बदलाव की लहर : स्वतंत्र बिजली निर्माताओं के लिए नवीन एवं अक्षय ऊर्जा मंत्रालय की ओर से प्रोत्साहन
-प्रभावती आकाशी
लेखिका निदेशक (एम एवं सी), पसूका (प्रेस इन्फारमेशन ब्यूरो, भारत सरकार ), दिल्ली हैं
दुनियाभर में पवन का इस्तेमाल ऊर्जा के लिए सदियों से किया जा रहा है । भारत में भी, लाखों घरों और आजीविका संबंधी गतिविधियों के लिए वायु से बिजली पैदा करने की असीम क्षमता है । पवन ऊर्जा तेजी से बढता अक्षय ऊर्जा स्रोत है जो कुल संस्थापित अक्षय ऊर्जा उत्पादन क्षमता के 70 प्रतिशत से अधिक है । अब तक करीब 11,000 मेगावाट की संचयी क्षमता स्थापित की जा चुकी है तथा 11वीं पंचवर्षीय योजना के लिए 14,000 मेगावाट में से अक्षय ऊर्जा के लिए 10,500 मेगावाट का लक्ष्य निर्धारित किया गया है ।
प्रोत्साहन
मंत्रालय व्यावसायिक पवन बिजली परियोजनाओं को अनेक वित्तीय प्रोत्साहनों के जरिए 1993-94 से बढावा दे रहा है जिनमें त्वरित मूल्यह्रास शामिल है । पवन बिजली क्षेत्र के विकास के लिये मूल्य मुख्य प्रेरकबल और वास्तविक प्रोत्साहन 80 प्रतिशत त्वरित मूल्यह्रास का प्रावधान किया गया है तथा कई अन्य क्षेत्रों के लिए छूट या प्रोत्साहन भी उपलब्ध है । इस प्रावधान से लाभ कमाने वाली बड़ी कंपनियां, छोटे निवेशक और विमोहित उपयोक्ता क्षेत्र में भागीदारी करने में समर्थ हुए हैं। तथापि, स्वतंत्र बिजली निर्माता और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश त्वरित मुल्यह्रास प्रावधान का फायदा उठाने में समर्थ नहीं थे । निवेशक आधार बढाने के लिए नवीन एवं अक्षय ऊर्जा मंत्रालय ने 62,00 लाख रूपए प्रति मेगावाट के विषयाधीन पवन बिजली परियोजनाओं से ग्रिड में 50 पैसे प्रति यूनिट बिजली के निर्माण आधारित प्रोत्साहन के लिए स्कीम की घोषणा की है ।
इस स्कीम का उद्देश्य पवन ऊर्जा क्षेत्र में निवेश आकर्षित करना और ग्रिड इंटरएक्टिव अक्षय ऊर्जा की मात्रा बढाना है ।
पवन बिजली परियोजनाओं के लिए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन नीति ढांचा
· परस्पर विशिष्ट ढंग में त्वरित मूल्यह्रास सहित मौजूदा वित्तीय प्रोत्साहन के समानान्तर उत्पादन आधारित प्रोत्साहन लागू करना ।
· कंपनियां त्वरित मूल्यह्रास या उत्पादन आधारित प्रोत्साहन में से एक ही ले सकती हैं दोनों नहीं ।
· उत्पादन आधारित प्रोत्साहन स्कीम 11वीं योजना की बाकी अवधि के दौरान 4000 मेगावाट की अधिकतम सीमा क्षमता के लिए लागू होगी ।
· उत्पादन आधारित प्रोत्साहन के समानान्तर त्वरित मूल्यह्रास का प्रावधान 11वीं योजना अवधि तक या प्रत्यक्ष कर संहिता शुरू होने तक (जो भी पहले हो) जारी रहेगा ।
स्कीम की मुख्य विशेषताएं
· प्रोत्साहन ऋ रूपये 62 लाख प्रतिमेगावाट की सीमा के साथ रूपये 0.50 प्रति इकाई ।
· अवधि-4 वर्ष से कम नहीं और 10 वर्ष से अधिक नहीं ।
· मंत्रालय की ओर से उत्पादन आधारित प्रोत्साहन स्कीम की अधिसूचना के बाद पवन टरबाइन 31.03.1012 को या उससे पहले चालू ।
· अधिसूचना के बाद सभी पवन टरबाइनपरियोजनाएं पंजीकृत की जानी हैं ।
· प्रोत्साहन राज्य विद्युत विनियामक आयोग से अनुमोदित शुल्क के अतिरिक्त होता है।
