रविवार, 11 अक्टूबर 2009

उपभोक्ता फोरम में शिकायत की तो फर्जी बिजली चोरी का केस बना डाला, बिजली अधिकारीयों के खिलाफ जालसाजी का आपराधिक प्रकरण दर्ज

उपभोक्ता फोरम में शिकायत की तो फर्जी बिजली चोरी का केस बना डाला, बिजली अधिकारीयों के खिलाफ जालसाजी का आपराधिक प्रकरण दर्ज

नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनन्द''

मुरैना 10 अक्टूबर 09, बिजली देने को नहीं और बिल आसमान से टपक कर तीन गुने और चार गुने आते किस्से तो मुरैना में रोजाना ही सैकड़ों सुनने को मिलते हैं, बिजली नहीं मिलने की शिकायत करने वालों पर पुलिस में एफ.आई.आर. दर्ज करा कर जनता की शिकायती आवाज दबा कर बोलती बन्द कराना यह किस्से भी सैकड़ों मुरैना में सुनते आये हैं ! चलो एक आम बात है सरकार की दादा गिरी है, जनता गरीब की लुगाई है सो सरकारी भौजाई है चाहे जैसे मसलो, कुचलो, कूटो पीटो !

हर चीज की इन्तिहा होती है, असली ट्रान्सफार्मर मोहल्लों से उखाड़ कर कारखानों को बेच दिये, चोरी के राजस्थानी और चम्बल के ग्रामीण क्षेत्रों से चुराये ट्रान्सफार्मरों पर रंग रोगन कर बिजली वालों को मोहल्लों में खपाते भी सैकड़ो बार हमने देखा, मरे मराये ट्रान्सफार्मरों को भी संघर्ष करते और बार बार दम तोड़ते तथा उनकी मरम्मत के नाम पर सैकड़ों फर्जी बिल बनते देखे हैं ! बिजली वालों को लोड चेकिंग के नाम पर जनता को हड़काते भी देखा, सब कुछ देखा पर अंत तो रावण का भी हुआ कंस का भी और दुर्योधन का भी आखिर महिषासुर का भी !

आखिर वक्त उनका भी आ गया और वे शहर के एक वरिष्ठ अभिभाषक से पंगा ले बैठे ! वकील साहब ईमानदारी से बिजली कनेक्शन लेकर ईमानदारी से बिल भुगतान करने वाले आदमी थे, लेकिन अपनी लपक पड़ी हुयी बुरी आदत के चलते बिजली वाले उनसे भी रिश्वत मांग बैठे, गोया तुर्रा ये कि वकील साहब के बिजली कनेक्शन के साथ न्यूट्रल वायर देना बिजली कम्पनी वालों को रास नहीं आया, अब देखें बिजली का कैसे उपयोग करेंगें वकील साहब ! बेचारे वकील साहब ने सैकड़ों हजारों अनुनय विनय बिजली साहबों से लिखित और मौखिक कर डालीं पर ससुरा मेरा टेसू झईं अड़ा, खाने को मांगे दही बड़ा, वाली तर्ज पर 5000 रू. ठोक के रिश्वत मांगते रहे पठठे बिजली वाले, नही तो न्यूट्रल नहीं देंगें ! वकील साहब को इस दरम्यान बिजली के बिल भी मिलते रहे, और भुगतान भी होते रहे ! आखिर कार वकील साहब ने अपनी शिकायत मुरैना जिला उपभोक्ता फोरम में करके न्यूट्रल वायर दिये जाने की गुजारिश की !

जैसे ही उपभोक्ता फोरम का नोटिस बिजली वालों को मिला बिजली वालों की भवें रावण की तरह वक्राकार और ऑंखें रेड रोजी हो गयीं, बिजली वालों ने अपने वकील साहब को लम्बी चोड़ी मलाई चटाई (काफी समय से चटा रहे हैं) और पूछा हे प्रभु लालबुझक्कड़ जे साला उपभोक्ता तो वकील है और टेंशन कर रिया है, जाको का इलाज है, बिजली वालों के वकील साहब बोले लेओ कर लेओ बात, लाल बुझक्कड़ बुझ के फिर न बूझो कोय, लोड चेक के नाम पे चोरी केस कर देयो !

