सोमवार, 26 जनवरी 2009

कृषि विश्वविद्यालय में तुअर के संकर बीज का प्रथम उत्पादन

कृषि विश्वविद्यालय में तुअर के संकर बीज का प्रथम उत्पादन

ग्वालियर 23 जनवरी 09। दुनिया में पहली बार तैयार किये गये तुअर के प्रथम संकर बीज का उत्पादन कार्यक्रम राजमाता विजयराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर के प्रक्षेत्र पर किया जा रहा है। आई सी पी एल. -2671नामक इस संकर तुअर से किसानों की उपज में 60 प्रतिशत तक वृध्दि हो सकेगी।

       जानकारी देते हुए विश्वविद्यालय के संचालक प्रक्षेत्र डॉ. एच एस. यादव ने बताया कि तुअर में पहली बार संकर बीज का उत्पादन विश्वविख्यात, इक्रीसेट हैदरवाद के द्वारा वर्षों के अनुसंधान के आधार पर करना संभव हुआ है। जीवद्रवीय नरवधन्ता आधारित तकनीक से इसका विकास हुआ है। कुलपति प्रोफेसर विजय सिंह तोमर एवं संचालक अनुसंधान डॉ. एस के. श्रीवास्तव के मार्गदर्शन में इक्रीसेट के सहयोग से कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर के द्वारा बड़े पैमाने पर अपने यहां इसका बीजोत्पादन कार्यक्रम लिया गया है। तुअर के इस नये संकर बीज को बोकर किसान अपनी फसल में 60 प्रतिशत तक की वृध्दि प्राप्त कर सकते हैं। यह संकर किस्म का बीज 180 दिन में पकने वाली है तथा उखटा रोग प्रतिरोधी होने से भी किसानों के लिए उपयोगी हो सकती है। उन्होंने बताया कि प्रक्षेत्र प्रभारी डॉ. सुधांषु जैन की देखरेख में इसके जनक लगाये गये हैं। तथा अप्रेल-मई में किसानों के लिए संकर बीज उपलब्ध होने की संभावना है। कृषि प्रक्षेत्र पर हो रहे इस बीजोत्पादन के लिए कुलपति डॉ. तोमर ने वैज्ञानिकों की सराहना करते हुए आशा व्यक्त की कि तुअर का प्रथम संकर बीज क्षेत्रीय किसानों को विशेष लाभकारी होगा।

 

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