शनिवार, 17 नवंबर 2007

आने वालों से ज्‍यादा खिसकने वाले बी.एस.एन.एल. की जोरदार उपलब्धि

आने वालों से ज्‍यादा खिसकने वाले बी.एस.एन.एल. की जोरदार उपलब्धि

बी.एस.एन.एल. भ्रष्‍टाचार में आकण्‍ठ डूबा, कमर्चारीयों ने छेड़ी जंग

मुरैना बी.एस.एन.एल. में करोड़ों का बन्‍दर बांट, अधिकारी कर्मचारी आमने सामने

भ्रष्‍टाचार उजागर हुआ तो खिसियाये बी.एस.एन.एल. ने ग्‍वालियर टाइम्‍स का इण्‍टरनेट बन्‍द किया

किस्‍सा ए बी.एस.एन.एल.भ्रष्‍टाचार बनाम अंधेरगर्दी विद गुण्‍डागर्दी

किश्‍तबद्ध रिपोर्ताज भाग- 2

 

 

मुरैना 18 नवम्‍बर 2007 । बी.एस.एन.एल. मुरैना में ईजाद व विकसित भ्रष्‍टाचार के एक नये व अदभुत फार्मूले से आपका परिचय इस रिपोर्ताज के दूसरे भाग में आपसे करा रहे हैं । जरा बानगी देखिये और दांतो तले ऊंगली भले ही न दबायें लेकिन वाह तो बोल ही दीजिये ।

देश ने पिछले कुछ सालों में वाकई तरक्‍की की है कोई शक नहीं । दयानिधि मारन जब संचार मंत्री थे तो सरकार थोड़ा टाइट काम भी करती थी और गड़बड़ी की शिकायत शिकवा होने पर दिल्‍ली से एक पेचकस प्‍लायर्स उठता था और बिगड़ी मशीनरी के नट बोल्‍टों की खबर लेना शुरू कर देता था, मगर अब वो बात नहीं रही, वे नाम के भले ही राजा हों मगर हमारे एरिया के सबसे ज्‍यादा गये बीते नेता (नाम लिखना बेवजह होगी ) से भी ज्‍यादा गये बीते हैं, ऐसा इण्‍टरनेट पर कई बार कई भाई बन्‍धु पहले ही लिख चुके हैं सो हम क्‍यों रिपीट करें ।

हॉं तो भ्रष्‍टाचार संचार निगम अनलिमिटेड यानि बी.एस.एन.एल. इलाके की प्रायवेट कम्‍पनीयों पर कुछ इस कदर मेहरबां हुआ कि उसने सबस्‍क्राइबर्स यानि कस्‍टमर्स यानि माननीय सम्‍मानीय ग्राहक गण को 70 प्रतिशत की एक बड़ी संख्‍या में अन्‍य कम्‍पनीयों को थाली में परोस कर बाइज्‍जत उन्‍हें परोस कर सौंप दिया । यह डिटेल्‍स काफी मजेदार हैं आप दांतो तले वाकई ऊंगली दबा लेंगे आप पढ़ते जाइये हम बताते जाते हैं, अगली किश्‍तों में अपने आप खुलेंगे सारे राज ।  

यूं तो तरक्‍की दिखाने के कई तरीके होते हैं, मसलन ग्राफ चार्ट, बार चार्ट, रैखिक चार्ट वगैरह वगैरह , मगर बी.एस.एन.एल. का अपना एक अनोखा अंदाज है तरक्‍की प्रदर्शन का । ग्‍वालियर टाइम्‍स ने बारीकी से न केवल बी.एस.एन.एल. (मुरैना) की तरक्‍की चार्टों का न केवल अध्‍ययन व अवलोकन बल्कि विशद विश्‍लेषण भी किया । वे बताते हैं कि हर साल कितने नये ग्राहक यानि सबस्‍क्राइबर्स यानि कस्‍टमर्स जुड़े, मगर कभी ये नहीं बताते कि हर साल कितने कस्‍टमर्स यानि सबस्‍क्राइबर्स यानि ग्राहक बी.एस.एन.एल. से किनारा यानि पलायन कर गये, हमारी रिपोर्ट के मुताबिक यह संख्‍या आश्‍चर्यजनक और ज्‍यादा बड़ी है । गणित की भाषा में इसे कुछ यूं लिखेंगें

बी.एस.एन.एल. तरक्‍की गणना = Total Subscribers in existence + New Subscribers Added – Number of Subscribers left the B.S.N.L

 

(Where Researched result found certain & sure observation always – Subscribers added new are always < Subscribers left the B.S.N.L.)