बिजली वाले लपक के गये, भूल गये कि मामला पहले से अदालत में है और चलती सुनवाई में किसी साक्ष्य को छेड़ना या बिगाड़ना या खत्म करना अपराध होवे है , ससुरी अदालत और कानून की ऐसी तैसी करके खेंच के एक अंग्रेजी की बोतल में फर्जी पंचनामा तैयार कर डाला और पंचनामा जो विद्युत अधिनियम की किसी एक धारा (126/135/138) में बनाना था ससुरा तीनों धाराओं में एक साथ ठोक दिया, अपनी टेबल पर बैठे पंचनामा तैयार करने का मजा ही कुछ और होता है, हालांकि अधिनियम के मुताबिक उपभोक्ता को आपत्ति करने के लिये 7 दिन का समय भी देना पड़ता है और सक्षम उच्च अधिकारी के यहाँ यह आपत्ति उपभोक्ता द्वारा करनी होती है , इस मामले में करिश्मा यह किया गया कि उपभोक्ता को कानों कान खबर न हुयी और उसके खिलाफ पंचनामा बना कर बिजली चोरी का मामला बनाने का पूर्व नियोजित षडयंत्र वकील साहब बिजली वाले की टेबल पर बैठ कर रच लिया गया तथा बिजली घर की टेबल पर इसे अंजाम भी दे दिया गया !

बिजली वाले वकील साहब और बिजली वाले अफसर बस जरा सी चूक यह कर गये कि उपभोक्ता के उपकरणों के नाम गलत लिख गये और उनकी वाटेज खपत भी गलत लिख गये, हालांकि विद्युत अधिनियम में उपकरण के नाम के साथ उसकी वाटेज खपत की सारणी दी हुयी है , पर नशा तो नशा है चाहे पद में मगरूर अफसरी का हो या बोतल का या किसी हसीना के मोहपाश में फंसे किसी दिलफेंक का ! पूरे 28 हजार 500 रूपया का चोरी का केस वकील साहब पर ठोक दिया और पंचनामे में लिख दिया कि वकील साहब ने दस्तखत करने से इंकार किया प्रतिरोध के कारण जप्ती नहीं हो सकी ! इंजीनियर साहब को वकील साहब ने अपने प्रीमाइसेज में घुस जाने दिया और वहाँ के बर्तन भांड़े भी दिखा डाले लेकिन फिर भी प्रतिरोध किया कागज पर दस्तखत से इंकार किया है न मजे की बात, यानि दो विरोधाभासी बातें जो कानून में कभी एक साथ नहीं होतीं पर इंजीनियर साहब ने कर डालीं यानि पूरा घर बेहिचक टटोल आये उसका प्रतिरोध वकील साहब ने नहीं किया पर फिर भी वकील साहब ने प्रतिरोध किया ! जबकि सच यह था कि वकील साहब वहाँ पिछले कई साल से रहते ही नहीं थे और यह प्रीमाइसेज कई सालों से किसी अन्य पर किराये पर था और म.प्र. सरकार इस प्रीमाइसेज का हर साल निरीक्षण करके बाकायदा मौका मुआयना करके एक रिपोर्ट जारी करती चली आ रही है वह भी बाकायदा सरकारी कागज पर सील सिक्के लगा कर ! यानि प्रीमाइसेज वकील साहब पर नहीं बल्कि किसी और पर था ! फिर भी केस वकील साहब पर ही ठोक दिया कसूर यह था कि कई साल पहले वकील साहब वहाँ रहते थे ! यह भी मजे की बात रही कि 5000 रू तक के मामलों की सुनवाई मुरैना में ही वरिष्ठ अधिकारी कर सकते हैं लेकिन उससे ऊपर के यानि 28 हजार का मामला कानून के मुताबिक ई.डी./चीफ इंजीनियर साहब ही सुन सकते हैं लेकिन फर्जी पंचनामा बनाते बनाते इंजीनियर बिजली जूनियर इंजीनियर ने सभी वरिष्ठ अधिकारीयों को ठेंगा दिखाते हुये स्वयं पंचनामा बनाने वाले जूनियर इंजीनियर ने खुद के यहाँ ही सुनवाई की तारीख ल्रगा कर ठोक के जालसाजी और कूटरचना कर डाली ! इसमें एक पूर्व कार्यपालन यंत्री भी शामिल था !

वकील साहब द्वारा उपभोक्ता फोरम में चल रही सुनवाई में इसे सबसे पहले जालसाज इंजीनियरों ने वकील साहब को चोर बताते हुये उनका प्रकरण खारिज कराने के लिये कूटरचित प्रतिवेदन और जालसाजी से तैयार दस्तावेजों का उपयोग किया किन्तु उपभोक्ता फोरम में यह फर्जीवाड़ा उनके काम नहीं आ सका उपभोक्ता फोरम ने वकील साहब को तुरन्त न्यूट्रल वायर दिये जाने और उपभोक्ता अदालत में मामला आने के बाद चोरी का केस बनाये जाने से फर्जीवाड़ियों के मंसूबे नाकामयाब कर दिये ! उपभोक्ता फोरम में जवाब देने से पूर्व जालसाजों और कूटरचियों ने अपना केस और जवाबदावा पुख्ता बनाने के लिये वकील साहब के खिलाफ इस्तगासा लगा कर सेशन कोर्ट में केस भी चालू करा दिया था ! यानि दो दो बार दो अदालतों में जाली कूटरचित दस्तावेज ठोक के इस्तेमाल किये गये ! सेशन अदालत ने भी जाली व कूटरचित दस्तावेजों की जाँच कराने, विद्युत अधिनियम के प्रावधानों का पूर्णत: पालन हुये बगैर बिना पूर्व परीक्षण न केवल केस को अदालत में पंजीकृत कर लिया बल्कि बिना किसी कार्यवाही के बिना इस्तगासा की अवाश्यकतानुसार गवाही बयान या परीक्षण के सीधे उपभोक्ता पर चार्ज फ्रेम कर डाले एवज में जज साहब को दो लाख रूपये का अप्रत्यक्ष लाभ जिसमें नकदी 30 हजार रू. शामिल है का लाभ फर्जीवाड़ियों ने पहुँचा दिया और जज साहब अंधे होकर कानून की मंशा और चाल से सर्वथा परे सुनवाई में तथा हर तारीख पर उपभोक्ता को हृास कर निरूत्साहित व गरियाने में लगे रहे !

मामला अंतत: मेरे पास आया और लगभग पूरे 60 दिन की दिन रात की इन्वेस्टीगेशन से मैं खुद भौंचक्का रह गया और इस प्रकार का मामला जिसमें इंजीनियर, सरकार, और अदालत सभी शामिल हैं के बारे में आये निषकर्षों व साक्ष्यों ने मेरे रोंगटे खड़े कर दिये ! जैसे जैसे इन्वेस्टीगेशन आगे बढ़ा और भी कई हैरत अंगेज राज खुलते चले गये हालांकि अन्य केसों को मैंने अपनी इन्वेस्टीगेशन में शामिल नहीं किया लेकिन जो राज सामने आये वे इतने खतरनाक हैं कि मुरैना में भारी गड़बड़ी की ओर सीधा संकेत देते हैं और यह गड़बड़ वकील, पुलिस और अदालतों तक अपनी जड़ें पेवस्त किये हुये है, जिसका खुलासा फिर आगे कभी करूंगा लेकिन हमारे देश व लोकतंत्र के बदनुमा दाग हमारे आस पास ही हैं और घुन की तरह देश को खोखला बनाने में जुटे हैं !