· ग्रिड के लिए बिजली की उपलब्धता बढाने के लिए प्रोत्साहन दिया जाता है तथा एसईआरसी के जरिए शुल्क निर्धारित करते समय इस पर विचार नहीं किया जाएगा ।
स्कीम के कार्यान्वयन के लिए भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी
भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी उत्पादन आधारित प्रोत्साहन स्कीम को कायान्वित करेगी । प्रशुल्क वितरण के उद्देश्य से बिजली उत्पादन के डाटा संग्रह के लिए विभिन्न राज्य जनोपयोगी सुविधाओं में अपनाई जाने वाली मौजूदा प्रणाली को उत्पादन आधारित प्रोत्साहन के वितरण के आधार पर अतिरिक्त सुरक्षा उपायों के साथ पालन किया जाएगा । भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी उत्पादन आधारित प्रोत्साहन के साथ-साथ त्वरित मूल्यह्रास के लिए उपयोगी सभी पवन टरबाइनों का व्यापक डाटाबेस बनाएगी । सभी पवन टरबाइनों की पंजीकरण प्रक्रिया पूरी की जाएगी जो उक्त प्रोत्साहन के लिए दावा करने हेतु अनिवार्य जरूरत होगी । उत्पादन आधारित प्रोत्साहन और त्वरित मूल्यह्रास दोनों तरह की परियाजनाओं के लिए पंजीकरण जरूरी है जो परियोजना वार किया जाएगा । प्रत्येक मशीन के लिए विशिष्ट पहचान संख्या होगी ।
स्कीम के लिए कौन योग्य है ?
· ऐसे उत्पादक जो त्वरित मूल्यह्रास का लाभ नहीं लेते हैं ।
· एसईआरसी प्रशुल्क पर ग्रिड के लिए बिजली की बिक्री के लिए स्थापित पवन बिजली परियोजनाओं से जुड़ी ग्रिड ।
· विमोहित पवन बिजली परियोजनाएं ।
कौन योग्य नहीं है ?
· तीसरे पक्ष को बिजली बेचने वाली परियोजनाएं
उत्पादन आधारित प्रोत्साहन के लिए दावा छमाही आधार (अप्रैल-सितंबर और अक्तूबर-मार्च) पर जारी किया जा सकता है । आयकर विवरणी दाखिल करने के बाद पहला दावा अगस्त-सितम्बर, 2010 तक जारी होने की संभावना है ।
11वीं योजना के अंतिम वर्ष के दौरान स्कीम का मूल्यांकन किया जाएगा । अगर स्कीम को उम्मीद से अधिक समर्थन मिला तो इसकी सीमा बढाने पर विचार किया जाएगा ।
11वीं योजना की बाकी अवधि के दौरान उत्पादन आधारित प्रोत्साहन के जरिए 4000 मेगावाट की क्षमता प्राप्त होने का अंदाजा है, इसलिए यह उम्मीद है कि उत्पादन आधारित प्रोत्साहन स्कीम देश में पवन बिजली विकास को नई बुलंदी तक ले जाएगी ।
केन्द्रीय नवीन एवं अक्षय ऊर्जा मंत्री डा0 फारूख अब्दुल्ला ने ठीक ही अवलोकन किया है कि भारत में क्षमता, तकनीकी सहायता सुविधाएं, नीति ढांचा तथा विनियामक माहौल, निर्माण आधार में तेजी तथा निवेशकों के भरोसे संबंधी दशाएं विशेष रूप से पवन ऊर्जा क्षेत्र में, अक्षय ऊर्जा में त्वरित वृध्दि के अनुकूल हैं । डा0 अब्दुल्ला को यह उम्मीद भी है कि भारत की सामान्य वायु प्रणाली के लिए उपयुक्त बेहतरीन और प्रभावी पवन टरबाइनों की उपलब्धता और बिजली के लिए बुनियादी ढांचे में वृध्दि से देश की पवन ऊर्जा क्षमता वर्तमान अनुमान के अनुसार 45000 मेगावाट से अधिक हो जाएगी ।
अपनी ऊर्जा सुरक्षा बढाने तथा अपने पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ देश की बढती ऊर्जा मांग को पूरा करने में मदद के लिए बिजली पैदा करने के वास्ते इस प्रचुर घरेलू संसाधन से फायदा उठाने का यह उपयुक्त समय है ।
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# निदेशक (एम एवं सी), पसूका, दिल्ली ।