राम प्रसाद विस्मिल : 18 जून को मनाया जायेगा अमर शहीद रामप्रसाद विस्मिल का जन्म दिन
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है ...
मुरैना 15 जून 2009/ गोली और बोली तथा डकैतों के लिए कुख्यात चम्बल अंचल को अमर शहीद रामप्रसाद विस्मिल की पितृभूमि के नाम से भी जाना जाता है । उनके पितामह नारायण सिंह तोमर मुरैना जिले के ग्राम बरवाई में रहा करते थे । गरीबी से तंग आकर वे ग्राम बरवाई को छोड़कर शाहजहांपुर जाकर बस गये । उनके ज्येष्ठ पुत्र मुरलीधर के यहां क्रांति के अमर सपूत रामप्रसाद का जन्म 18 जून 1897 (ज्येष्ठ शुक्ल 11 सम्बंत 1954 )को हुआ । उनकी मां का नाम मूलमती देवी था । उनके जन्म दिन को यादगार दिवस के रूप में मनाने के लिए 18 जून 2009 को ग्राम बरवाई में भव्य समारोह का आयोजन किया जायेगा ।
अमर शहीद रामप्रसाद विस्मिल के हृदय में परमानंद भाई के प्रभाव में आने पर देश भक्ति के भाव जागृत हुए । लाहौरकांड में परमानंद भाई को फांसी की सजा दी गई । उसी समय रामप्रसाद विस्मिल ने ब्रिटिश राज्य का नाश करने की प्रतिज्ञा ली और चाकू, लाठी, भाला , पिस्तौल आदि चलाना सीखा । उन्होने अपना क्रांति दल बनाया । मैनपुरी षडयंत्र में उनका वारंट जारी हुआ । गिरफ्तारी से बचने के लिए उन्होंने चम्बल के बरवाई में आकर रहना शुरू कर दिया । क्रांति दल ने अंग्रेज राज्य का धन लूटने की योजना बनाई और रामप्रसाद विस्मिल की अगुआई में 9 अगस्त 1925 को काकोरी के पास रेल रोक कर ब्रिटिश सरकार का धन लूट लिया । इससे ब्रिटिस सरकार दहशत खा गई और काफी प्रयासों के बाद क्रांति के अमर सपूत रामप्रसाद विस्मिल को गिरफ्तार करने में सफल हुई । 19 दिसम्बर 1926 को गोरखपुर की जेल में उन्हें फांसी दी गई । मुरैना जिले के ग्राम बरवाई में उनकी याद को चिर स्थाई बनाने के लिए स्मारक बना हुआ है ।
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