 

Actual & Real Progress of B.S.N.L. (Morena) = 0/ Sannata

 

अब उक्‍त फार्मूले से प्राप्‍त परिणाम 0/ सन्‍नाटा (शून्‍य बटा सन्‍नाटा) ये हे हुजूर असल तरक्‍की बी.एस.एन.एल. की । पिछले दस साल के दौरान सर्वाधिक लोगों ने बी.एस. एन. एल. से पलायन यानि अंग्रेजी में क्विट किया जिसमें अत्‍यधिक व सर्वाच्‍च मान वर्ष 2003 से 2007 तक हैं ।

वर्तमान में मुरैना में टेलीफोन कम्‍यूनिकेशन उपभोक्‍ताओं का महज 10 या 20 फीसदी हिस्‍सा मात्र बी.एस.एन.एल. के पास शेष बचा है यह खासा अनुमान है । बाकी 80या 90 फीसदी ग्राहक में बहुत बड़ा हिस्‍सा उनका है जो बी.एस.एन.एल. से पिण्‍ड छुड़ा कर भागे ।

यह आंकड़े केवल मोबाइल क्रान्ति के कारण और मोबाइल संचार में अन्‍य कम्‍पनीयों के आने से पैदा हुये हों ऐसा नहीं है । बल्कि साधारण लैण्‍ड लाइन टेलीफोन से लेकर डायलअप इण्‍टरनेट एक्‍सेस और ब्राडबैण्‍ड इण्‍टरनेट तक यही हालात हैं । बल्कि यह अनुपात कहीं ज्‍यादा ही है ।

मोनोपॉली और अन्‍धाधुन्‍ध सरकारी इमदाद के जरिये भले ही कुछ क्षेत्रों में अभी अन्‍य कम्‍पनीयां बी.एस.एन.एल. के मानिन्‍द सेवायें उपलब्‍ध न करवा पा रहीं हों लेकिन यह तय है कि यदि बी.एस.एन.एल. के लिये खुली स्‍पर्धा जिस दिन भी छिड़ेगी या जब भी छिड़ेगी बी.एस.एन.एल. की बंटाढार तय है और म.प्र. राज्‍य परिवहन निगम का आज जो हश्र हुआ है, शायद उससे भी बुरा हश्र बी.एस.एन.एल. का होना तय है, और भविष्‍य के लिये यदि इसक सही व उपयुक्‍त नाम पुकारा जायेगा तो इसे '' बंटाढार संचार निगम'' कहना या पुकारना ज्‍यादा माकूल होगा ।

आप बी.एस.एन.एल. की मार्केटिंग व सर्विंसिंग की तो बात छोडि़ये वह फटेहालिया फटीचर सेवायें तो किसी से छिपी नहीं हैं लेकिन व्‍यावहारिक बर्ताव सम्‍मानीय ग्राहकों के साथ देखिये तो कहीं से नहीं लगता कि वे विक्रेता है और सेवा व्‍यवसाय कर रहे हैं और आप ग्राहक हैं, बल्कि अंग्रेजी राज का वो जमाना याद आ जायेगा जब अफसर अधिकारी रूतबा झाड़ते हुये जनता यानि पब्लिक को कीड़े मकोड़े के मानिन्‍द हेय और नीची नजर से देखता था और तब बदसलूकी व रूतबा बोध कराना आम रिवाज हुआ करता था ।

मुझे याद है कि वर्ष 2004 में इण्‍टरनेट पर जब बी.एस.एन.एल. की वेब साइट पर अनलिमिटेड इण्‍टरनेट का प्‍लान 399 जम कर न केवल प्रचारित किया जा रहा था बल्कि इस प्‍लान के लिये उपभोक्‍ता ढूढ़ने की खासी मशक्‍कत बी.एस.एन.एल. कर रहा था ।

    

 

क्रमश: जारी अगले अंक में .........

 

कोई टिप्पणी नहीं: