।

v                  किसी कागज पर बिना पढ़े हस्ताक्षर नहीं करें। अपने सामने जो धटित हुआ उसी कागज पर हस्ताक्षर करें उसी अनुसार न्यायालय में बतायें अन्यथा आपके खिलाफ फौजदारी मुकदमा चल सकता है। समन्स प्राप्त होने पर अवश्य न्यायालय में उपस्थित रहें अन्यथा वारन्ट जारी हो सकता है। पंद्रह वर्ष से कम उम्र के व्यक्ति या स्त्री को पुलिस गवाही के लिए थाने नहीं बुला सकती है।

v                  एक्सीडेंट होने पर क्षतिपूर्ति मिलती है आवेदक जहां निवास कर रहे वहां के न्यायालय में प्रकरण लगता है।

v                  झूठा फौजदारी दायर करने वाले के खिलाफ क्षतिपूर्ति दावा लगा सकते हैं। मानहानि के लिए क्षतिपूर्ति एवं फौजदारी दावा लगा सकते है।

v                  दहेज का लेना या देना अपराध है। 18 से कम आयु की लड़की या 21 से कम आयु के लड़के का विवाह करना अपराध है।

v                  महिला के गर्भ की जांच कराना अपराध है।

v                  पति या उसके संबंधी द्वारा महिला को किसी भी कारण से प्रताड़ित करना अपराध है।

v                  घर की किसी भी महिला के साथ हिंसात्मक व्यवहार करना दण्डनीय अपराध है।

v                  जमानत देने पर आरोपी को व्यक्तिगत जिम्मेदारी पर उपस्थित रखें अन्यथा जमानत राशि वसूली या जेल की सजा हो सकती है। महिला या 14 वर्ष की उम्र के बच्चे को छोड़कर किसी व्यक्ति के प्रति किए गए सात साल से कम सजा वाले अपराध में अरोपी तर्क सौदाकारी हेतु स्वेच्छा से आवेदन दे सकता है। ऐसा करने से नियत सजा से 1/4 तक की सजा पर उसका मामला निपट सकता है।

दीवानी मामलों में - एक सौ रूपये से अधिक की जमीन/मकान क्रय करने पर विलेख का पंजीयन अवश्य करायें। न्यायालय से फैसला होने पर तत्काल अपने वकील से अपील लगवायें देरी होने से अपील निरस्त हो जाती है। यदि कोई व्यक्ति अपने पति या पत्नी से जानबूझकर अलग रहता है तो जिला न्यायालय में साथ रहने के लिए आवेदन पेश कर सकते हैं। किसी भी विवाद की दशा में मध्यस्थ, लोक अदालत या सुलह कार्यवाही कराने हेतु तत्पर रहें इससे धन एवं समय की बचत होती है। नाबालिग की ओर से उसका संरक्षक या माता पिता पैरवी कर सकते हैं।

राजस्व मामलों में- भू राजस्व या लगान नियमित अदा कर रसीद संभाल कर रखें। पटवारी से अपना कब्जा खसरे में प्रतिवर्ष इंद्राज कराकर उसकी सत्य प्रतिलिपि प्राप्त करें। अन्य राजस्व अभिलेख में भी अपने हित का इंद्राज कराते रहें। जमीन मकान पर कोई हक प्राप्त होता है तो तत्काल नामांतरण करांएं। विभाजन पर नक्शा तरमीम करवायें सीमांकन कराकर सीमा चिन्ह बना कर रखें और राजस्व संबंधी सभी दस्तावेज दुरस्त कराकर रखें। राजस्व अभिलेख त्रुटि तत्काल सुधार करायें। अन्यथा न्यायालय में दावा निरस्त हो सकता है।

विधिक सहायता अन्तर्गत- अनुसूचित जाति/ जनजाति सदस्य, महिला या बालक, मानव दर्ुव्यवहार का सताया व्यक्ति, मानसिक रूप से अस्वस्थ, असमर्थ, जातीय हिंसा, अत्याचार, बाढ़, सूखा, औद्यौगिक विनाश से पीड़ित व्यक्ति , जेल बंदी, तथा वार्षिक आय 50,000 रू से कम वाला व्यक्ति विधिक सहायता का पात्र है। सभी न्यायालयों में कार्यवाही हेतु नि:शुल्क वकील, कोर्ट फीस, गवाह खर्चा, टाईप खर्चा आदि हेतु सहायता दी जाती है। निकटतम सिविल न्यायालय से सम्पर्क कर सकते हैं।

लोक अदालत-  प्रत्येक माह के पहले एवं तीसरे शनिवार को सिविल न्यायालय एवं तहसील न्यायालय में लोक अदालत लगती है। पूर्व से प्रकरण नियत होने पर भी उभय पक्ष उपस्थित होकर राजीनामा कर सकते हैं। इससे विवाद का अंतिम निराकरण हो जाता है। कोर्ट फीस वापस मिल जाती है।

 

शनिवार, 29 नवंबर 2008

गौशाला में गाय गोबर के कण्डों तथा गौमूत्र का उत्पादन शुरू

गौशाला में गाय गोबर के कण्डों तथा गौमूत्र का उत्पादन शुरू

ग्वालियर दिनांक 29 नवम्बर 2008:   नगर निगम गौशाला द्वारा शुध्द गायों से गोबर से बने कण्डों तथा गौमूत्र का व्यवसायिक उत्पादन प्रांरभ कर दिया है। निगम गौशाला द्वारा धार्मिक संस्थाओं तथा आयुर्वेद फार्मेसियों को पत्र लिखकर गौशाला में उत्पादित गौमूत्र एवं गोबर कण्डों के उत्पादन की जानकारी उपलब्ध करायी है। उक्ताशय की जानकारी उपायुक्त गौशाला सुरेन्द्र सिंह भदौरिया द्वारा जनसम्पर्क के माध्यम से प्रेस को जारी विज्ञप्ति में दी गई।

       उन्होंने बताया है कि निगम गौशाला लाल टिपारा से गोबर के कण्डे 175/- रू. प्रति क्विटल तथा गौमूत्र 2 रू. लीटर विक्रय किया जा रहा है।

       ज्ञातव्य है कि गाय के गोबर के कण्डों की मांग शहर की विभिन्न धार्मिक संस्थाओं में हवन हेतु तथा आयुर्वेदिक फार्मेसियों में दवाओं के शोधन हेतु की जाती है तथा गाय का गौमूत्र विभिन्न बीमारियों के इलाज के साथ-साथ कीटनाशक एवं छिपकली चूहे इत्यादि भगाने के लिये मच्छरों से मुक्ति पाने के लिये किया जाता है।       

       नगर निगम ग्वालियर द्वारा हाल ही में प्रांरभ किये गये कण्डा उत्पादन में लगभग 50 क्विंटल गाय गोबर का कण्डा तैयार किया है तथा क्रेताओं की मांग पर 15 दिवस में भाग अनुसार कण्डा उपलब्ध कराये जाने हेतु निगम तैयार है।

       निगम गौशाला में उक्त उत्पादों के फुटकर एवं थोक क्रय हेतु गौशाला के सुपरवाईजर लक्ष्मीनारायण ऊंचिया के मोबाईल क्र. 98262-54604 पर सम्पर्क किया जा सकता है।

 

भारतीय गंगा-जमुनी संस्कृति का परिचायक है - तानसेन समारोह

भारतीय गंगा-जमुनी संस्कृति का परिचायक है - तानसेन समारोह

भारतीय गंगा जमुनी संस्कृति का परिचायक तानसेन समारोह कलाकारों के लिए श्रध्दा का स्थान है । संगीतज्ञ इस समारोह में भाग लेकर तथा तानसेन की मजार पर श्रध्दासुमन और स्वरांजलि अर्पित कर अपने आप को गौरवान्वित महसूस करते हैं ।

संगीत सम्राट तानसेन की स्मृति में ग्वालियर में मनाये जाने वाले राष्ट्रीय तानसेन संगीत समारोह ने अपनी 83 वर्ष की आयु पूर्ण कर ली है । भारतीय संगीत के साक्ष्य बने इस समारोह की शुरूआत ग्वालियर के तत्कालीन महाराज माधव राव सिंधिया ने फरवरी 1924 में उर्स तानसेन के रूप में की थी। समारोह के प्रारंभिक वर्षों में इसमें मशहूर नृत्यांगनाएं भी भाग लेती थीं और नृत्य तथा गायन का क्रम अलग अलग छोल दरियों में रात भर चला करता था । संगीत सम्राट तानसेन की याद को ताजा रखने तथा संगीत विधा की तरक्की और प्रोत्साहन हेतु तत्कालीन महाराज माधवराव सिंधिया की पहल पर पहले उर्स तानसेन 7, 8 और 9 फरवरी 1924 को मनाया गया था । इसके लिए एक इन्तजामिया कमेटी थी, जो आज भी अस्तित्व में है । उस समय इस कमेटी को इस उर्स के लिए 600 रूपये दिए जाते थे । तब से ही इस त्रिदिवसीय समारोह का शुभारंभ हरिकथा तथा चादर चढ़ाने के साथ होता आया है ।