पुलिस का कानून पालन - कानून की ऐसी तैसी

इस मामले में अपनी इन्वेस्टीगेशन प्रक्रिया पूरी होने के बाद मैंनें फरियादी वकील साहब को तत्काल कानूनी कार्यवाही करने की सलाह दी और वकील साहब ने मेरी सलाह के मुताबिक एक एफ.आई.आर. सिविल लाइन्स पुलिस थाने को 24 सितम्बर को दी थाने द्वारा इसकी पावती भी वकील साहब को दी गयी लेकिन दूसरे दिन दोबारा थाने बुलाया गया, वकील साहब साथ में मुझे भी ले गये मैंने पूरे केस को पुलिस के सामने तड़ातड़ एक्सप्लेन और प्रूव भी कर दिया , लेकिन मेरे सामने ही पुलिस पुलिस न रही और अदालत बन गयी (किस केस को दर्ज करना है किसको नहीं यह पुलिस की मर्जी है, दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा में पुलिस को केस दर्ज करने हेतु चयन का अधिकार नहीं है) मगर पुलिस केस का चयन करती है कि केस रजिस्टर करना है कि नहीं, मैंने अंग्रेजो की जमाने की पुलिस सन 2009 में मुरैना में देखी हालांकि आगे की कानूनी प्रक्रिया भी मैंनें चेक करवाने के लिये दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 154 (3) के तहत पंजीकृत डाक द्वारा 26 सितम्बर को मुरैना पुलिस अधीक्षक को भिजवाया मगर हैरत अंगेज रूप से वहाँ भी दण्ड प्रक्रिया संहिता की यह धारा कचरे की टोकरी में फेंक दी गयी, यानि सौ बातों की एक बात नो कानून, नो पालन, मनमर्जी मुताबिक मुरैला पुलिस खुद ही अदालत बन कर फैसला करती है कि किस केस का क्या करना है ! जबकि माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने इस सम्बन्ध में कई सख्त रूलिंग दी हैं मगर उसकी रूलिंग मुरैना आकर निष्प्रभावी हो जातीं हैं !

अंतत: यह प्रकरण 8 अक्टूबर को म.प्र. पुलिस महानिदेशक एस.के. राउत के यहाँ इण्टरनेट के जरिये क्रमांक Morena/1615/2009 पर पंजीबध्द किया गया ! अब देखते हैं इसमें आगे क्या होता है, फिलहाल इस प्रकरण का काफी हिस्सा लम्बे चौड़े आर्थिक अपराध , भ्रष्टाचार, अनुपात हीन संपत्ति, गबन और रिश्वत तथा उच्च अधिकारीयों व पुलिस एवं न्यायालय से जुड़ा होने के कारण आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो म.प्र. तथा सी.बी.आई की ओर भी जा रहा है, देखते हैं वहाँ भी क्या होता है तथा फरियादी वकील साहब म.प्र. उच्च न्यायालय में इसे दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 482 में भी ग्वालियर में प्रस्तुत करने जा रहे हैं देखते हैं उच्च न्यायालय इस सम्बन्ध में क्या आदेश जारी करते हैं !

फरियादी द्वारा प्रस्तुत प्रथम सूचना रिपोर्ट नीचे यथावत प्रस्तुत है जो कि सिविल लाइन थाना मुरैना में 24 सितम्बर को तथा 26 सितम्बर को एस.पी. मुरैना को भेजी गयी किन्तु कायम नहीं होने पर पुलिस महानिदेशक के यहाँ दर्ज कराई गयी !           

 

प्रति,

     श्रीमान थाना प्रभारी महोदय,

      थाना सिविल लाइन्स मुरैना

 

विषय :- अधोवर्णित आरोपीगण के विरूध्द जालसाजी, कूटरचना, भ्रष्टाचार, अनुपातहीन संपत्ति अर्जित करने, पद का दुरूपयोग कर धमका कर अवैध धन वसूलने हेतु बाध्य करने, फर्जी व कूटरचित दस्तावेज रचने, मिथ्या साक्ष्य गढ़ने एवं उसका उपयोग तथा न्यायालयों व न्यायायिक प्रक्रम में उपयोग कर प्रार्थी को क्षति पहुँचाने के मामलों में आरोपीयों को कठोर दण्ड दिलाये जाने हेतु अपराध पंजीबध्द कर कार्यवाही करने बावत् !

 

महोदय,

         विषयान्तर्गत प्रार्थी की प्रथम सूचना रिपोर्ट निम्न प्रकार है -

फरियादी आवेदक का विवरण -

1-                     नाम - पदम चन्द गुप्ता एडवोकेट

2-                    उम्र -  59 वर्ष

3-                    पता- पदम चन्द गुप्ता एडवोकेट, पुत्र श्री नत्थी लाल गुप्ता, शिवा धर्म कांटा, गाँधी कुआ के पास, ए.बी.रोड ग्वालियर साइड मुरैना हाल- राठी काम्पलेक्स, एम.एस. रोड मुरैना

आरोपीगण का विवरण -

1-                      भागीरथ प्रसाद गोयल, आयु 39 वर्ष लगभग, पुत्र अमरलाल गोयल निवासी कैलारस जिला मुरैना हाल निवासी - भवन क्रमांक- HIG-I/ 892 हाउसिंग बोर्ड कालोनी (जौरा खुर्द) मुरैना, एवं पदस्थ जूनियर इंजीनियर, मध्यक्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी लिमिटेड मुरैना ! 

