शनिवार, 1 दिसंबर 2007

इण्‍टरनेट पर व्‍यावसायिक संव्‍यवहार पर स्‍टाम्‍प शुल्‍क लगेगा

प्रदेश सरकार बना रही है स्वयं का स्टाम्प विधेयक : सुझाव मांगे जायेंगे

इण्‍टरनेट पर व्‍यावसायिक संव्‍यवहार पर स्‍टाम्‍प शुल्‍क लगेगा

इलेक्ट्रॉनिक लेन-देन विधि सम्मत बनेगा

प्रदेश में इलेक्ट्रॉनिक संव्यवहार को कानूनी रूप देने के लिए राज्य सरकार मध्यप्रदेश स्टेम्प विधेयक 2007 को अंतिम रूप देने जा रही है। इसे आम जनता के लिए प्रकाशित कर सुझाव मांगे जायेंगे। वर्तमान में भारतीय स्टाम्प अधिनियम 1899 प्रदेश में लागू है। परन्तु विगत कुछ वर्षों से यह आवश्यकता महसूस की जा रही है कि बदले हुए परिवेश में वर्तमान अधिनियम के स्थान पर राज्य विशिष्ट अधिनियम बनाया जाये। मौजूदा अधिनियम में हर छोटे-छोटे संशोधन के लिए केन्द्र सरकार से अनुमति प्राप्त करना आवश्यक होता है और इसमें संशोधन में अत्यधिक विलम्ब होता है।

मध्यप्रदेश स्टेम्प विधेयक 2007 को बनाने के लिए गत दिवस वाणिज्यिक कर मंत्री श्री बाबूलाल गौर की अध्यक्षता में गठित केबिनेट उप समिति की बैठक में विधेयक के प्रारूप पर विचार किया। बैठक में उप समिति के सदस्य वित्त मंत्री श्री राघवजी, आवास एवं पर्यावरण तथा उद्योग एवं वाणिज्यिक मंत्री श्री जयन्त मलैया मौजूद थे। लोक निर्माण मंत्री श्री कैलाश विजयवर्गीय भी उक्त उप समिति के सदस्य हैं।

नये विधेयक में इलेक्ट्रानिकली संव्यवहार को स्टाम्प शुल्क के दायरे में लाया जायेगा। साथ ही 100 वर्ष से अधिक पुराने मौजूदा भारतीय स्टाम्प अधिनियम 1899 में शामिल प्रावधानों के बारे में न्यायालयों द्वारा अनेक परस्पर विरोधाभासी निर्णय दिये गये हैं। इन प्रावधानों को प्रस्तावित विधेयक में स्पष्ट किया जायेगा। इसके अलावा शस्ति के प्रावधानों को भी संशोधित किया जायेगा। इसके बन जाने से राज्य के राजस्व में वृध्दि भी हो सकेगी। वर्तमान में मौजूदा अधिनियम में केन्द्र सरकार द्वारा समवर्ती सूची का सहारा लेकर कानून बना दिया जाता है जिससे राज्य के राजस्व पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिए वर्ष 2005 में स्पेशल इकानामिक झोन में निष्पादित होने वाले सभी दस्तावेजों पर तथा वर्ष 2000 में डिबेंचर के अंतरण के दस्तावेजों पर स्टाम्प शुल्क से छूट, राज्य सूची का विषय होने के बावजूद केन्द्र सरकार द्वारा भारतीय स्टाम्प अधिनियम में संशोधन कर दी गई। राज्य विशिष्ट अधिनियम अस्तित्व में आने पर ऐसा संभव नहीं हो सकेगा।

प्रस्तावित विधेयक में हस्तांतरण पत्र की परिभाषा का विस्तार, लिखत की परिभाषा का विस्तार (इलेक्ट्रानिक रिकार्ड) को सम्मिलित किया गया है। इसके फलस्वरूप शेयर ट्रांसफार, डिबेंचर ट्रांसफर पर भी राज्य को स्टाम्प शुल्क मिल सकेगा। पट्टे की परिभाषा का विस्तार कर पट्टे के करारों, न्यायालय की डिक्री तथा कोल बियरिंग एरिया एक्ट के अंतर्गत शासकीय कंपनियों में कोयला खदानों को वेष्ठित करने वाले आदेशों का सम्मिलित किया जायेगा। इसी तरह धारा 3 में स्टाम्प शुल्क इलेक्ट्रॉनिक चुकाये जाने का प्रावधान, खनन पट्टों पर भुगतान की गई वास्तविक रायल्टी पर स्टाम्प शुल्क का निर्धारण, गाईड लाइन मूल्यों को वैघानिकता, कलेक्टर के सभी निर्णयों के पुनरीक्षण की राजस्व मण्डल को शक्ति, डेवलपर से इनवेस्टर द्वारा क्रय किये भवन विक्रय करने पर स्टाम्प शुल्क का समायोजन, पट्टे पर बाजार मूल्य के मान से स्टाम्प शुल्क का अधिरोपण, हक की घोषणा के लिखत पर स्टाम्प शुल्क का अधिरोपण शामिल है।

प्रस्तावित विधेयक को विधानसभा में पुर:स्थापित करने के पूर्व भारत सरकार की पूर्व सहमति भी ली जाना प्रस्तावित है।

 

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