 स्वाधीनता के पश्चात इस समारोह के आयोजन की जिम्मेदारी राज्य शासन तथा आकाशवाणी ने संयुक्त रूप से ली । बाद में यह समारोह जनसम्पर्क विभाग के माध्यम से आयोजित होता रहा और अब यह समारोह संस्कृति परिषद के अंतर्गत उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत कला अकादमी (मध्यप्रदेश कला परिषद) के द्वारा आयोजित किया जाता है। इस समारोह को नया रूप प्रदान करने में तत्कालीन केन्द्रीय सूचना मंत्री डा. बालकृष्ण केसकर और आकाशवाणी में हिन्दुस्तानी संगीत के सलाहकार ठाकुर जयदेव सिंह ने उल्लेखनीय भूमिका निभाई । राज्य शासन द्वारा इस समारोह को नई दिशा और गति देने के प्रयास निरंतर जारी हैं । सुर संगीत का यह अनोखा उत्सव तानसेन समाधि हजीरा पर आयोजित हो रहा है ।समारोह की अंतिम प्रात: कालीन संगीत सभा ग्वालियर से लगभग 45 किलोमीटर दूर तानसेन की जन्मस्थली बेहट में आयोजित होती है, जहां श्रेष्ठ कलाकार स्थानीय संगीत विद्यालयों के विद्यार्थियो के साथ जाकर संगीत सम्राट तानसेन को अपने श्रध्दा सुमन और स्वरांजलि अर्पित करते है ।

फरवरी 1924 से अब तक देश के लगभग सभी ख्यातिनाम संगीतज्ञों और कलाकारों ने इस आयोजन में कभी न कभी अपनी प्रस्तुति दी है और सभी ने इस स्थान की महत्ता को स्वीकारा है । भारत रत्न पंडित रविशंकर ने वर्ष 1989 के तानसेन समारोह में शामिल होने के बाद कहा था कि यहां एक जादू सा होता है, जिसमें प्रस्तुति देते समय एक सुखद रोमांच की अनुभूति होती है । उर्स के रूप में प्रारंभ हुआ यह समारोह वट वृक्ष की तरह संगीत प्रेमियों के हृदय में बस गया है।

 

ग्वालियर घराने के मूर्धन्य गायक पद्म भूषण स्व पंडित कृष्णराव शंकर पंडित के शब्दों में तानसेन समारोह के प्रारंभिक वर्षों में दूर दूर से कलाकार खुद ब खुद संगीत सम्राट तानसेन को श्रध्दांजलि देने आते थे और बिना कोई पारिश्रमिक लिए अपनी स्वरांजलि अर्पित करते थे । कभी कभी तो कलाकार अपना सम्मान लेकर पैदल तानसेन समाधि तक पहुंचते थे ।

मशहूर शहनाई नवाज उस्ताद बिस्मिल्लिहाखां भी एक बार निजी यात्रा पर ग्वालियर आये और दिन भर की व्यस्तता के बाद उन्होनें रात दो बजे तानसेन की मजार पर पहुंचकर शहनाई वादन कर तानसेन को श्रध्दासुमन अर्पित किये । एक बार मशहूर पखावज वादक पागलदास भी तानसेन के उर्स के मौके पर श्रध्दांजलि देने यहां आये, लेकिन रेडियो के ग्रेडेड आर्टिस्ट नहीं होने के कारण उर्स में भाग नहीं ले सके । उन्होनें तानसेन की मजार पर ही बैठकर पखावज का ऐसा अद्भुत वादन किया, कि संगीत प्रेमी जन समारोह से उठकर उनके समक्ष जाकर बैठ गये ।

संगीत सम्राट तानसेन की नगरी ग्वालियर के लिए कहावत प्रसिध्द है  कि यहां बच्चे रोते हैं, तो सुर में और पत्थर लुड़कते है तो ताल में । इस नगरी ने पुरातन काल से आज तक एक से बढकर एक संगीत प्रतिभायें संगीत संसार को दी हैं और संगीत सूर्य तानसेन इनमें सर्वोपारि हैं। ग्वालियर से लगभग 45 कि.मी. दूर ग्राम बेहट में श्री मकरंद पांडे के यहां तानसेन का जन्म ग्वालियर के तत्कालीन प्रसिध्द फकीर हजरत मुहम्मद गौस के वरदान स्वरूप हुआ था । कहते है कि श्री मकरंद पांडे के कई संताने हुई, लेकिन एक पर एक अकाल ही काल कवलित होती चली गई । इससे निराश और व्यथित श्री मकरंद पांडे सूफी संत मुहम्मद गौस की शरण में गये और उनकी दुआ से सन् 1486 में तन्ना उर्फ तनसुख उर्फ त्रिलोचन का जन्म हुआ, जो आगे चलकर तानसेन के नाम से विख्यात हुआ ।

तानसेन के आरंभिक काल में ग्वालियर पर कलाप्रिय राजा मानसिंह तोमर का शासन था । उनके प्रोत्साहन से ग्वालियर संगीत कला का विख्यात केन्द्र था, जहां पर बैजू बावरा, कर्ण और महमूद जैसे महान संगीताचार्य और गायक गण एकत्र थे, और इन्हीं के सहयोग से राजा मानसिंह तोमर ने संगीत की ध्रुपद गायकी का आविष्कार और प्रचार किया था । तानसेन की संगीत शिक्षा भी इसी वातावरण में हुई । राजा मानसिंह तोमर की मृत्यु होने और विक्रमाजीत से ग्वालियर का राज्याधिकार छिन जाने के कारण यहां के संगीतज्ञों की मंडली बिखरने लगी । तब तानसेन भी वृंदावन चले गये और वहां उन्होनें स्वामी हरिदास जी से संगीत की उच्च शिक्षा प्राप्त की । संगीत शिक्षा में पारंगत होने के उपरांत तानसेन शेरशाह सूरी के पुत्र दौलत खां के आश्रय में रहे और फिर बांधवगढ़ (रीवा) के राजा रामचन्द्र के दरबारी गायक नियुक्त हुए । मुगल सम्राट अकबर ने उनके गायन की प्रशंसा सुनकर उन्हें अपने दरबार में बुला लिया और अपने नवरत्नों में स्थान दिया ।