2-                     महेन्द्र भास्कर, लाइन हैल्पर, मध्यक्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी लिमिटेड मुरैना !

3-                     आर.के.एस.राठौर, पूर्व कार्यपालन यंत्री, मध्यक्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी लिमिटेड मुरैना !  

4-                     जण्डैल सिंह, लाइन हैल्पर, मध्यक्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी लिमिटेड मुरैना ! 

5-                     श्रीमती ममता गोयल पत्नी भागीरथ प्रसाद गोयल, आयु 37 वर्ष लगभग, निवासी कैलारस जिला मुरैना हाल निवासी - भवन क्रमांक- HIG-I/ 892 हाउसिंग बोर्ड कालोनी (जौरा खुर्द) मुरैना

 

अपराध एवं घटना का विवरण -

1-                        प्रार्थी फरियादी शहर मुरैना के प्रतिष्ठित परिवार से संबध्द होकर, शांतिप्रिय, स्वच्छ छवि का नागरिक प्रतिष्ठित एडवोकेट एवं जिला अभिभाषक संघ मुरैना का पूर्व सचिव है, आरोपीगण द्वारा प्रार्थी का उत्पीड़न किये जाने, अवैध धन वसूली के लिये धमकाने, बाध्य करने तथा विद्वेष पूर्वक प्रताड़ित एवं अपमानित किये जाने, फर्जी व कूट रचित कार्यवाहियाँ कर प्रार्थी की छवि को नुकसान पहुँचा कर मिथ्या कूटरचित, फर्जी एवं मनगढ़न्त साक्ष्यो व दस्तावेजों के आधार पर न्यायालयीन मुकदमे बाजी में फंसा कर बदनाम करने, प्रार्थी द्वारा पूर्व से संचालित व संस्थित आरोपीगण के विरूध्द न्यायालयीन प्रकरण को प्रभावित कर प्रार्थी के प्रकरण को हानि पहुँचा कर न्यायालय की राय बदलने हेतु मिथ्या साक्ष्य रच कर उसका न्यायालय में उपयोग कर प्रार्थी को न्याय प्राप्ति से वंचित करने व ख्याति की अपहानि कर अवैध धन वसूली हेतु मजबूर करने, आरोपीगण द्वारा भ्रष्टाचार कर अनुपातहीन अवैध संपत्ति अर्जित कर शासन की छवि खराब कर आम नागरिकों का शोषण एवं उत्पीड़न कर, ब्लैकमेलिंग कर अनावश्यक एवं अनुचित रूप से पद व कानून का दुरूपयोग कर प्रार्थी का उत्पीड़न, प्रताड़ना, शोषण व ख्याति की अपहानि की गयी है जिसके समस्त दस्तावेजी साक्ष्य संलग्न है !

2-                       प्रार्थी फरियादी द्वारा आरोपीगण के विरूध्द प्रार्थी के वैध विद्युत कनेक्शन क्रमांक 0484403-31-30-00079365 Single Phase- Non Domestic. पर कनेक्शन प्रदाय एवं प्रारंभ दिनांक से ही आरोपीगण एवं इनके अन्य आपराधिक साथी सहयोगियों द्वारा प्रार्थी के कनेक्शन पर न्यूट्रल वायर उपलब्ध न कराये जाने से प्रार्थी विद्युत उपयोग से वंचित रहा जबकि आरोपगण्ा व उनके अन्य आपराधिक सहयोगी साथी भलीभांति जानते थे कि फेज वायर के साथ न्यूट्रल वायर न होने से विद्युत परिपथ नहीं बनता और यह परिपथ पूर्ण बन्द परिपथ नहीं कहलाता एवं उपभोक्ता के लिये अप्रयोज्य (Useless) व अर्थहीन तथा निरूददेश्य होकर व्यर्थ व अप्रयोगी रहता है ! प्रार्थी द्वारा बार बार अनेक बार आरोपीगण व उनके अन्य आपराधिक साथी सहयोगियों से अनुरोध एवं विनय मौखिक तथा लिखित तौर पर की गयी, प्रार्थी ने कई बार आरोपीगण एवं उनके सहयोगियों की सेवा सुश्रूषा आवभगत आर्थिक रूप से व अन्य प्रकार से की किन्तु आरोपीगण द्वारा प्रार्थी से रिश्वत रू. 5000 नकद आरोपी भागीरथ प्रसाद गोयल, जण्डैल सिंह एवं महेन्द्र भास्कर द्वारा मांगे जाते रहे और धमकाया जाता रहा कि अगर पैसे नहीं दोगे तो न न्यूट्रल वायर दिया जायेगा न बिजली उपयोग कर पाओगे ! साथ ही आरोपीगण व इनके अन्य आपराधिक सहयोगी साथियों द्वारा प्रार्थी फरियादी को निरन्तर विद्युत बिल दिये जाते रहे और प्रार्थी से बिना सम्यक व निर्धारित क्षमता बिजली प्रदाय व उपयोग के जबरन डरा धमका और बाध्य कर बिजली बिल वसूले जाते रहे ! अंतत: लम्बे समय तक आरोपीगण द्वारा प्रार्थी को दी गयी पीड़ा, उपेक्षा, प्रताड़ना व शोषण, भ्रष्टाचार, फर्जी कार्यवाहीयों की धमकी, बिना समुचित, सम्यक व निर्धारित बिजली प्रदाय किये जाने, सम्यक पूर्ण बन्द विद्युत परिपथ (Closed Electric Circuit) उपलब्ध कराये बिना जबरन बिल वसूली किये जाने से व्यथित एवं त्रस्त होकर प्रार्थी ने एक शिकायत दिनांक 27 सितम्बर 2008 को न्यायालय जिला उपभोक्ता फोरम के समक्ष प्रस्तुत कर विधिक तौर पर न्याय प्राप्ति हेतु काय्रवाही प्रारंभ की ! न्यायालय जिला उपभोक्ता फोरम मुरैना में प्रार्थी द्वारा संस्थित एवं संचालित कार्यवाही के दरम्यान ही प्रकरण के साक्ष्य नष्ट करने, साक्ष्य विरूपित करने, विलोपित करने के उददेश्य से प्रार्थी द्वारा न्यायालय जिला उपभोक्ता फोरम के समक्ष दायर शिकायत की न्यायायिक कार्यवाही को प्रभावित किया गया और विद्वेषपूर्वक प्रार्थी फरियादी को न्याय एवं पूर्ण न्याय प्राप्ति से वंचित करने हेतु कई फर्जी कार्यवाहीयॉ सम्पादित कर कूटरचित दस्तावेज तैयार कर फर्जी जॉच प्रतिवेदन जालसाजी कर तैयार कर दिया और विद्युत अधिनियम की धारा 126/135/138 के अन्तर्गत संयुक्त धाराओं में कूटरचित कर मिथ्या साक्ष्य रच कर प्रार्थी द्वारा न्यायालय जिला उपभोक्ता फोरम में प्रस्तुत शिकायती वाद को क्षति पहुँचाने, प्रार्थी को न्याय व पूर्ण न्याय प्राप्ति से वंचित करने, न्यायालय को गलत राय कायम करने हेतु प्रेरणार्थ तथा प्रार्थी से बदला लेने, डरा धमका कर कर प्रकरण वापस लेने हेतु बाध्य करने, प्रार्थी को फर्जी मुकदमेबाजी में फंसा कर प्रताड़ित, शोषण व उत्पीड़न, अपमानित कर प्रार्थी की छवि खराब करने के उददेश्य से विद्वेष व शरारत पूर्वक उसका न्यायालय में उपयोग किया ! सभी दस्तावेजी साक्ष्य संलग्न है ! 