अकबर की कश्मीर यात्रा के समय सन् 1589 में लाहौर में इस महान संगीत मनीषी ने अपनी इह लीला समाप्त की और उनकी इच्छानुसार उनका शव ग्वालियर लाया गया और यहां प्रसिध्द सूफी संत मोहम्मद गौस की मजार के पास ही इस संगीत सम्राट को समाधिस्थ कर दिया गया ।

इस महान संगीतकार की समाधि पर सन् 1924 से प्रति वर्ष संगीतज्ञों का मेला लगता है, जहां देश के चोटी के कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन कर संगीत सम्राट तानसेन को अपनी श्रध्दांजलि अर्पित करते हैं। संगीत सम्राट तानसेन की स्मृति को चिरस्थाई बनाने के लिए मध्यप्रदेश शासन के संस्कृति विभाग द्वारा हिन्दुस्तानी संगीत के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान करने वाले कलाकारों को सम्मानित करने के लिए सन् 1980 में राष्ट्रीय तानसेन सम्मान की स्थापना की गई ।

 

गुरु-शुक्र व चंद्र का मिलन एक को

गुरु-शुक्र व चंद्र का मिलन एक को

दैनिक भास्‍कर से साभार

विनोद त्रिपाठी.

Saturday, November 29, 2008 11:50 [IST]

मुरैना. आकाशगंगा में बड़े ग्रहों गुरु, शुक्र और चंद्र का मिलन इसी एक दिसंबर की शाम को होने जा रहा है। यह अद्भुत मिलन करीब 500 वर्ष बाद होना बताया जा रहा है। यह नजारा करीब 20 मिनट तक आकाश के पश्चिम में दिखाई देगा। इसका आकर्षण इतना तीव्र होगा कि अरब सागर में तूफान आ सकता है। इसके अलावा राजनीति में भी अकल्पनीय परिवर्तन का दावा ज्योतिष मर्मज्ञों व आकाशगंगा के जानकारों ने किया है।

12 राशियों में बंटा है ब्रम्हांड
ज्योतिष मंडल में पूरा ब्रम्हांड 12 राशियों में बंटा है। जिसमें यह मिलन धनु राशि में होने जा रहा है। राशि चक्र में धनु राशि नौवें नंबर पर है। इस हिसाब से यह मिलन पश्चिम में होने जा रहा है।

किसने देखी ग्रहों की चाल
मुरैना जिले में आकाशगंगा का नियमित अध्ययन शहर से चार किलोमीटर दूर क्वारी नदी किनारे अनंता शक्तिपीठ के संचालक ज्योतिषाचार्य पं.मुन्नालाल शर्मा सिहोरी वाले करते हैं। उनका दावा है कि यह अद्भुत मिलन एक दिसंबर की शाम को आकाश में खुली आंखों से दिखाई देगा।

अन्य ज्योतिषि भी कर रहे हैं दावा
एक पं.मुन्नालाल शर्मा ही नहीं बल्कि नैनागढ़ रोड निवासी ज्योतिष मर्मज्ञ पं. बालकृष्ण शर्मा समेत गणोशपुरा निवासी पं. जगदीशचंद्र शर्मा व गांधी कालोनी मुरैना के भागवताचार्य डा. सुरेश शास्त्री समेत तांत्रिक व ज्योतिषी नरेंद्रसिंह तोमर आनंद भी एक दिसंबर को आकाशगंगा में गुरु, शुक्र व चंद्र के मिलन का दावा कर रहे हैं।

कैसे, कब होता है मिलन
आकाशगंगा में ग्रहों के मिलन उनकी चाल के हिसाब से होता है। गुरु और शुक्र का धनु राशि में मिलन 12 वर्ष बाद होता है। सिहोरी वाले पं.मुन्नालाल कहते हैं कि अस्त का वातावरण बनने पर यह मिलन 24 वर्ष बाद होता है। पं. बालकृष्ण कहते हैं कि धनु राशि में तीनों ग्रहों गुरु, शुक्र और चंद्र का मिलन सैकड़ों वर्ष बाद होता है जो इस बार करीब पांच सौ वर्ष हो रहा है।

मिलन के समय सूर्य अस्त होगा
जिस समय यह मिलन होने जा रहा है, उस वक्त सूर्य अस्त होने से तथा बुध व मंगल उसकी कतार में होने से गुरु, शुक्र व चंद्र की आकषर्ण शक्ति अति तीव्र होगी। पं.मुन्नालाल कहते हैं कि इसलिए अरबसागर में तूफान आएगा। पाकिस्तान व अफगानिस्तान भी इस मिलने से प्रभावित होंगे।

बदलेगी राजनीति
पं. जगदीश चंद्र कहते हैं कि गुरु, शुक्र और चंद्र के मिलन से राजनैतिक स्थिति बदलेगी। क्योंकि गुरु राजनीति के अधिष्ठाता हैं। तीनों ग्रहों के मिलन से वह होगा, जिसकी किसी ने कल्पना नहीं की होगी। जल व अग्नि का प्रभाव ज्यादा हो सकता है। इनके मिलन से कई दोष उत्पन्न होंगे। राजसत्ता में अकल्पनीय परिवर्तन होगा।

क्या क्या होंगे असर
इस मिलन के समय में जन्मे शिशु काफी विकास करेंगे। भारत समेत अन्य देशों की राजनीति में परिवर्तन संभव है। अरबसागर के तूफान के अलावा अन्य कोई बड़ा परिवर्तन भी दुनिया में संभव है।

 

शुक्रवार, 28 नवंबर 2008

मतदान जागरूकता अभियान

मतदान जागरूकता अभियान

जे. वेकटेशन

       हमारे जैसे लोकतांत्रिक देश में मतदान ही एक ऐसा महत्वपूर्ण माध्यम है, जिससे सरकारी निर्णयों में व्यक्तिगत रूप से प्रभाव डाला जा सकता है । मतदान किसी विधानसभा अथवा लोक सभा चुनाव क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक प्रत्याशी को वरीयता देने का एक औपचारिक माध्यम है ।

       हालांकि लोकतांत्रिक शासन के लिए आज व्यापक मताधिकार को अनिवार्य माना जाता है, पर क्या सभी मतदाता अपना मतदान करते हैं । राज्यों में मतदान का प्रतिशत अलग-अलग होता है लेकिन औसतन यह 60 प्रतिशत है । हालॉकि चुनाव में मतदान एक मौलिक अधिकार न होकर सांविधिक है लेकिन कितने लोग इस अधिकार का प्रयोग करते हैं । अनुपस्थित रहना यानि मतदान में भाग नहीं लेना है, लेकिन मतदान नहीं करने को अब संतुष्टि या उदासीनता कहकर खारिज नहीं किया जा सकता है ।  हमारे राजनेताओं के व्यवहार के बारे में आम जनता में असंतोष बढ रहा है लेकिन मतदान न करना इस समस्या का हल नहीं कहा जा सकता ।

       भारत के उच्चतम न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों  के लिए यह अनिवार्य कर दिया गया है कि वे अपने नामांकन पत्रों  के साथ हलफनामे दाखिल करते हुए अपने खिलाफ लंबित अपराधिक मामलों, यदि कोई है तो, अपना,  अपने बच्चों की  सम्पत्ति, देनदारियों  और शैक्षिक जानकारी दें । हलफनामे को मतदान केन्द्रों के बाहर स्पष्ट रूप से दिखाया जाए । ये सब लोगों की जागरूकता के कारण ही संभव हुआ । लेकिन यह संदेश मतदाताओं तक कितना पहुंचा यह मुख्य बिन्दु है ।

       यहीं से जागरूकता अभियान सफल होगा । सफल अभियान अधिक मतदाताओं को मतदान प्रक्रिया में भाग लेने के लिए निश्चित रूप से प्रोत्साहित करेगा । अभियान 18 वर्ष और उससे अधिक आयु समूह के मतदाताओं पर लक्षित होना चाहिए जो उन्हें अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने को प्रोत्साहित करे ताकि उनका अपना भविष्य तय करने में उनकी भी सुनी जाए । मतदाता जागरूकता अभियान इश्तहारों के द्वारा, सिनेमाघरों में स्लाइड दिखा कर और एसएमएस द्वारा चलाया जा सकता है ताकि सभी मतदाताओं तक न्न कृपया वोट डालें न्न का संदेश पहुंच सके ।मतदाताओं को मतदान के लिए प्रेरित करने के लिए कम्प्युटर एवं टच स्क्रीन के जरिए छद्म चुनाव भी कराए जा सकते हैं ।

        मतदान के प्रति उदासीन रहने वाले ऐसे मतदाता भी होते हैं जो हालांकि नागरिक सुविधाओं का इस्तेमाल तो करते हैं पर वे वोट डालने की अपनी जिम्मेदारी निभाते नहीं । उनमें से कुछ को आमतौर पर तटस्थ मतदाता की श्रेणी में रखा जा सकता है । वे पासपोर्ट और ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने जैसे उद्देश्यों के लिए फोटो पहचानपत्र बना तो लेते हैं लेकिन वोट नहीं डालते । छद्म मतदान के दौरान ऐसे मतदाताओं को भी लक्षित किया जाना चाहिए और उनसे अपना वोट डालने का अनुरोध किया जाना चाहिए ताकि उन्हें अपने मताधिकार का प्रयोग करने की याद दिलाई जा सके ।