3-                       आरोपीगण द्वारा लोगों का डरा धमका कर अपने पद का दुरूपयोग कर ब्लेकमेलिंग व विद्युत अधिनियम व अन्य संगत कानूनों का दोषपूर्ण दुरूपयोग कर अवैध धन ऐंठने, रिश्वत वसूलने भ्रष्टाचार पूर्वक जनता का विद्युत उपभोक्ताओं का शोषण करने व हफ्ता व मासिक अवैध धन किश्त वसूली के आधार पर प्रतिमाह लाखों रूपये की विद्युत चोरी करवा कर विद्युत चोरों से सांठ गांठ कर शासन को राजस्व क्षति पहुँचाने, विद्युत बिल नियमित अदा करने वाले ईमानदार नागरिकों को विद्युत प्रदाय न करने, नियमित विद्युत प्रदाय न करने, उनकी सतत विद्युत आपूर्ति में विघ्न व बाधायें उत्पन्न करने, अनियमित वोल्टेज तथा वोल्टेज फ्लक्च्ुयेशन्स के जरिये ईमानदार विद्युत उपभोक्ताओं के विद्युत उपकरणों को, भवनों को, जान जीवन व संपत्ति को क्षति पहुँचाने को अपना व्यवसाय बना रखा है और इस प्रकार आरोपीगण द्वारा लम्बे समय से अपनी आपराधिक व गैर कानूनी षडयंत्र मण्डली द्वारा षडयंत्र पूर्वक काफी गैर कानूनी संपत्ति व ब्लैक मनी अनुपात हीन रूप से अर्जित की गयी है ! तथा अपात्र एवं तुलनात्मक तौर पर क्रय शक्ति विहीन होकर भी कई अचल संपत्तियों के बयनामे (रजिस्ट्री) तथा बैंक बैलेन्स, एफ.डी., शेयर मार्केट, वायदा व्यापार में स्वयं के तथा आने परिवारीजनों व सम्बन्धियों एवं रिश्तेदारों के नाम से व अज्ञात व नकली नामों से करा कर लगा रखे हैं ! दस्तावेजी साक्ष्य मय भवन क्रमांक HIG-I/ 892 हाउसिंग बोर्ड कालोनी (जौरा खुर्द) मुरैना की रजिस्ट्री क्रमांक 659 दिनांक 28 मई 2008 की रजिस्ट्री की प्रति संलग्न है ! आरोपीगण द्वारा मुरैना के अधीक्षण यंत्री कार्यालय से निकट सटे स्टोर से लाखों रू. के विद्युत उपकरण एवं सामान बाजार में एवं प्रायवेट औद्योगिक व व्यावसायिक उपभोक्ताओं को अवैध रूप से चोरी कर विक्रय कर दिया तथा लाखों रू. विद्युत वितरण कम्पनी के हक से छीनकर अवैध सम्पत्ति अर्जित की, जिस पर मुख्य अभियन्ता द्वारा माह सितम्बर 2009 में औचक जाँच पड़ताल की गयी ! दस्तावेजी साक्ष्य ग्वालियर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र ''स्वदेश'' की सम्बन्धित प्रकाशित समाचार ''मुख्य अभियन्ता ने किया बिजली घर के स्टोर का निरीक्षण'' के मुख्य शीर्षक एवं स्टोर से चोरी की शिकायत होने पर हुआ निरीक्षण तथा एक सुपरवायजर के हवाले है उक्त स्टोर के उपशीर्षको से प्रकाशित इस समाचार पत्र की दिनांक 11 सितम्बर 2009 की प्रति संलग्न है !    

अत: उपरोक्तानुसार प्रथम सूचना रिपोर्ट प्रस्तुत कर श्रीमान से अनुरोध है कि उक्त वर्णित आरोपीगण एवं इनके अन्य आपराधिक साथियों सहभागीयों के विरूध्द आपराधिक प्रकरण दर्ज कर कठोर दण्ड दिलाये जाने हेतु कार्यवाही की जावे ! धन्यवाद !

 

दिनांक 23 सितम्बर 09

 

संलग्न दस्तावेजी साक्ष्य सूची

1-                      जिला उपभोक्ता न्यायालय मुरैना में मुझ फरियादी द्वारा प्रस्तुत शिकायती आवेदन दिनांक 27 सितम्बर 2008 की प्रति !