       1948 का संयुक्त राष्ट्र महासभा का मानवाधिकार संबंधी सार्वभौमिक घोषणापत्र ऐसी अभिन्न भूमिका पर बल देता है, जिसमें पारदर्शी और खुले चुनाव लोकतांत्रिक सरकार से मौलिक अधिकार को सुनिश्चित कराते हैं । मानवाधिकारों का सार्वभौम घोषणापत्र अनुच्छेद 21 में कहता है कि प्रत्येक व्यक्ति का अपने देश की सरकार के गठन में भाग लेने का अधिकार है फिर चाहे यह प्रत्यक्ष रूप से हो या स्वतंत्र से चुने हुए प्रतिनिधियों के द्वारा हो । स्वतंत्र चुनाव किस तरह राजनैतिक अधिकारों का सम्मान सुनिश्चित करते हैं, उसका भी अंतर्राष्ट्रीय नागरिक एवं राजनैतिक अधिकार प्रतिपत्र में जिक्र है ।      

       किसी जागरूकता अभियान का उद्देश्य अल्पसंख्यकों, बेघर लोगों, विकलांगों और उन सब को वोट डालने के अधिकार का प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना है, जो किन्ही कारणों से वोट नहीं डाल पाते । इन कारणों में गरीबी, निरक्षरता, डराना, धमकाना या अनुचित चुनाव प्रक्रिया शामिल हैं ।

       भारतीय निर्वाचन आयोग ने शेष विश्व को दिखा दिया है कि कैसे किसी प्रकार के हस्तक्षेप के बिना चुनाव स्वतंत्र रूप से कराये जा सकते हैं । आयोग प्रत्याशियों और प्रत्येक स्तर पर चुनावों पर नजर रखने के लिए सामान्य, व्यय और लघु स्तर पर पर्यवेक्षक करता है ।

       यह बात करीब-करीब सभी जानते हैं कि राजनीतिक दल चुनावों में अपने प्रत्याशियों को जीतने की संभावनाओं को बेहतर बनाने के लिए धन बल और बाहु बल का अत्यधिक इस्तेमाल करते हैं । सड़कों के किनारे, चौराहों, गलियों के नुक्कड़ों पर राजनीतिक नेताओं के बड़े-बड़े कट-आउट लगाने और प्रमुख स्थलों पर होर्डिंग लगाना आदि कुछ ऐसे उपाय हैं जिनके जरिये राजनीतिक दल धन बल प्रदर्शित करते हैं। बहुत से मामलों में राजनीतिक दल समाचारपत्रों में बड़े पैमाने पर विज्ञापन भी देते हैं ।

       आयोग ने धन बल और बाहु बल दोनों के इस्तेमाल को खत्म करने के लिए कई कदम उठाये हैं । चुनावों के समय राज्यों को निर्देश दिये जाते हैं कि आदतन अपराधियों को बंद कर दिया जाए और अन्य अपराधियों के खिलाफ गैर-जमानती वारंटों को अमल में लाया जाए । आयोग ने चुनाव में वोट डालने के लिए मतदाताओं की पहचान अनिवार्य बना दी है ।

       हालांकि फोटो पहचान पत्र काफी हद तक बना दिये गए हैं लेकिन कुछ निर्वाचन क्षेत्रों को छोड़कर इस क्षेत्र में शत-प्रतिशत उपलब्धि प्राप्त नहीं हो पाई है तथापि चुनावों में सटीकता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने और जाली मतदान रोकने के लिए कई निर्वाचन क्षेत्र में इस समय सचित्र मतदाता सूचियां भी उपलब्ध कराई जाती है । पहचान के अन्य स्रोत जैसे राशन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस और पासपोर्ट आदि भी प्रयोग में लाये जा सकते हैं । लोगों को यह जानकारी होनी चाहिए कि मतदान इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों से होता है । इसलिए मतदान में कोई झंझट नहीं होता । लेकिन यह बात सब लोगों को पता होनी चाहिए । इससे वे लोग भी वोट डालने के लिए आने को तैयार हो जाएंगे जिनके पास फोटो पहचान पत्र नहीं है । जागरूकता अभियान में इस पहलू को भी शामिल किया जाना चाहिए ।

       अन्य मुद्दा जिस पर काफी चर्चा हो रही है वह चुनावों में वोट डालने को अनिवार्य बना देने के बारे में है । कुछ देशों,जैसे आस्ट्रोलिया, वेलजियम और लक्षजमबर्ग में जहां दीघ्रकालिक लोकतंत्र हैं, में चुनावों में मतदान करना अनिवार्य है । लेकिन क्या यह भारत में भी संभव है । इसका उत्तर निश्चित रूप से नहीं में है । हमारे जैसे सामाजिक-आर्थिंक, धार्मिक और बहु-संस्कृति वाले समाज में इस को लागू नहीं किया जा सकता ।

       यदि मतदान अनिवार्य कर दिया जाए तो निस्संदेह बड़ी संख्या में मतदान होगा लेकिन उस सूरत में अवैध वोटों की संख्या बढ जाने की संभावना है । विकल्प के तौर पर मतदाताओं को निर्वाचन के बारे में अपनी राय व्यक्त करने की छूट दी जा सकती है, जिसमें एक राजनीतक संदेश होगा कि खड़े हुए प्रत्याशियों में से किसी के लिए वोट नहीं ताकि यदि वे प्रत्याशियों में से किसी को पसंद नहीं करें तब भी वे अपनी राय व्यक्त कर सकें । इस व्यवस्था को कार्यान्वित करने के लिए इलेक्ट्रानिक मतदान मशीन में एक अतिरिक्त बटन लगाना होगा । अनुपस्थित रहने की बजाए इस सुझाव को लागू करना, निश्चित रूप से अधिक आसान होगा क्योंकि इसमें सार्थ किया है । निर्वाचन आयोग ने पहले ही केन्द्र सरकार के सम्मुख यह मामला उठाया है लेकिन अभी कोई सफलता नहीं मिली है क्योंकि मुख्यधारा के अधिकांश राजनीतिक दल इसे स्वीकार करने को तैयार नहीं है ।

       यदि भारतीय लोकतंत्र इन सब त्रुटियों के बावजूद इन सब वर्षों में बचा रहा है तो इस का मुख्य कारण मतदाताओं में जागरूकता का होना है । इसलिए कोई भी अभियान मतदाताओं के विश्वास को मजबूत करने और उसे किसी चुनाव में प्रत्येक वोट के महत्व के समझने की धारणा पैदा करने का होना चाहिए ।

# लेखक दैनिक हिन्दू के विधि संवाददाता हैं।

 

 

29 केन्द्रों पर होगा पुनर्मतदान भिण्ड के सर्वाधिक 12 केन्द्र 30 नवंबर को होगा पुनर्मतदान सुरक्षा व्यवस्था और कड़ी

29 केन्द्रों पर होगा पुनर्मतदान भिण्ड के सर्वाधिक 12 केन्द्र 30 नवंबर को होगा पुनर्मतदान सुरक्षा व्यवस्था और कड़ी

भोपाल : 28 नवंबर, 2008

मध्यप्रदेश की 13वीं विधानसभा के चुनाव के लिए 27 नवंबर को हुए मतदान के दौरान प्रदेश में अधिकांश जगहों पर शांतिपूर्ण और निर्विघ्न मतदान हुआ लेकिन 30 ऐसे मतदान केन्द्रों की पहचान की गई जहाँ मतदान के दौरान विभिन्न कारणों से पुनर्मतदान की जरूरत समझी गई। इस सिलसिले में मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी द्वारा भेजे गए प्रस्ताव को चुनाव आयोग ने मंजूरी दे दी है। इन जगहों पर 30 नवंबर को प्रात: 8.00 से शाम 5.00 बजे तक मतदान होगा। इन मतदान केन्द्रों पर सुरक्षा और व्यापक तथा कड़े इंतजाम किये जा रहे हैं। ज्ञात हो कि पिछले विधानसभा चुनाव में 73 जगहों पर पुनर्मतदान हुआ था।

सर्वाधिक 12 मतदान केन्द्रों पर पुनर्मतदान भिण्ड जिले में होगा इनमें से 10 केन्द्रों के प्रस्ताव मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी द्वारा भेजे गये थे जबकि दो और केन्द्रों पर आयोग ने पुनर्मतदान के निर्देश दिये हैं। तयशुदा कार्यक्रम के मुताबिक मुरैना जिले के सुमावली विधान क्षेत्र में दो केन्द्रों बागचीनी 30 और घूघस 81, मुरैना विधानसभा क्षेत्र के एक केन्द्र बस्तरपुर 185 और दिमनी विधानसभा क्षेत्र के तीन केन्द्रों मुडियाखेड़ा 55, मुडियाखेड़ा 56 तथा सुरजनपुर 72, सागर जिले के देवरी विधानसभा क्षेत्र में एक केन्द्र धुलतरा 146, टीकमगढ़ जिले के विधानसभा क्षेत्र टीकमगढ़ में एक केन्द्र गणेशगंज 14, खरगापुर विधानसभा क्षेत्र में दो केन्द्रों टीला 69 और बछौड़ा 73, शाजापुर जिले के सुसनेर विधानसभा क्षेत्र में एक केन्द्र नाहर खेड़ा 110, इंदौर जिले के इन्दौर (एक) विधानसभा क्षेत्र में एक केन्द्र यादवनंद नगर 32 और इन्दौर (चार) के एक केन्द्र लोधीपुरा 33, भिण्ड जिले के सर्वाधिक 12 मतदान केन्द्रों के तहत लहार विधानसभा क्षेत्र में बसंतपुरा (एक) 25, बसंतपुरा (दो) 26, डिमोल की मढैया 38, देवजूकापुरा 42, लहार 107, लहार 111, लहार 112, लहार 113, जैतपुरा 143, करियावली 158 और मतदान केन्द्र क्रमांक 53 और 97 तथा मेहगांव विधानसभा क्षेत्र के एक मतदान केन्द्र मानपुरा 82, शिवपुरी जिले के पोहरी विधानसभा क्षेत्र में देवरीखुर्द 101, जबलपुर जिले के जबलपुर पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में एक केन्द्र लालकुऑ 166 और राजगढ़ जिले के ब्यावरा विधानसभा क्षेत्र में एक केन्द्र नलखेड़ा 200 पर पुनर्मतदान होगा।