2-                     बिना मौका पहुँचे, बिना किसी अपेक्षा, बिना सम्यक व उचित आदेश के प्रार्थी के विरूध्द आरोपीगण द्वारा बनाये गये फर्जी पंचनामा (अवैधतत: संयुक्त एक साथ तीन धाराओं 126/ 135/ 138 तहत विद्युत अधिनियम 2003) दिनांक 20 अक्टूबर 2008 की प्रति !

3-                     फर्जी व अवैध तैयार पंचनामा 20 अक्टूबर 2008 का जिला उपभोक्ता न्यायालय में प्रार्थी के प्रकरण को प्रभावित करने व न्यायालय की गलत राय कायमी हेतु न्यायायिक प्रक्रिया में न्यायालय में उपयोग किये जाने सम्बन्धी जवाब उल्लेख की प्रति !

4-                     प्रार्थी स्वयं एवं बीरबल कुशवाह का शपथ पत्र दिनांक 15 दिसम्बर 2008 की प्रतियाँ !

5-                     आरोपीगण द्वारा फर्जी व अवैध तैयार पंचनामा दिनांक 20 अक्टूबर 2008 का प्रार्थी को समस्त क्षतियाँ कारित करने, डराने धमकाने, ब्लैकमेल करने और जिला उपभोक्ता फोरम से प्रकरण वापस लेकर न्याय प्राप्ति से वंचित करने तथा प्रार्थी के विरूध्द विद्युत चोरी का फर्जी प्रकरण बनाकर प्रताड़ित करने हेतु न्यायालय श्रीमान विशेष न्यायालय विद्युत अधिनियम एवं द्वितीय अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश मुरैना के न्यायालय में न्यायायिक प्रक्रिया में उपयोग किया !

6-                     न्यायालय जिला उपभोक्ता फोरम का प्रार्थी आवेदक के समर्थन में पारित आदेश दिनांक 07 जनवरी 2009 !

7-                      पंजीयत विक्रय पत्र क्रमांक 659 भवन क्रमांक HIG-I/ 892 हाउसिंग बोर्ड कालोनी (जौरा खुर्द) मुरैना की रजिस्ट्री क्रमांक 659 दिनांक 28 मई 2008 की रजिस्ट्री की प्रति !

8-                     प्रार्थी आवेदक के यहाँ इन्स्टाल्ड कम्प्यूटिंग इण्टेलीजेण्ट टर्मिनल (इण्डस्ट्रियल टर्मिनल) सिस्टम बॉक्स का निर्माता कम्पनी द्वारा प्रदत्त मैन्युअल और कॉन्फिगरेशन्स तथा फीचर्स प्रपत्र की छाया प्रति जिसमें आरोपीगण द्वारा तैयार फर्जी पंचनामा में लिखित, कूटकृत, कूटगढ़ित व कूटरचित वाटेज खपत 250 वाट, दिनांक 20 अक्टूबर 2008 से सर्वथा भिन्न वॉटेज खपत प्रदर्शित है !

9-                     समाचार पत्र दैनिक भास्कर में शीर्षक ''कालोनी का ट्रांसफार्मर फैक्ट्री में'' प्रकाशन दिनांक 14 मई 2009 की छाया प्रति !

10-                  ग्वालियर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र ''स्वदेश'' की सम्बन्धित प्रकाशित समाचार ''मुख्य अभियन्ता ने किया बिजली घर के स्टोर का निरीक्षण'' के मुख्य शीर्षक एवं स्टोर से चोरी की शिकायत होने पर हुआ निरीक्षण तथा एक सुपरवायजर के हवाले है उक्त स्टोर के उपशीर्षको से प्रकाशित इस समाचार पत्र की दिनांक 11 सितम्बर 2009 की प्रति !

 

दिनांक 23 सितम्बर 2009      

प्रार्थी / फरियादी

पदम चन्द गुप्ता एडवोकेट 

पुत्र श्री नत्थी लाल गुप्ता,

शिवा धर्म कांटा, गाँधी कुआ के पास,

ए.बी.रोड ग्वालियर साइड मुरैना

 हाल- राठी काम्पलेक्स, एम.एस. रोड मुरैना

 

 

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