 

 

छुटपुट घटनाओं को छोड़ मतदान शांतिपूर्ण 60 प्रतिशत से ज्यादा मतदान सर्वाधिक 75 प्रतिशत शाजापुर में सबसे कम 50 प्रतिशत शहडोल में

छुटपुट घटनाओं को छोड़ मतदान शांतिपूर्ण 60 प्रतिशत से ज्यादा मतदान सर्वाधिक 75 प्रतिशत शाजापुर में सबसे कम 50 प्रतिशत शहडोल में

भोपाल : 27 नवंबर, 2008

प्रदेश में सुरक्षा के व्यापक और पुख्ता बंदोबस्त के चलते मध्यप्रदेश की 13वीं विधानसभा के चुनाव के लिए आज हुई मतदान की प्रक्रिया संपन्न हुई। कुछ एक जगहों पर छुटपुट घटनाओं को छोड़कर पूरे प्रदेश में मतदान का काम शांतिपूर्ण ढंग से पूरा हुआ। शाम 5.00 बजे तक मिली जानकारी के मुताबिक प्रदेश में कुल 60.9 प्रतिशत मतदान हुआ है। प्रदेश के कई हिस्सों में मतदान केन्द्रों पर शाम 5.00 बजे के बाद भी मतदाताओं की कतारें लगी होने की जानकारी मिली है, लिहाजा मतदान प्रतिशत में और वृध्दि होने की संभावना है। सर्वाधिक 75 प्रतिशत शाजापुर जिले में और सबसे कम 50 प्रतिशत शहडोल जिले में दर्ज हुआ है।

मतदान ब्यौरा इस प्रकार है -

क्र.

जिला

 

कुल मतदान प्रतिशत

 

क्र.

 

जिला

 

कुल मतदान प्रतिशत

 

1.

 

श्योपुर

 

60.00

 

26.

 

सिवनी

 

60.00

 

2.

 

मुरैना

 

52.00

 

27.

 

नरसिंहपुर

 

59.00

 

3.

 

भिण्ड

 

55.00

 

28.

 

छिंदवाड़ा

 

60.00

 

4.

 

ग्वालियर

 

58.00

 

29.

 

बैतूल

 

60.00

 

5.

 

दतिया

 

53.00

 

30.

 

हरदा

 

65.00

 

6.

 

शिवपुरी

 

52.00

 

31.

 

होशंगाबाद

 

62.00

 

7.

 

गुना

 

58.00

 

32.

 

रायसेन

 

59.38

 

8.

 

अशोकनगर

 

61.66

 

33.

 

विदिशा

 

52.00

 

9.

 

सागर

 

65.00

 

34.

 

भोपाल

 

58.00

 

10.

 

टीकमगढ़

 

63.00

 

35.

 

सीहोर

 

60.00

 

11.

 

छतरपुर

 

61.00

 

36.

 

राजगढ़

 

65.00

 

12.

 

दमोह

 

57.87

 

37.

 

शाजापुर

 

75.00

 

13.

 

पन्ना

 

57.41

 

38.

 

देवास

 

62.00

 

14.

 

सतना

 

59.00

 

39.

 

खण्डवा

 

62.00

 

15.

 

रीवा

 

58.00

 

40.

 

बुरहानपुर

 

60.00

 

16.

 

सीधी

 

56.00

 

41.

 

खरगौन

 

60.00

 

17.

 

सिंगरौली

 

52.00

 

42.

 

बड़वानी

 

65.00

 

18.

 

शहडोल

 

50.00

 

43.

 

अलीराजपुर

 

65.00

 

19.

 

अनूपपुर

 

58.00

 

44.

 

झाबुआ

 

60.00

 

20.

 

उमरिया

 

65.00

 

45.

 

धार

 

68.00

 

21.

 

कटनी

 

54.00

 

46.

 

इन्दौर

 

60.00

 

22.

 

जबलपुर

 

58.00

 

47.

 

उज्जैन

 

63.00

 

23.

 

डिण्डोरी

 

50.00

 

48.

 

रतलाम

 

68.00

 

24.

 

मण्डला

 

67.00

 

49.

 

मंदसौर

 

66.00

 

25.

 

बालाघाट

 

64.00

 

50.

 

नीमच

 

65.00

 

कुल मतदान प्रतिशत

 

60.09